Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 3 मातुराञा गरीयसी
अभ्यासः
एकपदेन उत्तरत
प्रश्न 1.
(क) एकशरीरसंक्षिप्ता का रक्षितव्या?
उत्तर
पृथिवी।
(ख) शरीरे कः प्रहरति?
उत्तर
अरिः
(ग) स्वजनः कुत्र प्रहरति?
उत्तर
हृदये।
(घ) कैकेय्याः भर्ता केन समः आसीत् ?
उत्तर
शक्रेण।
(ङ) कः मातुः परिवादं श्रोतुं न इच्छति?
उत्तर
रामः
(च) केन लोकं युवतिरहितं कर्तुं निश्चयः कृतः?
उत्तर
लक्ष्मणेन।
(छ) प्रतिमा नाटकस्य रचयिता कः?
उत्तर
महाकविर्भासः।
प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) रामस्य अभिषेकः कथं निवृत्तः?
उत्तर
कैकेय्याः वचनात् रामस्य अभिषेकः निवृत्तः।
(ख) दशरथस्य मोहं श्रुत्वा लक्ष्मणेन रोषेण किम् उक्तम् ?
उत्तर
दशरथस्य मोहं श्रुत्वा लक्ष्मणेन उक्तम्-धुनः स्पृश मा दयाम्
(ग) लक्ष्मणेन किंकर्तुं निश्चयः कृतः?
उत्तर
लक्ष्मणेन लोकं युवतिरहितं कर्तुं निश्चयः कृतः।
(घ) रामेण त्रीणि पातकानि कानि उक्तानि?
उत्तर
ताते धनुः मुञ्चनम्, मातरि च शरम्, अनुजं भरतं हननम् च इति रामेण त्रीणि पातकानि उक्तानि।
(ङ) रामः लक्ष्मणस्य रोषं कथं प्रतिपादयति?
उत्तर
रामः लक्ष्मणस्य रोष प्रतिपादयितुं तातस्य, मातुः भरतस्य. वापि हन्तुं कथयति।
प्रश्न 3.
रेखाङ्कितानि पदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(क) मया एकाकिना गन्तव्यम्।
उत्तर
केन एकाकिना गन्तव्यम् ?
(ख) दोषेषु बाह्मम् अनुजं भरतं हनानि।
उत्तर
केषु बाह्मम् अनुजं भरतं हनानि?
(ग) राज्ञा हस्तेन एव विसर्जितः।
उत्तर
केन हस्तेन एव विसर्जितः?
(घ) पार्थिवस्य वनगमननिवृत्तिः भविष्यति।
उत्तर
कस्य वनगमननिवृत्तिः भविष्यति?
(ङ) शरीरे अरिः प्रहरति।
उत्तर
कुत्र अरिः प्रहरति?
प्रश्न 4.
अधोलिखितेषु संवादेषु कः कं प्रति कथयति इति लिखत
उत्तर
संवादः – कः कथयति? – के प्रति कथयति.
(क) एकशरीर संक्षिप्ता पृथिवी रक्षितव्या। रामः। – काञ्चुकीयं – प्रति।
(ख) अलमुपहतासु स्त्रीबुद्धिषु स्वमार्जवमुप निक्षेप्तुम् । – काञ्चुकीयः – रामं प्रति।
(ग) नवनृपतिविमर्शे नास्ति शङ्का प्रजानाम्। – रामः । – काञ्चुकीयं प्रति
(घ) रोदितव्ये काले सौमित्रिणा धनुर्गृहीतम्। – सीता। – राम प्रति।
(ड) न शक्नोमि रोषं धारयितुम्। – लक्ष्मणः।। – रामं प्रति।
(च) एनामुद्दिश्य देवतानां प्रणामः क्रियते। – सीता। – रामं प्रति।
(छ) यत्कृते महति क्लेशे राज्ये मे न मनोरथः। – लक्ष्मणः। – रामं प्रति।
प्रश्न 5.
पाठमाश्रित्य ‘रामस्य’ ‘लक्ष्मणस्य’ च चारित्रिक-वैशिष्ट्यं हिन्दी/अंग्रेजी-संस्कृत भाषया लिखत।
उत्तर
रामस्य चारित्रिक वैशिष्ट्यम्
रामः भातृभक्तः पितृभक्तः चास्ति। सः स्वानुजेषु स्निह्यति। कैकेयी स्वपुत्राय भरताय राज्यं वाञ्छति, रामाय च वनवासम्-इति ज्ञात्वा अपि रामः तस्याः निन्दां श्रोतुं न तत्परः। एवं तां प्रति तस्य अनन्या भक्तिभावना दृश्यते । वनगमनस्य पितरादेशं सः सहर्ष स्वीकरोति। अनेन तस्य पितृभक्तिः स्पष्टरूपेण दरिदृश्यते। भरते लक्ष्मणे च तस्य स्नेहभावना पदे पदे दृश्यते। आभिरेव विशेषताभिः सः नाटकस्य नायकपदम् अलंकरोति।
राम के चरित्र की विशेषताएँ
पाठ के आधार पर श्री राम के चरित्र में मातृ-पितृ भक्ति, बड़ों का सम्मान, अपनी प्रजा तथा छोटे भाइयों के प्रति स्नेह की भावना आदि गुण स्पष्ट दिखाई देते हैं। जब काञ्चुकीय उनकी राज्यच्युति तथा चौदह वर्षों के वनवास का कारण माता कैकेयी को बताता है तो वह इसमें माता की दुर्भावना न मानकर किसी अच्छे परिणाम के बारे में ही कहते हैं। वह माता के बारे में कुछ भी अपशब्द सुनने को तैयार नहीं होते।
इस प्रकार माता के प्रति उनकी अनन्य भक्ति भावना लक्षित होते है। पिता के द्वारा दी गई वनगमन की आज्ञा को वे सिर झुकाकर स्वीकार करते हैं, इससे पिता के प्रति उनकी अद्भुत आदरभावना भी प्रकट होती है। कैकेयी के द्वारा भरत । के लिए राज्य माँगने पर वे उससे तनिक भी ईर्ष्या नहीं करते। लक्ष्मण के प्रति उनका अथाह स्नेह भी झलकता है। यहाँ वे लक्ष्मण से सीता को वनगमन से रोकने का आग्रह करते हैं-उनकी यही चारित्रिक विशेषताएँ उन्हें नाटक का नायक सिद्ध करती हैं।
Characteristics of Rama:
According to this lesson Rama is depicted as the devotee of his parents. He respects his elders and loves his youngers and his subjects also. When Kaikeyi is declared to be the cause of the loss of his kingdom, he is not at all prepared to listen against his mother Kaikeyi. This shows his feeling of devotion towards his step mother even. When his father Dashratha asks him to go the forest he happily accepts his order.
Thus he has full faith in his father. He has attachment towards his younger brothers. He is not at all jealous when Kaikeyi demands for kingdom for his son Bharata. He loves Lakshmana very much. He asks Lakshmana, to prevent Sita from going to the forest-all of these characteristics make him the hero of the play.
लक्ष्मणस्य चारित्रिक वैशिष्ट्यम्
राम इव लक्ष्मणः अपि पितृभक्तःअस्ति किन्तु तस्मिन् विनम्रतायाः अभावः दृश्यते । सः . अतीव क्रोधी उद्धतः चास्ति । भरताय राज्यप्राप्तिं विज्ञाय सः कैकेयी प्रति अपशब्दान् उच्चारयति ।
सः अखिलं लोकं युवतीहीनं कर्तुं वाञ्छति । सः राममपि धनुः धारयितुं कथयति । एवं सः अतीव उद्धतः अस्ति किन्तु सः रामस्य उपासकः भक्तः चास्ति। लक्ष्मण के चरित्र की विशेषताएँ राम की तरह लक्ष्मण भी पितृभक्त तथा बड़े भाई का सम्मान करने वाला है किन्तु वह शीघ्र क्रोधयुक्त हो जाता है। कैकेयी के द्वारा भरत, के लिए राज्य माँग लेने पर. वह सारे विश्व को युवतीहीन कर देना चाहता है। राम का वनवास सुनकर जब दशरथ मूर्च्छित हो जाते हैं तो वह शीघ्र राम से धनुष उठाने को कहता है। इस प्रकार वह अत्यन्त उद्धत स्वभाव का है लेकिन राम का वह सच्चा उपासक तथा भक्त है।
Characteristics of Lakshmana
Like Rama, Lakshmana also is a true devotee of his elders and his parents. But he becomes angry very soon. When Kaikeyi demands kingdom for his son Bharata and asks Rama to go to the forest for fourteen years, he becomes extremely angry. He wants to destroy all the ladies of the world. He asks Rama to uphold the bow. So, he is extremely arrogant but he is the real devotee of Rama.
प्रश्न 6.
पाठात् चित्वा अव्ययपदानि लिखत-उदाहरणानि ननु, तत्र……….।
उत्तर
अथ, अत्र, च, खलु, श्रोतुम्, पुरतः, कर्तुम्, इदानीम् आदि ।
प्रश्न 7.
अधोलिखितेषु पदेषु प्रकृति-प्रत्ययौ पृथक् कृत्वा लिखत
उत्तर
(क) परित्रातव्य = त्रा धातु + तव्यत् प्रत्यय।
(ख) वक्तव्यम् = वच् धातु + तव्यत् प्रत्यय।
(ग) रक्षितव्या = रक्षु धातु + तव्यत् प्रत्यय।।
(घ) भवितव्यम् = भू धातु + तव्यत् प्रत्यय।
(ड) पुत्रवती = पुत्र शब्द + वतुप् प्रत्यय।
(च) श्रोतुम् = श्रु धातु + तुमुन् प्रत्यय ।
(छ) विसर्जितः = सृज् धातु + क्त प्रत्यय।.
(ज) गतः = गम् धातु + क्त प्रत्यय ।
(झ) क्षोभितः = क्षुभ् धातु + क्त प्रत्यय।
(ञ) धारयितुम् = धृ धातु + तुमुन् प्रत्यय ।
प्रश्न 8.
अधोलिखितानां पदानां संस्कृतवाक्येषु प्रयोगः करणीयः
उत्तर
(क) शरीरे = आत्मा शरीरे वसति ।
(ख) प्रहरति = अरिः शरीरे प्रहरति ।
(ग) भर्ता = ईश्वरः संसारस्य भर्ता अस्ति।
(घ) अभिषेकः = देवालये ईश्वरस्य अभिषेकः क्रियते।।
(ड) पार्थिवस्य = इयं पार्थिवस्य प्रतिमा अस्ति।
(च) प्रजानाम् = राजा प्रजानां पालकः भवति।
(छ) हस्तेन = सः हस्तेन तर्जयति।
(ज) धैर्यसागरः = लक्ष्मणः धैर्यसागरः कथितः।
(झ) पश्यामि = अहमेकं सिंहं पश्यामि ।
(ञ) करेणुः = करेणुः पङ्के क्रीडति।
(ट) गन्तव्यम् = अधुना त्वंया न गन्तव्यम् ।
प्रश्न 9.
अधोलिखितानां स्वभाषया भावार्थं लिखत
(क) शरीरेऽरिः प्रहरति हृदये स्वजनस्तथा ।
उत्तर
शत्रु के कटु शब्दों का कष्ट बाह्य अंगों पर पड़ता है किन्तु अपने सगे सम्बन्धियों की बातों का कष्ट हृदय पर पड़ता है जो अत्यन्त दुःखदायक होता है। अंगों के घाव तो धीरे-धीरे भर जाते हैं किन्तु हृदय के घाव आसानी से नहीं भरते। वे मनुष्य को जीवन-भर कचोटते, कष्ट पहुँचाते रहते हैं-यही भाव अभिव्यक्त किया गया है. यहाँ।
(ख) नवनृपतिविमर्श नास्ति शङ्का प्रजानाम्।
उत्तर
जब काञ्चुकीय श्रीराम से कहता है कि कैकेयी के कहने से आपका अभिषेक रुक गया है तब श्री राम इसमें अनेक अच्छाइयाँ. या गुण बताते हुए कहते हैं कि राज्याभिषेक न होने का एक लाभ यह होगा कि प्रजा के मन में ऐसी कोई चिन्ता नहीं रहेगी कि नया राजा कैसा होगा क्योंकि पुराने राजा के स्वभाव आदि से सारी प्रजा परिचित होगी। अतः इन पंक्तियों का भाव यही है कि पुराना राजा बने रहने से प्रजा की चिन्ता अब बिलकुल समाप्त हो गई।
(ग) यदि न सहसे राज्ञो मोहं धनुः स्पृश मा दयाम्।
उत्तर
प्रस्तुत पंक्तियों में लक्ष्मण का कैकेयी के प्रति रोष प्रकट किया गया है। कैकेयी के दुर्वचनों से ही राजा दशरथ मूर्छित हुए हैं जो किसी को भी अच्छा नहीं लग रहा । अतः लक्ष्मण कहते है कि यदि आप राजा दशरथ की मूर्छा की बात को सहन नहीं कर पा रहे तो इसका प्रतिकार प्रकट करने के लिए धनुष धारण क्यों नहीं करते, क्यों आप शान्तिपूर्वक बैठे हो। कैकेयी के प्रति दया भावना को त्यागकर आपको शीघ्र धनुष धारण करना चाहिए- यही भाव अभिव्यक्त करना चाहता है कवि यहाँ अर्थात् कैकेयी के प्रति केवल शब्दों से नहीं अपितु धनुष उठाकर, प्रहार करके आपको अपना रोष तथा राजा की मूर्छा को न सहन कर पाने की भावना प्रकट करनी चाहिए।
(घ) यत्कृते महति क्लेशे राज्ये मे न मनोरथः।
उत्तर
प्रस्तुत पंक्तियों में जब राम लक्ष्मण को यह समझाते हैं कि तुम क्यों इतना क्रोध कर रहे हो, चाहे भरत राजा बनें या मैं-इसमें कोई अन्तर नहीं, तब लक्ष्मण श्री राम से कहते हैं कि जिस राज्य के कारण इतना भयंकर दुःख उत्पन्न हुआ है उस राज्य के विषय में मुझे कोई अभिलाषा नहीं है किन्तु मुझे इस बात से दुःख है कि आपको चौदह वर्ष का वनवास का कष्ट भी तो सहन करना होगा। अर्थात् लक्ष्मण को श्रीराम के वनवास का कष्ट अधिक पीड़ा पहुँचा रहा है, राजा कोई भी बन जाए उन्हें अभिलाषा नहीं है।
प्रश्न 10.
अधोलिखितेषु सन्धिच्छेदः कार्यः
उत्तर-
1. रक्षितव्येति = रक्षितव्या + इति।
2. गुणेनात्र = गुणेन + अत्र।
3. शरीरेऽरिः = शरीरे + अरिः।
4. स्वजनस्तया = स्वजनः + तथा।।
5. येनाकार्यम् = येन + अकार्यम् ।
6. खल्वस्मत् = खलु + अस्मत्।
7. किमप्यामितम् = किम् + अपि + अभिमतम् ।
8. हस्तेनैव = हस्तेन + एव।
9. दग्धुकामेव = दग्धुकामा + इव.
Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 3 मातुराञा गरीयसी Summary Translation in Hindi and English
संकेत-काञ्चुकीयः-परित्रायतां………….. नास्ति प्रतीकारः ।
हिन्दी सरलार्थ-(प्रवेश करके)
काञ्चुकीय-कुमार, बचाइए, बचाइए।
राम-आर्य: किसे बचाना है?
काञ्चुकीय-महाराज को।
राम-महाराज को? आर्य, तो यह कहो कि एक शरीर में स्थित समस्त पृथ्वी की रक्षा . करो। अच्छा तो यह विपत्ति कहाँ से आई?
काञ्चुकीय-अपने ही व्यक्ति से।
राम-क्या अपने ही व्यक्ति से । हाय। तब तो इसका निवारण (दूर करने का उपाय) । भी नहीं हो सकता।
Meaning in English-(Having entered)
Kanchukiya-Oh! Prince! Please protect.
Ram-Oh Gentleman! Who is to be protected?
Kanchukaye-Our great king.
Ram-Is the great king (to be protected)? Then say, protect the whole earth, existing in one body (that is the king). Then tell, from whom did this problem take place?
Kenchukiye-From our own person. Oh! Then it cannot be overcome.
1. शरीरेऽरिः प्रहरति हृदये स्वजनस्तथा।
कस्य स्वजनशब्दो मे लज्जामुत्पादयिष्यति।।
हिन्दी सरलार्थ-शत्रु शरीर पर प्रहार करता है किन्तु स्वजन (अपने लोग) हृदय – पर चोट करते हैं। किसके लिए प्रयुक्त स्वजन शब्द मुझे लज्जित कराएगा?
Meaning in English-The enemy attacks on the external parts of, the body while the near relatives attack on the heart. The word ‘one’s own relatives or people’ is used for whom and will cause shame for …… me(I do not know)?
संकेत-काञ्चुकीयः-तत्रभवत्याः…………………….. श्रूयताम्
हिन्दी-अनुवाद – काञ्चुकीय-आदरणीय कैकेयी से यह आपत्ति आई।
राम-क्या माताजी से? तब तो इसका परिणाम अवश्य ही अच्छा होगा।
काञ्चुकीय – कैसे?
राज – सुनो
English-Translation
Kanchukiya—This problem has come from Kaikeyi’s side.
Ram-What, from mother’s side? Then it will definitely have a good result.
Kanchukiya-How?
Ram-Listen.
2.यस्याः शक्रसमो भर्ता मया पुत्रवती च या।
फले कस्मिन् स्पृहा तस्या येनाकार्यं करिष्यति।।
हिन्दी सरलार्थ-जिसका पति इन्द्र क समान है और मैं जिसका पुत्र हूँ उसे किस . फल की अभिलाषा हो सकती है, जिसके लिए वह ऐसा बुरा काम करेंगी?
Meaning in English-Whose husband is like Indra and who has the son like me, to fufifil which desire she will do such an evil deed?
संकेत-काञ्चुकीयः-कुमार! अलमुपहतासु ……………………… श्रूयताम्,
हिन्दी-अनुवाद – काञ्चुकीय-कुमार! स्वभाव से बुराई की ओर जाने वाली स्त्री बुद्धियों पर अपने सरल स्वभाव का आरोपण मत करो। उसी के कहने से आपका अभिषेक होते होते रुक गया है।
राम-आर्य! इसमें निश्चित ही बहुत-सी भलाइयाँ हैं।
काञ्चुकीय – कैसे?
राम – सुनो
English-Translation
Kanchukiya-Oh prince! Don’t think of simplicity about the mentality of ladies who have bad-intention. Your corontion has been stopped by her words only.
Ram-Oh gentleman! There are definitely good things in it
Kanchukiya-How?
Ram-Listen
3. वनगमननिवृत्तिः पार्थिवस्यैव ताव
न्मम पितृपरवत्ता बालभावः स एव ।
नवनृपतिविमर्श नास्ति शङ्का प्रजाना
मथ च न परिभोगैर्वञ्चिता भ्रातरो मे।।
हिन्दी सरलार्थ-(प्रथम) तो राजा का वन जाना रुक गया, दूसरे-मैं पिता के अधीन. ही रह गया, तीसरा-मुझे बचपन का आनन्द लेने का अवसर मिल गया, चौथा नया राजा कैसा होगा-प्रजा को ऐसी चिन्ता भी नहीं होगी और अन्तिम लाभ यह है कि मेरे भाई राजा के भोगों से भी वचिंत नहीं हुए।
Meaning in English-The first benefit of it is that the king will not go to the forest now, secondly I am still under the protection of respected father, thirdly I can still enjoy the childhood, fourthly the people will not be worried about the nature of the new king and lastly my dear brothers can still enjoy the pleasures of the kingdom.
संकेतं-काञ्चुकीयः-अथ च …………………..कुतः
हिन्दी-अनुवाद – काञ्चुकीय-उसने जो बिना बुलाए आकर राजा से यह कहा कि भरत का राजपद पर अभिषेक करो, क्या यह लोभ के बिना है? … राम-आर्य, आप हम पर अधिक स्नेह रखने के कारण वास्तविकता को नहीं देख पा रहे हैं। क्योंकि-
English Translation
Kanchukiya-She came here without being called and said that Bharata may be coronated as the king-does her this saying not contain greed?
Ram-Oh gentleman! You do not see reality by having too much of affection in me. Because
4. शल्के विपणितं राज्यं पत्रार्थे यदि याच्यते।
तस्या लोभोऽत्र नास्माक भ्रातृराज्यापहारिणाम्।।
हिन्दी सरलार्थ-विवाह-शुल्क में पुत्र के लिए प्रतिज्ञा किए हुए राज्य को वह माँग रही है-इसमें उसका लोभ है, किन्तु क्या भाई के राज्य को छीनने वाले हम लोगों की बुरी भावना . लोभ नहीं है?
Meaning in English-She is demanding for his son the kingdom which was promised at the time of marriage–this shows her greed but we want to snatch the kingdom of our brother–does this ill-feeling not show greed?
संकेत-काञ्चुकीयः-अथ …………….. ततस्तदानीम,
हिन्दी-अनुवाद
काञ्चुकीय-तब फिर…..!
राम-इससे अधिक मैं माताजी की निन्दा सुनना नहीं चाहता। महाराज का कुशल समाचार बताइए।
काञ्चुकीय-तब, उस समय,
English-Translation Kanchukiya Then…..
Ram-I do not want to hear mother’s criticism anymore. Tell me the well-being of the great-king.
Kanchukiya— Then, at that time.
5. शोकादवचनाद् राज्ञा हस्तेनैव विसर्जितः।
किमप्यभिमतं मन्ये मोहं च नृपतिर्गतः।।
हिन्दी सरलार्थ-शोक के कारण महाराज कुछ बोल न सके, तब उन्होंने हाथ के इशारे से मुझे जाने को कहा। इससे मैं समझता हूँ कि (आपके वियोग को सहन न कर पाने से) राजा किसी अभीष्ट मूर्छा को प्राप्त हो गए।
Meaning in English-Being grieved, the king could not speak and; by waving his hand he asked me to go. By us I think that the king willingly fainted due to the sorrow of your separation.
संकेत-रामः- कथं मोहमुपगतः।………….विलोक्य
हिन्दी-अनुवाद राम-क्या, मूर्छित हो गए।
क्या! क्या! मूर्छित हो गए?
यदि राजा का मूर्छित होना नहीं सह सकते, तो धनुष उठाओ दया छोड़ो।
राम-(सुनकर, सामने देखकर)
English-Translation
Ram-What, he became senseless?
(Behind the curtain)
What, What, he lost the senses?
If you cannot hear the news that he became senseless, then hold the bow,give up mercy.
Ram-(On hearing, looking in front.)
6. अक्षोभ्यः क्षोभितः केन लक्ष्मणो धैर्यसागरः।
येन रुष्टेन पश्यामि शताकीर्णमिवाग्रतः।। (तः प्रविशति लक्ष्मणः)
हिन्दी सरलार्थ-क्षुब्ध न होने वाले धैर्य के सागर लक्ष्मण को किसने उत्तेजित कर दिया? क्रुद्ध हुआ वह ऐसा लगता है कि जैसे मेरे आगे सैंकड़ों वीर हों। (तब हाथ में धनुष-बाण लिए हुए लक्ष्मण का प्रवेश)
Meaning in English-Who has irritated Lakshmana who is the ocean of patience and who never gets irritated? Being angry he alone appears to be hundred of warriors standing in front of me… (Then enters Lakshmana taking bow and arrow in his hand.)
7. लक्ष्मणः-(सक्रोधम्) कथं कथं मोहमुपगत इति।
यदि न सहसे राज्ञो मोहं धनुः स्पृश मा दयां
स्वजननिभृतः सर्वोप्येवं मूदुः परिभूयते।
अथ न रुचितं मुञ्च त्वं मामहं कृतनिश्चयो
युवतिरहितं लोकं कर्तुं यतश्छलिता क्यम् ।।
हिन्दी सरलार्थ लक्ष्मण-(क्रोध से) क्यों, क्यों मूर्छित हो गए? ” यदि महाराज का मूर्छित होना नहीं सह सकते तो धनुष उठाओ, दया मत करो। स्वजनों के कार्यों पर चुपचाप विनम्र बने रहने वाले कोमल स्वभाव वाले पुरुषों का इसी प्रकार तिरस्कार होता है किन्तु यदि आपको धनुष उठाने की बात पसंद न हो तो मुझे आज्ञा दीजिए, मैंने इस संसार को युवति-रहित करने का निश्चय किया है, क्योंकि एक युवति ने हमें छल लिया है।
Meaning in English-
Lakshmana (Angrily)-Why, why is he senseless?
” If you cannot bear the state of being senselessness of the great king, : then hold the bow and don’t show mercy: The soft hearted people who tolerate the deeds of their relatives are insulted in this very way but if .you do not like the idea of upholding the bow, then please allow me to do so. I have firmly decided to make this world free from ladies because one lady has deceived us.
संकेत-सीता-आर्यपुत्र! ……………….नाम
हिन्दी-अनुवाद सीता-आर्यपुत्र! रोने के समय लक्ष्मण ने धनुष उठाया है। निश्चय ही इसका प्रयास आश्चर्यजनक है।
राम-लक्ष्मण! यह क्या है?
लक्ष्मण-क्या है? कैसे?
English-Translation
Sita-Dear husband! Lakshmana. took the bow at the time of :- weeping: His effort is really surprising.
Rama-Oh Lakshmana! What is this?
Lakshmana-What is this why?
8. क्रमप्राप्ते हृते राज्ये भुवि शोच्यासने नपे।
इदानीमपि सन्देहः किं क्षमा निर्मनस्विता।।
हिन्दी सरलार्थ-क्रम-परम्परा से मिलने वाले राज्य के छीन लिए जाने पर तथा महाराज के शोचनीय स्थिति में पृथ्वी पर लेटने पर, अब भी आपको संदेह क्यों है? क्या यह क्षमा है या आत्माभिमानशून्यता?
Meaning in English-When, the kingdom which is achieved according to seniority is snatched away and the great king is lying on the earth in a critical state why are you still doubtful? Is it forbearance or absence of self-respect?
9. रामः-सुमित्रामातः। अस्मद्राज्यभ्रंशो भवत उद्योगं जनयति। आः अण्डितः खलु भवान्।।
भरतो वा भवेद् राजा वयं वा ननु तत् समम् ।
यदि तेऽस्ति धनुश्श्लाघा सा राजा परिपाल्यतम् ।।
हिन्दी सरलार्थ-राम-लक्ष्मण! हमारा राज्य से हीन होना तुम्हें इतना भड़का रहा है। ओह तुम निश्चय ही विवेक शून्य हो गए हो। चाहे भरत राजा हो अथवा मैं, तुम्हारे लिए . दोनों समान है। यदि तुम्हें अपनी धनुर्विधा पर गर्व है तो उस नए राजा भरत की रक्षा करो।
Meaning in English-Oh Lakshmana! You are so aggressive by the news of our loss of kingdom! Oh! You have really lost your wisdom. Whether Bharata becomes the king or I may be the king both are same for you. If you are proud of your archery then protect the new king Bharata.
संकेत-लक्ष्मणः-न शक्नोमि रोषं धारयितुम् । भवतु भवतु गच्छामस्तावत्। (प्रस्थितः)
10. रामः-त्रैलोक्यं दग्धुकामेव ललाटपुटसंस्थिता।
भृकुटिर्लक्ष्मणस्यैषा नियतीव व्यवस्थिता ।।
सुमित्रामातः। इतस्तावत्।
हिन्दी सरलार्थ
लक्ष्मण-मैं क्रोध को नहीं रोक सकता। अच्छा मैं चलता हूँ। (प्रस्थान)
राम-संसार को भस्म करना चाहती हुई सी लक्ष्मण के मस्तक पर स्थित ये टेढ़ी भौंहे भाग्य के समान निश्चय किए हुए हैं। लक्ष्मण! इधर तो आओ।
Meaning in English
Lakshmana-I cannot control my anger: I am going now: (Goes)
Rama—These crooked eyebrows on the forehead of Lakshmana which seem to destroy the world are firm like destiny.
Oh Lakshmana! Come here.
संकेत-लक्ष्मणः-आर्य! अयमस्मि। .
रामः-भवतः स्थैर्यमुत्पादयता मयैवमभिहितम् । उच्यतामिदानीम् ।
11. ताते.धनुर्नमयि सत्यमवेक्षमाणे
मुञ्चानि मातरि शरं स्वधनं हरन्त्याम् ।
दोषेषु बाह्यमनुजं भरतं हनानि
किं रोषणाय रुचिरं त्रिषु पातकेषु।।
हिन्दी सरलार्थ लक्ष्मण-आर्य, मैं उपस्थित हूँ।
राम-तुम्हारा क्रोध शान्त करने के लिए मैंने ऐसा कह दिया। अब तुम्हीं बताओं। क्या मैं सत्य का पालन करने वाले पिता के विरुद्ध धनुष उठाऊँ? या राज्य को लेने वाली माता पर बाण चलाऊँ? या निर्दोष प्रिय भाई भरत का वंध करूँ? इन तीनों पापों में से कौन सा पाप ‘तुम्हारे क्रोध को शान्त करने के लिए उचित है? (किससे तुम्हारा क्रोध शान्त हो सकता है?)
Meaning in English
Lakshmana-Sir, I have come here.
Rama-I have said so just to pacify your anger. Now you tell May I hold the bow against father who always follows truth? Or I may throw arrow towards mother Kaikeyi who wants kingdom or I may kill my younger brother Bharata who has not committed any sin? Of these three sins, which sin can pacify your anger?
संकेत-लक्ष्मणः-(सवाष्पम्) हा धिक् ! अस्मानविज्ञायोपालभसे।
12. यत्कृते महति क्लेशे राज्ये मे न मनोरथः।
वर्षाणि किल वस्तव्यं चर्तुदश वने त्वया।।
हिन्दी सरलार्थ
लक्ष्मण-(आँसू भरकर) हाय! बड़े कष्ट की बात है? आप मेरे अभिप्राय को न समझकर मुझे उलाहना दे रहे हैं। जिस राज्य के कारण भयंकर दुःख उत्पन्न हुआ ऐसे राज्य की प्राप्ति में मेरी कोई अभिलाषा नहीं है। (यह मैं इसलिए कह रहा हूँ। कि आपको चौदह वर्षों तक वन में ही रहना होमा)…
Meaning in English-
Lakshmana-(With tears) Oh! It is very sad that you are taunting me without understanding my intention.
I am not at all interested in obtaining that kingdom which created lot of sorrow. I am saying so because you will have to stay in the forest for fairteen years now.
वन-रामः-अत्र मोहमुपगतस्तत्रभवान् । हन्त! निवेदितमप्रभुत्वम् । मैथिलि!
13. मलार्थेऽनया दत्तान् वल्कलास्तावदानय।
करम्यन्यैर्नृपर्धर्म नैवाप्तं नोपपादितम् ।।
हिन्दी सरलार्थ
राम-क्या इसी कारण पिताजी मूर्छित हो गए? बड़े दुःख की बात है कि उन्होंने अपनी अधीरता प्रकट कर दी। हे सीता!
इसके द्वारा दिए गए वल्कल वस्त्रों को मंगल कार्य के सम्पादन के लिए ले आओ। मैं अब इस अवस्था में उस धर्म का पालन करूँगा जिसका पालन अन्य राजाओं के द्वारा नहीं किया गया।
Meaning in English
Rama-Did father become senseless due to this very reason only? Oh! It is very sad that he showed his intolerance. Oh Sita! Please bring the clothes of bark of trees which were given by her to fulfill this sacred deed. I will follow that righteous path in this small age now, which was not followed by other kings even.
संकेत-सीता-गृहात्वार्यपुत्रः।………… वारयितुमत्रभवतीम्।
हिन्दी सरलार्थ सीता-आर्यपुत्र, लीजिए। राम-सीता! क्या निश्चय किया? सीता-मैं तो आपकी सहधर्मचारिणी हूँ राम–मुझे तो अकेले ही वन में जाना है सीता-इसीलिए तो मैं आपके साथ चल रही हूँ। राम-वहाँ तो वन में रहना होगा। सीता-वह तो मेरे लिए महल होगा। … राम-सास-ससुर की सेवा भी तुम्हें करनी चाहिए। सीता-इसके लिए मैं देवताओं का प्रणाम करती हूँ। राम-लक्ष्मण ! इसे रोको। लक्ष्मण-आर्य! ऐसे शुभ अवसर पर आदरणीया को रोकने का साहस मुझमें नहीं है।
Meaning in English
Sita-Please take my dear husband.
Rama-Oh Sita! What have you decided?
Sita-lamyour ideal-wife.
Rama-I have to go alone to the forest.
Sita-That is why, I am going with you.
Rama-We will have to stay in the forest there.
Sita-That will be a palace for me.
Rama-It is your duty to serve your mother in law and father in law.
Sita-I bow to the Gods in.this respect (to excuse me)
Rama-Oh Lakshmana! Prevent her from going with us.
Lakshmana-Respected brother! I cannot prevent her from going ‘ at this good moment.
हो। कैकेयी के प्रति दया भावना को त्यागकर आपको शीघ्र धनुष धारण करना चाहिए- यही भाव अभिव्यक्त करना चाहता है कवि यहाँ अर्थात् कैकेयी के प्रति केवल शब्दों से नहीं अपितु धनुष उठाकर, प्रहार करके आपको अपना रोष तथा राजा की मूर्छा को न सहन कर पाने की भावना प्रकट करनी चाहिए।