शीत युद्ध का दौर Important Questions || Class 12 Political Science Book 1 Chapter 1 In Hindi ||

  

Ch 1 शीत युद्ध का दौर

एक अंकीय प्रश्न :

प्रश्न 1. वाक्य को सही करके लिखें – अमेरिका ने पूँजीवादी देशों को लेकर 1949 में वारसा संधि की। 

उत्तर:  नाटो संधि की

प्रश्न 2. N.P.T. / NATO का शब्द विस्तार लिखे।

उत्तर: NATO – उत्तर अटलांटिक संधि संगठन

प्रश्न 3. किन्हीं दो धुरी देशों के नाम बताएँ। 

उत्तर: NPT – परमाणु अप्रसार संधि

प्रश्न 4. ऐसे दो मित्र देशों के नाम बताएँ बाद में जिनके मध्य शीतयुद्ध हुआ। 

उत्तर: सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका

प्रश्न 5. अमेरिका ने द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान के किन दो शहरों पर परमाणु बम गिराए थे? 

उत्तर: हिरोशिमा, नागासाकी

प्रश्न 6. परमाणु बमों के गुप्त नाम क्या थे? 

उत्तर: लिटिल ब्वॉय, फैटमैन

प्रश्न 7. SALT का पूर्ण रूप लिखों।

उत्तर: सामरिक अस्त्र परिसीमत वार्ता

प्रश्न 8. START का पूर्ण रूप लिखे। 

उत्तर: START – सामरिक अस्त्रा न्यूनीकरण संधि

प्रश्न 9. UNCTAD का विस्तृत रूप लिखे। 

उत्तर: NCTAD – संयुक्त राष्ट्र संघ व्यापार और विकास सम्मेलन।

प्रश्न 10. गुट निरपेक्ष आंदोलन के संस्थापक किन्ही दो देशों एवं उनके नेताओं के नाम लिखें।

उत्तर:

  • भारत – जवाहर लाल नेहरू
  • इण्डोनेशिया – सुकर्णो

द्विअंकीय प्रश्न :

प्रश्न 1. शीत युद्ध से क्या तात्पर्य है ? 

उत्तर: शीतयुद्ध से अभिप्राय है कि परमाणु महाशक्ति होने के कारण दोनों ही महाशक्तियों (USA, USSR) में सीधे रक्त रंजित युद्ध के स्थान पर प्रतिद्वंदिता तथा तनाव की स्थिति बनी रही। 

प्रश्न 2. गुट निरपेक्षता से क्या अभिप्राय है ? 

उत्तर: दोनों महाशक्तियों में से किसी के भी गुट में शामिल न होने की नीति ही गुट निरपेक्षता है। 

प्रश्न 3. नव अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का प्रमुख लक्ष्य क्या था ?

उत्तर: अल्पविकसित देशों का अपने संसाधनों पर नियंत्रण होगा तथा पश्चिमी देशों के बाजारों तक उनकी पहुँच होगी।

प्रश्न 4. भारत सीटो तथा नाटो का सदस्य क्यों नहीं बना ? 

उत्तर: भारत किसी भी महाशक्ति के गुट का सदस्य नहीं बनना चाहता था। स्वतंत्र नीति बनाए रखने के कारण भारत सीटो, नाटो जैसी सैनिक संधियों में शामिल नहीं होना चाहता।

प्रश्न 5. अस्त्र नियंत्रण हेतु महाशक्तियों ने किन दो संधियों पर हस्ताक्षर किए ?

उत्तर: L.T.B.T., SALT, START.

प्रश्न 6. अपरोध किसे कहते है ? 

उत्तर: अपरोध अर्थात् रोक और संतुलन। जब दोनों पक्ष विनाश करने में समर्थ हो तो कोई भी पक्ष युद्ध का खतरा नहीं उठाना चाहता।

प्रश्न 7. क्यूबा मिसाइल संकट के समय USA तथा USSR का नेतृत्व कौन कर रहा था ?

उत्तर: U.S.A. जॉन एफ कैनेडी U.S.S.R. निकिता खुश्चेव।

प्रश्न 8. देतान्त (Detente) का अर्थ स्पष्ट करे। 

उत्तर: देतान्त का अर्थ है शिथिलता। अर्न्तराष्ट्रीय राजनीति में U.S.A. और U.S.S.R. की तनाव शिथिलता के लिए इस शब्द का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 9. निःशस्त्रीकरण का क्या अर्थ है ? । 

उत्तर: निःशस्त्रीकरण का अर्थ है परमाणिवक तथा अन्य हथियारों को सीमित या समाप्त करना।

प्रश्न 10. तीसरी दुनिया से क्या अभिप्रास है ?

उत्तर: द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात स्वतन्त्र हुए एशिया, अप्रफीका एवं लैटिन अमेरिका के देशों को तीसरी दुनिया के नाम से संबोधित किया जाता है।

चार अंकीय प्रश्न 

प्रश्न 1. महाशक्तियाँ छोटे देशों को अपने साथ क्यों रखती थीं?

उत्तर: स्मरणीय बिंदु देखों

प्रश्न 2. ‘क्यूबा मिसाइल संकट शीतयुद्ध का चरम बिन्दु था’ स्पष्ट करें ? 

उत्तर: 1962 में सोवियत संघ ने क्यूबा में परमाणु मिसाइलें तैनात कर दी और अमेरिका निशाने की सीमा में आ गया। पर अमेरिकी राष्ट्रपति कैनेडी की जबावी कार्यवाही के बाद सोवियत संघ ने मिसाइलें हटा ली। दोनों महाशक्तियों के मध्य तनाव और प्रतिद्वंदिता ने युद्ध का रूप नहीं लिया। क्यूबा मिसाइल संकट शीतयुद्ध का चरम बिंदु कहलाता है।

प्रश्न 3. गुट निरपेक्षता की नीति के चार सिद्धांत लिखे। 

उत्तर: 

  • स्वतंत्र विदेश नीति
  • महाशक्तियों के गुटो से अलग रहना
  • साम्राज्यवाद का विरोध करना।
  • विश्व शांति व सह अस्तित्व
  • रंगभेद का विरोध करना।
  • आपसी विवादों को बातचीत से सुलझाना।
  • U.N.O. में विश्वास। 

प्रश्न 4. नव अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था क्या है ? इसकी दो विशेषताएँ बतायें। 

उत्तर: अल्पविकसित देशो द्वारा अपना आर्थिक तथा टिकाऊ विकास करना। इनकी दो विशेषताएँ निम्न हैं :

  • अल्प विकसित देशों का अपने प्राकृतिक साधनों पर नियंत्रण हो।
  • अल्प विकसित देशों की अर्न्तराष्ट्रीय आर्थिक संगठनों में भूमिका बढ़े। 

प्रश्न 5. “गुटनिरपेक्षता का अर्थ तटस्थता का धर्म निभाना नहीं है।” उपरोक्त वाक्य को स्पष्ट करें। 

उत्तर: “गुट निरपेक्षता का अर्थ तटस्थता का धर्म निभाना नहीं है।” उक्त कथन से तात्पर्य है कि मुख्यतः युद्ध में शामिल न होने की नीति का पालन करना। तटस्थता की निति का पालन करने वाले देश के लिए यह जरूरी नहीं कि वह युद्ध को समाप्त करने में मदद करे। ऐसे देश युद्ध में संलग्न नहीं होते और न ही युद्ध के सही-गलत होने के बारे में उनका कोई पक्ष होता है। दरअसल कई कारणों से गुटनिरपेक्ष देश, जिसमें भारत भी शामिल है, युद्ध में शामिल हुए हैं। इन देशों ने दूसरे देशों के बीच युद्ध को होन से टालने के लिए काम किया है और हो रहे युद्ध के अंत लिए प्रयास किए हैं। 

पाँच अंक के प्रश्न

प्रश्न 1. निम्न अवतरण को पढ़े तथा उत्तर दे :

यह आंदोलन मौजूदा असमानताओं से निपटने के लिए एक वैकल्पिक विश्व व्यवस्था बनाने और अर्न्तराष्ट्रीय व्यवस्था को लोकतंत्रधर्मी बनाने के संकल्प पर टिका है। अपने आप में ये विचार बुनियादी महत्व के है और शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद भी प्रासांगिक है।

(i) यहाँ किस आन्दोलन की बात हो रही है ? 

उत्तर: गुट निरपेक्ष आंदोलन 

(ii) शीतयुद्ध की समाप्ति से क्या अभिप्राय है ? 

उत्तर: सोवियत संघ के विघटन के बाद शीत युद्ध समाप्त हो गया।

(iii) आज भी इस आन्दोलन की प्रांसागकिता (उपयोगिता) किन बुनियादी मूल्यों को लेकर है।

उत्तर:

  • मौजूदा असमानताओं से निपटने के लिए।
  • अर्न्तराष्ट्रीय व्यवस्था को लोकतंत्र धर्मी बनाना।

छः अंकीय प्रश्न :

प्रश्न 1. द्विध्रुवीय विश्व के उदय के क्या कारण थे? दोनों शक्ति गुटों के बीच शीतयुद्ध सम्बंधी दायरे कौन-कौन से थे ? 

उत्तर: दोनों महाशक्तियाँ विश्व में अपना प्रभाव, वर्चस्व बढ़ाना चाहती थी। अपनी सैन्य शक्ति, परमाणु ताकत, वैचारिक धारणा को बढ़-चढ़ कर दिखाना चाहती थी।

प्रश्न 2. शीतयुद्ध काल में दोनों महाशक्तियों ने एक तरफ तो हथियारों की होड़ की तथा दूसरी ओर हथियार सीमित करने के लिए संधिया की। क्यों ?

उत्तर:

हथियारों की होड़ :

  • अपना वर्चस्व स्थापित करना।
  • अति उत्तम तकनीक के हथियार बनाना।
  • ज्यादा ताकत के परमाणु बम बनाना। 

नियंत्रण :

  • दोनों को ही अपने नष्ट होने का भय।
  • हथियार निर्माण के धन को बचाना।
  • शस्त्र परिसीमन संधिया की।

प्रश्न 3. शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद क्या गुट निरपेक्षता की नीति प्रासंगिक अथवा उपयोगी है ? स्पष्ट करें। 

उत्तर:

  • गुट निरपेक्षता की नीति की प्रासंगिकता।
  • विकासशील की नीति की प्रासंगिकता
  • NIEO को लागू करना।
  • अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में अपनी पहचान तथा अस्तित्व बनाना।
  • अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों में विकसित देशों के वर्चस्व को चुनौती देना।
  • गरीब देशों के आर्थिक शोषण के विरूद्ध एकजुटता।
  • विश्वशांति तथा निःशस्त्रीकरण लागू करना।

प्रश्न 4. शीतयुद्ध के परिणामों का वर्णन करें। 

उत्तर: शीत युद्ध के परिणाम 

  • दो ध्रुवीय विश्व का उदय
  • सैन्य संधियों का गठन
  • गुट निरपेक्ष आंदोलन का उदय।
  • हथियारों की होड़ शुरू
  • महाशक्तियों की होड़ से वैज्ञानिक एवम् तकनीकी क्षेत्र में प्रतियोगिता।
  • U.N.O. की कार्यकुशलता में कमी। 

प्रश्न 5. शीतयुद्ध के तनाव को कम करने में भारत ने क्या भूमिका निभाई ? 

उत्तर:

  • गुट निरपेक्ष आंदोलन का नेतृत्व।
  • सैन्य गुटों में शामिल नहीं
  • वैश्विक समस्याओं पर स्वतंत्र विचार।
  • क्षेत्रीय संगठन निर्माण
  • महाशक्तियों से मित्रतापूर्ण संबंध
  • अन्तर्राष्ट्रीय संगठन को मजबूत करने में सहायक।

प्रश्न 6. शीतयुद्ध काल के दौरान की गई विभिन्त शस्त्र संधियों का उल्लेख करें।

उत्तर: 

  • एल टी बी टी
  • एन पी टी
  • सामरिक अस्त्रा परिसीमन वार्ता – |
  • सामरिक अस्त्रा परिसीमन वार्ता – ||
  • सामरिक अस्त्रा न्यूनीकरण संधि – |
  • सामरिक अस्त्रा न्यूनीकरण संधि – ||
  • सी. टी. बी. टी.

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