NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 6 सूक्ति-सौरभम्

 

Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 6 सूक्ति-सौरभम्

अभ्यासः

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत

(क) कः कण्टकजालम् पश्यति?
उत्तर
क्रमेलकः।

(ख) शर्बरी केन भाति?
उत्तर
चन्द्रेण।

(ग) कः गुणं वेत्ति?
उत्तर
गुणी।

(घ) अजीर्णे किं भेषजम् अस्ति?
उत्तर
वारि।

    

(ङ) सर्वस्य लोचनं किम् अस्ति?
उत्तर
शास्त्रम्।

(च) कः निरन्तरं प्रलपति?
उत्तर
अल्पज्ञः।

प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत

(क) केषां समाजे अपण्डितानां मौनं विभूषणम् ?
उत्तर
सर्वविदां समाजे अपण्डितानां मौनं विभूषणम् ।

(ख) के सर्वलोकस्य दासाः सन्ति?
उत्तर
आशायाः दासाः सर्वलोकस्य दासाः सन्ति।

(ग) केन कुलं विभाति?
उत्तर
सुपुत्रेण कुलं विभाति।

(घ) सिंहः केन विभाति?
उत्तर
सिंहः बलेन विभाति।

(ङ) भेजनान्ते किं विषम्?
उत्तर
भोजनान्ते वारि विषम्।

    

प्रश्न 3.
रेखाङ्कित पदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत

(क). विधात्रा अज्ञतायाः छादनं विनिर्मितम्
उत्तर
केन अज्ञतायाः छादनं विनिर्मितम् ?

(ख) विद्यावतां विद्या एव रूपम् अस्ति।
उत्तर
केषाम् विद्या एव रूपम् अस्ति?

(ग) लक्ष्मीः शूरं प्राप्नोति।
उत्तर
का शूरं प्राप्नोति?

(घ). बली बलं वेति।
उत्तर
बली किं वेति?

    

(ङ) शास्त्रं परोक्षार्थस्य दर्शकम् अस्ति।
उत्तर
शास्त्रं कस्य दर्शकम् अस्ति?

(च) कांस्यम् अतितरां निनादं करोति।
उत्तर
किम् अतितरां निनादं करोति?

प्रश्न 4.
उचितपदैः सह रिक्तस्थानानि पूरयत
(क) ये आशायाः दासाः ते सर्वलोकस्य दासाः (भवन्ति)। येषाम् आशा दासा (भवति) – तेषां सर्वं दासायते। ल्यप्

(ख). एकेन अपि विद्यायुक्तेन साधुना सुपुत्रेण सर्व कुलम् आह्लादितं यथा चन्द्रेण शर्वरी।

(ग) लक्ष्मीः उत्साहसम्पन्नम् अदीर्घसूत्रं क्रियाविधिज्ञं व्यसनेषु असक्तम् शूरम् कृतज्ञम्
दृढ़सौहृदम् च निवासहेतोः स्वयं याति।

    

प्रश्न 5.
प्रकृतिप्रत्ययविभागं कुरुत
    

प्रश्न 6.
पर्यायवाचिभिः सह मेलनं कुरुत यथा-स्वायत्तम् स्वाधीनम्
उत्तर
(क) विमुच्य – परित्यज्य
(ख) क्रमेलकः – उष्ट्रः
(ग) याति – गच्छति ।
(घ) कुलालस्य – कुम्भकारस्य
(ड) शर्वरी – रात्रिः
(च) वेत्ति – जानाति
(छ) करी – गजः
(ज) अजस्रम् -निरन्तरम्
(झ) प्रलपति – कथयति
(ञ) मुहूर्तमात्रम् – क्षणमात्रम्

प्रश्न 7.
विलोमपदैः सह योजयत
यथा-स्वायत्तम् पराधीनम् .
उत्तर-
(क) अज्ञतायाः – विद्वत्तायाः .
(ख) अपण्डितानाम् – पंण्डितानाम्
(ग) बुधाः – मूर्खाः
(घ) मानम् – अपमानम्
(ड) खलानाम् – सज्जनानाम्
(च) याति  – आयाति ।
(छ) कृतज्ञम् – अकृतज्ञम्
(ज) आशायाः  – निराशायाः
(झ) आसक्तम् – अनासक्तम्
(ञ) कृतम् – अकृतम्
(ट) जीर्णे – अजीर्णे

    

प्रश्न 8.
विशेषणं विशेष्येण सह योजयत
यथा-शूरम् —- पुरुषम् उत्तर
(क) एकन – सुपत्रण
(ख) अज्पज्ञः – पुरुषः
(ग) सर्वम् – कुलम्
(घ) एकम् – लोकम्
(ड) सुमहान् –

प्रश्न 9.
कः केन विभाति ।
उत्तर:
(क) गुणी – गुणेन
(ख) शर्वरी – चन्द्रेण
(ग) विद्वान् – विद्यया
(घ) सिंहः – बलेन
(ड) कुलम् – सुपुत्रेण

    

प्रश्न 10.
अधोलिखितानि पदानि उचितरूपेण संयोज्य वाक्यानि रचयत
    
उत्तर
1. विधात्रा छादनं विनिर्मितम् ।
2. लक्ष्मीः शूरं पश्यति।
3. मौनम् सर्वविदाम् भूषणम् अस्ति।
4. शर्वरी शोभते।

Bhaswati Class 12 Solutions Chapter 6 सूक्ति-सौरभम् Summary Translation in Hindi and English

1.स्वायत्तमेकान्तगुणं विधात्रा
विनिर्मितं छादनमज्ञतायाः।
विशेषतः सर्वविदां समाजे
विभूषणं मौनमपण्डितानाम् ।।
    
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 6 सूक्ति-सौरभम् 2
हिन्दी सरलार्थ-विधाता ने मूों के अपने हाथ में रहने वाले तथा अत्यन्त हितकारी मौन को मूर्खता को छिपाने का ढक्कन बनाया है जो विद्वानों की सभा में विशेष रूप – से आभूषण हो जाता है।

Meaning in English-The Creator has created silence as a perpetually beneficial cover of ignorance in ones own power (under ones own control). Silence is the ornament for the fools especially in the assembly of the learned men.

    

2. रूपं प्रसिद्धं न बुधास्तदाहु
विद्यावतां वस्तुत एव.रूपम्।
अपेक्षया रूपवतां हि विद्या
मानं लभन्तेऽतितरां जगत्याम् ।।
    
हिन्दी सरलार्थ-(सामान्य रूप में) प्रचलित रूप ही वास्तविक रूप नहीं है-ऐसा विद्वान् लोग कहते हैं तथा विद्वानों का रूप ही वास्तविक रूप है। सुन्दर लोगों की अपेक्षा विद्यावान व्यक्ति ही संसार में अत्यधिक मान प्राप्त करते हैं।

Meaning in English-The scholars say that the external beauty which is generally understood is not the real beauty and the beauty of knowledge is the real beauty of the learned people. The learned people achieve much more respect as compared to those who have outward beauty only.

3. न दुर्जनः सजजनतामुपैति शठः सहस्रैरपि शिक्ष्यमाणः ।
चिरं निमग्नोऽपि सुधा-समुद्रे न मन्दरो मार्दवमभ्युपैति।। …
    
हिन्दी सरलार्थ-हजार लोगों के द्वारा शिक्षित किया जाता हुआ भी धोखेबाज दुष्ट सज्जनता को प्राप्त नहीं करता जिस प्रकार बहुत समय तक अमृत के समुद्र में डुबोया हुआ मंदराचल भी कभी कोमलता को प्राप्त नहीं करता। (अर्थात् वस्तु अथवा व्यक्ति अपने सहज स्वभाव को कभी नहीं छोड़ता।)

Meaning in English-A wicked rascal does not become gentleman even if he is taught variously by thousards of good people as the Mandarachal mountain does not become soft even it is plunged in the ocean of nectar for a long time.

    

4. कर्णामृतं सूक्तिरसं विमुच्य दोषेषु यत्नः समुहान् खलानाम्।
निरीक्षते केलिवनं प्रविश्य क्रमेलकः कण्टकजालमेव ।।
    
    
हिन्दी सरलार्थ-दुष्ट लोग कानों के अमृत स्वरूप सुन्दर वचनों के महत्वपूर्ण भावों को छोड़कर दोषपूर्ण वचनों के प्रति अत्यन्त प्रयत्नशील रहते है जिस प्रकार ऊँट प्रमोदवन में प्रवेश करके भी केवल झाड़ियों को ही ढूंढता है अर्थात् ऊँट राजस्थान में झाड़ियों को ही प्राप्त करता है अतः उसे वही प्रिय होती हैं तथा सुन्दर पल्लवित-पुष्पित उपवनों में जाकर भी वह झाड़ियों की ही खोज में लगा रह कर समय और जीवन नष्ट करता है। सत्य है अपने स्वभाव को कभी नहीं छोड़ता, स्वभाव सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है।

Meaning in English-The wicked people give up the meaningful beautiful words which produce beautiful sense like nectar for the ears.. and make great effort to hear imperfect senseless) sayings just as a camel enters into a park which is full of green flowers but he leaves such a park and goes to the bushes only. So a living being never gives up his nature even if it brings harm to him.

5. उत्साहंसम्पन्नमदीर्घसूत्रं क्रियाविधिज्ञं व्यसनेष्वसक्तम् ।
शूरं कृतज्ञं दृढसौहृदञ्च लक्ष्मीः स्वयं याति निवासहेतोः।।
    
हिन्दी सरलार्थ-उत्साहपूर्ण समय पर कार्य करने वाला, कार्य की उचित विधि को जानने वाला, बुराइयों में न लगा हुआ, शूरवीर, कृतज्ञ तथा मित्रता को दृढ़तापूर्वक निभाने वाला-ऐसे गुणवान् मनुष्य के पास लक्ष्मी रहने के लिए स्वयं चली जाती है।

    

Meaning in English–The goddess of wealth goes herself to live with a person who is enthusiastic, who performs his works at proper time, who knows proper way of performing the works, who is not engaged in evils, who is brave, grateful and always careful of his friends.

6.दीर्घप्रयासेन कृतं हि वस्तु निमेषमात्रेण भजेद् विनाशम् ।
कर्तुं कुलालस्य तु वर्षमेकं भेत्तुं हि दण्डस्य मुहूर्तमात्रम् ।।
        
हिन्दी सरलार्थ-किसी वस्तु के निर्माण में बहुत प्रयत्न लगाया जाता है किन्तु … क्षणभर में ही वह विनाश को प्राप्त कर लेती है जिस प्रकार कुम्हार किसी वस्तु का (घड़े आदि का) निर्माण करने के लिए एक वर्ष तक का समय और प्रयत्न लगाता है किन्तु उसको नष्ट करने के लिए डण्डे के प्रहार का एक क्षणमात्र काफी है। .

Meaning in English-Great effort is required for making a thing while it can be destroyed in a short moment only just as a pitcher-maker takes a long-time of full one year and much effort also is required to make a pitcher etc. but only a blow of a stick of a very small time is required to destroy that.

7. आरंभेत हि कर्माणि श्रान्तः श्रान्तः पुनः पुनः।
कर्माण्यारभमाणं हि पुरुषं श्रीनिषेवते।। शब्दार्थ
    
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 6 सूक्ति-सौरभम् 10
हिन्दी सरलार्थ-थका हुआ होने पर भी मनुष्य को बार बार कार्य आरम्भ करना चाहिए (कार्य का अभ्यास करना चाहिए), क्योंकि कार्य आरम्भ करने वाले पुरुष को ही धन
और सफलता प्राप्त होती है।

Meaning in English-Aman should again and again begin his works even if he is tired because a man who performs his works-alone can achieve wealth and success.

    

8. एकेनापि सुपुत्रेण विद्यायुक्तेन साधुना।।
आह्लादितं कुलं सर्वं यथा चन्द्रेण शर्वरी।।
    
हिन्दी सरलार्थ-जैसे एक चन्द्रमा से रात्रि प्रकाशयुक्त (और आनन्दित) हो जाती है ऐसे ही एक सज्जन विद्यायुक्त अच्छे पुत्र से सारा परिवार आहादित हो जाता है।

Meaning in English-Just as the whole night is delighted with one moon similarly the whole family is delighted with one gentle and well-educated worthy son only.

9. गुणी गुणं वेत्ति न वेत्ति निर्गणः
बली बलं वेत्ति न वेत्ति निर्बलः।
पिको वसन्तस्य गुणं न वायसः
करी च सिंहस्य बलं न मूषकः।।
NCERT Solutions for Class 12 Sanskrit Bhaswati Chapter 6 सूक्ति-सौरभम् 12
    
हिन्दी सरलार्थ–गुणवान् व्यक्ति ही गुण को जानता है निर्गुण नहीं, बलशाली बल को समझता है निर्बल नहीं, कोयल वसन्ते के महत्व को समझती है कौआ नहीं, इसी प्रकार शेर का बल हाथी होता है चूहा नहीं। (अर्थात् निर्गुण को गुणों का ज्ञान ही नहीं होता, उसके लिए . गुणों का कोई महत्व नहीं होता, शक्तिशाली के लिए बल अत्यन्त महत्वपूर्ण है निर्बल को बल-प्रदर्शन से कोई प्रयोजन नहीं, इसी प्रकार कोयल वसन्त ऋतु में ही मधुर आवाज सुनाती है, अतः इसके लिए वसन्त महत्वपूर्ण है कौवे के लिए नहीं और शेर हाथी पर ही अपना बल दिखाता है चूहे पर नहीं, हाथी उसके लिए महत्वपूर्ण है चूहा नहीं।)

Meaning in English-A virtuous man only knows the value of virtues not a vitueless person; a powerful man only knows the value of power and not the weak one, a cuckoo sings only in spring season, so time of spring is valuable for the cuckoo and not for the crow. Similarly a lion shows his strength in fighting with an elephant only and not with the mouse. (so one shows his strength to the person of equal strength only.)

    

10. अजीर्णे भेषजं वारि जीर्णे वारि बलप्रदम्।।
भोजने चामृतं वारि भेजनान्ते विषापहम् ।।
    

हिन्दी सरलार्थ-अपच हो जाने पर जल दवा है, भोजन पच जाने पर ग्रहण किया हुआ जल शक्ति प्रदान करने वाला है, भोजन करते समय ग्रहण किया हुआ जल साक्षात् अमृत है किन्त भोजन के अन्त में लिया जल हुआ विष के समान त्याज्य होता है।

Meaning in English-The water, taken at the time of indigestion, is useful like medicine. It produces strength, if it is taken when the food is digested. If water is taken at the time of eating the food it is valuable like the nectar but it is harmful like the poison if it is take at the end of meals, so it should be avoided at the end of the meals.

11. अनेकसंशयोच्छेदि परोक्षार्थस्य दर्शकम् ।
सर्वस्य लोचनं शास्त्रं यस्य नास्त्यन्ध एव सः।।
    
हिन्दी सरलार्थ-शास्त्र अनेक सन्देहों का नाश करने वाला तथा गुप्त अर्थ को प्रकट करने वाला होता है। शास्त्र सबका नेत्र है, जिनके पास शास्त्र (शास्त्रीय ज्ञान) नहीं वह तो अंधा ही है (अर्थात् शास्त्र ज्ञान से हीन व्यक्ति अन्धा तथा पूरी तरह मूर्ख, ज्ञानहीन ही होता है।)

Meaning in English-The knowledge of shastras removes the doubts and provides secret meanings also. It is (called) the eye (eye-sight) for every one and he is blind only who does not have (knowledge of the) shastras. (The poet here wants to say that without the knowledge of shástras one is just like a blind or a fool.)

12. अल्पज्ञ एव पुरुषः प्रलपत्यजस्रं
पाण्डित्यसम्भृतमतिस्तु भितप्रभाषी।
कास्यं यथा हि कुरुतेऽतितरां निनादं
तद्वत् सुवर्णमिह नैव करोति नादम् ।।
    
हिन्दी सरलार्थ-अल्पज्ञ पुरुष निरन्तर ही बकबक करता रहता है जबकि … ज्ञानयुकत तथा निश्चित बुद्धि वाला मनुष्य कम बोलने वालो होता है। इसी प्रकार कांसा गिरने पर बहुत अधिक शोर करता है जबकि सोना बिलकुल शोर नहीं करता अर्थात् कवि कहना चाहता है विद्वान् व्यक्ति सोने के समान बिलकुल शोर नहीं करते, वे अपने गुणों का बखान या व्यर्थ की बकबक नहीं करते तथा बहुत कम बोलते हैं।

Meaning in English-A man with little knowledge chatters too much while a scholar and a firm-minded man speaks very little, Similarly (the pot made of) bronze make great sound (when it falls on the earth) while the gold does not make the sound at all (when fallen.) So, the wiseman speaks very little while the man with little knowledge chatters very much and he does not make sound like gold.

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