Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 9 मदालसा
अभ्यासः
प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत
(क) उद्यानं कस्य आसीत् ?
उत्तर
गन्धर्वराजविश्वावसोः।
(ख) कः आम्रमञ्जरीणां शोभां दृष्ट्वा कूजति?
उत्तर
कोकिलः।
(ग) का विद्याध्ययने रता आसीत्?
उत्तर
मदालसा।
(घ) का विनयं ददाति?
उत्तर
विद्या।
(ङ) का सर्वविद्यानिष्णाता आसीत्?
उत्तर
मदालसा।
(च) मदालसा. किं स्वीकर्तुं न इच्छति?
उत्तर
विवाहबन्धनम्।
(छ) शिशूनां चरित्रनिर्माणं कस्याः अधीनम्?
उत्तर
मातुः।
(ज) कः भार्यायां स्वाधिपत्यं स्थापयति?
उत्तर
पुरुषः।
(झ) युधिष्ठिरः कां छूते हारितवान् ?
उत्तर
द्रौपदीम्।
(ज) कः परिचर्चायां सम्मिलितः अभवत् ?
उत्तर
ऋतध्वजः।
प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरं द्रदत
(क) कुलगुरुतुम्बरूः मदालसायाः विषये किं कथितवान् ?
उत्तर
कुलगुरुतुम्बरू: मदालसायाः विषये कथितवान् यत् तस्यै योग्यवरस्य अन्वेषणं कार्यम्।
(ख) मदालसा विवाहबंधनं तिरस्कृत्य किं कर्तुम् इच्छति?
उत्तर
मदालसा विवाहबंधनं तिरस्कृत्य ब्रह्मवादिनी भवितुम् इच्छति।
(ग) ऋतध्वजः स्वपरिचयं कथं ददाति?
उत्तर
ऋतध्वजः आत्मानं शत्रुजितः पुत्रः ऋतध्वजः इति कथयति।
(घ) ऋतध्वजस्य नारी प्रति का धारणा आसीत्?
उत्तर
ऋतध्वंजः नारी समस्त सृष्टेः निर्मात्री इति मन्यते स्म।
(ङ) कस्याः रक्षार्थं पन्याः सहयोगः अनिवार्यः अस्ति?
उत्तर
लक्ष्म्याः रक्षार्थं पत्न्याः सहयोगः अनिवार्यः अस्ति।
(च) ऋतध्वजः लक्ष्म्याः वर्णनं कथं करोति?
उत्तर
ऋतध्वजः लक्ष्मी मदालसायाः दासी न तु सपत्नी इति कथयति स्म।
प्रश्न 3.
रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(क) यूनोः हृदयं उद्यानस्य शोभां दृष्ट्वा उत्कठितं भवति।
प्रश्न – कस्य हृदयं उद्यानस्य शोभां दृष्ट्वा उत्कठितं भवति?
(ख) मदालसा ज्ञानस्य कतिपय बिन्दून् एव प्राप्तवती।
प्रश्न – मदालसा कस्य कतिपय बिन्दून एव प्राप्तवती?
(ग) कुलगुरुतुम्बरू महाभागैः गन्धर्वराजाय सूचितम् ।
प्रश्न- कुलगुरुतुम्बरू महाभागैः कस्मै सूचितम् ?
(घ) मदालसा शिष्यानु जीवनकला पाठयितुम् इच्छति।
प्रश्न – मदालसा कान् जीवनकला पाठयितुम् इच्छति?
(ङ) मदालसा जीवने सङ्केत्तैः नर्तितुं न इच्छति स्म।
प्रश्न – मदालसा जीवने कैः नर्तितुं न इच्छति स्म?
(च) पुरुषः भर्यायां स्वाधिपत्यं स्थापयति।
प्रश्न – पुरुषः कस्यां स्वाधिपत्यं स्थापयति?
(छ) युधिष्ठिरः द्रौपदीं छूते हारितवान्।
प्रश्न – युधिष्ठिरः कां छूते हारितवान् ?
(ज) हरिश्चन्द्रः पूत्रं जनसङ्घले आपणे विक्रीतवान्।
प्रश्न – हरिश्चन्द्रः कं जनसङ्कले आपणे विक्रीतवान् ?
(झ) अस्मिन् संसारे विभिन्नप्रकृतिकाः पुरुषाः वसन्ति।
प्रश्न- अस्मिन् संसारे विभिन्न प्रकृतिकाः के वसन्ति?
(ञ) लक्ष्म्याः रक्षार्थं पल्याः सहयोगः अनिवार्यः।
प्रश्न- कस्याः रक्षार्थं पल्याः सहयोगः अनिवार्यः?
प्रश्न 4.
विशेषणं विशेष्येण सह योजयत
उत्तर
विशेषणम् – विशेष्यम्
(क) गम्भीरः – ज्ञानोदधिः
(ख) सर्वविद्यानिष्णाता – मदालसा
(ग) विभिन्नप्रकृतिकाः – पुरुषाः
(घ) निर्जीवम् – वस्तु
(ड) जनसङ्कले – आपणे
(च) शत्रुजितः – कृतध्वजः
(छ) अनुव्रतौ – पति पल्यौ
(ज) प्रभूतम् – धनम्
प्रश्न 5.
प्रकृतिप्रत्ययोः विभागं कुरुत
प्रश्न 6.
अधोलिखितानि वाक्यानि कः कं प्रति कथयति
प्रश्न 7.
हरिश्चन्द्रः समाजे कैः गुणैः प्रसिद्धः आसीत् ?
उत्तर
हरिश्चन्द्र एक राजा था जिसमें सत्यप्रियता, न्यायप्रियता, प्रजाप्रेम, सेवाभावना, दयाभाव आदि गुण थे जिनके कारण उसने अपनी पत्नी तारामती तथा पुत्र राहुल को भी बाजार में बेच दिया था। संस्कृत में-सत्यप्रियता, न्यायप्रियता, दयालुता, प्रजाप्रेम, सेवाभावना आदिभिः अनेकैः गुणैः हरिश्चन्द्रः एकः प्रसिद्धः राजा अभवत् । न्यायप्रियता इति गुणेन सः स्वपत्नी तारामतीं स्वपुत्रं राहुलं चापि आपणे विक्रीतवान्। .
प्रश्न 8.
नारी प्रति ऋतध्वजस्य का धारणा आसीत्?
उत्तर
नारी के प्रति ऋतध्वज अत्यन्त सम्मान प्रकट करते हैं। माता को वे प्रथम गुरु कहते हैं। उनके अनुसार नारी समस्त सृष्टि का निर्माण करने वाली है। इस प्रकार ऋतध्वज . की नारी के प्रति सम्मानपूर्ण धारणा थी। उसके वचनों से आदर्श नारी का उदाहरण प्रस्तुत किया गया है।
संस्कृत में-ऋतध्वजस्य कथनैः नारी प्रति सम्मानभावना दृश्यते। सः नारीम् समस्तसृष्टेः निर्मात्री इति मन्यते। अपि च-सः मातरं प्रथमा आचार्या इति मन्यते। एवं नारी प्रति तस्य अतीव सम्मानपूर्णा धारणा आसीत् । तस्य वचनैः आदर्शनार्याः उदाहरणं प्रस्तूयते स्म। .
Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 9 मदालसा Summary Translation in Hindi and English
संकेत – (ततः प्रविशति ………… एकाकिनी एव।) पृ. 73
हिन्दी सरलार्थ – (तब प्रकृति के सौन्दर्य को देखता हुआ महाराज का शत्रुजित पुत्र ऋतध्वज प्रवेश करता है।)
ऋतध्वज – अहा! गन्धर्वराज विश्वावसु राजा का उद्यान कितना सुन्दर है। आम की मञ्जरियों की उत्कृष्ट सुन्दरता को देखकर तथा कोयों के मधुर वचनों को सुनकर किस युवक का हृदय अनायास उत्कण्ठित नहीं होगा? (बाईं ओर युवतियों का वार्तालाप सा सुनाई दे रहा है। यहीं रुककर सुनती हूँ।
कुण्डला – सखि मदालसा! तुम तो केवल विध्याध्ययन में ही तत्पर हो। कितने समय तक ब्रह्मचर्यव्रत को धारणा करोगी?
मदालसा – ज्ञान का सागर असीमित तथा अत्यन्त गम्भीर है। अभी तक मैंने सागर के तट पर खड़े होकर कुछ ही. अंश प्राप्त किए हैं।
कुण्डलाहे विनयशीला! विद्या विनम्रता प्रदान करती है। इसीलिए तुम ऐसा कह रही हो । कुल गुरु तुम्बरू महाभाग ने गन्धर्वराज को कुछ और ही सूचित किया है। मदालसा क्या तुमने सुना जो आदरणीय गुरु जी ने मेरे विषय में पिताजी से कहा?
कुण्डला – हाँ अवश्य । राजकुमारी मदालसा सभी विद्याओं में निपुण हो गई है किन्तु उसे स्वयंवर प्राप्त नहीं हुआ, इसलिए उसके लिए योग्य वर की खोज करनी है-यही गुरुजी का विचार है।
मदालसा – (हँसकर) वे नहीं जानते कि मैं तो विवाह का बंधन स्वीकार करना नहीं चाहती। कुण्डला-तो क्या करोगी?
मदालसा – वेदान्त में निपुण होऊंगी। ‘आचार्य’ का पद प्राप्त करके शिष्यों को जीने की कला सिखाऊँगी।
कुण्डला – अध्ययन और अध्यापन में मैं तुम्हारी लगन जानती हूँ किन्तु जैसे यह लता आम का सहारा ले रही है उसी तरह स्त्री जीवन यात्रा में किसी साथी की आवश्यकता को अनुभव करती है जो उसका सहारा हो। मदालसा मेरे लिए सहारे की आवश्यकता नहीं है। मैं जीवनपथ पर चलने में स्वयं समर्थ हूँ और किसी के इशारों पर नाच नहीं सकती।
कुण्डला – तब तो अकेली ही नाचोगी।
Meaning in English-(Then enters Ritadhwaja, son of great king who has conquered his enemies and is watching the beauty of nature.)
Ritadhwaja-Aha! The garden of king Vishwavasu, the celestial king is very beautiful. Every young one is fascinated to see the beauty of the mango clusters and to hear the sweet chirping of cuckoos. (The conversation of the young-ladies is heard on the left side. So I stay here to listen to it.)
Kundala – Oh friend Madalasa! You are engaged in studies only. For how long will you follow the Brahmacharya-vrata or remain unmarried?
Madalsa – The ocean of knowledge is really endless and very deep. By now I have studied very few portions standing on the bank of the ocean.
Kundala – Oh polite one! ‘Knowledge provides modesty’ therefore you are saying so. But respectable Kulaguru Tumbaru has informed king of Gandharvas something else.
Madalsa – Did you hear what respectable Guruji tell father regarding me?
Kundala – Yes certainly. Princess Madalsa has become well versed in all the Vidyas but she did not obtain Svayamvara (husband of her choice.) So, a suitable match is to be found out for her this is the idea of Guruji.”
Madalsa – (laughing) He does not know that I do not want to accept the relation of marriage.
Kundala – Then what will you do?
Madalsa – I will become well-versed in Vedanta. I’shall achieve the title of ‘Acharya’ and teach art of living to my students. Kundala-I know your keen attention towards studies and teaching but a woman also feels necessity of a companion in life as a support just as a creeper takes support of the mango-tree. …Madalsam do not need a support. I am capable of leading life alone and I can not do everything according to others will.
Kundala – Then you will have to dance alone.
संकेत – (विहस्य) यादि ……………. सखी विचार: पृ .74
हिन्दी सरलार्थ … मदालसा-(हँसकर) यदि तुम शीघ्र ही पति के घर चली जाओगी तो मैं अकेली हो जाऊँगी. किन्तु एक उपाय भी सोच लिया है मैंने।
कुण्डला – कौन सा उपाय ?
मदालसा – मैं सङ्गीतसाहित्य के माध्यम से ब्रह्मविद्या को प्रिय सरस बनाकर बहुत सारे बच्चों को शिक्षण दूंगी।
कुण्डला – गृहस्थाश्रम में प्रवेश करके अपने बच्चों के चरित्र का निर्माण करना माता के अधीन होता है। उसमें क्या सोचना?
मदालसा – जहाँ तक मुझे लगता है पुरुष अपनी पत्नी पर अपना अधिकार स्थापित करता है। द्रौपदी को अपनी सम्पति मानते हुए युधिष्ठर उसे जुए में हार गए जैसे वह कोई निर्जीव वस्तु थी।
कुण्डला – निर्जीव वस्तु तो वह नहीं थी किन्तु युधिष्ठिर का सोचना इसी प्रकार का था-ऐसा प्रतीत होता है।
मदालसा – हरिश्चन्द्र ने अपनी पत्नी शैव्या तथा पुत्र रोहित को भीड़युक्त बाजार में बेच दिया। ऐसे पत्नी के पद को स्वीकार करने में मेरा कोई. मनोरथ नहीं है।
कुण्डला – यह तो कटु सत्य है किन्तु सखी! इस संसार में भिन्न-भिन्न स्वभाव वाले पुरुष रहते हैं। वे अपने-अपने स्वभाव के अनुसार वर भी प्राप्त कर लेते हैं। तुम तो नवनवोन्मेष शालिनी प्रतिभा से सम्पन्न नए प्रयोगों से हम सबको आश्चर्यचकित कराती रहती हो। गृहस्थाश्रम भी एक प्रयोगशाला है जिसमें तुम अपने ज्ञान-विज्ञान का प्रयोग कर सकोगी।
मदालसा – हे कुण्डले । ऐसे लोग दुर्लभ होते हैं जो गृहस्थ की प्रयोगशाला में अपनी पत्नी को स्वतंत्रता देते हों।
ऋतध्वज – (अपने आप से) यह अपने को प्रकट करने का उचित अवसर है। (प्रकट रूप में) मैं शत्रुजित पुत्र ऋतध्वज उपस्थित हूँ, आज्ञा हो तो मैं इस परिचर्चा में सम्मिलित हो जाऊँ।
कुण्डला – अतिथि का स्वागत है। क्या आपने मेरी सखी के विचार सुन लिए?
Meaning in English : Madalsa – (With a smile) If you go very soon to your husband’s house, then I will remain alone but I have thought of a plan also.
Kundala – What is the plan?
Madalsa – I will make Brahmavidya (knowledge of vedanta) interesting and then teach it to many children.
Kundala – The formation of character depends on their mother after entering inte Grihasthashrama. There is nothing to think?
Madalsa: -As far as I see a man dominates his wife. Yudhishthira considered Drai padi to be his personal property and lost her in gambling as if she were an inanimate thing it appears that.
Kundala-She was not inanimate but Yudhishthira had that thinking only.
Madalsa-Harishchandra sold his wife Shaivya and his son Rohit in a crowded market. I do’nt want to accept such a post of wife.
Kundala-This is very harsh truth but my dear! men of various nature live in this world and the husband of similar nature is also achieved. You give us all a surprise by makling new experiments with your brilliant-mind. Grihasthashram is also a laboratory in which you can experiment your knowledge and scientific education
Madalsa – Kundle! Such a person is really rare who gives freedom to his wife in the household-laboratory.
Ritadhvaja – (To himself) This is the best time to present myself. (Before all) I, Ritdhwaja, a son who has conquered the enemies am present here. If you allow me then I will also join this discussion.
Kundala – Welcome to the guest. Did you hear what my friend hasil expressed?
संकेत-ऋतध्वजः …………….=
आम् ! अत …………. क्षाव्याव
हिन्दी सरलार्थ – ऋतध्वज-हाँ। इसीलिए मैं पूछना चाहता हूँ कि क्या आदरणीय गन्धर्वराज विश्वावसु अपनी पत्नी को युधिष्ठिर की तरह हार गए या उन्होंने उसे हरिश्चन्द्र की तरह बेच दिया? कुण्डला-मदालसा! तुम चुप क्यों हो? उत्तर दो।
ऋतध्वज – एक के अपराध से सम्पूर्ण जाति दण्डनीय होती है-यह तुम्हारी सखी का अनोखा न्याय है।
मदालसा-आप नारी-स्वाधीनता के बारे में क्या कहते हैं?
ऋतध्वज-माता ही प्रथम गुरु होती है-मेरा तो यही मानना है। नारी ही सम्पूर्ण सृष्टि का निर्माण करने वाली होती है। किन्तु कहने से क्या? आदरणीया आप परीक्षा करके ही जान पाएँगी। गृहस्थाश्रम की प्रयोगशाला में परीक्षा देने के लिए मैं तैयार हूँ।
मदालसा-तुम्हारा प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया है। कुण्डला-तुम दोनों उन्नति करो। हे मित्र! गन्धर्वकन्या मदालसा गन्धर्वविवाहविधि से आपका वरण करती है। (पति के रूप में चुनती है।) मैं कुलगुरू तुम्बुरू को बुलाता हूँ। वह अग्नि के सम्मुख आशीर्वचन कहेंगे।
ऋतध्वज-पहले तो हम सखी की बात सुनेंगे। तत्पश्चात् हम दोनों स्वयं कुलगुरु तथा माता जी और पिताजी को सम्मानित करने जाएँगे। … कण्डला-परस्पर प्रेम यक्त आप दोनों के उपदेश के लिए कोई अवकाश नहीं है तो भी सखी के प्रति प्रेम मुझे बोलने के लिए प्रेरित कर रहा है
पति के द्वारा सदा पत्नी का भरण-पोषण तथा रक्षा की जानी चाहिए क्योंकि धर्म, अर्थ तथा काम की सिद्धि के लिए जैसे पत्नी पति की सहायिका होती है वैसे कोई दूसरा नहीं होता। एक दूसरे के प्रति अनुकूल रहते हुए पति और पत्नी धर्म-अर्थ तथा काम की सिद्धि कर लेते हैं । यदि पति बहुत अधिक धन कमाकर घर लाता है तो वह धन पत्नी के अभाव में कुपात्रों में दिया जाता हुआ नाश को प्राप्त करता है।
ऋतध्वज-लक्ष्मी की रक्षा के लिए पत्नी का सहयोग अनिवार्य है। – मदालसा-कुण्डला ! लक्ष्मी की पूजा में मेरी कोई रुचि नहीं है। यदि मेरे अतिथि को लक्ष्मी पूज्य और प्रिय है तो अभी से मेरा उसे प्रणाम है।
ऋतध्वज-हे स्वाभिमानी प्रिया! तुम्हारे सम्मुख कोई सौत कैसे ठहर सकती है? लक्ष्मी तो तुम्हारी दासी होगी सौत नहीं। मेरी गृहस्थी तुम्हारे अधीन होगी और अपनी भावी सन्तान को
मैं ज्ञान-विज्ञान की खोज करने वाली तुम्हारे हाथ में सौंपना चाहता हूँ। (आओ। गुरु जी को , तथा माता-पिता को यह समाचार सुनाते हैं।)..
Meaning in English
kitadhwaja-Yes, That is why I want to ask whether respectable Gandharvaraja Vishwavasu lost his wife like Yudhisthira or he sold her like Harish Chandra?
Kundala-Oh Madalsa! Why are youquiet? Give me answer.
Ritadhwaja-Whole of the female-race is to be punished-this is the wonderful logic of your friend. .. ,
Madalsa – What do you say sir! regarding the freedom of women?
Ritadhwaja – I consider that only mother is the first teacher. Only a woman can produce the whole creation but what is the use of saying? You can know by examining only. I am ready to be examined in the laboratory of the Grihasthashrama.
Madalsa – I have accepted your proposal…
Kundala – May you both progress. Oh friend! A celestial girl Madalsa proposes you by the mode of love-marriage. I call our family priest Tumbru. He will offer blessings before fire-god.
Ritadhwaja – First we both will listen to our friend’s words. After that we both will go to respect our family-priest and our parents.” Kundala . There is no alternative for the advice of you both who love each other so much. Even then I am saying so due to the affection towards my friend.
A husband should always nourish and protect his wife because he has no other helper except his wife for the accomplishment of righteousness, wealth and desire. Remaining favourable to each other, husband and wife can establish righteousness, wealth and desire. If a husband earns lot of wealth and brings it to home then that wealth is destroyed by spending it among undeserving persons in the absence of a wife.
Ritadhwaja -The co-operation of the wife is compulsory for protecting the wealth. Madalsa-Oh Kundala! I am not at all interested in worshipping wealth. If wealth is respectable and lovable to my guest, then my salutations are for her since now.
Ritadhwaja – Oh dear self-respected one! Which other co-wife can stay in presence of you? Wealth will be your attendant and not a co-wife. My family life will depend on you and I wish to offer my coming generation to you who are a scientific-researcher. Come, let us tell this news to our teacher and parents.