पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1.
कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है? [Imp. [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2009] |
उत्तर:
कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात इसलिए कही है क्योंकि यही सत्य है। मनुष्य को आखिरकार अपने वास्तविक सच का सामना करना पड़ता है। उसे अपनी परिस्थितियों में जीना पड़ता है। भूली-बिसरी यादें या भविष्य के सपने उसे दुखी ही करते हैं, किसी मंजिल पर नहीं ले जाते।
प्रश्न 2.
भाव स्पष्ट कीजिए
प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।
उत्तर:
बड़प्पन का अहसास, महान होने का सुख भी एक छलावा है। मनुष्य बड़ा आदमी होकर भी मन से प्रसन्न हो, यह आवश्यक नहीं। हर सुख के साथ एक दुख भी जुड़ा रहता है। जैसे हर चाँदनी रात के बाद एक काली रात भी लगी रहती है, पूर्णिमा के बाद अमावस भी आती है, उसी तरह सुख के पीछे दुख भी छिपे रहते हैं।
प्रश्न 3.
‘छाया’ शब्द यहाँ किस संदर्भ में प्रयुक्त हुआ है? कवि ने उसे छूने के लिए मना क्यों किया है? [Imp.] [CBSE 2008 C; A.I. CBSE 2008 C; केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2009]
अथवा
‘छाया मत छूना मन’ पंक्ति में ‘छाया’ से कवि का क्या तात्पर्य है? [CBSE]
उत्तर:
यहाँ ‘छाया’ शब्द अवास्तविकताओं के लिए प्रयुक्त हुआ है। ये छायाएँ अतीत की भी हो सकती हैं और भविष्य की भी। ये छायाएँ पुरानी मीठी यादों की भी हो सकती हैं और मीठे सपनों की भी।
प्रश्न 4.
कविता में विशेषण के प्रयोग से शब्दों के अर्थ में विशेष प्रभाव पड़ता है, जैसे कठिन यथार्थ
कविता में आए ऐसे अन्य उदाहरण छाँटकर लिखिए और यह भी लिखिए कि इससे शब्दों के अर्थ में क्या विशिष्टता पैदा हुई?
उत्तर:
इस कविता में प्रयुक्त अन्य विशेषण हैं
सुरंग सुधियाँ सुहावनी–यहाँ ‘सुधियाँ’ विशेष्य के लिए दो विशेषण प्रयुक्त हुए हैं-‘सुरंग’ और ‘सुहावनी’। इनके प्रयोग से बीती हुई यादों के दृश्य बड़े मीठे, मनमोहक और रंगीन बन पड़े हैं। यह पदबंध शादी या मिलन जैसे अवसर का रंगीन दृश्य प्रस्तुत करता जान पड़ता है।
जीवित क्षण–यहाँ ‘ क्षण’ के लिए ‘जीवित’ विशेषण प्रयुक्त हुआ है। इसके प्रयोग से पिछली यादों का भूला हुआ क्षण सामने इस तरह साकार हो उठा है मानो वह क्षण पुराना न होकर वर्तमान में चल रहा हो।
केवल मृगतृष्णा-‘मृगतृष्णा’ के साथ ‘केवल’ विशेषण लगने से भ्रम और छलावा और अधिक सधन, गहरा और निश्चित हो गया है। इससे यह बोध जाग उठा है कि बड़प्पन का अहसास छलावे के सिवा कुछ है ही नहीं।
दुविधा-हत साहस-‘साहस’ के साथ ‘दुविधा-हत’ विशेषण साहस को स्पष्ट रूप से दबाए हुए प्रतीत होता है। यहाँ ‘मृत साहस’ का भाव मुखर हो उठा है।
शरद-रात–यहाँ ‘रात’ के साथ ‘शरद’ शब्द रात की रंगीनी और मोहकता को उजागर कर रहा है। रस-बसंत-‘बसंत’ के साथ ‘रस’ विशेषण बसंत को और अधिक रसीला, मनमोहक और मधुर बना रहा है।
प्रश्न 5.
‘मृगतृष्णा’ किसे कहते हैं, कविता में इसका प्रयोग किस अर्थ में हुआ है? [Imp.][CBSE 2012]
उत्तर:
गर्मी की चिलचिलाती धूप में दूर सड़क पर पानी की चमक दिखाई देती है। हम वहाँ जाकर देखते हैं तो कुछ नहीं होता। प्रकृति के इस भ्रामक रूप को ‘मृगतृष्णा’ कहा जाता है। इस कविता में इसका अर्थ छलावे और भ्रम के लिए किया गया है। कवि कहना चाहता है कि लोग प्रभुता अर्थात् बड़प्पन में सुख मानते हैं। किंतु बड़े होकर भी कोई सुख नहीं मिलता। अतः बड़प्पन का सुख दूर से ही दिखाई देता है। यह वास्तविक सच नहीं है।
प्रश्न 6.
‘बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले’ यह भाव कविता की किस पंक्ति में झलकता है?
उत्तर:
निम्न पंक्ति में जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण।
प्रश्न 7.
कविता में व्यक्त दुख के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
‘छाया मत छूना’ कविता के कवि ने मानव की किन वृत्तियों को जीवन के लिए दुखदायी माना है? [A.I. CGBSE 2008 C]
उत्तर:
इस कविता में दुख के निम्नलिखित कारण बताए गए हैं
- छाया अर्थात् बीती हुई मीठी यादें जिन्हें याद कर-करके हम अपने वर्तमान को और अधिक दुखी कर लेते हैं।
- छाया अर्थात् भविष्य के सपने, जिनके पूरा न होने पर हम दुखी रहते हैं।
- वर्तमान जीवन में उचित अवसर पर लाभ न मिलना। बसंत के समय फूल का न खिलना या शरद्-रात में चाँद का न खिलना। आशय यह है कि उचित अवसर पर सुख न मिलना।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 8.
‘जीवन में हैं सुरंग सुधियाँ सुहावनी’ से कवि का अभिप्राय जीवन की मधुर स्मृतियों से है। आपने अपने जीवन की कौन-कौन सी स्मृतियाँ संजो रखी हैं?
उत्तर:
मेरे जीवन की सबसे मधुर स्मृति: पहली बार एक निबंध प्रतियोगिता में भाग लिया प्रथम आया। 26 जनवरी की परेड में सम्मानित।
प्रश्न 9.
‘क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर?’ कवि का मानना है कि समय बीत जाने पर भी उपलब्धि मनुष्य को आनंद देती है। क्या आप ऐसा मानते हैं? तर्क सहित लिखिए। [ केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
उत्तर:
यह सच है कि सभी उपलब्धियाँ उचित समय पर ही अच्छी लगती हैं। जैसे-सर्दी बीतने पर रजाई का क्या लाभ? बारिश खत्म होने पर छाता मिला तो क्या लाभ? मनुष्य के मरने के बाद मकान बन सका तो क्या लाभ? फसलें नष्ट होने के बाद सुरक्षा का प्रबंध हुआ तो क्या लाभ? डकैती होने के बाद पुलिस आ पाई तो क्या लाभ? आग बुझने के बाद फायर-ब्रिगेड आ पाया तो क्या लाभ? रोगी मरने के बाद डॉक्टर आ पाया तो क्या लाभ! ये सब उदाहरण बताते हैं कि उचित अवसर और आवश्यकता के समय ही उपलब्धियाँ अच्छी लगती हैं।
पाठेतर सक्रियता
प्रश्न
आप गर्मी की चिलचिलाती धूप में कभी सफ़र करें तो दूर सड़क पर आपको पानी जैसा दिखाई देगा पर पास पहुँचने एर वहाँ कुछ नहीं होता। अपने जीवन में भी कभी-कभी हम सोचते कुछ हैं, दिखता कुछ है लेकिन वास्तविकता कुछ और होती है। आपके जीवन में घटे ऐसे किसी अनुभव को अपने प्रिय मित्र को पत्र लिखकर अभिव्यक्त कीजिए।
उत्तर:
प्रिय रमेश!
एक अनुभव सुनाने का मन कर रहा है। हमारा नौकर दो दिन पहले अचानक गायब हो गया। पता चला कि पिताजी ने उसे 500 रु. का नोट देकर बाजार से मीठे-मीठे आम लाने को कहा था। जब वह वापस नहीं आया तो सभी सदस्य पिताजी की लापरवाही को कोसने लगे। मैंने भी यही किया। परंतु आज पुलिस थाने से पता चला की वह नौकर एक सड़क दुर्घटना में मारा गया है। उसकी जेब से 300 रु. और थेले में 5 किलो मीठे आम मिले हैं।
भाई रमेश! यह समाचार सुनते ही मेरी आँखों में आँसू उमड़ आए हैं। पता नहीं, हम भय और द्वेष वश कुछ का कुछ सोच लेते हैं किंतु सत्य कुछ और ही होता है।
प्रश्न
कवि गिरिजाकुमार माथुर की ‘पंद्रह अगस्त’ कविता खोजकर पढ़िए और उस पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
आज जीत की रात, पहरुए सावधान रहना।
खुले देश के द्वार, अचल दीपक समान रहना। ऊँची हुई मशाल हमारी आगे कठिन डगर है। शत्रु हट गया लेकिन उसकी छायाओं का डर है। शोषण से मृत है समाज, कमज़ोर हमारा घर है। किंतु आ रही नई जिंदगी, यह विश्वास अमर है। जन-गंगा में ज्वार, लहर, तुम प्रवहमान रहना।
पहरुए! सावधान रहना।