CBSE Class 10 Hindi B व्याकरण मुहावरे

  

CBSE Class 10 Hindi B व्याकरण मुहावरे

मुहावरा

जब भाषा या अपने कथन को विशेष ढंग से कहना होता है तथा उसे प्रभावी ढंग से अभिव्यक्ति करना होता है तब कुछ ऐसे वाक यांशों का प्रयोग किया जाता है जो अपने सामान्य अर्थ से हटकर अलग अर्थ का बोध कराते हैं। ऐसे वाक्यांशों या शब्द समूह को मुहावरा कहा जाता है।

मुहावरा का शाब्दिक अर्थ है-अभ्यास। बार-बार प्रयोग करने के कारण कुछ शब्द समूह उक्ति बन जाते हैं और चमत्कारपूर्ण अर्थ की अभिव्यक्ति करने लगते हैं जो कालांतर में मुहावरा बन जाते हैं। अतः मुहावरा ऐसा शब्द समूह या वाक्यांश है जो अपने शाब्दिक अर्थ को छोड़कर नए एवं विशेष अर्थ की अभिव्यक्ति करता है।

मुहावरे की विशेषताएँ –

  • मुहावरों का रूप सदा एक-सा रहता है। इन पर लिंग, वचन का प्रभाव नहीं पड़ता है। जैसे–’दीवार खड़ी करना’ की
    जगह दीवारें खड़ी करना नहीं होता है।
  • मुहावरा हमेशा वाक्य का अंग बनकर प्रयुक्त होता है, स्वतंत्र रूप में नहीं।
  • मुहावरे में प्रयुक्त शब्दों के स्थान पर उनके पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग नहीं होता है; जैसे-‘आँखें खुलना’ की जगह . ‘नेत्र खुलना’ नहीं लिखा जा सकता है।
  • मुहावरों का शब्दार्थ नहीं वाच्यार्थ लिया जाता है।
  • मुहावरों की एक पहचान यह है कि इनके अंत में क्रियापद अवश्य पाया जाता है; जैसे-नौ दो ग्यारह होना, गाँठ बाँध लेना, डेरा डालना, हथेली पर सरसों उगाना आदि।
  • मुहावरे अपूर्ण वाक्य या वाक्यांश होते हैं, अतः प्रयोग करते समय इनमें कभी-कभी कुछ बदलाव आ जाता है।

पाठ्यपुस्तक ‘स्पर्श’ में प्रयुक्त मुहावरे

पाठ-1 : बड़े भाई साहब

1. प्राण सूखना-डर लगना।
आतंकवादियों को देखकर गाँव वालों के प्राण सूख गए।

2. हँसी-खेल होना-छोटी-मोटी बात।
जंगल में अकेले जाना कोई हँसी-खेल नहीं होता।

3. आँखें फोड़ना-बड़े ध्यान से पढ़ना।
कक्षा में प्रथम आने के लिए निखिल आँखें फोड़कर
पढ़ाई करता है।

4. गाढ़ी कमाई–मेहनत की कमाई।
तुम तो अपनी गाढ़ी कमाई जुएँ में उड़ा रहे हो।

5. ज़िगर के टुकड़े-टुकड़े होना-दिल पर भारी आघात लगना।
बेटे की मृत्यु की खबर सुनकर माता-पिता के जिगर के टुकड़े-टुकड़े हो गए।

6. हिम्मत टूटना-साहस समाप्त होना।
परीक्षा में असफल होने पर पिता की हिम्मत टूट गई।

7. जान तोड़ मेहनत करना-खूब परिश्रम होना।
मैच जीतने के लिए सभी खिलाड़ियों ने जान-तोड़कर मेहनत की।

8. दबे पाँव आना-चोरी-चोरी आना।
चोर ने दबे पाँव आकर घर का सारा सामान साफ़ कर दिया।

9. घुड़कियाँ खाना-डाँट-डपट सहना।
बड़े भाईसाहब की घुड़कियाँ खाकर अचानक छोटे भाई ने मुँह खोल दिया।

10. आड़े हाथों लेना-कठोरतापूर्ण व्यवहार करना।
गलती करके पकड़े जाने पर माता-पिता ने पुत्र को आड़े हाथों लिया।

11. घाव पर नमक छिड़कना-दुखी को और दुखी करना।
एक तो वह पहले से ही दुखी है, तुम उसे चिढ़ाकर उसके घाव पर नमक क्यों छिड़क रहे हो।

12. तलवार खींचना-लड़ाई के लिए तैयार रहना।
छोटे भाई को गुंडों से पिटता देखकर बड़े भाइयों ने तलवार खींच ली।

13. अंधे के हाथ बटेर लगना-अयोग्य को कोई महत्त्वपूर्ण वस्तु मिलना।
अनपढ़ श्याम की सरकारी नौकरी लग गई। ऐसा लगता है जैसे अंधे के हाथ बटेर लग गई।

14. चुल्लूभर पानी देने वाला-कठिन समय में साथ देने  वाला।
अगर तुम किसी की मदद नहीं करोगे तो तुम्हें भी कोई बाद में चुल्लू भर पानी देने वाला नहीं मिलेगा।

15. दाँतों पसीना आना-बहुत अधिक परेशानी उठाना।
शादी वाले घर में इतने काम होते हैं कि जिन्हें निपटाते निपटाते दाँतों पसीने आ जाते हैं।

16. लोहे के चने चबाना-बहुत कठिनाई उठाना।
कक्षा में प्रथम आने के लिए करन को पीछे करना लोहे के चने चबाने जैसा है।

17. चक्कर खाना-भ्रम में पड़ना।
रवि-चेतन की एक जैसी शक्ल देखकर लोग चक्कर खा गए।

18. आटे-दाल का भाव मालूम होना-कठिनाई का अनुभव होना।
दोस्तों के पैसों पर ऐश करने वालों को जब स्वयं कमाना पड़ता है तब उन्हें आटे-दाल का भाव मालूम होता है।

19. ज़मीन पर पाँव न रखना-बहुत खुश होना।
बेटे को सफ़ल देखकर उसके माता-पिता ज़मीन पर पाँव न रख सके।

20. हाथ-पाँव फूल जाना-परेशानी देखकर घबरा जाना।
मनोज को नौकरी से निकाले जाने की खबर सुनकर उसकी पत्नी के हाथ-पाँव फूल गए।

पाठ-2 : डायरी का एक पन्ना

1. रंग दिखाना-प्रभाव या स्वरूप दिखाना।
कठिनाई के समय मदद न करके देव ने अपना रंग दिखा दिया।

2. ठंडा पड़ना-ढीला पड़ना।
शादी की तैयारियाँ अभी पूरी भी नहीं हुई हैं। पता नहीं घर वाले इतने ठंडे क्यों पड़ गए हैं।

3. टूट जाना-बिखर जाना।
बड़े भाईसाहब की खबर सुनकर पूरा परिवार बिखर गया।

पाठ-3 : तताँरा-वामीरो कथा

1. सुध-बुध खोना-अपने वश में न रहना।
उस आकर्षक युवती को देखकर चेतन अपनी सुध-बुध खो बैठा।

2. बाट जोहना-प्रतीक्षा करना।
राम कब से माता के साथ बाज़ार जाने की बाट जोह रहा है।

3. खुशी का ठिकाना न रहना-बहुत अधिक खुशी होना।
लड़की का रिश्ता तय होने पर परिवार की खुशी का ठिकाना न रहा।

4. आग-बबूला होना-बहुत क्रोध आना।
कक्षा में फेल होने की बात सुनकर पिता आग-बबूला हो गए।

5. राह. न सूझना-उपाय न मिलना।
आतंकवादियों के पकड़े जाने पर यात्रियों को बचने की कोई राह न सूझी।

6. सुराग न मिलना-पता न मिलना।
चोर घर में चोरी करके चला गया परंतु पुलिस को कोई सुराग न मिला।

पाठ-4 : तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

1. चक्कर खाना-घबरा जाना।
परीक्षा में प्रश्न-पत्र देखकर मैं तो चकरा गया।

2. सातवें आसमान पर होना-ऊँचाई पर होना।
आजकल की महँगाई तो सातवें आसमान पर पहुँच गई है।

3. तराजू पर तोलना-उचित-अनुचित का निर्णय लेना।
मुँह से कुछ बोलने से पहले उसको तराजू पर तोल लेना चाहिए।

4. हावी होना-अधिक प्रभावी होना।
आजकल तो अमीर लोग गरीबों पर हावी होने की कोशिश करते हैं।

पाठ-5 : गिरगिट

1. जिंदगी नर्क होना-बहुत कष्ट में दिन बीतना।
कैंसर की बीमारी के कारण एक साल से बिस्तर पकड़ चुके व्यक्ति ने कहा, “अब तो जिंदगी भी नर्क हो चुकी है।”

2. त्योरियाँ चढ़ाना-गुस्से में आना।
दोस्तों के साथ बेटे को घूमते हुए देखकर पिता अपने पुत्र को त्योरियाँ चढ़ाकर डाँटने लगा।

3. मज़ा चखाना-बदला लेना।
जिन लोगों ने राम को पीटा है पुलिस उन्हें मज़ा चखाकर रहेगी।

4. मत्थे मढ़ना-ज़बरदस्ती आरोप लगाना।
मौका पाते ही करन ने अपना आरोप विनय के मत्थे मढ़ दिया।

5. तबाह होना-बरबाद होना।
अचानक आए भूकंप में सारा शहर तबाह हो गया।

6. गाँठ बाँध लेना-अच्छी तरह समझ लेना।
अध्यापक ने छात्रों से कहा, “अच्छी तरह गाँठ बाँध लो, बिना पढ़े तुम्हें सफलता नहीं मिलती।”

पाठ-6 : अब कहाँ दूसरे के दुख में दुखी होने वाले

1. दीवार खड़ी करना-बँटवारा कर लेना।
घर में लड़ाई होने के कारण दोनों परिवारों में दीवार खड़ी हो गई।

2. बेघर करना-आश्रय छीन लेना।
चेन्नई में आई बाढ़ ने न जाने कितने लोगों को बेघर कर दिया।

3. डेरा डालना-स्थायी रूप से रहना। जब से यहाँ दंगे हुए हैं, तब से सेना ने यहाँ डेरा डाल दिया है।

पाठ-7 : I. पतझड़ में टूटी पत्तियाँ

1. हवा में उड़ना-ऊपरी बातें करना।
जब से विकास की नौकरी लगी है, वह तो हवा में उड़ने लगा है।

II. झेन की देन

1. सन्नाटा सुनाई देना-अत्यधिक शांति होना।
राम के घर में सन्नाटा है, लगता है कि घर में कोई नहीं है।

पाठ-8 : कारतूस

1. तंग आना-परेशान होना।
कक्षा में शरारती बच्चों से अध्यापक तंग आ गया है।

2. कामयाब होना-सफल होना।
अपने कठोर परिश्रम के कारण ही वो आज डॉक्टर बन पाया है।

3. आँखों में धूल झोंकना-धोखा देना।
पुलिस की आँखों में धूल झोंककर चोर भाग गया।

4. काम तमाम करना-मार डालना।
सेना के एक वार में आतंकियों का काम तमाम कर दिया।

5. नज़र रखना-निगरानी करना।
पुलिस सदैव शातिर चोरों पर अपनी नज़र रखती है।

6. जान बख्शना-हत्या न करना।
अच्छे व्यवहार के कारण जज़ ने कैदी की जान बख्श दी।

कुछ महत्त्वपूर्ण मुहावरे, उनके अर्थ और प्रयोग –

1. अंगूठा दिखाना-मना करना।
उधार के पैसे माँगने पर मनोज ने मुझे अँगूठा दिखा दिया।

2. आँखों का तारा-बहुत प्यारा।
करन तो अपने माता-पिता की आँखों का तारा है।

3. अक्ल पर पत्थर पड़ना-बुद्धि भ्रष्ट होना।
तुम्हारी तो अक्ल पर पत्थर पड़ गया है जो उस निर्दोष को दोषी बता रहे हो।

4. अंधे की लाठी-एकमात्र सहारा।
बाप की मृत्यु होने के कारण श्याम ही अपनी माँ की अंधे की लाठी है।

5. अपना उल्लू सीधा करना-स्वार्थ सिद्ध करना।
देश का भला कोई नहीं सोचता, सब अपना उल्लू सीधा करते हैं।

6. अंगार उगलना-कठोर वचन उगलना।
राम ने सच्चाई क्या कह दी आप तो अंगार उगलने लग गए।

7. अंत पाना-भेद जानना।
प्रभु की महिमा का अंत पाना किसी के बस की बात नहीं।

8. अंधे के हाथ बटेर लगना-कम गुणी को गुणवान वस्तु मिल जाना।
अनपढ़ नरेश को पढ़ी लिखी पत्नी मिली। ये तो वही बात हुई अंधे के हाथ बटेर लग जाना।

9.आँखें बिछाना–स्वागत करना।
श्रीराम के वनवास से लौटने पर अयोध्यावासियों ने आँखें बिछा दी।

10. अगर-मगर करना-टाल-मटोल करना।
समय आने पर सभी अगर-मगर करने लगते हैं।

11. अंग-अंग ढीला होना-बहुत थक जाना।
दिनभर खेत में काम करने के कारण किसान का अंगअंग ढीला हो गया।

12. आँखें पथरा जाना—स्तब्ध रह जाना।
बेटे की दुर्घटना की खबर सुनकर परिवार वालों की आँखें स्तब्ध रह गईं।

13. अपने पैरों पर खड़े होना-आत्मनिर्भर होना।
नौकरी मिलने पर वह अपने पैरों पर खड़ा हो जाएगा।

14. अपना राग अलापना-सबसे अलग राय रखना।
श्याम हर मामले में अपना राग अलापता रहता है।

15. अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना-अपना ही अहित करना।
मकान मालिक से झगड़ा करके अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मार ली।

16. आँखें दिखाना-गुस्से से देखना।
माँ के आँख दिखाते ही बच्चा कमरे में चला गया।

17. आँखें फेरना-बदल जाना।
संकट के समय अक्सर लोग आँखें फेर लेते हैं।

18. आँखों पर परदा पड़ना-भला बुरा कुछ न समझना।
पिता ने पुत्र को खूब समझाने की कोशिश की परंतु उसकी आँखों पर तो परदा पड़ा है।

19. आँखों का पानी मरना-बेशर्म होना।
श्याम को कुछ भी कहो उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता, उसकी तो आँखों का पानी मर गया है।

20. अंधेरे घर का उजाला-इकलौता पुत्र।
दादा की मृत्यु के बाद उनका पोता ही इस परिवार का अंधेरे घर का उजाला है।

21. आँखों से ओझल होना-धोखा देना।
सूर्य निकलते ही ओस की बूंदें आँखों से ओझल हो गईं।

22. आँखें चुराना-सामने आने से बचना।
पैसा लेने के बाद सीता सब से आँखें चुराती रहती है।

23. आँखों में खटकना-अच्छा न लगना।
अपने से ज्यादा दूसरों की उन्नति लोगों की आँखों में खटकती है।

24. आकाश के तारे तोड़ना-असंभव काम करना।
साइकिल से देश भ्रमण करना आकाश के तारे तोड़ने जैसा है।

25. आस्तीन का साप-कपटी मित्र।
राम पर विश्वास न करना। वह तो आस्तीन का साँप है।

26. आग में घी डालना-क्रोध को भड़काना।
पठानकोट हमले ने आग में घी डालने का काम किया है।

27. इधर-उधर की हाँकना-व्यर्थ बोलना।
रवि के पास कोई काम तो है नहीं इसलिए वो इधर-उधर की हाँकता रहता है।

28. ईद का चाँद होना-बहुत दिनों बाद दिखाई देना।
विदेश में रहने के कारण तुम तो ईद का चाँद हो गए हो।

29. ईंट का जवाब पत्थर से देना-दुष्ट से दुष्टता करना।
युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को ईंट का जवाब पत्थर से दिया।

30. ईंट से ईंट बजाना-तहस-नहस कर देना।
भारतीयों ने आतंकवादियों की ईंट से ईंट बजा दी।

31. उल्लू बनाना-मूर्ख बनाना।
पाँच रुपये का सामान दस रुपये में देकर दुकानदार ने तुम्हें उल्लू बना दिया।

32. उन्नीस-बीस होना-थोड़ा-बहुत होना।
दोनों कपड़ों में उन्नीस-बीस का अंतर है।

33. उँगली उठाना-दोष निकालना।
बात-बात पर उँगली उठाना आजकल की पत्नियों का पेशा-सा बन गया है।

34. ऊँट के मुँह में जीरा-किसी वस्तु का बहुत कम मात्रा में होना।
खाने में थोडे-से फल हाथी के लिए ऊँट के मुँह में जीरा के समान है।

35. ऊँगली पर नचाना-वश में करना।
आजकल तो पत्नियाँ अपने पति को उँगलियों पर नचाती हैं।

36. एक पंथ दो काज-एक साथ दो कार्य संपन्न करना।
दिल्ली में घूमने के साथ हम शादी में भी सम्मिलित हो गए, इस तरह एक पंथ दो काज हो गए।

37. एड़ी चोटी का जोर लगाना-बहुत प्रयास करना।
बीमार व्यक्ति की जान बचाने के लिए डॉक्टर ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया।

38. एक अनार सौ बीमार-वस्तु की पूर्ति कम और माँग अधिक।
पाँच नौकरी के पद के लिए हज़ारों परीक्षार्थी का बैठना तो एक अनार सौ बीमार वाली बात हुई।

39. एक आँख से देखना-सभी को एक भाव से देखना।
घर का मुखिया सभी सदस्यों को एक आँख से देखता है।

40. कमर कसना-तैयार होना।
कक्षा में अच्छे नंबर लाने के लिए छात्रों ने कमर कस ली हैं।

41. कलेजा फटना-असहनीय दुख होना।
पति की मृत्यु की खबर सुनकर पत्नी का कलेजा फट गया।

42. कसौटी पर कसना-परीक्षा में खरा उतरना।
राम ईमानदार है, उसे कई बार कसौटी पर कसा गया है।

43. कलेजा ठंडा होना-संतोष होना।
चोर को सजा दिलाकर उसका कलेजा ठंडा हो गया।

44. कानो-कान खबर न होना-बिलकुल खबर न होना।
वह तो कल ही घर खाली करके चला, उसने किसी को कानों कान खबर भी न होने दी।

45. कान पर जूं न रेंगना-असर न होना।
कालाबाजारी में वह कई बार पकड़ा जा चुका है पर उसके कान पर जूं तक नहीं रेंगती।

46. कमर टूटना-हिम्मत हार जाना।
कप्तान के आउट होने पर पूरी टीम की कमर टूट गई।

47. कलई खुलना-भेद खुल जाना।
समाचार पत्रों ने कई नेताओं के काले कारनामों की कलई खोलकर रख दी।

48. कान भरना-चुगली करना।
धारावाहिकों में महिलाएँ एक-दूसरे के कान भरती रहती हैं।

49. काम आना-वीरगति पाना।
स्वतंत्रता दिलाने के लिए कई नेता काम आए।

50. काम तमाम करना-मार डालना।
सेना ने आतंकियों का काम तमाम कर डाला।

51. खाक छानना-इधर-उधर भटकना।
नौकरी न मिलने के कारण श्याम खाक छानने पर मजबूर हो गया है।

52. खून खौलना-बहुत क्रोध में होना।
आतंकियों का दुस्साहस देखकर सेना के जवानों का खून खौल उठा।

53. खरी खोटी सुनाना-बुरा-भला कहना।
पैसे चोरी हो जाने पर उसने खूब खरी खोटी सुनाई।

54. खून की होली खेलना-मारकाट मचाना।
अब तो डाकू भी खून की होली खेलते हैं।

55. गड़े मुर्दे उखाड़ना-पुरानी बातों को दोहराना।
जो कुछ कहना साफ़-साफ़ कहो, गड़े मुर्दे उखाड़ना बंद करो।

56. गागर में सागर होना-थोड़े में बहुत कुछ कहना।
सचमुच में बिहारी ने अपने दोहों में गागर में सागर भर दिया है।

57. गले का हार होना-बहुत प्रिय होना।
मनोज तो अपनी दादी के गले का हार है।

58. गुड़-गोबर करना-बात बिगाड़ देना।
हम सभी लोग ताजमहल देखने जा रहे थे परंतु चाचा जी ने आकर सब गुड़-गोबर कर दिया।

59. गिरगिट की तरह रंग बदलना-सिद्धांतहीन होना।
ठेकेदार जमुनाप्रसाद पर विश्वास न करना वह तो गिरगिट की तरह रंग बदलता है।

60. गाल बजाना-अपनी प्रशंसा स्वयं करना।
सीमा तो हर बात में अपने गाल बजाती रहती है।

61. घड़ों पानी पड़ना-लज्जित होना।
चोरी करते हुए पकड़े जाने से राम पर घड़ों पानी पड़ गया।

62. घर का ना घाट का-कहीं का न रहना।
दोनों जगह नौकरी ना मिलने पर वह तो घर का रहा ना घाट का।

63. घी के दिये जलाना-प्रसन्न होना।
पुत्र के विदेश से लौटने पर उसके घर में घी के दिये जलाए गए।

64.घोड़े बेचकर सोना-निश्चित होना।
परीक्षाएँ समाप्त होने के बाद छात्र घोड़े बेचकर सोते हैं।

65. घुटने टेकना-पराजय स्वीकारना।
भारतीय सेना के सामने आतंकियों ने घुटने टेक दिए।

66. चाँद का टुकड़ा-अत्यंत सुंदर होना।
रानी सीता का स्वरूप चाँद का टुकड़ा था।

67. चिकना घड़ा होना-निर्लज्ज होना।
पुत्र पर माँ की बातों का कोई असर नहीं होता क्योंकि वो तो चिकना घड़ा है।

68. चेहरा खिलना–प्रसन्न होना।
पत्र की नौकरी लग जाने की खबर सुनकर माता-पिता का चेहरा खिल उठा।

69. चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना-घबरा जाना।
बस अपहरण की बातें सुनकर यात्रियों के चेहरे की | हवाइयाँ उड़ गई।

70. चेहरा मुरझाना-चमक फीकी पड़ना।
पुत्री का रिश्ता मना करने पर परिवारवालों का चेहरा मुरझा गया।

71. चार चाँद लगाना–शोभा बढ़ाना। कल्पना चावला ने अंतरिक्ष में जाकर भारत की प्रतिष्ठा |
में चार चाँद लगा दिए।

72. छक्के छुड़ाना-बुरी तरह हराना।
क्रिकेट मैच में भारतीय टीम ने पाकिस्तानी टीम के छक्के छुड़ा दिए।

73. छप्पर फाड़कर देना-उम्मीद से अधिक मिलना।
गरीब की नौकरी लगने पर लोगों ने कहा, “भगवान जब देता है, छप्पर फाड़कर देता है।”

74. छाती पर साँप लोटना-ईर्ष्या होना।
सीमा की प्रगति देखकर सुनीता की छाती पर साँप लोटने लगे।

75. छठी का दूध याद आना-बहुत कष्ट होना।
चार मंजिल मकान बनवाने में उसे छठी का दूध याद आ गया।

76. छुपा रुस्तम-देखने में साधारण।
रमेश तो छुपा रुस्तम निकला। डॉक्टर भी बन गया और किसी को पता भी नहीं चला।

77. जान देना-आत्महत्या करना।
परीक्षा में असफल होने पर छात्र ने छत से कूदकर जान दे दी।

78. जान में जान आना-राहत महसूस करना।
रेगिस्तान की धूप में अचानक पानी देखकर यात्रियों की जान में जान आई।

79. ज़मीन पर पैर न रखना-अधिक गर्व करना।
नेता बन जाने पर उसका ज़मीन पर पैर नहीं पड़ता।

80. जूती चाटना-खुशामद करना।
कामचोर मनुष्य काम करने की बजाए अधिकारियों की जूती चाटते रहते हैं।

81. झंडा गाड़ना-धाक जमा देना।
परीक्षा में प्रथम आकर शिवम ने झंडे गाड़ दिए।

82. झख मारना–व्यर्थ में समय नष्ट करना।
दीपक की बातों पर ध्यान न देना, वह तो झख मारता रहता है।

83. टेढ़ी खीर होना-कठिन कार्य।
पी०एम०टी० की परीक्षा पास करना टेढ़ी खीर है।

84. टाँग अड़ाना-व्यर्थ में दखल देना।
तुम्हारा इस बात से कुछ लेना-देना नहीं है तो क्यों इसमें टाँग अड़ाते हो।

85. टाल-मटोल करना-बहाने बनाना।
जब भी प्रांजल से मदद की उम्मीद करो, वह टाल मटोल करके चला जाता है।

86. टूट पड़ना-हमला कर देना।
हिरन के बच्चों को जंगल में खेलता देख शेर उन पर टूट पड़ा।

87. ठोकर खाना-मुसीबतों का सामना करना।
मनुष्य ठोकर खाकर ही सफलता प्राप्त करता है।

88. डंके की चोट पर कहना-निर्भीक होकर कहना।
राम बात को घुमा-फिराकर नहीं कहता, जो कहता है डंके की चोट पर कहता है।

89. तारे गिनना–बेचैनी से प्रतीक्षा करना।
पति के घर न पहुँचने पर पत्नी रात भर तारे गिनती रही।

90. तिल का ताड़ करना-छोटी बात को बड़ा करना।
तुमने तो तिल का ताड़ बना दिया, मैंने ऐसा तो नहीं कहा था।

91. तितर-बितर होना-बिखर जाना।
पुलिस के आते ही चोर तितर-बितर हो गए।

92. दाँत खट्टे करना-परास्त करना।
युद्ध भूमि में भारतीय सेना ने आतंकियों के दाँत खट्टे कर दिया।

93. दाल न गलना-सफल न होना।
अदालत में वकील के सामने कैदी की दाल न गली।

94. दाल में काला होना-गड़बड़ होना।
अचानक से राम के पास इतने रुपये कहाँ से आ गए,
मुझे तो दाल में कुछ काला लग रहा है।

95. दो-ट्रक जवाब देना-साफ़ इंकार करना।
जब मैंने शिवम से कुछ पैसों की मदद माँगी तो उसने मुझे दो टूक जवाब दे दिया।

96. दूध का दूध पानी का पानी करना-न्याय करना।
जज ने अदालत में दूध का दूध पानी का पानी कर दिया।

97. धरती पर पाँव न पड़ना-अभिमान में रहना।
जब से रमेश को नौकरी मिली है, उसके तो धरती पर पाँव नहीं पड़ रहे।

98. धाक जमाना-प्रभाव जमाना।
कक्षा में प्रथम आकर मोहन ने सब अध्यापकों पर अपनी
धाक जमाई।

99. नौ दो ग्यारह होना-भाग जाना।
पुलिस को आता देख जुआरी नौ दो ग्यारह हो गए।

100. नाक कटाना-बेइज्जती कराना।
बेटी को विदेश भेजते समय माँ बेटी को समझा रही थी कि वहाँ जाकर पढ़ाई करना, मेरी नाक मत कटाना।

101.नाक रख लेना-इज़्ज़त बचा लेना।
शादी के कठिन वक्त में मालिक ने रुपए देकर मज़दूर की नाक रख ली।

102. नाक में दम करना-परेशान करना।
मंदिर के बाहर बंदरों ने तो दर्शनार्थियों के नाक में दम कर रखा है।

103. पापड़ बेलना-विषम परिस्थितियों से गुज़रना।
आई०ए०एस० की परीक्षा पास करने के लिए तुम्हें ना जाने कितने पापड़ बेलने पड़ेंगे।

104. पस्त करना-हरा देना।
नेवले ने साँप से लड़ते हुए अंत में उसे पस्त कर दिया।

105. पानी-पानी होना-लज्जित होना।
न्यायालय द्वारा पुत्र की सजा सुनकर माता-पिता पानी पानी हो गए।

106. पीठ दिखाना-कायरतापूर्ण काम करना।
पीठ दिखाना वीरों का काम नहीं होता।

107. फूला न समाना-अधिक प्रसन्न होना।
लॉटरी की खबर सुनकर अनुपम फूला न समाया।

108. बाँछे खिलना-बहुत प्रसन्न होना।
पुत्र की सफलता की खबर सुनकर माँ की बाँछे खिल उठी।

109. बाल भी बाँका न होना-कुछ भी न बिगाड़ना।
श्रीकृष्ण को मारने के लिए कंस ने कई प्रयास किए परंतु उनका कोई बाल भी बाँका न कर सका।

110. बुढ़ापे की लाठी-एकमात्र सहारा।
श्रवण कुमार अपने माता-पिता के बुढ़ापे की लाठी थे।

111. बाल-बाल बचना-साफ़ बच जाना।
गुजरात में आए भूकंप में कई यात्री बाल-बाल बच गए।

112. मारा-मारा फिरना-इधर-उधर भटकना।
नौकरी के लिए वह मारा-मारा फिर रहा है।

113. मुँह की खाना-हार जाना।
भारतीय सेना की वीरता के सामने अंग्रेज़ी सेना को मुँह की खानी पड़ी।

114. मुँह में पानी आना-ललचा जाना।
गरम-गरम हलवा देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया।

115. मुट्ठी गरम करना-रिश्वत देना।
आजकल कोई काम बिना मुट्ठी गरम किए नहीं होता।

116. मक्खियाँ मारना-बेकार बैठना।
यह फैक्ट्री बंद होने से हज़ारों मज़दूर आजकल मक्खियाँ मार रहे हैं।

117. मन में लड्डू फूटना-खुशी की अनुभूति होना।
श्रीनगर जाने की योजना पर सहमति बनते ही बच्चों के मन में लड्डू फूटने लगे।

118. माथे पर बल पड़ना-चिंतित होना।
बेटी की शादी में वर पक्ष वालों दवारा कार की माँग सुनकर लड़की के पिता के माथे पर बल पड़ गए।

119. मुँह फुलाना-नाराज़ होना।
पूनम और सुमन में यूँ तो खूब बनती थी पर आजकल न जाने क्यों मुँह फुलाए हुए हैं।

120. मुँहतोड़ जवाब देना-साहसपूर्वक हरा देना।
कारगिल में भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को मुँहतोड़ जवाब दिया।

121. मुँह पीला पड़ना-भयभीत होना।
जेल भेजे जाने की बात सुनते ही चोर का मुँह पीला पड़ गया।

122. मुँह फेरना-उपेक्षा करना।
प्रायः बुढ़ापे में अपनी संतान भी मुँह फेर लेती है।

मुट्ठी में होना-वश में होना।
आजकल के पति प्रायः अपनी पत्नियों की मुट्ठी में हो जाते हैं।

124. रंग में भंग पड़ना-खुशी में बाधा पड़ना।
दुर्घटना की खबर सुनकर विवाह के रंग में भंग पड़ गया।

125. रफूचक्कर होना-गायब होना।
राम बिना किसी से पूछे गाड़ी लेकर रफूचक्कर हो गया।

126. रँगा सियार होना-ढोंगी होना।
आजकल के साधुओं पर विश्वास करना ठीक नहीं है
क्योंकि रँगे सियार होते हैं।

127. राई का पहाड़ बनाना-बात को बहुत ही बढ़ा-चढ़ाकर कहना।
सुमन, यदि तुम राई का पहाड़ न बनाती तो बात यहाँ तक न पहुँचती।

128. लकीर का फ़कीर होना-घिसी-पिटी को मानते रहने वाला।
इस विज्ञान के युग में तुम भूत-प्रेत के चक्कर में पड़े
रहते हो और ओझाओं की बात मानते रहते हो। सचमुच ही तुम लकीर के फ़कीर हो।

129. लटू होना-मुग्ध होना।
गौरव ने सुंदर-नवयुवती को एक निगाह देखा और उस पर लट्टू हो गया।

130. लोहा लेना-मुकाबला करना।
भारतीयों ने अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया।

131. लाल-पीला होना-क्रोधित होना।
बेटे की करतूत सुनकर माँ लाल-पीली हो गई।

132. वेद वाक्य मानना-पूर्णतया विश्वसनीय एवं सत्य मानना।
सुमन सदैव मेरे हित की बातें करती है। मैं उसकी बातों को वेद वाक्य मानता हूँ।

133. सिर उठाना-विद्रोह करना।
अंग्रेज़ों का अत्याचार देखकर अनेक भारतीय ज़मीदारों
ने सिर उठा लिया।

134. सिर पर चढ़ना-उदंड होना।
बच्चों की उचित-अनुचित सभी बातें मानने से वे सिर पर चढ़ जाते हैं।

135. सिर पर चढ़ाना-गलत काम के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करना।
कुछ लोग अपने बच्चों से इतना लाड़-प्यार करते हैं कि
बच्चे सिर चढ़ जाते हैं।

136. सिर से पानी गुज़रना-सहनशक्ति से बाहर होना।
जब सिर से पानी गजरने लगा तो मंगल पांडे ने बगावती रुख अपना लिया।

137. सिर कलम करना-मृत्युदंड देना।
कुछ मुगल सम्राट इतने क्रूर थे कि वे निर्दयतापूर्वक भारतीयों का सिर कलम कर देते थे।

138. सिर पर खून सवार होना-किसी की हत्या करने क तैयार होना।
अपने पिता की हत्या किए जाने की बात सुनकर सुरेश के सिर पर खून सवार हो गया।

139. सोने में सुहागा होना-गुणवत्ता बढ़ जाना।
इन दो पौधों के मेल से पैदा होने वाली फ़सल किसानों के लिए सोने पर सुहागा साबित होगी।

140. श्री गणेश करना-शुरुआत करना।
काव्या ने अपना नया मकान बनवाने का श्री गणेश कर दिया है।

141. हवा होना-भाग जाना, गायब होना।
पुलिस की गाड़ी का सायरन सुनते ही बैठक कर रहे चोर हवा हो गए।

142. हवा लगना-प्रभाव में आ जाना।
आज कम उम्र के लड़के-लड़कियों को भी विदेशी फ़ैशन की हवा लग गई है।

143. हवाइयाँ उड़ना-भयभीत होना।
जंगली रास्ते पर जाते समय अचानक सामने भालू आ जाने से यात्री के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी।

144. हवा से बातें करना-बहत तेज़ चलना या दौडना।
रण क्षेत्र में राणा प्रताप का घोड़ा हवा से बातें करता था।

145. हथियार उठाना-मुकाबले को तैयार होना।
जब कोई उपाय न बचा तो डाकुओं से मुकाबला करने के लिए ग्रामीणों ने हथियार उठा लिया।

146. हथियार डालना-पराजय स्वीकार कर लेना।
पहले तो आतंकवादी मुकाबला करते रहे पर सेना के जवानों द्वारा बम फेंकते ही उन्होंने हथियार डाल दिया।

147. हाथ धोकर पीछे पड़ना-बुरी तरह परेशान करना।
हरिद्वार में गंगा किनारे बैठे पंडे प्रायः हाथ धोकर पीछे पड़ जाते हैं।

148. हाथ उठाना-पिटाई करना।
बात-बात में अकारण बच्चों पर हाथ नहीं उठाना चाहिए, इससे वे ढीठ बन जाते हैं।

149. हाथ थामना-सहारा देना, अपना बनाना।
दीन-दुखियों का हाथ थामने वाले विरले ही होते हैं।

150. हाथ धो बैठना-वंचित हो जाना।
चलती बस में जेबकतरों द्वारा जेब काट लेने के कारण  व्यापारी अपने रुपयों से हाथ धो बैठा।

151. हाथ माँगना-वैवाहिक प्रस्ताव रखना।
मानसी का हाथ माँगने मयंक उसके पिता के पास गया।

152. हाथ-पाँव मारना-प्रयास करना।
ब्राह्मण शेर से बचने के लिए अंत तक हाथ-पाँव मारता रहा।

153. हाथ पसारना-किसी से कुछ माँगना।
बार-बार किसी के सामने हाथ पसारने से अच्छा है कि हम स्वावलंबी बनकर छोटा-मोटा रोज़गार शुरू कर दें।

154. हाथ मलना-पछताना।
साल भर परिश्रम न करने वाले विद्यार्थियों के फेल होने पर उनके सामने हाथ मलने के अलावा कुछ नहीं बचता है।

155. हाय-हाय करना-हमेशा धन की लालच में पड़े रहना।
यह बनिया कभी किसी साधु को भी भीख नहीं देता, जब देखो हाय-हाय करता ही रहता है।

आओ देखें कितना सीखा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुहावरों को अपने वाक्यों में इस तरह प्रयोग कीजिए कि उनका अर्थ स्पष्ट हो जाए –
आँखें चुराना, आसमान में उड़ना, आग-बबूला होना, आगे-पीछे फिरना, हाथ फैलाना, सुध-बुध खोना, श्रीगणेश करना, इधर-उधर की हाँकना, कलेजा ठंडा होना, तितर-बितर होना, दिवाला निकलना, दो नावों पर पैर रखना, रँगा सियार होना, बाग-बाग होना, मुँह में पानी आना, खून खौलना, सिर पर कफ़न बाँधना, तीन-तेरह होना, आँखें मल-मलकर देखना, आकाश-पताल एक करना, हाथ मलना, आसमान सिर पर उठाना, उलटी गंगा बहाना, राह में काँटा बिछाना, काया पलट होना, दुनिया से कूच करना, मुँह में पानी आना, हवा होना।
उत्तरः

  • आँखें चुराना – जब से गोपी मुझसे रुपये उधार ले गया है, तब से वह आँखें चुराने लगा है।
  • आसमान में उड़ना – चुनाव के काम के लिए नेता जी राममोहन ने जब से सुरेश को अपने साथ रखा है तब से वह आसमान में उड़ने लगा है।
  • आग बबूला होना – मिठाईवाले ने जब सिपाही से मिठाई का दाम माँगा तो वह आग बबूला हो गया। आगे-पीछे फिरना-अपना काम करवाने के लिए लोग नेताओं के आगे-पीछे फिरते रहते हैं।
  • हाथ फैलाना – बेरोज़गार होने के बाद भी वह किसी के आगे हाथ नहीं फैलाता है।
  • सुध-बुध खोना – कमल के फूल की मादकता के कारण भौरा अपनी सुध-बुध खो बैठा।
  • श्रीगणेश करना – परीक्षा फल घोषित हुआ और रूपेश ने नई कक्षा की पढ़ाई का श्रीगणेश कर दिया।
  • इधर-उधर की हाँकना – कुछ लोग काम करने के बजाए इधर-उधर की हाँकते फिरते हैं।
  • कलेजा ठंडा होना – कुएँ का ठंडा पानी पीते ही मज़दूर का कलेजा ठंडा हो गया।
  • तितर-बितर होना – पुलिस द्वारा गोली चलाए जाने से भीड़ तितर-बितर होने लगी।
  • दिवाला निकलना – जुआ खेलने की बुरी आदत और व्यापार में घाटा होने के कारण उसका दिवाला निकल गया।
  • दो नावों पर पैर रखना – नौकरी करने के साथ-साथ राजनीति में कदम बढ़ा दिया है। इस तरह उसने दो नावों पर पैर रख दिया है।
  • बाग-बाग होना – आप सरकार द्वारा पानी मुफ़्त दिए जाने की घोषणा के क्रियान्वयन से लोग बाग-बाग हो गए।
  • मुँह में पानी आना – कौए की चोंच में रोटी का टुकड़ा देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया।
  • खून खौलना – देश में आतंकवादियों के घुसपैठ की बात सुनकर सेना के जवानों का खून खौल उठा।
  • सिर पर कफ़न बाँधना – देश की रक्षा के लिए वीर सैनिक सिर पर कफ़न बाँधे तैयार रहते हैं।
  • तीन-तेरह होना – बूढ़े पिता की मृत्यु की बाद उसके बेटे तीन-तेरह हो गए।
  • आँखें मल-मलकर देखना-दुकानदार पाँच सौ रुपये की नोट को आँखें मल-मलकर देखने लगा।
  • आकाश-पाताल एक करना – आई०ए०एस० बनने के लिए उदिता ने आकाश पाताल एक कर दिया।
    हाथ मलना-पहले तो उसने परिश्रम नहीं किया। अब फेल होने के बाद वह हाथ मल रहा है।
  • आसमान सिर पर उठाना – छुट्टी की घंटी बजते ही छात्रों ने आसमान सिर पर उठा लिया।
  • उलटी गंगा बहाना – प्रात:काल बिस्तर से उठते ही चाय पीना, फिर ब्रश करने का प्रचलन भारतीय संस्कृति की दृष्टि से उलटी गंगा बहाने जैसा है।
  • राह में काँटा बिछाना – कुछ लोग दूसरों की प्रगति से जलते हैं। ऐसे लोग दूसरों की राह में काँटा बिछाने से नहीं चूकते हैं।
  • काया पलट होना – मेट्रो रेल के संचालन के कारण दिल्ली के यातायात की काया पलट हो गई है।
  • दुनिया से कूच करना – वेगवती नदी में नाव पलट जाने से अनेक लोग असमय दुनिया से कूच कर गए।
  • मुँह में पानी आना – हलवाई की दुकान पर सजी मिठाइयाँ देखकर बच्चे के मुँह में पानी आ गया।
  • हवा होना – शेर के गरजने की आवाज़ सुनकर पेड़ की छाया में बैठकर बतियाते जानवर हवा हो गए।

प्रश्न 2.
नीचे कुछ वाक्य दिए गए हैं। इन वाक्यों के रिक्त स्थानों में उचित मुहावरे भरिए –
(क) सारी सच्चाई जाने बिना किसी पर ……………… ठीक नहीं।
(ख) तांत्रिक ने महिला को इतना सम्मोहित कर दिया कि वह अपनी …………… खो बैठी।
(ग) शिकारी के जाल में फँसा हिरन छूट जाने के कारण वह …………… रह गया।
(घ) सेना के जवानों द्वारा खुद को घिरा देखकर आतंकवादियों ने …………………।
(ङ) पहले तो चोर निर्दोष होने का दावा करता रहा पर जज ने जब उससे घुमा-फिराकर सवाल पूछे तो वह ……………….लगा।
उत्तरः
(क) लाल-पीला होना,
(ख) सुध-बुध खोना,
(ग) हाथ मलना
(घ) हथियार डालना,
(ङ) बगलें झाँकना।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों के रेखांकित अंशों के स्थान पर उपयुक्त मुहावरा लिखकर पुनः लिखिए
(क) भीख माँगती बुढ़िया को देखकर मेरे मन में दया उमड़ पड़ी
(ख) पुलिस की पहरेदारी के बाद भी चोर रफूचक्कर हो गया
(ग) पिता ने अपने पुत्र को सिगरेट पीते हुए देख लिया
(घ) लुटेरे पुलिस की वर्दी में आए और चौकीदार को धोखा देकर चलते बने।
(ङ) न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की बातें सुनकर उचित फैसला सुना दिया
(च) माँ ने बेटे के थैले से जब अश्लील तस्वीरें निकाली तो बेटा बहुत ही लज्जित हुआ।
(छ) फैक्ट्री में सील लगने से मज़दूर बेकार बैठने को विवश हो गए।
(ज) सरकार द्वारा अनेक योजनाएँ चलाने के बाद भी गरीबों की स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है
उत्तरः
(क) भीख माँगती बुढ़िया को देखकर मेरा मन पसीज उठा।
(ख) पुलिस की पहरेदारी के बाद भी चोर नौ दो ग्यारह हो गया।
(ग) पिता ने अपने पुत्र को सिगरेट पीते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया।
(घ) लुटेरे पुलिस की वर्दी में आए और चौकीदार की आँखों में धूल झोंककर चलते बने।
(ङ) न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की बातें सुनी और दूध का दूध पानी का पानी कर दिया।
(च) माँ ने बेटे के थैले से जब अश्लील तस्वीरें निकालीं तो बेटा पानी-पानी हो गया।
(छ) फैक्ट्री में सील लगने से मज़दूर मक्खियाँ मारने के लिए विवश हो गए।
(ज) सरकार द्वारा अनेक योजनाएँ चलाने के बाद भी गरीबों की स्थिति ढाक के तीन पात वाली ही बनी हुई है।

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