NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः

 

Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः

अभ्यासः

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत

(क) केषाम् अन्वयः कालिदासेन विवक्षितः?
उत्तर
रघूणाम्।

(ख) रघुवंशिनः अन्ते केन तनुं त्यजन्ति?
उत्तर
योगेन।

(ग) महीक्षिताम् आधः कः आसीत् ?
उत्तर
मनः।

    

(घ) कासां पितरः केवलं जन्महेतवः?
उत्तर
प्रजानाम्

(ङ) कः प्रियः अपि त्याज्यः?
उत्तर
दुष्टः

(च) दिलीपः प्रजानां भूत्यर्थं कम् अग्रहीत?
उत्तर
बलिम्।

(छ) राजेन्दुः दिलीपः रघूणामन्वये क्षीरनिधौ कः इव प्रसूतः?
उत्तर
इन्दः।

प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत

(क) महाकविकालिदासेन वैवस्वतो मनुः महीक्षिताम् कीदृशः निगदितः?
उत्तर
महाकविकालिदासेन वैवस्वतो मनुः महीक्षिताम् आद्यः निगदितः।

(ख) कालिदासः तनुवाग्भिवः सन् अपि तद्गुणैः कथं प्रचोदितः?
उत्तर
कालिदासः तनुवाग्भिवः सन् अपि तद्गुणैः चापलाय प्रचोदितः !

(ग) के तं (रघुवंश) श्रोतुमर्हन्ति?
उत्तर
सदसद्व्यक्तिहेतवः सन्तः तं श्रोतुमर्हन्ति।

(घ) दिलीपस्य कार्याणाम् आरम्भः कीदृशः आसीत्?
उत्तर
दिलीपस्य कार्याणाम् आरम्भ आगमैः सदृशः आसीत्।

    

(ङ) रविः रस किमर्थम् आदते?
उत्तर
रविः रसं सहस्रगुणमुत्स्रष्टुमादत्ते।

प्रश्न 3.
रेखाकितानि पदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत

(क) सः प्रजानामेव भूत्यर्थं बलिम् अग्रहीत्।
उत्तर
कः प्रजानामेव भूत्यर्थं बलिम् अग्रहीत् ?

(ख) प्रजानां विनयाधानात् सः पिता आसीत्।
उत्तर
कासां विनयाधानात सः पिता आसीत ?

(ग) मनीषिणां माननीयः मनुः आसीत्।।
उत्तर
केषां माननीयः मनुः आसीत् ?

(घ) शुद्धिमति अन्वये दिलीपः प्रसूतः।
उत्तर
शुद्धिमति कस्मिन् दिलीपः प्रसूतः ?

(ङ) पितरः जन्महेतवः आसन् ।
उत्तर
के जन्महेतवः आसन् ?

प्रश्न 4.
अधोलिखितानां भावार्थ हिन्दी/आंग्ल/संस्कृत स्वभाषया लिखत

(क) प्रजानामेव भूत्यर्थं स ताभ्यो बलिमग्रहीत्। .
उत्तर
हिन्दी-कुछ राजा अपने स्वार्थ हेतु प्रजा से बहुत अधिक कर लेते हैं जो निन्दनीय है किन्तु राजा दिलीप अपनी प्रजा से थोड़ा-सा ही कर लेता था तथा वह संचित धन को भी प्रजा की भलाई में ही लगा लेता था अपने किसी निजी स्वार्थ में नहीं-यही भाव अभिव्यक्त किया गया है यहाँ।

English-In this line the great poet Kalidasa wants to convey that Dilipa was an ideal king. He used to collect very small amount from his subject as the tax and he used to spend that money for the welfare of his subjects and not for his personal reason.

संस्कृत-राजा दिलीपः स्वप्रजा यः तासां कल्याणार्थमेव बलिं गृह्णाति स्म । तस्य धनस्य प्रयोगः सः प्रजानां कल्याणायैव करोति स्म न तु स्वार्थाय-अयमेवास्ति भावः अस्याः पंक्तेः ।

    

(ख) आगमैः सदृशारम्भः आरम्भसदृशोदयः।
उत्तर
हिन्दी-प्रस्तुत पंक्ति में कवि यही कहना चाहते हैं कि राजा दिलीप ने अत्यधिक शास्त्रों का अध्ययन किया हुआ था जिसके कारण वे कार्यों का आरम्भ भी बहुत सुन्दर रूप से करते थे तथा कार्यों के उत्तम आरम्भ के अनुसार ही कार्यों का परिणाम (सफलता) भी उत्तम मिलता था।

English-The poet wants to tell here that king Dilipa had studied many shastras. So he used to begin his works according to knowledge of the shastras and as the works were begun properly he used to achieve good results also. So he usd to perform all his works in the proper manner as prescribed in the shastras.

संस्कृत-अत्र कविः कथयितुं वाञ्छति यत् राजा दिलीपः सर्वमपि कार्यजातं शास्त्रानुकुलविधिना आरभते स्म । अत एव यदा कार्यारम्भः सुष्ठु भवति तदा कार्याणां परिणामः अपि सम्यगेव लभ्यते स्म-नात्रसन्देहः । एवं कार्यारम्भः शास्त्रोक्तविधिना एव कर्त्तव्यः।

(ग) स पिता पितरस्तासां केवलं जन्महेतवः।
उत्तर
हिन्दी-राजा दिलीप अपनी प्रजा की सब प्रकार की शिक्षा, रक्षा तथा पालन पोष्ण का ध्यान रखता था। इसलिए सच्चे अर्थों में वह उनका पिता कहलाने का अधिकारी। था, उनक अपने पिता केवल जन्म देने के कारण मात्र थे। यहाँ कवि यही भाव प्रस्तुत करना चाहते हैं कि वास्तव में पिता अपनी सन्तान का पालन-पोषण, रक्षण, शिक्षण सब कुछ करता है तभी वह पिता कहलाने का अधिकारी होता है और ये सारे, कार्य राजा दिलीप अपनी प्रजा के लिए कर रहे थे अतः वह ही उनके सच्चे अर्थों में पिता कहलाने के अधिकारी थे, उनके अपने पिता नहीं।

English-King Dilipa used to take proper care of the education, protection, nourishment etc. of his subjects. This is the responsibility of the father. So he was the real father of his subjects and their own fathers were the cause of giving birth to them only.

संस्कृत-राजा दिलीपः स्वप्रजानां पालनं, रक्षणं, शिक्षणं च करोति स्म। पिता सः एव — कथयितुं शक्यते यः स्वप्रजानामेतानि कार्याणि सम्पादयति । अतः स एव तासां पिता आसीत्। अयमेव भावः अस्ति अस्याः पंक्तेः । प्रजानां पितरः तु केवलं जन्महेतवः आसन् ।

    

(घ) अनन्यशासनामुर्वी शशासैकपुरीमिव।
उत्तर-
हिन्दी-राजा दिलीप चारों ओर समुद्र से घिरी हुई सम्पूर्ण पृथ्वी पर अकेले बिना किसी परिश्रम के शासन करते थे तथापि उन्हें कभी ऐसा नहीं लगा कि जैसे वे इतने विशाल राज्य के शासक हों । उन्होंने हमेशा ऐसा अनुभव किया कि जैसे वे छोटी-सी नगरी पर शासन कर रहे हों। इस प्रकार यहाँ कवि यही कहना चाहते हैं कि इतनी विशाल पृथ्वी पर भी राजा दिलीप पल शासन कर रहे थे जैसे वे एक छोटी-सी नगरी पर शासन कर रहे हों क्योंकि उन्हें शासन में किसी प्रकार का कोई कष्ट भी अनुभव नहीं हो रहा था।

English-King Dilipa alone ruled over the whole earth as a small city and he did not face any difficulty even in ruling the whole earth. So, he was such an experienced and efficient ruler that he easily and efficiently ruled over the whole earth without facing any difficulty—this is the idea of this line.

संस्कृत,-अस्याः पंक्तेः अयमेव भावः यत् राजा दिलीपः अतियोग्यः शासकः आसीत्। सम्पूर्णां पृथ्वीं सः एकाकी एव पालयति स्म, तत्रापि सः किमपि कष्टं नानुभवति स्म । सम्पूर्णामेव पृथ्वीं सः लघुपुरीमिव पालयति स्म-इदमेव कथयितुं वाञ्छति कविः अत्र ।

प्रश्न 5.
अधोलिखितेषु विपरीतार्थमेलनं कुरुत
उत्तर-
1. यौवने = वार्धक्ये
2. मौनम् = चपलताम्
3. त्याज्यः = ग्राह्यः
4. शशासं = शासनम् न अकरोत्
5. क्षता = अक्षता।

प्रश्न 6.
अधोलिखितेषु प्रकृति-प्रत्यय-विभागः क्रियताम्-.
उत्तर-
1. आगत्य = आ + गम् धातु, ल्यप् प्रत्यय।
2. उत्स्रष्टुम् = उत् + सृज् धातु, तुमुन् प्रत्यय।
3. समंत = सम् + मन् धातु, क्त प्रत्यय।
4. त्याज्यः = त्यज् धातु, यत् प्रत्यय।
5. शिष्टः = शास् धातु, क्त प्रत्यय।

    

प्रश्न 7.
सन्धिम् सन्धि-विच्छेदं वा कुरुत
उत्तर-
1. तनुवाग्विभवोऽपि =तनुवाग्विभवः + अपि।
2. योगेनान्ते = योगेन + अन्ते।
3. ताभ्यः + बलिम् = ताभ्यो बलिम्।

प्रश्न 8.
अधोलिखितस्य श्लोकद्वयस्य अन्वयं कुरुत
(i) प्रजानां विनयाधानाद्रक्षणाद्भरणादपि।
स पिता पितरस्तासां केवलं जन्महेतवः।।
उत्तर
प्रजानाम् विनयाधानात् रक्षणात् भरणात् अपि सः पिता, तासाम् पितरः केवलम् जन्महेतवः।

(ii) स वेलावप्रवलयां परिखीकृतसागराम् ।
अनन्यशासनममुर्वी शशासकैकपुरीमिव ।।
उत्तर- सः वेलावप्रवलयाम् परिखीकृतसागराम् अनन्यशासनाम् उर्वीम् एकपुरीम् इव शशास।

प्रश्न 9.
अधोलिखितेषु विशेषण-विशेष्ययोः मेलनं कुरुत
उत्तर
विशेषण – विशेष्य
1. माननीयः – मनुः
2. राजेन्दुः – दिलीपः
3. जन्महेतवः – पितरः
4. उरगक्षता – अङ्गली
5. तस्य – आर्तस्य

    

Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः Summary Translation in Hindi and English

1. त्यागाय संभृतार्थानां सत्याय मितभाषिणाम्।
यशसे विजिगीषूणां प्रजायै गृहमेधिनाम् ।
    
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः 2
हिन्दी-अनुवाद-जो दान करने के लिए धन इकट्ठा करते थे, सत्यपालन के लिए कम बोलते थे, यश फैलाने के लिए विजय प्राप्त करते थे तथा सन्तान प्राप्ति के लिए विवाह करते थे।
English-Translation – Those who collected wealth to donote only, who used to speak very little to protect truth, used to win to spread fame and used to marry to get off spring.

2. शैशवेऽभ्यस्तविद्यानाम् यौवने विषयैषिणाम् ।
वार्द्धके मुनिवृत्तीनां योगेनान्ते तनुत्यजाम् ।।
    
हिन्दी-अनुवाद-जो बाल्यावस्था में विद्याभ्यास करते थे, युवावस्था में विषयों का उपभोग करते थे, वृद्धावस्था में मुनियों के समान तपस्या करते थे, अन्त में परमात्मा का ध्यान करते हुए शरीर का त्याग करते थे।
English-Translation-Who used to achieve education in childhood, who used to enjoy worldly- pleasures in their youth, who used to perform penance like the sages in their old age and who used to give up their lives by meditation at last.

    

3. रघूणामन्वयं वक्ष्ये तनुवाग्विभवोऽपि सन्।
तदगुणैः कर्णमागत्य चापलाय प्रचोदितः।।..
    
हिन्दी-अनुवाद-यद्यपि मेरी वाणी में सामर्थ्य कम है फिर भी उपरोक्त गुणों से युक्त रघुवंशियों के कुल का ही मैं वर्णन करूंगा, क्योंकि उनके गुणों ने मेरे कान के समीप आकर मुझे प्रेरित किया है।
English-Translation—Though I have very little power of speech still I will describe the family of the Raghu’s race because their merits have inspired me to do so.

4. ‘वैवस्वतो मनुर्नाम माननीयो मनीषिणाम्।
आसीन्महीक्षितामायः प्रणवश्छन्दसामिव ।।
    
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः 6
हिन्दी -अनुवाद-जिस प्रकार वेदों में सर्वप्रथम ओंकार (महत्वपूर्ण) है उसी प्रकार राजाओं में सर्वप्रथम तथा विद्वानों में अत्यन्त पूज्य विवस्वान् के पुत्र मनु नामक हुए। English-Translation-There was king Manu, son of Vivasvan (God Sun) who was the first king and very respectable among the scholars as Om is very respectable (and pronounced in the beginning) of the Vedas.

5. तदन्वयेशुद्धिमति प्रसूतः शुद्धिमत्तरः।
दिलीप इति राजेन्दुिरिन्दुः क्षीरनिधाविव ।।
    
हिन्दी-अनुवाद-मनु के उस अत्यन्त पवित्र वंश में उस वंश से भी अधिक पवित्र श्रेष्ठ राजा दिलीप उसी प्रकार हुए जैसे समुद्र से अत्यधिक पवित्र चन्द्रमा उत्पन्न हुआ है।
English-Translation-Just as very scared moon comes out of the sacred ocean, similarly the great king Dilipa took birth in the sacred race of Manu.

6. आकारसदृशप्रज्ञः प्रज्ञया सदृशागमः।
आगमैः सदृशारम्भः आरम्भसदृशोदयः।।
    
    
हिन्दी-अनुवाद-राजा दिलीप की बुद्धि उनके शरीर की आकृति जैसी तीक्ष्ण थी, तीक्ष्ण बुद्धि के अनुसार शास्त्रों का अभ्यास बहुत अच्छा करते थे, शास्त्रों के अभ्यास के अनुसार कार्यों का आरम्भ बहुत अच्छा करते थे तथा कार्यारम्भ उत्तम होने से उन्हें सफलता भी उत्तम मिलती थी।
English Translation-King Dilipa had very sharp intellect like his beautiful body. He used to study shastras seriously according to his . sharp intellect. He used to begin his works beautifully according to his sharp intellect and he used to obtain good result according to beginning the works beautifully.

    

7. प्रजानामेव भूत्यर्थं स ताभ्यो बलिमगृहीत्।
सहस्रगुणमुत्स्रष्टुमादत्ते हि.रसं रविः।।
    
हिन्दी-अनुवाद-जिस प्रकार सूर्य अपनी किरणों से जल सोखकर (वर्षा के रूप में) हजार गुणा देता है उसी प्रकार राजा दिलीप भी अपनी प्रजा से कर लेकर (उनके कल्याण के लिए) हजार गुणा करके दे देता था।
English-Translation Just as sun absorbs water from the occean and returns it in thounsand times in the form of rain, similarly king Dilipa also collected tax from his subjects but used to spend that thousand times for their welfare only.

8. ज्ञाने मौनं क्षमा शक्तौ त्यागे श्लाघाविपर्ययः।
गुणा गुणानुबन्धित्वात्तस्य सप्रसवा इव ।।
    
हिन्दी-अनुवाद-जानते हुए भी चुप रहना, शक्ति होते हुए भी क्षमा करना, दान देकर भी आत्मप्रशंसा न करना आदि विरोधी गुण राजा दिलीप में सगे भाई की तरह रहते थे।
English Translation-King Dilipa used to remain silent even if he knew the things, he used to forgive even if he was powerful and he used to donate but never expected self-praise-so such contradictory qualities existed in him peacefully just like real brothers.

9. प्रजानां विनयाधानाद्रक्षणाद्भरणादपि।
स पिता पितरस्तासां केवलं जन्महेतवः।।
    
हिन्दी-अनुवाद-अपनी प्रजा को विनम्रता की शिक्षा देने से, उनकी रक्षा करने से तथा उनका पालन-पोषण करने से राजा दिलीप ही वास्तव में उनके पिता थे, उनके अपने पिता
तो केवल जन्म देने का कारण मात्र थे।
English-Translation–King Dilipa was the real father of his subjects by teaching them good-conduct (or politeness), by protecting them and by nourishing them up and their parents were parents by giving them birth only.

    

10.द्वेष्योऽपि संमतः शिष्टस्तस्यार्तस्य यथौषधम् ।
त्याज्यो दुष्टः प्रियोऽप्यासीदगुलीवोरगक्षता।।
    
हिन्दी-अनुवाद-सज्जन शत्रु होते हुए भी राजा दिलीप को वैसे ही प्रिय था जैसे रोगी की औषधि प्रिय होती है तथा दुष्ट प्रिय होते हुए भी वैसे ही त्याज्य था जैसे साँप से इसी हुई अंगुली।
English-Translation—He loved gentleman very much being enemy even just as the medicine is liked by the patient even if it is not sweet and the wicked being his relative even was to be abandoned for him like the finger bitten by the snake.

11. स वेलावप्रवलयां परिखीकृतसागराम् ।
अनन्यशासनममुर्वी शशासैकपुरीमिव ।।
    
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 प्रजानुरज्जको नृपः 15
हिन्दी-अनुवाद-उस राजा दिलीप ने समुद्र के तटरूपी परकोटे वाली तथा सागर रूपी चारदीवारी वाली, दूसरे राजा के शासन से रहित सम्पूर्ण पृथ्वी का शासन बिना किसी परिश्रम दे ऐसे किया जैसे कोई एक नगरी का शासन करता है।
English Translation-That King Dilipa alone ruled the whole-earth easily like a small city the earth which was having the bank of the ocean as its ramparts and the boundary wall as the ocean.

    

0 comments: