Bhaswati Class 11 Solutions Chapter 8 सड़्गीतानुरागी सुब्बण्णः
अभ्यासः
प्रश्न 1.
संस्कृतेन उत्तरं दीयताम्-
(क) सुब्बणस्य सहजाभिलाषः कस्मिन् आसीत्?
उत्तर:
सुब्बणस्य सहजाभिलाष सङ्गीते आसीत्।
(ख) पुराणिकशास्त्री केन सह राजभवनम् अगच्छत्?
उत्तर:
पुराणिकशास्त्री पुत्रेण सह राजभवनम् अगच्छत्।
(ग) पुराणिकशास्त्री स्वपुत्रेण किं गापयामास?
उत्तर:
पुराणिकशास्त्री स्वपुत्रेण ‘शुक्लाम्बरधरम् ………’ इत्यादिश्लोक गापयामास।
(घ) पुराणप्रवचनं पृण्वन् सुब्बण्णः महाराजं कथं पश्यति स्म?
उत्तर:
पुराणप्रवचनं श्रृण्वन् सुब्बण्णः महाराजं। सविस्मयं पश्यति स्म।
(ङ) महाराजस्य विस्मयकारणं किम् आसीत्?
उत्तर:
महाराजस्य विस्मयकारणं तस्य सुन्दरं मुखम्, मुखे ब्रहत्तिलकालङ्कारः तत्रापि विशालस्य गण्डस्थलस्य शोभावहं श्मश्रुकूर्चम् इत्यादि आसीत्।
(च) राजा बाल कति वारम् अपश्यत्?
उत्तर:
राजा बाल द्वित्रिवारम् अपश्यत्।
(छ) राजा बालं किम् अपृच्छत्?
उत्तर:
राजा बालमपृच्छत् – किं भवानपि पितृवत् पुराणप्रवचनं करिष्यति।
(ज) स बालः राजानं किं व्याहरत्?
उत्तर:
स बालः राजानं व्याहरत् – ‘अहं पुराणप्रवचनं न करोमि। सङ्गीतं गायामि।
(झ) परितुष्टः राजा बालाय किम् अयच्छत्?
उत्तर:
परितुष्टः राजा बालाय सताम्बूलमुत्तरीयवस्त्रम् अयच्छत्।
(ज) राज्ञः कथनान्तरं शास्त्री तत्पुत्रः च कुत्र अगच्छताम्?
उत्तर:
राज्ञः कथनान्तरं शास्त्री तत्पुत्रः च स्वगृहम् अगच्छताम्।
प्रश्न 2.
रेखाकितानि पदानि आश्रित्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-
(क) सुब्बण्णस्य सङ्गीतेऽमिलाषः राजभवने संवृत्तया सङ्गत्या दृढीबभूव।
उत्तर:
सुब्बण्णस्य सङ्गीतेऽभिलाषः राजभवने संवृत्तया कया दृढीबभूव?
(ख) तच्छुत्वा तत्रत्याः सर्वे पर्यनन्दन्।
उत्तर:
तच्छुत्वा के सर्वे पर्यनन्दन?
(ग) सभागतो राजा पुराणम् आकर्णयति स्म।
उत्तर:
समागतो कः पुराणम् आकर्णयति स्म?
(घ) सुब्बणस्य पितुः पार्श्वे महाराजं सविस्मयं पश्यति स्म।
उत्तर:
सुब्बणस्य पितुः पार्वे महाराज कथ पश्यति स्म?
(ङ) महाराजस्य मुखे तिलकालङ्कारः आसीत्।
उत्तर:
कस्य मुखे तिलकालङ्कारः आसीत्?
(च) राजा बालाय सताम्बूलम् उत्तरीयवस्त्रम् अयच्छत्।
उत्तर:
राजा कस्मै सताम्बूलम् उत्तरीयवस्त्रम् अयच्छत्?
प्रश्न 3.
विशेष्यैः सह विशेषणानि संयोज्य मेलयत-
उत्तर:
प्रश्न 4.
आशयं स्पष्टीकुरुत-
(क) अहं पुराणप्रवचनं न करोमि। सङ्गीतं गायामि।
उत्तर:
राजा सोच रहा था कि सुब्बण्ण अपने पिता की तरह पुराणकथा ही करता होगा, अतः उसने स्पष्ट रूप से पूछ ही लिया कि क्या तुम अपने पिता की तरह पुराण कथा ही करते हो। उसके प्रश्न का उत्तर देता हुआ निर्भीक बालक सुब्बण्ण कहता है-
मैं पुराणकथा नहीं करता अपितु मैं तो संगीत गाता हूँ।
इस प्रकार सुब्बण संगीत सुनाता है अन्य कुछ नहीं।
(ख) त्वं मेधावी असि सुष्ठु सङ्गीतं शिक्षित्वा सम्यक् गातुं भवान् अभ्यस्तु।
उत्तर:
संगीत में उसकी रुचि जानकर राजा सुब्बण्ण की संगीत क्षेत्र में योग्यतो को समझ लेते हैं। अतः उसे समझाते हुए कहते हैं-
तुम अत्यन्त निपुण हो। संगीत को तुम भली-भाँति समझ लो, फिर गाने का भी अच्छी तरह अभ्यास करो।
इस प्रकार इस पंक्ति में सुब्बण को गाने का भली भाँति अभ्यास करने के लिए ही प्रेरित किया गया है।
प्रश्न 5.
कोष्ठकशब्दैः सह विभक्तिं प्रयुज्य रिक्तस्थानानि पूरयत-
उत्तर:
- एकस्मिन् दिने पुराणिकशास्त्री राजवभवनम् अगच्छत्। (एक)
- पितुः पार्श्वे उपविष्टः सुब्बण्णः महाराज सविस्मयं पश्यति स्म। (पित)
- राजा बालं सम्बोध्य पर्यपृच्छत्। (बाल)
- त्वं मेधावी असि। (मेधाविन्)
- पारितोषिकं भवते वयं दास्यामः। (भवत्)
प्रश्न 6.
अर्थ लिखित्वा संस्कृतवाक्येषु प्रयोग कुरुत-
उत्तर:
- साकम् (साथ में) – पुत्रः पित्रा साकं राजभवनम् आगच्छत्।
- पार्वे (पास में) – सुब्बण्णः पितुः पार्श्वे उपविष्टः आसीत्।
- पत्र (पत्ता) – राजा बालाय ताम्बूलपत्रम् अयच्छत्।
- सुष्ठु (उचित) – त्वं सुष्टु कथयसि।
- सम्यक (भली भाँति) – अस्य शिक्षण सम्यक क्रियताम्।
- पुनः (दुबारा) – अस्मिन् विषये पुनः विचार करोतु भवान्।
प्रश्न 7.
पाठात् विलोमपदानि चित्वा लिखत-
उत्तर:
- आगत्य = एत्य।
- अत्रतयाः = तत्रत्याः।
- परागतः = समागतः।
- दूरे = पार्वे।
- उदतरत् = पर्यपृच्छत्।
- प्रारब्धे = अवसिते।
- कदा = तदा।
- मूर्खः = मेधावी।
- असन्तोषः = सन्तोषः।
- अल्पम् = अधिकम्।
योग्यताविस्तारः
1. कस्तूरी तिलक ……………. गोपालचूडामणिः ।।
इस पाठ में उल्लिखित इस श्लोक को सस्वर गाने का सब छात्र अभ्यास करें।
2 इस पाठ से राजा की संगीत के प्रति सम्मान की भावना स्पष्ट प्रकट होती है। बालक सुब्बण्ण के संगीत अभ्यास से राजा अत्यन्त सन्तुष्ट होता है तथा उसे और अधिक अच्छी प्रकार से संगीत की शिक्षा को ग्रहण करने के लिए समझाता भी है। वह उसके पिता पुराणिकशास्त्री को भी उसे संगीत शास्त्र में निपुण बनाने के लिए कहता है।
इस प्रकार राजा के द्वारा किए गए बालक के सत्कार से राजा का संगीत के प्रति सम्मान स्पष्ट झलकता है। वह उस संगीतज्ञान को और अधिक उत्कृष्ट करने की सलाह भी देता है।
Bhaswati Class 11 Solutions Chapter 8 सड़्गीतानुरागी सुब्बण्णः Summary Translation in Hindi and English
संकेत – सुब्बणस्य सङ्गीते ………… इत्यगदत्।।
शब्दार्थ (Word-meanings)-
हिन्दी-अनुवाद:
सङ्गीत में सुब्बण की जो स्वाभाविक इच्छा थी वह एक बार राजभवन में होने वाली सङ्गति से अत्यधिक दृढ़ हो गई। एक दिन अपने पुत्र के साथ पुराणिक शास्त्री ने राजभवन में आकर अंत पुर की स्त्रियों के सम्मुख पुराण की कथा के आरंभ में अपने पुत्र से ‘शुक्लाम्बरधरम् …… इत्यादि श्लोक को गवाया। उस श्लोक को सुनकर वहाँ उपस्थित सब लोग बहुत प्रसन्न हुए। तब कुछ समय पश्चात् राजा वहाँ आया और पुराण की कथा को सुनने लगा। पिता के पास में बैठा हुआ सुष्यण पुराणकथा को कौतुहलपूर्वक सुनता हुआ बीच में आश्चर्य के साथ महाराज की ओर देखने लगा। महाराज का सुंदर मुख, मुख पर विशाल तिलक, विशाल कपोलों को शोभा प्रदान करने वाली दाढ़ी और मूछे – ये सब उसके विस्मय का कारण थीं।
राजा ने भी बालक को दो तीन बार देखकर – यह बालक चतुर है- ऐसा समझ लिया। इस प्रकार पुराण कथा समाप्त हो जाने पर शास्त्री को लक्ष्य करके – ‘यह बालक आपका पुत्र है?” राजा ने उससे यह पूछा। शास्त्री ने उत्तर दिया- जी महाराज! पुनः मुस्कराते हुए राजा ने बालक को सम्बोधिक करके पूछा कया आप भी अपने पिता की तरह पुराण-कथा करेंगे? तब उस बालक ने कहा – नहीं, मैं पुराण-कथा नहीं करता, मैं तो संगीत गाता हूँ। तब राजा बोला – अहा, यह अच्छा है। तो एक गाना सुनते हैं। शीघ्र ही सुब्बण ने – श्री राघव दशरथात्मजम् …………… आदि श्लोक संगीत के साथ सुनाया और उसके अन्त में एक और श्लोक ‘कस्तूरीतिलकम् …. ………….. ‘आदि भी मुझे याद है’ उसने ऐसा कहा।
English Translation:
Subban’s natural desire towards music increased by his association with the king’s palace. Once a Puranik Shastri came with his son to the king’s palace and he started telling the story of Puranas to the queens. But before starting the story he asked his son to sing the shloka- ‘Suklambaradharam …………’ etc. People were very happy to hear that shloka. After some time, the king also came there and sat to hear the story of the Puranas. Subbam was sitting near his father and he was listening to that story anxiously. Meanwhile, he looked towards the king with great surprise. Beautiful face of the king, a big Tilak on his forehead, mustaches, and beard which were adding beauty to his big cheeks – all these things were making him surprised.
The king also looked twice, thrice towards the boy, and understood that this is a clever boy. When the story came to an end, the king asked Shastri – ‘Is this boy your son?’ Shastri replied – ‘Yes, My Lord.’ Again, with a smile, the king asked that boy – will you also tell the story of Purana like your father? That boy replied then-No, sir. I don’t tell the Purana-Katha, I sing-song of music. Then the king said – Aha it’s good. Then we would like to hear a song. Immediately Subbam sang the verse with musical notes- ‘Shri Raghavam Dhasrathatmajam ………….’ etc. At the end of the verse he said I remember another shloka also i.e. “Kasturitilakam …………..’ etc.
संकेत – महाराजस्य ………………. संन्यवर्तेताम्।
शब्दार्थ (Word-meanings)-
कया आप भी अपने पिता की तरह पुराण-कथा करेंगे? तब उस बालक ने कहा – नहीं, मैं पुराण-कथा नहीं करता, मैं तो संगीत गाता हूँ। तब राजा बोला – अहा, यह अच्छा है। तो एक गाना सुनते हैं। शीघ्र ही सुब्बण ने – ‘श्री राघव दशरथात्मजम् …………. आदि श्लोक संगीत के साथ सुनाया और उसके अन्त में एक और श्लोक कस्तूरीतिलकम् …. …………. ‘आदि भी मुझे याद है उसने ऐसा कहा।
English-Translation:
Subban’s natural desire towards music increased by his association with the king’s palace. Once a Puranik Shastri came with his son to the king’s palace and he started telling the story of Puranas to the queens. But before starting the story he asked his son to sing the shloka – “Suklambaradharam …………” etc. People were very happy to hear that shloka. After some time, the king also came there and sat to hear the story of the Puranas. Subbam was sitting near his father and he was listening to that story anxiously. Meanwhile, he looked towards the king with great surprise. Beautiful face of the king, a big Tilak on his forehead, mustaches, and beard which were adding beauty to his big cheeks – all these things were making him surprised.
The king also looked twice, thrice towards the boy, and understood that this is a clever boy. When the story came to an end, the king asked Shastri – ‘Is this boy your son?’ Shastri replied – ‘Yes, My Lord. Again, with a smile, the king asked that boy – will you also tell the story of Purana like your father? That boy replied then-No, sir. I don’t tell the Purana-Katha, I sing-song of music. Then the king said – Aha it’s good. Then we would like to hear a song. Immediately Subbam sang the verse with musical notes- ‘Shri Raghavam Dhasrathatmajam ………….’ etc. At the end of the verse he said I remember another shloka also i.e. ‘Kasturitilakam …………..’ etc.
संकेत – महाराजस्य …………………. संन्यवर्तेताम्।
शब्दार्थ (Word-meanings)-
हिन्दी-अनुवाद:
महाराज को बहुत सन्तोष हुआ। इस प्रकार सन्तुष्ट राजा ने पारितोषिक के रूप में बालक को पान सहित उत्तरीय वस्त्र (कुर्ता या कमीज आदि) देकर कहा – हे पुत्र, तुम अत्यन्त कुशल हो, अच्छी प्रकार संगीत को सीख कर गाने का अभ्यास करो, हम तुम्हें इससे भी अधिक पारितोषिक देंगे। ऐसा कहकर पुनः शास्त्री को लक्ष्य करके कहा – अरे! शास्त्री का पुत्र अत्यन्त निपुण है। इसकी शिक्षा भली भाँति करो। यह अत्यन्त निपुण बनेगा। तत्पश्चात् शास्त्री और उसका पुत्र घर के लिए लौट गए।
English-Translation:
The king was very happy. Thus satisfied by his song. the king gave him a shirt and betel-leaf and said-Oh son! You are very clever. You learn the art of music properly and then practice singing. We will give you many more prizes. Ther’ he said to Shastri – ‘Oh! This son of Shastri is really very clever. His education should be properly organized. He will be an excellent singer.’ Then both Shastri and his son returned to their home.