पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1.
झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को किस तरह सम्मोहित कर रहा था? [CBSE 2012]
उत्तर:
गंतोक पर्वतीय स्थान जहाँ चारों ओर पर्वत, वादियाँ और प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा रहता है। रात के समय यहाँ ऊपर देखने पर लेखिका को ऐसा लगा जैसे आसमान उलटा पड़ा था और सारे तारे बिखरकर नीचे टिमटिमा रहे थे। दूर ढलान लेती तराई पर सितारों के गुच्छे रोशनियों की झालर बना रहे थे। रात में जगमगाते इस शहर का सौंदर्य लेखिका को सम्मोहित कर रहा था।
प्रश्न 2.
गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर’ क्यों कहा गया? [Imp.] [CBSE 2008)
उत्तर:
‘मेहनतकश’ का अर्थ है-कड़ी मेहनत करने वाले। ‘बादशाह’ का अर्थ है-मन की मर्जी के मालिक। गंतोक एक पर्वतीय स्थल है। पर्वतीय क्षेत्र होने के नाते यहाँ स्थितियाँ बड़ी कठिन हैं। अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए लोगों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। यहाँ के लोग इस मेहनत से घबराते नहीं और ऐसी कठिनाइयों के बीच भी मस्त रहते हैं। इसलिए गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों को शहर’ कहा गया है।
प्रश्न 3.
कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेत करता [Imp.] [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2009]
उत्तर:
सिक्किम में बुद्धिस्टों द्वारा दो अवसरों पर पताकाएँ फहराई जाती हैं-मृत्यु के समय श्वेत पताकाएँ तथा शुभ कार्य के समय रंगीन। श्वेत पताकाएँ शांति और अहिंसा की प्रतीक होती हैं, जिन पर मंत्र लिखे होते हैं। किसी बौद्ध धर्म के अनुयायी की मृत्यु होने पर उसकी आत्मा की शांति हेतु एक सौ आठ पताकाएँ फहराई जाती हैं, जिन्हें उतारा नहीं जाता है। रंगीन पताकाएँ तब फहराई जाती हैं जब किसी नए कार्य की शुरुआत की जाती है। ऐसा बुद्ध के अनुयाइयों द्वारा किया जाता है।
प्रश्न 4.
जितेन नार्गे ने लेखिका को सिक्किम को प्रकृति, वहाँ की भौगोलिक स्थिति एवं जनजीवन के बारे में क्या महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ दीं, लिखिए। [CBSE 2008 C; केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2009; CBSE]
उत्तर:
जितेन नार्गे उस वाहन (जीप) का गाइड-कम-ड्राइवर था, जिसके द्वारा लेखिका सिक्किम की यात्रा कर रही थीं। जितेन एक समझदार और मानवीय संवेदनाओं से युक्त व्यक्ति था। उसने लेखिका को सिक्किम की प्रकृति, भौगोलिक स्थिति तथा जन-जीवन के विषय में अनेक महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ दीं। उसने बताया कि सिक्किम बहुत ही खूबसूरत प्रदेश है और गंतोक से यूमथांग की 149 किलोमीटर की यात्रा में हिमालय की गहनतम घाटियाँ और फूलों से लदी वादियाँ देखने को मिलती हैं। सिक्किम प्रदेश चीन की सीमा से सटा है। पहले यहाँ राजशाही थी। अब यह भारत का एक अंग है।
सिक्किम के लोग अधिकतर बौद्ध धर्म को मानते हैं और यदि किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु हो जाए तो उसकी आत्मा की शांति के लिए एक सौ आठ पताकाएँ फहराई जाती हैं। किसी शुभ अवसर पर रंगीन पताकाएँ फहराई जाती हैं। यहाँ के लोग बड़े मेहनती हैं। इसलिए गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का नगर’ कहा जाता है और यहाँ की स्त्रियाँ भी कठोर परिश्रम करती हैं। वे अपनी पीठ पर बँधी डोको (बड़ी टोकरी) में कई बार अपने बच्चे को भी साथ रखती हैं। यहाँ की स्त्रियाँ चटक रंग के कपड़े पहनना पसंद करती हैं और उनका परंपरागत परिधान ‘बोकू’ है।
प्रश्न 5.
लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका को पूरे भारत की आत्मा एक-सी क्यों दिखाई दी? V. Imp.
उत्तर:
लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर जब लेखिका ने नार्गे से उसके बारे में पूछा तो पता चला कि यह धर्मचक्र है, जिसे घुमाने पर सारे पाप धुल जाते हैं। यह सुनकर लेखिका को ध्यान आया कि पूरे भारत की आत्मा एक है। यहाँ जगहजगह पर कुछ ऐसी मान्यताएँ हैं जैसे-गंगा में स्नान करने से पापमुक्त हो जाते हैं, काशी में मरने पर सीधा स्वर्ग मिलता है, दक्षिण दिशा में पैर करके सोने से यमराज क्रुद्ध हो जाते हैं। भले ही आज देश में इतनी प्रगति हो गई है परंतु लोगों की आस्था, विश्वास, अंधविश्वास और पाप-पुष्य की मान्यताएँ एक जैसी ही हैं।
प्रश्न 6.
जितेन नार्गे की गाइड की भूमिका के बारे में विचार करते हुए लिखिए कि एक कुशल गाइड में क्या गुण होते हैं? [CBSE 2012]
उत्तर:
जितेन नार्गे एक कुशल गाइड है। वैसे तो पर्यटक वाहनों में ड्राइवर अलग और गाइड अलग होते हैं; लेकिन जितेन ड्राइवर-कम-गाइड है। अतः हम कह सकते हैं कि एक कुशल गाइड को वाहन चलाने में भी कुशल होना चाहिए। ताकि आवश्यकता पड़े तो वह ड्राइवर की भूमिका भी निभा सके।
एक कुशल गाइड को अपने क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति तथा विभिन्न स्थानों के महत्त्व तथा उनसे जुडी रोचक जानकारियों को ज्ञान भी होना चाहिए, जैसे कि जितेन को पता है कि देवानंद अभिनीत ‘गाइड’ फिल्म (यह अपने समय की अति लोकप्रिय फिल्म थी) की शूटिंग लोंग स्टॉक में हुई थी। इससे पर्यटकों का मनोरंजन भी होता है और उनकी स्थान में रुचि भी बढ़ जाती है।
जितेन यद्यपि नेपाली है, लेकिन उसे सिक्किम के जन-जीवन, संस्कृति तथा धार्मिक मान्यताओं का पूरा ज्ञान है। वहाँ की कठोर जीवन-स्थितियों से भी वह भली-भाँति परिचित है। यह किसी कुशल गाइड का आवश्यक गुण है।
जितेन का सबसे अच्छा गुण है-मानवीय संवेदनाओं की समझ तथा परिष्कृत संवाद शैली। वह सिक्किम की सुंदरता का गुणगान ही नहीं करता, वहाँ के लोगों के दुख-दर्द के बारे में लेखिका से बातचीत करता है। उसकी भाषा बड़ी परिष्कृत और संवाद का ढंग अपनत्व से पूर्ण है, जो किसी गाइड का आवश्यक गुण है।
प्रश्न 7.
इस यात्रा-वृत्तांत में लेखिका ने हिमालय के जिन-जिन रूपों का चित्र खींचा है, उन्हें अपने शब्दों लिखिए।
उत्तर:
इस यात्रा-वृत्तांत में लेखिका के मुख्य आकर्षण का केंद्र हिमालय रहा है। उसे हिमालय के विभिन्न रूप अत्यंत मनोरम लगे। हिमालय की भव्यता एवं प्राकृतिक सौंदर्य देखकर लेखिका की आत्मा तथा आँखें दोनों ही तृप्त हो गईं। हिमालय का रूप हर पल नया-सा लगा। हिमालय कहीं चटेक हरे रंग का मोटा कालीन ओढ़ था तो कहीं हल्का पीलापन लिए हुए। कहीं वह प्लास्टर उखड़ी दीवार की तरह पथरीला दीखता, तो सब कुछ अचानक यूँ गायब हो जाता। जैसे किसी ने जादू की छड़ी घुमाकर गायब कर दिया हो। कुछ ही देर में हिमालय पर बादलों की एक मोटी चादर सी नज़र आती थी और थोड़े समय बाद ही हिमालय की वादियाँ फूलों की चादर से ढकी दिखाई देती थीं।
प्रश्न 8.
प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति होती है? [CBSE 2012]
उत्तर:
हिमालय का स्वरूप पल-पल बदलता है। प्रकृति इतनी मोहक है कि लेखिका किसी बुत-सी ‘माया’ और ‘छाया’ के खेल को देखती रह जाती है। उसे लगता है कि प्रकृति उसे अपना परिचय दे रही है। वह उसे और सयानी (बुद्धिमान) बनाने के लिए अपने रहस्यों का उद्घाटन कर रही है। प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर उसे अनेक अनुभूतियाँ होती हैं। उसे लगता है जीवन की सार्थकता झरनों और फूलों की भाँति स्वयं को दे देने में अर्थात् परोपकार में ही है। झरनों की भाँति निरंतर चलायमान रहना और फूलों की भाँति अपनी महक लुटाना ही जीवन का सच्चा स्वरूप है।
प्रश्न 9.
प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को कौन-कौन से दृश्य झकझोर गए? V. Imp.]
उत्तर:
गंतोक से यूमथांग के रास्ते पर जाते हुए लेखिका प्राकृतिक दृश्य और हिमालय के सौंदर्य को देखकर अभिभूत थी। सौंदर्य की अधिकता के कारण वह मंत्रमुग्ध हो तंद्रिल अवस्था में चल रही थी कि तभी उसने देखा कि कुछ पहाड़ी औरतें पत्थरों पर बैठी पत्थर तोड़ रही हैं। गुथे आटे-सी कोमल काया और हाथों में कुदाल-हथौड़े। इनमें से अनेक की पीठ पर बँधे बच्चे। स्वर्गीय सौंदर्य, नदी फूल, वादियाँ और झरने के बीच भूख, मौत, दैन्य और जिंदा रहने की यह जंग जैसे दृश्य लेखिका को झकझोर गए।
प्रश्न 10.
सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव करवाने में किन-किन लोगों का योगदान होता है, उल्ले। करें। [CBSE 2012]
उत्तर:
सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव कराने में अनेक प्रकार के लोगों का योगदान रहता है। सबसे पहले इस दृश्य में उस ट्रेवल की भूमिका रहती है, जो सैलानियों के लिए स्थान के अनुसार वाहन तथा उनके ठहरने संबंधी व्यवस्थाएँ करता है। इसके बाद उनके वाहन का चालक तथा परिचालक भूमिका निभाते हैं, जो उन्हें गंतव्य तक पहुँचाते हैं। फिर उनके गाइड (मार्गदर्शक) की भूमिका शुरू होती है जो पर्यटन स्थल की जानकारी देता है। पर्वतीय स्थलों पर कई बार सैलानियों को अपना बड़ा वाहन (बस) छोड़कर जीप जैसा छोटा वाहन लेना पड़ता है। प्रायः इन छोटे वाहनों के चालक जितेन नार्गे की भाँ ड्राइवर-कम-गाइड होते हैं। इसके अतिरिक्त उनके ठहरने व खाने-पीने की व्यवस्था करने वाले होटल के कर्मचारी तथा पर्यटक-स्थल पर छोटी-छोटी अन्य सुविधाएँ-जैसे बर्फ पर चलने के लिए लंबे बूट व अन्य जरूरी सामान किराए पर देने वाले दुकानदार तथा हस्तशिल्प व कलाकृतियाँ बेचने वाले वे फोटोग्राफर जैसे लोगों की भूमिका भी महत्त्वपूर्ण होती है।
प्रश्न 11.
“कितना कम लेकर ये समाज को कितना अधिक वापस लौटा देती हैं।” इस कथन के आधार पर स्पष्ट करें कि आम जनता की देश की आर्थिक प्रगति में क्या भूमिका है? [Imp.] [CBSE 2012]
उत्तर:
लेखिका ने यह कथन उन पहाड़ी श्रमिक महिलाओं के विषय में कहा है, जो पीठ पर बँधी डोको (बड़ी टोकरी) में अपने बच्चों को सँभालते हुए कठोर श्रम करती हैं। ऐसा ही दृश्य वह पलामु और गुमला के जंगलों में भी देख चुकी थी, जहाँ बच्चे को पीठ पर बाँधे पत्तों (तेंदु के) की तलाश में आदिवासी औरतें वन-वन डोलती फिरती हैं। उसे लगता है कि ये श्रम-सुंदरियाँ ‘वैस्ट एट रिपेईंग’ हैं; अर्थात् ये कितना कम लेकर समाज को कितना अधिक लौटा देती हैं। वास्तव में यह एक सत्य है कि हमारे ग्रामीण समाज में महिलाएँ बहुत कम लेकर समाज को बहुत अधिक लौटाती हैं। वे घर-बार भी सँभालती हैं, बच्चों की देखभाल भी करती हैं और श्रम करके धनोपार्जन भी करती हैं। यह बात हमारे देश की आम जनता पर भी लागू होती है। जो श्रमिक कठोर परिश्रम करके सड़कों, पुलों, रेलवे लाइनों का निर्माण करते हैं या खेतों में कड़ी मेहनत करके अन्न उपजाते हैं; उन्हें बदले में बहुत कम मजदूरी या लाभ मिलता है। लेकिन उनका श्रम देश की प्रगति में बड़ा सहायक होता है। हमारे देश की आम जनता बहुत कम पाकर भी देश की प्रगति में अहम भूमिका निभाती है।
प्रश्न 12.
आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ किस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है। इसे रोकने में आपकी क्या भूमिका होनी चाहिए।[Imp.] [CBSE 2008, 2008 C]
अथवा
प्रकृति के साथ हो रहे खिलवाड़ को कैसे रोका जा सकता है? [CBSE 2012]
उत्तर:
आज की पीढ़ी पहाड़ी स्थलों को अपना विहार-स्थल बना रही है। वहाँ भोग के नए-नए साधन पैदा किए जा रहे हैं। इसलिए जहाँ एक ओर गंदगी बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर तापमान में वृद्धि हो रही है। परिणामस्वरूप पर्वत अपनी स्वाभाविक सुंदरता खो रहे हैं। | इसे रोकने में हमें सचेत होना चाहिए। हमें ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे पहाड़ों का प्राकृतिक सौंदर्य नष्ट हो, गंदगी फैले और तापमान में वृद्धि हो।
प्रश्न 13.
प्रदूषण के कारण स्नोफॉल में कमी का जिक्र किया गया है। प्रदूषण के और कौन-कौन से दुष्परिणाम सामने आए हैं, लिखें।[Imp.J[CBSE 2012]
उत्तर:
प्रदूषण के कारण स्नोफॉल में कमी का उल्लेख किया गया है, परंतु प्रदूषण के अन्य दुष्परिणाम जो सामने आए हैं, वे हैं
- प्रदूषण के कारण कम बरफ़ गिरने से प्राकृतिक सौंदर्य में कमी आ गई है।
- बरफ़ गिरने या न गिरने की अनिश्चितता के कारण पर्यटकों की संख्या में कमी आने से पर्यटन उद्योग प्रभावित हो रहा है।
- कम बरफ़बारी से नदियों का जलस्तर घट रहा है।
- प्रदूषण से वैश्विक तापमान बढ़ा है, जिससे ध्रुवों की बरफ़ जल्दी पिघलने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
- प्रदूषण से जलवायु चक्र प्रभावित हुआ है, जिससे असमान वर्षा तथा प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि हुई है।
- स्वाँस संबंधी बीमारियों के अलावा अन्य नाना प्रकार की बीमारियों में अचानक वृद्धि हुई है।
प्रश्न 14.
‘कटाओ’ पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है। इस कथन के पक्ष में अपनी राय व्यक्त कीजिए?
अथवा
‘कटाओ’ पर किसी दुकान का न होना इस पर्यटन-स्थल के लिए वरदान क्यों है? पाठ के आधार पर लिखिए। [A.I. CBSE 2008]
उत्तर:
कटाओ सिक्किम की एक खूबसूरत किंतु अनजान-सी जगह है, जहाँ प्रकृति अपने पूरे वैभव के साथ दृष्टिगोचर होती है। यहाँ पर लेखिका को बर्फ का आनंद लेने के लिए घुटनों तक के लंबे बूटों की आवश्यकता अनुभव हुई तो उसने देखा कि वहाँ पर झांगु की तरह ऐसी चीजें किराए पर मुहैया करवाने वाली दुकानों की कतारें तो क्या, एक दुकान भी न थी।
लेखिका को लगा कि कटाओ में किसी दुकान का न होना भी वहाँ के लिए वरदान है। क्योंकि अगर वहाँ दुकानों की कतार लग गई तो कटाओ का नैसर्गिक सौंदर्य तो दबेगा ही, स्थानीय आबादी भी बढ़ेगी और पर्यटकों की भीड़ भी। अंततः वहाँ भी प्रदूषण अपने पाँव पसारेगा। ऐसे में कटाओं में दुकानों का न होना एक वरदान ही है।
प्रश्न 15.
प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है? [Imp.][A.I. CBSE 2008 C; CBSE 2008 C]
उत्तर:
प्रकृति का हर काम बेजोड़ एवं सबसे अलग तरीके से होता है। इसी तरह प्रकृति में जलसंचय का तरीका भी अद्भुत है। प्रकृति शीत ऋतु में पर्वत शिखरों पर गिरी बरफ़ को एकत्रकर जलसंचय कर लेती है। ये पर्वत शिखर वास्तव में अनूठे। जल स्तंभ हैं। इनकी बरफ़ सूर्य के ताप से गरमियों में पिघलकर पानी के रूप में नदियों में बहती है और लोगों की प्यास बुझाने के अलावा कृषि की सिंचाई करने के काम आता है। अन्य स्थानों पर वर्षा का एकत्र जल तालाब, झील, पोखर आदि का वाष्पीकरण करके प्रकृति उसे बादल के रूप में एकत्र कर लेती है।
प्रश्न 16.
देश की सीमा पर बैठे फ़ौजी किस तरह की कठिनाइयों से जूझन हैं? उनके प्रति हमारा क्या नरदायित्व होना चाहिए? [CBSE 2012]
उत्तर:
देश की सीमा पर बैठे फ़ौजी प्रकृति के प्रकोप को सहन करते हैं। जाड़ों में हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में जब तापमान शून्य से 20-25 सैल्सियस नीचे चला जाता है तो भी वे सीमा पर डटे रहते हैं। देशवासी चैन की नींद सो सकें, इसलिए वे रात-रात भर जागते हैं। तपते रेगिस्तान में धूल-भरे तूफानों के बीच वे भूखे-प्यासे अपने कर्तव्यों की पूर्ति करते हैं। आवश्यकता पड़े तो वे सीने पर शत्रु की गोली भी खाते हैं।
देश के रक्षक फौजियों के प्रति हमारा दायित्व है कि हम उनके प्रति स्नेह तथा सम्मान का भाव रखते हुए उन्हें हर प्रकार की सहायता दें। उनके परिवारों को किसी प्रकार का कष्ट या अभाव न हो, उनके बच्चों की शिक्षा भली-भाँति हो सके, इस बात का ध्यान रखना हमारा ही उत्तरदायित्व है।