NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 13 मानवीय करुणा की दिव्या चमक

  पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी? [Imp.][CBSE 2012]
उत्तर:
फ़ादर परिमल की गोष्ठी में सबसे बड़े माने जाते थे। वे सबके साथ पारिवारिक रिश्ता बनाकर रखते थे। सबसे बड़ी बात यह थी कि वे सबके घरों में उत्सवों और संस्कारों पर पुरोहित की भाँति उपस्थित रहते थे। हर व्यक्ति ,उनसे स्नेह और सहारा प्राप्त करता था। वात्सल्य तो उनकी नीली आँखों में तैरता रहता था। इस कारण सबको उनकी उपस्थिति देवदार की छाया के समान प्रतीत होती थी।

प्रश्न 2.
फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग हैं, किस आधार पर ऐसा कहा गया है? [Imp.]
अथवा
फ़ादर कामिल बुल्के को भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग किस आधार पर कहा गया है? [CBSE]
उत्तर:
फ़ादर कामिल बुल्के भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग थे। उन्होंने भारत में रहकर स्वयं को पूरी तरह भारतीय बना लिया। जब उनसे पूछा गया कि क्या आपको अपने देश की याद आती है तो उन्होंने छूटते ही उत्तर दिया-मेरा देश तो अब भारत है।
फ़ादर भारतीय मिट्टी में रच-बस गए। उन्होंने यहाँ रहकर राम-कथा के उद्भव और विकास पर शोध-कार्य किया। उन्होंने हिंदी सीखी ही नहीं, बल्कि अंग्रेजी-हिंदी का सबसे अधिक प्रामाणिक कोश तैयार किया। वे यहाँ के लोगों के उत्सवों और संस्कारों पर अभिन्न सदस्य के रूप में उपस्थित रहते थे। वे सचमुच भारतीय संस्कारों में खो चुके थे।

प्रश्न 3.
पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फ़ोदर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है? [Imp.][CBSE 2012]
उत्तर:
फ़ादर कामिल बुल्के के हिंदी प्रेम का सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि उन्होंने सबसे अधिक प्रामाणिक अंग्रेजी-हिंदी कोश तैयार किया। उन्होंने बाइबिल और ब्लू बर्ड नामक नाटक का हिंदी में अनुवाद किया। इससे पहले उन्होंने इलाहाबाद से हिंदी में एम.ए. किया। तत्पश्चात् उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से ‘रामकथा : उत्पत्ति और विकास’ विषय पर शोध-प्रबंध लिखा। उसके बाद वे सेंट जेवियर्स कॉलेज राँची में हिंदी विभाग के अध्यक्ष बने। वे ‘परिमल’ नामक संस्था के साथ जुड़े रहे। वे जहाँ-तहाँ हिंदी के प्रति प्रेम प्रकट करते थे। उन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनवाने के लिए खूब प्रयत्न किया।

प्रश्न 4.
इस पाठ के आधार पर फ़ादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में लिखिए। [A.I. CBSE 2008 C]
उत्तर:
फ़ादर कामिल बुल्के एक आत्मीय संन्यासी थे। वे ईसाई पादरी थे। इसलिए हमेशा एक सफेद चोगा धारण करते थे। उनका रंग गोरा था। चेहरे पर सफेद झलक देती हुई भूरी दाढ़ी थी। आँखें नीली थीं। बाँहें हमेशा गले लगाने को आतुर दीखती थीं। उनके मन में अपने प्रियजनों और परिचितों के प्रति असीम स्नेह था। वे सबको स्नेह, सांत्वना, सहारा और करुणा देने में समर्थ थे।

प्रश्न 5.
लेखक ने फ़ादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा है? [Imp.][CBSE 2012]
उत्तर:
लेखक ने फ़ादर कामिल बुल्के को मानवीय करुणा की दिव्य चमक कहा है। फ़ादर के मन में सब परिचितों के प्रति सद्भावना और ममता थी। वे सबके प्रति वात्सल्य भाव रखते थे। वे तरल-हृदय थे। वे कभी किसी से कुछ चाहते नहीं थे, बल्कि देते ही देते थे। वे हर दुख में साथी होते थे और सुख में बड़े बुजुर्ग की भाँति वात्सल्य देते थे। उन्होंने लेखक के पुत्र के मुँह में पहला अन्न भी डाला और उसकी मृत्यु पर सांत्वना भी दी। वास्तव में उनका हृदये सदा दूसरों के स्नेह में पिघला रहता था। उस तरलता की चमक उनके चेहरे पर साफ दिखाई देती थी।

प्रश्न 6.
फ़ादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नयी छवि प्रस्तुत की है, कैसे? [CBSE 2012; केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
उत्तर:
परंपरागत रूप से ईसाई पादरी संसार से अलग जीवन जीते हैं। वे सामान्य संसारी लोगों से अलग वैराग्य की नीरस जिंदगी जीते हैं। वे ईसाई धर्माचार में ही अपना समय व्यतीत करते हैं। वे प्रायः अन्य धर्मानुयायियों के साथ मधुर संबंध बनाने में रुचि नहीं लेते।
फ़ादर बुल्के परंपरागत पादरियों से भिन्न थे। वे संन्यासी होते हुए भी अपने परिचितों के साथ गहरा लगाव रखते थे। वे उनसे मिलने के लिए सदा आतुर रहते थे तथा सबको गले लगाकर मिलते थे। वे संसारी लोगों के बीच रहकर उनसे निर्लिप्त रहते थे। वे धर्माचार की परवाह किए बिना अन्य धर्म वालों के उत्सवों-संस्कारों में भी घर के बड़े बुजुर्ग की भाँति शामिल होते थे। वे कभी किसी को अपने से दूर तथा अलग नहीं प्रतीत होने देते थे। लोग उन्हें पादरी नहीं अपितु अपना आत्मीय संरक्षक मानते थे।

प्रश्न 7.
आशय स्पष्ट कीजिए
(क) नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है।
(ख) फ़ादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा है। [CBSE]
उत्तर:
(क) फ़ादर कामिल बुल्के की मृत्यु पर उनके प्रियजन, परिचित और साहित्यिक मित्र इतनी अधिक संख्या में रोए कि उनको गिनना कठिन है। उनके बारे में लिखना व्यर्थ में स्याही खर्च करना है। आशय यह है कि उनके दुख में रोने वालों की संख्या बहुत अधिक थी।
(ख) हम फ़ादर कामिल बुल्के को याद करते हैं तो उनका करुणापूर्ण और शांत व्यक्तित्व सामने आ जाता है। उनके ने रहने से मन में उदासी घिरने लगती है। ऐसा लगता है मानो सामने कोई शांत उदास संगीत बज रहा हो।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
आपके विचार से बुल्के ने भारत आने का मन क्यों बनाया होगा?
उत्तर:
फ़ादर के मन में भारत के संतों, ऋषियों और आध्यात्मिक पुरुषों का आकर्षण रहा होगा। हो सकता है, वे स्वामी विवेकानंद, रवींद्रनाथ टैगोर और अन्य धर्माचार्यों से प्रभवित रहे हों। एक वैरागी ने वैराग्य की धरती में ही जीना चाहा हो।

प्रश्न 9.
‘बहुत सुंदर है मेरी जन्मभूमि-रेम्सचैपल।’-इस पंक्ति में फ़ादर बुल्के की अपनी जन्मभूमि के प्रति कौन-सी भावनाएँ अभिव्यक्त होती हैं? आप अपनी जन्मभूमि के बारे में क्या सोचते हैं? [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
उत्तर:
इस पंक्ति में फ़ादर कामिल बुल्के का स्वाभाविक देश-प्रेम व्यक्त हुआ है। जन्मभूमि से गहरा लगाव होने के कारण उन्हें वह बहुत सुंदर प्रतीत होती है।
मैं भी अपनी जन्मभूमि भारत का पुत्र हूँ। यह धरती मेरी माँ के समान है। मुझे इसका सब कुछ प्रिय लगता है। मुझे यहाँ का अन्न-जल, धर्म-संस्कृति-सब प्रिय है। मैं इसके उत्थान में अपना जीवन लगाना चाहता हूँ। मैं संकल्प करता हूँ कि मैं कोई ऐसा काम नहीं करूंगा जिससे जन्मभूमि का अपमान हो।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 10.
मेरा देश भारत विषय पर 200 शब्दों का निबंध लिखिए।
उत्तर:
मेरा देश भारत मेरा देश भारत है। इसकी संस्कृति बहुत प्राचीन है। यह देश वटवृक्ष के समान है। इस धरती पर अनेक धर्मों, संतों, ऋषियों और महापुरुषों ने जन्म लिया। इसकी संस्कृति बहुत महान है। यहाँ के लोगों ने सदियों से जो कुछ भी सीखा है, उसे अपने व्यवहार में उतार लिया है। इसलिए यहाँ की संस्कृति सनातन हैं। यहाँ कट्टरता का नाम नहीं है। यहाँ के लोग उदार, विनम्र
और सरल हैं। यहाँ की जीवन-शैली सहज है। इस सरलता के कारण भारतवासियों को अनेक कष्ट सहने पड़े। हजारों सालों तक गुलाम भी रहना पड़ा। फिर भी भारतवासियों ने अपना स्वभाव नहीं बदला। वे ज्यों के त्यों रहे। वही सीधी-सरल तनावरहित जीवन-शैली।
भारतीय संस्कृति आत्मा और परमात्मा का अस्तित्व मानती है। यहाँ के लोग स्वयं को एक ही परमात्मा की संतान मानते हैं। इसलिए वे किसी के साथ भेदभाव नहीं करते। वे किसी भी शरणार्थी को परमात्मा का बंदा मानकर अपना लेते हैं। अहिंसा, प्रेम और करुणा भारतवासियों के खून में है। आज भी हमारे संत बाबा दुनियाभर को यही सीख दे रहे हैं। हम किसी मनुष्य को शत्रु नहीं मानते, केवल पापी को शत्रु मानते हैं; काम-क्रोध-लोभ-मद-मोह को शत्रु मानते हैं।
भारतीय संस्कृति के मंदिर, गुरुद्वारे, मसजिदें, गिरजाघर देश के कोने-कोने में फैले हुए हैं। यहाँ रामायण-महाभारत की गाथाएँ पूरे भारत में प्रसिद्ध हैं। यहाँ अभी भी रामराज्य का सपना मौजूद रहता है। आधुनिक युग में भी यहाँ अहिंसा के आधार पर स्वतंत्रता आंदोलन लड़ा गया। गाँधी जी ने अहिंसा के बल पर भारतवर्ष को स्वतंत्र करके दिखा दिया। सचमुच भारत महान है। इसकी परंपराएँ महान हैं।

प्रश्न 11.
आपका मित्र हडसन एंड्री ऑस्ट्रेलिया में रहता है। उसे इस बार की गर्मी की छुट्टियों के दौरान भारत के पर्वतीय प्रदेशों के भ्रमण हेतु निमंत्रित करते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर:
कामेश नाग ,
535, रामनगर
लखनऊ
14-3-2015
प्रिय हडसन एंड्री
सप्रेम नमस्कार!
कैसे हो? आशा है, तुम सानंद होगे। तुम्हारी माताजी तथा पिताजी भी प्रसन्न होंगे। प्रिय एंड्री, इस बार मेरी गर्मियों की छुट्टियाँ एक मई से आरंभ होंगी। इन दिनों तुम्हारी भी छुट्टियाँ होती हैं। मैं चाहता हूँ कि इस बार तुम भारत आओ। मैं तुम्हें यहाँ के प्रसिद्ध पर्वतीय स्थान दिखाना चाहता हूँ। मैं तुम्हें यहाँ के प्रसिद्ध हिमालय पर्वत की सैर कराकर लाऊँगा। मुझे तुम्हारे साथ ऑस्ट्रेलिया में बिताए हुए दिन अभी तक याद हैं। मैं चाहता हूँ कि इस बार हम भारत-भ्रमण करें। तुम्हारे उत्तर की प्रतीक्षा में
तुम्हारा
पना कामेश

प्रश्न 12.
निम्नलिखित वाक्यों में समुच्यबोधक छाँटकर अलग लिखिए
(क) तब भी जब वह इलाहाबाद में थे और तब भी जब वह दिल्ली आते थे।
(ख) माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था कि लड़का हाथ से गया।
(ग) वे रिश्ता बनाते थे तो तोड़ते नहीं थे।
(घ) उनके मुख से सांत्वना के जादू भरे दो शब्द सुनना एक ऐसी रोशनी से भर देता था जो किसी गहरी तपस्या से
जनमती है।
(ङ) पिता और भाइयों के लिए बहुत लगाव मन में नहीं था लेकिन वो स्मृति में अकसर डूब जाते।
उत्तर:
(क) और
(ख) कि
(ग) तो
(घ) जो
(ङ) और, लेकिन।

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न
फ़ादर बुल्के का अंग्रेजी-हिंदी कोश’ उनकी एक महत्त्वपूर्ण देन है। इस कोश को देखिए-समझिए।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

प्रश्न
फ़ादर बुल्के की तरह ऐसी अनेक विभूतियाँ हुईं हैं जिनकी जन्मभूमि अन्यत्र थी लेकिन कर्मभूमि के रूप में उन्होंने भारत को चुना। ऐसे अन्य व्यक्तियों के बारे में जानकारी एकत्र कीजिए।
उत्तर:
भगिनी निवेदिता-वे मूलतः इंग्लैंड की रहने वाली थीं। वे वहाँ एक विद्यालय चलाती थीं। वे स्वामी विवेकानंद के संपर्क में आईं तो अभिभूत हो उठीं। स्वामी विवेकानंद ने एक दिन समाज कल्याण के लिए नारी शक्ति का आह्वान किया। भगिनी निवेदिता इसके लिए तैयार हो गईं। वे उनके साथ भारत चली आईं। उन्होंने यहाँ नारी विद्यालय खोले।

प्रश्न
कुछ ऐसे व्यक्ति भी हुए हैं जिनकी जन्मभूमि भारत है लेकिन उन्होंने अपनी कर्मभूमि किसी और देश को बनाया है, उनके बारे में भी पता लगाइए।
उत्तर:
हरगोविंद खुराना भारत में जन्मे किंतु उन्होंने अपनी कर्मभूमि अमरीका को बनाया।

प्रश्न
एक अन्य पहलू यह भी है कि पश्चिम की चकाचौंध से आकर्षित होकर अनेक भारतीय विदेशों की ओर उन्मुख हो रहे हैं-इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
भारत के अनेक प्रतिभाशाली लोग पश्चिम की चमक-दमक में जीने के लिए अमरीका, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया आदि देशों में चले जाते हैं। अपनी जन्मभूमि की कीमत पर वहाँ रहना अनुचित है। भारत माँ का अन्न खाना और सेवा परदेश की करना किसी भी तरह उचित नहीं कहा जा सकता।

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