Bhaswati Sanskrit Class 11 Solutions Chapter 4 ऋतुचर्या
अभ्यासः
प्रश्न 1.
संस्कृतेन उत्तराणि देयानि –
(क) अयं पाठः कस्माद् ग्रन्थात् सङ्कलितः कश्च तस्य प्रणेता?
उत्तर-
अयं पाठः ‘चरकसंहिता’ इति ग्रन्थात् सङ्कलितः महर्षिः चरकः च अस्य प्रणेता।
(ख) कति ऋतवः भवन्ति? कानि च तेषां नामानि?
उत्तर-
ऋतवः षड् भवन्ति – हेमन्तः, शिशिरः, वसन्तः, ग्रीष्मः, वर्षा, शरद् च।।
(ग) शिशिरे किं किं वर्जनीयम्?
उत्तर-
शिशिरे कटुतिक्तकषायानि वातलानि लघुनि शीतलानि च अन्नपानानि वर्जयेत। .
(घ) वसन्ते कायाग्निं कः बाधते?
उत्तर-
वसन्ते दिनकृद्भाभिरीरितः निचितः श्लेष्मा कायाग्निं बाधते।
(ङ) ग्रीष्मे कीदृशम् अन्नपानं हितं भवति?
उत्तर-
ग्रीष्मे स्वादु शीत द्रवं स्निग्धमन्नपान हितं भवति।
(च) कस्मिन् ऋतौ पवनादयः कुप्यन्ति?
उत्तर-
वर्षौ पवनादयः कुप्यन्ति।
(छ) शरदृतौ पित्तप्रशमनाय किं किं सेव्यम् अस्ति?
उत्तर-
शरदृतौ पित्तप्रशमनाय मधुरं लघु शीतं सतिक्तकम् अन्नपानं मात्रया सुप्रकाङ्क्षितैः च सेव्यम्।
(ज) हिमागमे कीदृशानि अन्नपानानि वर्जयेत्?
उत्तर-
हिमागमे वातलानि लघूनि, उदमन्थं चान्नपानं वर्जयेत्।
(झ) शिशिरे कीदृशं गृहमाश्रयेत्?
उत्तर-
शिशिरे निवातम् उष्णं च गृहमाश्रयेत्।
(ञ) वसन्ते कानि कर्माणि कारयेत्?
उत्तर-
वसन्ते वमनादीनि कर्माणि कारयेत्।
(ठ) इन्दुरश्मयः कदा प्रशस्यन्ते?
उत्तर-
इन्दुरश्मयः शरत्काले प्रशस्यन्ते।
प्रश्न 2.
रिक्तस्थानपूर्तिः क्रियताम् –
उत्तर-
(क) हिमागमे वातलानि लघूनि च अन्नपानानि वर्जयेत्।
(ख) शिशिरे निवातम् उष्णं च गृहम् आश्रयेत्।
(ग) वसन्ते दिवास्वप्नं वर्जयेत्।
(घ) ग्रीष्मे घृतं पयः सशाल्यन्नं भजन् नरः न सीदति।
(ङ) शरत्काले विमलानि वासांसि प्रशस्यन्ते।
प्रश्न 3.
मातृभाषया व्याख्यायन्ताम् –
(क) हेमन्तशिशिरौ तुल्यौ शिशिरेऽल्पं विशेषणम्।
उत्तर-
प्रसंग – प्रस्तुत श्लोकांश हमारी पाठ्य-पुस्तक भास्वती प्रथमो-भागः के याय ऋतुचर्या’ में से उद्धृत किया गया है। यह अध्याय महर्षि चरक द्वारा प्रणीत ग्रन्थ ‘चरक संहिता’ में से संकलित है। इस अध्याय में छ’ ऋतुओं में मनुष्य को अपनी भोजनचर्या किस प्रकार रखनी चाहिए – इसका विवेचन किया गया है। शिशिर ऋतु का वर्णन करते हुए महर्षि चरक कहते हैं –
हेमन्त तथा शिशिर दोनों ऋतुएँ लगभग समान ही हैं, शिशिर में हेमन्त से थोड़ी-सी ही भिन्नता है, वह यह कि – खाने पीने से तथा शीतल वायु से इस समय रूखापन अधिक हो जाता है। अतः ऐसे घर के अन्दर रहना चाहिए जिससे तेज वायु कष्टदायक न हो और भोजन तथा पेय पदार्थ भी चिकनाईयुक्त अधिक लेने चाहिएँ जिससे रूखापन न होने पाए।
(ख) मयूरवैर्जगतः स्नेहं पेपीयते रविः।
उत्तर-
प्रसंग – प्रस्तुत श्लोकांश हमारी पाठ्य-पुस्तक भास्वती – प्रथमो भागः के अध्याय ‘ऋतुचर्या’ में से उद्धृत किया गया है। यह अध्याय महर्षि चरक द्वारा प्रणीत ग्रन्थ ‘चरक संहिता’ में से संकलित है। चरक संहिता आयुर्वेद शास्त्र का प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इस अE याय में महर्षि चरक ने विभिन्न ऋतुओं में अपनी भोजनचर्या किस प्रकार रखनी चाहिए – इस विषय का बहुत सुन्दर विवेचन किया है। ग्रीष्म ऋतु में सूर्य किस प्रकार अपनी किरणों से संसार का स्नेह पीता रहता है – इसका विवेचन किया गया है यहाँ।
सूर्य अपनी तीव्र किरणों से ग्रीष्म ऋतु में जगत के स्नेह को पीता रहता है। सूर्य की गर्म किरणें संसार के रस को पीती रहती हैं अतः इस समय पेय पदार्थों का अधिक सेवन करना चाहिए जिससे शरीर में रस की कमी न होने पाए।
(ग) शरत्काले प्रशस्यन्ते प्रदोषे चेन्दुरश्मयः।
प्रसंग – प्रस्तुत श्लोकांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘भास्वती प्रथमो-भागः’ के अध्याय ‘ऋतुचर्या’ में से अवतरित है। यह अध्याय महर्षि चरक.द्वारा रचित ग्रन्थ ‘चरकसंहिता’ में से संकलित है। प्रस्तुत अध्याय में महर्षि चरक ने विभिन्न ऋतुओं में अपनी भोजनचर्या को किस प्रकार रखना चाहिए – इस विषय का सुन्दर विवेचन किया है। शरत्काल में क्या-क्या सेवनीय है – इस विषय का वर्णन करते हुए महर्षि कहते हैं –
शरत्काल में रात्रि चन्द्रमा की किरणों का सेवन करना अत्यन्त हितकर होता है। अतः शरदृतु में रात्रि में कुछ समय के लिए चन्द्रमा की किरणों का सेवन अवश्य करना चाहिए।
प्रश्न 4.
ऋतुचर्यापाठम् अधिकृत्य प्रत्येकम् ऋतौ किं किं करणीयम् किं किं च न करणीयम् इति मातृभाषया सुस्पष्टयत –
उत्तर-
प्रश्न 5.
अधोलिखितानि विग्रहपदानि आधृत्य समस्तपदानि रचयत –
यथ –
नवम् ओदनम् = नवौदनम् कर्मधारय समास
उत्तर-
प्रश्न 6.
अधोलिखितपदानामर्थमेलनं क्रियताम –
उत्तर-
पदानि – अर्थाः
(क) श्लेष्मा = कफ
(ख) रौक्ष्यम् = रूखापन
(ग) निवातम् = हवारहित
(घ) निचितः = बढ़ा हुआ (जमा हुआ)
(ङ) पवनः = वात
(च) गुरु: = भारी
(छ) लघु = हल्का
(ज) वासांसि = वस्त्र
प्रश्न 7.
अधोलिखितपदानाम् विपरीतार्थकपदैः सह मेलनं क्रियताम् –
उत्तर-
पदानि विपरीतार्थकपदानि
(क) उष्णम् = शीतम्
(ख) सीदति = प्रसीदति
(ग) तप्तानाम् = शीतानाम्
(घ) गुरु = लघु
(ङ) अल्पम् = अधिकम्
प्रश्न 8.
प्रकृति प्रत्ययं च योजयित्वा पदनिर्माणं कुरुत –
उत्तर-
(क) हेमन्त + ठक् = हैमन्तिकः।
(ख) स्निम् + क्त = स्निग्धम्।
(ग) भुज् + तव्यत् = भोक्तव्यम्।
(घ) सेव् + यत् = सव्यम्. सेव्यम्.।
(ङ) शरद् + अण् = शारदम्।
योग्यताविस्तारः
(क) चरकसंहिता
संकेत – चरकसंहिता आयुर्वेदशास्त्रस्य ………………………………. सिद्धिस्थानं चेति।
उत्तर-
हिन्दी-अनुवाद – चरकसंहिता आयुर्वेदशास्त्र का प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में आठ स्थान (अध्याय) हैं – सूत्रस्थान, निदानस्थान, विमानस्थान, शरीरस्थान, इन्द्रियस्थान, चिकित्सास्थान, कल्पस्थान तथा सिद्धिस्थान।
Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 4 ऋतुचर्या Summary Translation in Hindi and English
1. गोरसानिक्षुविकृतीर्वसा तैलं नवौदनम्।
हेमन्तेऽभ्यस्यतस्तोयमुष्णं चायुर्न हीयते।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – हेमन्त ऋतु में दूध के बने पदार्थ (दही, मलाई रबड़ी आदि) गन्ने के रस से निर्मित पदार्थ (गुड़, राब, चीनी, मिश्री आदि), चरबी, तेल तथा नए चावल का बना भात खाना चाहिए। (इसके अतिरिक्त) हेमन्त ऋतु में गर्म जल से स्नान तथा गर्म जल के पान. का अभ्यास करने वाले मनुष्य की आयु क्षीण नहीं होती।
Meaning in English – One should eat milk-products, things made by sugarcane juice, fats, oils and boiled new rice in cold season. Moreover, the age of that person is not declined who takes bath with hot water and who drinks also hot water in cold season.
2. वर्जयेदन्नपानानि वातलानि लघूनि च।
प्रवातं प्रमिताहारमुदमन्थं हिमागमे।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – हेमन्त ऋतु में वातवर्धक तथा हल्का खाना-पीना, तेज वायु का प्रवाह, अल्पाहार तथा सत्तू आदि खाना छोड़ देना चाहिए।
Meaning in English – One should avoid eating and drinking of the things that cause rheumatism, light food, direct wind, small quantity of food and food made of parched grains also in cold season.
3. हेमन्तशिशिरौ तुल्यौ शिशिरेऽल्प विशेषणम्।
रौक्ष्यमादानजं शीतं मेघमारुतवर्षजम।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – सामान्यतः हेमन्त और शिशिर – दोनों ऋतुएँ प्रायः समान होती हैं, किन्तु शिशिर में इतनी विशेषता होती है कि खाने-पीने से उत्पन्न होने वाली रूक्षता, मेघवात (मानसून की वायु) तथा वर्षा के कारण बढ़ा हुआ शीत अधिक होता है।
Meaning in English-Generally both Hemanta and Shishira (cold and winter) seasons are similar in nature but in winter there is much cold due to ruggedness which is caused by eating and drinking and monsoon-winds, rains.
4. तस्माद्धैमन्तिकः सर्वः शिशिरे विधिरिष्यते।।
निवातमुष्णं त्वधिकं शिशिरे गृहमाश्रयेत्।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – इसलिए शिशिर ऋतु में भी हेमन्त की ही विधियों का पालन करना चाहिए तथा ऐसे गर्म घर में रहना चाहिए जिसमें विशेष रूप से वायु का सीधा प्रवेश न होता हो।
Meaning in English – So, one should follow similar precautions in winter season which are followed in cold-season and one should reside in a warm house in which air does not enter directly.
5. कटुतिक्तकषायाणि वातलानि लघूनि च।
वर्जयेदन्नपानानि शिशिरे शीतलानि च।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – शिशिर ऋतु में कटु, तिक्त तथा कसैले रस वाले पदार्थ, वातवर्धक, हल्के तथा ठंडे अन्न और पेय पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
Meaning in English – One should avoid taking bitter, spicy and pungent things and should also avoid eating and drinking of cold, light and suxh things which may cause rheumatism in winter season.
6. वसन्ते निचितः श्लेष्मा दिनकृद्भाभिरीरितः।
कायाग्निं बाधते रोगांस्तत प्रकुरुते बहून्।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – हेमन्त काल में सञ्चित (इकट्ठा) हुआ कफ वसन्त काल के आने पर सूर्य की किरणों से पिघलकर (शरीर में फैलकर) जठराग्नि को मन्द कर देता है तथा अनेक प्रकार के रोगों को उत्पन्न कर देता है।
Meaning in English – The phlegm which was increased in winter season gets urged by the sun-rays as spring-season comes and reduces the fire of the stomach. Thus various diseases are caused by it.
7. तस्माद्वसन्ते कर्माणि वमनादीनि कारयेत्।
गुर्वम्लस्निग्धमधुरं दिवास्वप्नं च वर्जयेत्।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – इसलिए वसन्त ऋतु में (कफ की शुद्धि के लिए) वमन क्रियाएँ आदि (पञ्चकर्म) करनी चाहिएँ तथा वसन्त ऋतु में भारी पदार्थ, अम्ल पदार्थ, स्निग्ध तथा मधुर पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए और दिन में सोना भी नहीं चाहिए।
Meaning in English – Therefore one should follow (five types of) activities like vomitting etc. to clear the phlegm. One should also avoid heavy food, acids, oily-food and sweets during spring season. One should also avoid day-dreaming.
8. मयूरवैर्जगतः स्नेहं ग्रीष्मे पेपीयते रविः।
स्वादु शीतं द्रवं स्निग्धमन्नपानं तदा हितम्।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – ग्रीष्मकाल में सूर्य अपनी तीव्र किरणों से जगत के स्नेह को पीता रहता है। इसलिए इस समय मधुर, शीतल, द्रव तथा स्निग्ध खान-पान हितकर होता है।
Meaning in English – In summer-season the sun takes again and again the oily substance of the world by its strong rays. Therefore, during this season eating and drinking of sweet, cold, liquid and oily things is good for health.
9. घृतं पयः सशाल्यन्नं भजन् ग्रीष्मे न सीदति।
लवणाम्लकटूष्णानि व्यायामं च विवर्जयेत्।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – ग्रीष्म ऋतु में घी, दूध तथा धान सहित अन्न का सेवन करता हुआ व्यक्ति कष्ट नहीं पाता किन्तु नमकीन, अम्ल कटु तथा चरपरे पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए तथा व्यायाम भी नहीं करना चाहिए।
Meaning in English – A man does not suffer who takes ghee, milk and paddy corns in summer season but one should avoid salty, sour, acids and spicy things. One should also avoid exercise.
10. भूवाष्पान्मेघनिस्यन्दात् पाकादम्लाज्जलस्य च।
वर्षास्वग्निबले क्षीणे कुप्यन्ति पवनादयः।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – वर्षा ऋतु में भूमि से निकलने वाले वाष्पों से पानी बरसने से तथा जल का अम्लविपाक होने से जब अग्नि का बल क्षीण हो जाता है तथा वातादि दोष प्रकुपित हो जाते हैं।
Meaning in English – In the rainy season the strength of heat is declined by the vapour which come out of the earth and by falling of rain water. Then the diseases which are caused by wind etc. are intensified.
11. व्यक्ताम्ललवणस्नेहं वातवर्षाकुलेऽहनि।
विशेषशीते भोक्तव्यं वर्षास्वनिलशान्तये।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – वर्षा ऋतु में जिन दिनों तेज वायु तथा वर्षा होने से विशेष ठंड हो उन दिनों वातजन्य रोगों की शान्ति के लिए विशेष रूप से अम्ल और लवण युक्त तथा स्निग्ध (घी-तेल में पकाया हुआ) भोजन करना चाहिए।
Meaning in English – In rainy season one should have meals containing sourness and salt specially and should also have oily foods to pacify the diseases caused by wind when it is very cold due to strong winds and rains.
12. वर्षाशीतोचिताङ्गानां सहसैवार्करश्मिभिः।।
तप्तानामाचितं पित्तं प्रायः शरदि कुप्यति।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – वर्षा ऋतु में शरीर वर्षाकालीन शीत का अभ्यस्त रहता है और ऐसे शरीर के अंगों पर जब सहसा शरद् ऋतु के सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो शरीर के अवयव संतप्त हो जाते हैं तथा वर्षा ऋतु में सञ्चित हुआ पित्त शरद् ऋतु में प्रकुपित हो जाता है।
Meaning in English – In rainy season the body becomes used to the cold of this season. Then the bright rays of the sun become untolerable for the body-parts. Thus the bile-juice wich is accumulated in rainy season gets intensified in the Autumn.
13. तथान्नपानं मधुरं लघु शीतं सतिक्तकम्।
पित्तप्रशमनं सेव्यं मात्रया सुप्रकाङ्क्षितैः।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – शरद् ऋतु में अच्छी तरह भूख लगने पर रस में मधुर, लघु गुण वाला, शीत गुण वाला, तिक्त रस वाला तथा पित्त को शान्त करने वाला अन्न तथा पान का मात्रानुसार सेवन करना चाहिए।
Meaning in English – In Autumn one should have those foods and drinks only which are sweet in taste, light, spicy and which can pacify acidity but in required quantity and when one is really hungry only.
14. शारदानि च माल्यानि वासांसि विमलानि च।
शरत्काले प्रशस्यते प्रदोषे चेन्दुरश्मयः।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – शरद ऋतु में उत्पन्न फलों की मालाओं, पवित्र वस्त्र तथा रात्रि में चन्द्रमा की किरणों का सेवन श्रेयस्कर माना जाता है।
Meaning in English – In Autumn putting on garlands (of flowers) that grow in that season, clean clothes and consuming rays of moon during night are considered good.