पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1.
लेखक की दृष्टि में ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है? [CBSE 2008 C; CBSE]
उत्तर:
लेखक की दृष्टि में ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ शब्दों का प्रयोग बहुत मनमाने ढंग से होता रहा है। यहाँ तक कि उनके साथ ‘भौतिक’ और ‘आध्यात्मिक’ जैसे विशेषण जोड़े जाते रहे हैं। इन विशेषणों के कारण इन शब्दों की समझ और अधिक गड़बड़ा जाती है।
प्रश्न 2.
आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे? [Imp.] [CBSE 2008]
उत्तर:
आग की खोज मनुष्य की सबसे बड़ी आवश्यकता की पूर्ति करती है। वह भोजन पकाने के काम आती है। अतः आदि मनुष्य ने इसे सबसे महत्त्वपूर्ण खोज माना। आज भी इसका महत्त्व सर्वोपरि है। तभी तो हर सांस्कृतिक कार्यक्रम से पहले दीया जलाया जाता है और खेलों में मशाल जलाई जाती है। आज यदि आग न हो तो पूरी सभ्यता ताश के महल की भाँति भरभरा कर गिर जाएगी।
आग की खोज के पीछे भोजन की प्रेरणा तो रही ही होगी; साथ ही प्रकाश और गर्मी पाने की प्रेरणा भी रही होगी। रात में आग बहुत काम आई होगी। सर्दियों में तो यह अमृत-जैसी सिद्ध हुई होगी। घनघोर ठंडी काली रात में जब आदिमानव आग से गर्मी लेता होगा, काली रात में देख पाया होगा और मांस को भूनकर खा पाया होगा तो उसे कितना आनंद मिला होगा। अतः उसने अग्नि को देवता माना होगा और उसे सुरक्षित रखने के उपाय खोजे होंगे।
प्रश्न 3.
वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति’ किसे कहा जा सकता है? [Imp.] [A.I. CBSE 2008 C; केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2009]
उत्तर:
लेखक के अनुसार, वास्तविक संस्कृत व्यक्ति वह है जिसकी बुद्धि और विवेक ने किसी भी नए तथ्य का अनुसंधान और दर्शन किया होगा। जैसे-न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत खोजा। वह वास्तविक रूप से संस्कृत व्यक्ति था।
प्रश्न 4.
न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे कौन से तर्क दिए गए हैं? न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों एवं ज्ञान की कई दूसरी बारीकियों को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते, क्यों?
उत्तर:
लेखक ने संस्कृत मानव की परिभाषा ऐसी दी है कि उसमें न्यूटन जैसे आविष्कारक और चिंतक ही आ पाते हैं। उनके अनुसार, जो व्यक्ति अपनी बुद्धि और विवेक से किसी नए तथ्य का अनुसंधान और दर्शन कर सकता है, वही संस्कृत व्यक्ति है। न्यूटन ने भी यही किया। उसने अपनी योग्यता, प्रेरणा और प्रवृत्ति से विज्ञान के विभिन्न नियमों को जाना और उसे जनता के सामने रखा। इस कारण वह संस्कृत व्यक्ति हुआ।
अन्य लोग, जो न्यूटन द्वारा खोजे गए सभी सिद्धांतों की जानकारी रखते हैं और अन्य सूक्ष्म सिद्धांत भी जानते हैं, न्यूटन जैसे संस्कृत नहीं हो सकते। कारण? उन्होंने अपनी योग्यता और प्रवृत्ति से ज्ञान का आविष्कार नहीं किया। उन्होंने तो न्यूटन या अन्य वैज्ञानिकों द्वारा खोजे गए सिद्धांतों को जाना-भर।
प्रश्न 5.
किन महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा?
उत्तर:
अपने तन को ढंकने के लिए, स्वयं को गर्मी, सर्दी और नंगेपन से बचाने के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा। सुई-धागे की खोज से पहले मनुष्य नंगा रहता था। वह जैसे-तैसे वृक्ष की खाल या पत्तों से तन को ढंकता था। किंतु उससे शरीर की ठीक से रक्षा नहीं हो पाती थी। अत: जब उसने सुई-धागे की खोज कर ली तो उसके हाथ बहुत बड़ी तकनीक लग गई। यह तकनीक इतनी कारगर थी कि आज भी हम लोग इसका भरपूर उपयोग करते हैं।
प्रश्न 6.
“मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है।” किन्हीं दो प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जब
(क) मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की गईं।
(ख) जब मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया।
अथवा
‘संस्कृति’ पाठ के आधार पर किन्हीं दो प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जब मानव-संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की गईं तथा जब मानव-संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया? [A.I. CBSE 2008]
उत्तर:
(क) मानव-संस्कृति एक है। हिंदू-संस्कृति’ के पक्षधर अपनी संस्कृति को महान बताएँ, यह स्वाभाविक है। हर मनुष्य को अधिकार है कि वह अपनी श्रेष्ठता और उपलब्धियों को याद रखे। इसी से उन्हें और अधिक बढ़ने का अवसर मिलता है। इसी भाँति ‘मुसलिम-संस्कृति’ भी अपनी पहचान को स्थापित करना चाहती है। यह स्वाभाविक है। परंतु सबसे घृणित लोग वे हैं जो किसी एक संस्कृति के पक्ष में होकर उसे अनचाहे लाभ दिलाते हैं। वे मुसलमान के नाम पर आरक्षण दिलाते हैं, नौकरियाँ पक्की कराते हैं, धार्मिक यात्राओं के लिए पैसे देते हैं, सरकारी खजाने से भोज देते हैं। बदले में उनके वोट पक्के करके सरकार पर कब्जा जमाना चाहते हैं। ऐसे लोग धूर्त सांप्रदायिक हैं। वे सांप्रदायिकता को हथियार बनाकर अपने विरोधियों को धूल चटाते हैं। ऐसे लोग ही दो संस्कृतियों को आपस में मिलने नहीं देते। वे उन्हें भिड़ाए रखते हैं।
(ख) मानव-संस्कृति एक है। विश्व के सभी लोग हिंदू-मुसलिम का भेद छोड़कर सभी संस्कृतियों की श्रेष्ठ चीजों को खुले मन से अपनाते हैं। ‘त्याग’ संस्कृति का महान गुण है। इसे कौन नहीं अपनाता? सभी अपनाते हैं। चाहे वे हिंदू हों, मुसलमान हों या ईसाई। इसी भाँति ‘बुद्ध’ के ‘अप्प दीपो भव’ (अपने दीपक स्वयं बनो) पर सभी का अधिकार है। जब जापान पर अमरीका ने परमाणु बम गिराया तो सभी संस्कृतियों ने इसका विरोध किया। सांप्रदायिक हिंसा के भी सभी विरोधी हैं। ‘रसखान’ ने कृष्ण का गुणगान किया तो बिस्मिल्ला खाँ ने बालाजी का आशीर्वाद लिया। इसी भाँति करोड़ों हिंदू अजमेर शरीफ जाकर खुदा से दुआएँ करते हैं और पीरों की पूजा करते हैं। वास्तव में सामान्य लोग तो सब संस्कृतियों को बराबर सम्मान देते हैं, परंतु कूटबुद्धि राजनेता और प्रतिबद्ध विचारक उन्हें भिड़ाकर ही दम लेते हैं।
प्रश्न 7.
आशय स्पष्ट कीजिए|
(क) मानव की जो योग्यता उससे आत्म-विनाश के साधनों का आविष्कार कराती है, हम उसे उसकी संस्कृति कहें या असंस्कृति? [ केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2009]
उत्तर:
(क) लेखक प्रश्न करता है-मानव की जो योग्यता, भावना, प्रेरणा और प्रवृत्ति उससे विनाशकारी हथियारों का निर्माण करवाती है, उसे हम संस्कृति कैसे करें? वह तो आत्म-विनाश कराती है।
लेखक कहता है-ऐसी भावना और योग्यता को असंस्कृति कहना चाहिए।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 8.
लेखक ने अपने दृष्टिकोण से सभ्यता और संस्कृति की एक परिभाषा दी है। आप सभ्यता और संस्कृति के बारे में क्या सोचते हैं, लिखिए।
उत्तर:
मेरे विचार से हमारे विचार-चिंतन और प्रवृत्तियों की विशेषता संस्कृति है। वह सूक्ष्म गुण है। वह हमारे मन और बुद्धि का गुण है। वह हमारे सोचने का ढंग है जो कि हमारी भाषा और प्रतिक्रियाओं में व्यक्त होता है। दूसरे शब्दों में, हमारे संस्कार संस्कृति के मूर्त रूप हैं।
सभ्यता स्थूल होती है। हमारे रहन-सहन, खान-पान और पहनावे के ढंग को सभ्यता कहते हैं। हम किस अवसर पर कैसे वस्त्र पहनते हैं, क्या खाते हैं, कैसे मंच, पंडाल, भवन आदि बनाते हैं, इन सबको सभ्यता की संज्ञा दी जाती है।
भाषा-अध्ययन
प्रश्न 9.
निम्नलिखित सामासिक पदों का विग्रह करके समास का भेद भी लिखिए
पाठेतर सक्रियता
प्रश्न
‘स्थूल भौतिक कारण ही आविष्कारों का आधार नहीं है।’ इस विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन कीजिए।
उत्तर:
पक्ष में विचार-मनुष्य अपनी आवश्यकता के अनुसार ही विभिन्न आविष्कार करता है। उसे अपने शरीर को जीवित, सुरक्षित और सुखी रखने के लिए विभिन्न सामानों और उपकरणों की जरूरत पड़ती है। इसलिए वह कपड़ा, आग, सुई-धागा, फर्नीचर आदि सामानों का आविष्कार करता है। रेडियो, टी.वी., रेल, बस आदि भी मनुष्य की शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। परंतु मनुष्य के पास मन भी है। मन में अनंत जिज्ञासाएँ हैं, इच्छाएँ हैं, कामनाएँ हैं। इनकी द्विगु पूर्ति के लिए भी मनुष्य बहुत-से आविष्कार करता है। उदाहरणतया, महात्मा बुद्ध ने घर-बार छोड़कर यह जानने का प्रयत्न किया कि मनुष्य के दुखों का मूल कारण क्या है? संगीतकारों ने मनुष्य के हृदय के तारों को झंकृत करने के लिए स, रे, ग, म, प, ध, नि आदि सुरों का आविष्कार किया। हमारे ऋषि-मुनि परमात्मा का रहस्य जानने के लिए जीवन-भंर लगे रहे। हजारों सालों से परमात्मा को जानने का प्रयत्न चल रहा है। अतः हम कह सकते हैं कि सारे आविष्कारों की मूल प्रेरणा केवल भौतिक वस्तुओं की प्राप्ति ही नहीं होती। । विपक्ष में विचार- मेरे विपक्षी वक्ता ने विषय के पक्ष में जो-जो तर्क दिए हैं, वे भ्रामक हैं। मनुष्य की सबसे बड़ी चिंता यह है कि वह भौतिक रूप से सुखी कैसे रहे? मेरे मित्र ने बुद्ध का उदाहरण दिया। बुद्ध ने संसार का त्याग किया संसार के दुखों का मूल कारण जानने के लिए। उनकी जिज्ञासा भी यही थी कि ये भौतिक पदार्थ आखिर दुखदायी क्यों हो जाते हैं? इस संसार को कैसे सुखी बनाया जा सकता है। उन्हें भी आखिरकार यही प्रतीत हुआ कि भौतिक ज़रूरतों के बिना संसार नहीं चल सकता। इसलिए उन्होंने संसार को अनिवार्य माना।
प्रश्न
उन खोजों और आविष्कारों की सूची तैयार कीजिए जो आपकी नज़र में बहुत महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
आग, चरखा, बिजली, टेलीफोन, मोबाइल, दूरबीन, कैमरा आदि।