Bhaswati Class 11 Solutions Chapter 10 यदभूतहितं तत्सत्यम्
अभ्यासः
प्रश्न 1.
अधोलिखितानां प्रश्नानामुत्तराणि संस्कृतभाषया देयानि-
(क) अस्याः कथायाः लेखकः कः अस्ति?
उत्तर:
अस्या कथायाः लेखकः आचार्यः केशवचन्द्रदाशः अस्ति।
(ख) पुष्करिण्याः नाम किमासीत्?
उत्तर:
पुष्करिण्याः नाम पदिमनी आसीत्।
(ग) मुनिः कैः कारणैः चिन्तितः आसीत्?
उत्तर:
पुष्करिण्याः जल प्रतिदिन प्रदूषितं भवति स्म, तत् प्रदूषित जल पीत्वा जनाः अपि रुग्णा भवन्ति। कथ पुष्करिणीत: पङ्कोधारः भवेत् – एभिः कारणैः मुनिः चिन्तितः आसीत।
(घ) मुनिः जनान् किम् अपृच्छत्?
उत्तर:
मुनिः जनान् अपृच्छत् – किम् अभवत? किमर्थ भवन्तः एनं ताडयन्ति।
(ङ) बालकः कृष्णः पुष्कारिण्याः विषये किम् अकथयत्?
उत्तर:
बालकः कृष्णः पुष्कारिण्याः विषये अकथयत् – अस्मिन् जलो एको महान् मत्स्यः अस्ति।
(च) महामत्स्यस्य सन्धानं कुत्र न प्राप्तम्?
उत्तर:
महामत्स्यस्य सन्धान पुष्करिण्या न प्राप्तम्।
(छ) वास्तविक सत्यं किमस्ति?
उत्तर:
यत् अत्यन्तं भूतहितम् तत् वास्तविक सत्यम्।
प्रश्न 2.
मातृभाषया भावार्थ लिखत-
(क) पुष्करिणीतः पङ्कोद्धारो न भवति।
उत्तर:
इस पंक्ति का भावार्थ यही है कि जब जल में कीचड़ बढ़ने लगती है तो वह अशुद्ध हो जाता है और अशुद्ध जल पीने से अनेक रोग उत्पन्न हो सकते हैं, अतः जल से कीचड़ निकालना और जल साफ करना अत्यन्त अनिवार्य हो जाता है। पुष्कारिणी से कीचड़ नहीं निकाली जा रही – यही चिन्ता का विषय था मुनि का भी।
(ख) ग्राम्यजनाः जलशोधनार्थम् अवश्यं शिक्षयितव्याः।
उत्तर:
जल की शुद्धि अत्यन्त निवार्य होती है – यही चिन्ता मुनि को भी थी। अतः लोगों को जल की शुद्धि के विषय में अवश्य शिक्षित किया जाना चाहिए।
प्रश्न 3.
मातृभाषया आशयं स्पष्टीकुरुत-
“सत्यस्य वचनं श्रेयः सत्यादपि हितं भवेत् ।
यद्भूतहितमत्यन्तमेतत् सत्यं मतं मम।।”
उत्तर:
सत्यभाषण बहुत अच्छा होता है किन्तु सत्यभाषण से भी अधिक श्रेयस्कर होता है हितकारी वचन बोलना (चाहे वह सत्य न भी हो) और जो सब प्राणियों के लिए पूरी तरह हितकर हो – वास्तविक सत्य वही होता है। इस प्रकार सभी प्राणियों का हित जिस वचन में हो – वहीं वास्तविक सत्य है – यही आशय है इस श्लोक का।
प्रश्न 4.
अधोलिखिताना शब्दाना पदपरिचयं लिखत-
उत्तर:
- आनीय = आ उपसर्ग, नी धातु, ल्यप् प्रत्यय।
- असंतुष्टः = सम् उपसर्ग, तुष् धातु. क्त प्रत्यय = संतुष्टः, न संतुष्टः इति नञ तत्पुरुष समास।
- वारयित्वा = वृ धातु, णिच् + क्त्वा प्रत्यय
- प्रतारितवान् = प्र उपसर्ग, तृ धातु. णिच् + क्तवतु प्रत्यय।
- सम्यक् = अव्यय।
- आसीत् = अस् धातु, लङ् लकार, प्रथम पुरुष, एकवचन।
- प्रसन्नाः = प्र उपसर्ग, सद् धातु + क्त प्रत्यय।
- श्रेय = श्रि धातु, ईयसुन् प्रत्यय।
- परिष्करणम् = परि उपस’ कृ धातु, ल्युट् प्रत्यय।
- प्रथमतः = प्रथम शब्द + तसिल् प्रत्यय।
प्रश्न 5.
रिक्तस्थानानि पूरयत-
उत्तर:
- पुष्करिणीम् परितः नाना वृक्षाः सन्ति।
- केन प्रकारेण इमे जनाः बोधयितव्याः?
- प्रदूषित जलं पीत्वा जनाः अपि रुग्णाः भवन्ति।
- जलेऽस्मिन् एको महान् मत्स्यः अस्ति।
- श्वः प्रभाते बन्धच्छेदं कृत्वा जल निष्कासयत।
प्रश्न 6.
सन्धिच्छेदं कुरुत-
उत्तर:
- तत्रैव = तत्र + एव।
- सोऽपि = सः + अपि।
- पड्कोद्धारः = पङ्क + उद्धारः।
- अस्मिन्नवसरे = अस्मिन् + अवसरे।
- यथेच्छम् = यथा + इच्छम्। .
- तद्रात्री = तत् + रात्रौ।
प्रश्न 7.
संविग्रहं समासनाम लिखत-
उत्तर-
- तटसंलग्नाः = तटे सलग्नाः; सप्तमी तरुपुरुष समास।
- असंतुष्टः = न सुतुष्टः इति; नञ् तत्पुरुष समास।
- मिथ्यावादी मिथ्यां वदति यः सः, कर्मधारय समास।
- कम्पितकण्ठेन = कम्पितः कण्ठः यस्य सः, तेन बहुव्रीहि समास।
- ग्राम्यजनान् ग्राम्याः जनाः, तान्; कर्मधारय समास।
- बन्धच्छेदम् = बन्धस्य छेदम् : षष्ठी तत्पुरुष समास।
- निर्मलम् = निर्गत मलं यस्य तत्: बहुव्रीहि समास।
योग्यताविस्तारः
समानान्तरसूक्तयः
यहाँ पाठ में आई हुई सूक्ति के समान भाव वाली सूक्तियाँ उद्धृत की गई है। ये सूक्तियाँ विभिन्न ग्रन्थों से संकलित की गई हैं। जिन ग्रन्थों से ये ली गई हैं उन ग्रन्थों का नाम भी यहाँ अंकित है। इन सूक्तियों में सत्य के महत्त्व का वर्णन किया गया है। छात्र इन्हें याद करने का प्रयास करें तथा उचित अवसर पर इन्हें उद्धृत करने का भी प्रयत्न करें।
Bhaswati Class 11 Solutions Chapter 10 यदभूतहितं तत्सत्यम् Summary Translation in Hindi and English
संकेत – एकस्मिन् ………… प्रसारितवान्।
शब्दार्थ (Word meanings):
संस्कृत – हिन्दी – English
ग्रामोपान्ते = गाँव के पास – Near the village
पुष्करिणी = बावड़ी – A lake
वसनम् = वस्त्र – Clothes
क्षालयन्ति = धोते हैं – Wash
पाकादिकर्म = भोजन पकाने का काम – Cooking food etc.
तस्याः एव = उससे ही – From that
तत्रैव = वहीं, उसमें ही – In that only
गोमेषच्छागादीनाम् = गाय, भेड़, बकरी आदि के – Of cows, rams, goats etc.
तत्संलग्नाः = किनारे पर लगे हुए – Grown up on its bank
अपरभागे = दूसरे किनारे पर – On its another part
सोऽपि = वह भी – He also
अनुनयति = विनती करता है – Requests
चिन्तामग्नः = चिन्ता में डूबा हुआ – Very worried
बोधयितव्याः = समझाया जाए – Can be advised
पङ्कोद्धारः = कीचड़ को चिकालना – To remove the mud
प्रतिदिनम् = प्रतिदिन – Daily
प्रदूषितम् = गन्दा – Impure
बर्हिरागत्य = बाहर आकर – After coming out
वारणीयाः = रोके जाएँ – Be prevented
कोलाहल. = शोर – Noise
सहसा = अचानक – Suddenly
ताडयन्ति = पीट रहे हैं, – Are beating
भर्त्सयन्ति = धमकी दे रहे हैं – Are threatening
वारयित्वा = रोक कर – Stopped
मिथ्यावादी = झूठ बोलने वाला – A liar
प्रतारयति = ठगता है – Cheats
सद्यः = शीघ्र – Just now
हिन्दी-अनुवाद:
एक गाँव के पास पद्मिनी नाम की एक बावड़ी थी। वहाँ गाँव के लोग स्नान करते थे, कपड़े धोते थे, उससे ही जल लाकर पीते थे तथा भोजन पकाने का काम करते थे। वहीं गाय, भेड़, बकरी आदि को स्नान कराते थे। पुष्करिणी के चारों ओर अनेक वृक्ष थे। कुछ वृक्ष बावड़ी के तट पर भी लगे हुए थे। बावड़ी के दूसरी ओर एक आश्रम था। वहाँ एक मुनि रहता था। वह भी तर्पण आदि का काम वहीं करता था। वह लोगों से विनती करता था, बार-बार उन्हें उपदेश देता था किन्तु कोई भी उसकी बात नहीं सुनता था।
एक बार मुनि चिन्ता में डूबा हुआ था – किस प्रकार इन लोगों को समझाया जाए? बावड़ी से कीचड़ नहीं निकाली जा रही। प्रतिदिन जल प्रदूषित हो रहा है। उस प्रदूषित जल को पीकर लोग भी बीमार पड़ जाएँगे। कैसे उन्हें रोका जाए?
अचानक कोलाहल सुनाई दिया। मुनि ने बाहर आकर देखा । कुछ लोग एक बालक को मार रहे थे और उसे धमकी दे रहे थे। बालक भय से काँप रहा था और चिल्ला रहा था। मुनि वहाँ पहुँचा तथा लोगों को रोककर उनसे पूछा – क्या हुआ है? आप इसे क्यों मार रहे हैं? लोग बोले – यह झूठ बोलने वाला है। यह हमेशा ही झूठ बोलता है। व्यर्थ में सबको ठगता है। हमें भी इसने अभी धोखा दिया है।
English-Translation:
There was a lake, Padmini by name, near a village. The villagers used to take bath and wash their clothes there. They used to bring water from that lake to drink and to cook food also. They used to bring their cows, rams, goats also there for bathing. There were many trees around that lake. There were some trees on its bank also. On its other side, there was a hermitage. A sage lived there. He used to offer a libation of water to the deceased ancestors also there. He used to request people. He used to advise them again and again but no one listened to him.
Once the sage was very worried – how to advise these people? The mud is not removed from the lake. The water is becoming impure day by day. People will fall ill by drinking this impure water. How to prevent them………..?
Suddenly he heard a noise. The sage came out and saw. Some people were beating and threatening a boy. The boy was shivering with fear. He was shouting. The sage reached there. He stopped the people and asked them – What has happened? Why are you beating him? They said – He is a liar. He tells a lie always. He cheats people for no reason. He cheated us also just now.
संकेत – मुनिः बालकम् ………… मया दृष्टः।
शब्दार्थ (Word-meanings):
संस्कृत – हिन्दी – English
कम्पितकण्ठेन = कांपते हुए कण्ठ से – With shivering voice
आश्वासितवान् = आश्वासन दिया – Encouraged
एक बार मुनि चिन्ता में डूबा हुआ था – किस प्रकार इन लोगों को समझाया जाए? बावड़ी से कीचड़ नहीं निकाली जा रही। प्रतिदिन जल प्रदूषित हो रहा है। उस प्रदूषित जल को पीकर लोग भी बीमार पड़ जाएँगे। कैसे उन्हें रोका जाए?
अचानक कोलाहल सुनाई दिया। मुनि ने बाहर आकर देखा। कुछ लोग एक बालक को मार रहे थे और उसे धमकी दे रहे थे। बालक भय से काँप रहा था और चिल्ला रहा था। मुनि वहाँ पहुँचा तथा लोगों को रोककर उनसे पूछा- क्या हुआ है? आप इसे क्यों मार रहे हैं? लोग बोले- यह झूठ बोलने वाला है। यह हमेशा ही झूठ बोलता है। व्यर्थ में सबको ठगता है। हमें भी इसने अभी धोखा दिया है।
English-Translation:
There was a lake, Padmini by name, near a village. The villagers used to take bath and wash their clothes there. They used to bring water from that lake to drink and to cook food also. They used to bring their cows, rams, goats also there for bathing. There were many trees around that lake. There were some trees on its bank also. On its other side, there was a hermitage. A sage lived there. He used to offer a libation of water to the deceased ancestors also there. He used to request people. He used to advise them again and again but no one listened to him.
Once the sage was very worried – how to advise these people? The mud is not removed from the lake. The water is becoming impure day by day. People will fall ill by drinking this impure water. How to prevent them ………..?
Suddenly he heard a noise. The sage came out and saw. Some people were beating and threatening a boy. The boy was shivering with fear. He was shouting. The sage reached there. He stopped the people and asked them – What has happened? Why are you beating him? They said – He is a liar. He tells a lie always. He cheats people for no reason. He cheated us also just now.
संकेत – मुनिः बालकम् ………… मया दृष्टः।
शब्दार्थ (Word-meanings):
संस्कृत – हिन्दी – English
कम्पितकण्ठेन = काँपते हुए कण्ठ से – With shivering voice
आश्वासितवान् = आश्वासन दिया – Encouraged
करं धृत्वा = हाथ पकड़कर – Holding his hand
आनीतवान् = ले आया – Brought
समुचितः = उचित – Proper
अस्मिन्नवासरे = इस अवसर पर – On this occasion
ग्राम्यजनाः = गाँव के लोग – The villagers
शिक्षयितव्या = शिक्षित किए जाने चाहिए – Should be taught
यथेच्छम् = इच्छा के अनुसार – Willingly
नाम्ना = नाम से – By name
सञ्जातः = हो गया – Became
दृष्ट्वा = देखकर – On seeing
जलेऽस्मिन् = इस जल में – In this water
सहर्षम् = खुश होकर – Being happy
कुण्ठितः = दुःखी – Sad, unhappy
साक्षीकरिष्यसि = साक्षात् करोगे – You will make me a witness
प्रतिमार्गम् = प्रत्येक मार्ग में – In every direction
हिन्दी-अनुवाद:
मुनि ने बालक से पूछा – अरे, सच (क्यों नहीं बोलता?
बालक ने काँपते हुए स्वर में कहा – सच क्या है?
मुनि ने उसे आश्वासन दिया – नहीं जानते? तो मेरे साथ आओ। ऐसा कहकर उसका हाथ पकड़कर मुनि बालक को आश्रम की ओर ले आया। मुनि ने सोचा – यह उचित अवसर है। इस अवसर पर गाँव के लोगों को अवश्य शिक्षित करना चाहिए। तब मुनि ने बालक से पूछा-
तुम्हारा क्या नाम है?
नाम से मैं कृष्ण हूँ।
ठीक है, किस प्रकार से झूठ बोलते हो?
अपनी इच्छा से बोलता हूँ।
तो इस बावड़ी को देखकर कुछ भी कहो।
बालक कृष्ण प्रसन्न हो गया। खुश होकर (बावड़ी का) वर्णन करने लगा-
इस जल में एक बहुत बड़ी मछली है। अरे लोगों! आओ …………..देखो……… वह कैसे खेलती है?
मुनि ने कहा – शाबाश ………… ठीक सोचा है। तो कल सुबह गाँव के लोगों को ठीक इतना ही कहना।
कृष्ण कुछ दुःखी हो गया।
नहीं, वे मुझे मारेंगे।
अरे ……………. नहीं, नहीं ………. बाद में तुम मुझे ही साक्षी करोगे। अगले दिन सुबह कृष्ण गाँव के प्रत्येक मार्ग पर लोगों से कहने लगा – मैंने इस बावड़ी में एक महान् मछली देखी है।
English-Translation:
The sage asked the boy – Hey, why don’t you speak the truth? The boy said in a shivering voice – What is truth?
The sage encouraged him-If you do not know, then come with me. Saying so he held his hand and brought the boy towards the hermitage. The sage thought – This is the most appropriate occasion. The villagers should be definitely taught on this occasion. Then the sage asked the boy – What is your name?
My name is Krishna.
O.K., How do you tell a lie?
I tell a lie according to my own will. Then you tell something about this lake.
Krishna became happy. Being happy, he started describing the lake thus – There is a huge fish in this water. Oh, people! come ………. See, how does it play?
The sage said – Well done! ……….. You have thought in a proper way. So, you have to tell this much to the villagers tomorrow morning.
Krishna became a little sad.
No, they will beat me.
Oh! …….. No, no ……… You will make me a witness afterward.
The next day morning, Krishna started saying to the people going in every direction of the village-
I have seen a huge fish in this lake.
संकेत – केचन अवदन् …………. सौविध्यमनुभूतम्।
शब्दार्थ (Word-meanings):
संस्कृत – हिन्दी – English
उक्तवान् = कहा – Said
तत् क्षणम् = तुरन्त, उसी समय – Immediately
दृष्टवान् = देखी थी – Saw
सोऽपि = उन्होंने भी – He also
पृच्छ = पूछ लो – Ask (him)
साक्षिरूपेण = गवाह के रूप में – As a witness
मत्स्यान्वेषणम् = मछली को ढूँढना – In search of the fish
दिनपूर्णम् = दिन भर – Throughtout the whole day
विरक्ताः = निराश – Disappointed
सरोषम् = क्रोधपूर्वक – Angrily
धीरभावेन = धैर्यपूर्वक – With patience
धर्तुं शक्यते = पकड़ी जा सकती है – Can be caught
सरलतया = सरलता पूर्वक – Easily
बन्धच्छेदम् = बाँध तोड़कर – After tearing the string
निष्कासयत = निकाल दो – Bring out
छेदनं कृतवन्तः = काट दिया – Cut down
तटवर्तिवृक्षाणाम् = तट पर लगे वृक्षों को – Which were growing on the bank
शस्यक्षेत्रे = अनाज के खेत में – In the field of crops
प्रसारितवन्तः = फैला दिया – Spread
इत्थम् = इस तरह – Thus
विदाघकालः = ग्रीष्म ऋतु – Summer season
परिष्करणेन = सफाई से – By cleaning
सौविध्यम् = सुविधा – Convenient
अनुभूतम् = अनुभव की – Felt
हिन्दी-अनुवाद:
कुछ बोले- अरे! तुम असत्यवादी हो। तुम्हारी बात का क्या विश्वास?
कृष्ण ने तुरन्त कहा – उस समय मेरे साथ मुनि भी थे। उन्होंने भी (मछली को) देखा था। आओ वहाँ …………. पूछो उनसे ……………।
मुनि को गवाह के रूप में स्वीकार करके गाँव वालों ने अगले दिन मछली को ढूँढा । अन्त में सब मिलकर बावड़ी में घुस गए और मछलियों को पकड़ लिया। किन्तु महामछली नहीं मिली। पूरे दिन उन्होंने ढूँढा। सायंकाल में वे पूरी तरह निराश हो गए। मुनि के पास जाकर – वे क्रोधपूर्वक बोले – क्या आप भी हमें धोखा दे रहे हैं?
मुनि धैर्यपूर्वक बोला- अरे! महामछली क्या सरलता से पकड़ी जा सकती है? उसके लिए परिश्रम आवश्यक है। कल प्रातः बन्धन तोड़कर जल बाहर निकाल दो।
उस रात गाँव वालों के नेत्रों में नींद नहीं थी। उन्होंने सुबह आकर पहले तटवर्ती वृक्षों को काटा, फिर बन्धन काटकर जल बाहर निकाल कर बावड़ी को गम्भीर किया तथा कीचड़ को लाकर अनाज के खेतों में डाल दिया – तब तक ग्रीष्मकाल आ गया। सहसा वर्षा होने लगी तथा बावड़ी पूरी भर गई। पवित्र जल को देखकर सब प्रसन्न थे। तटों की सफाई होने से सब जगह सुविधा अनुभव हो रही थी।
English-Translation:
A few of them said – Hey! You are a liar. Who will believe in your words? Krishna said immediately – The sage was also with me at that time. He also saw that great fish. Come ……….. There ……….. Ask them ………… Accepting the sage as a witness, the villagers searched for the fish the next day. In the end, they entered the lake and caught the fishes. But that great fish was not found. They searched for that fish the whole day. In the evening they were disappointed. They went near the sage and said angrily – Are you also cheating us?
The sage said with patience – Oh! Can that great fish be caught easily? Hard labour is required to catch that. After tearing the string. first, take out the water tomorrow morning.
That night the villagers could not sleep at all. In the morning, they came and cut the trees which grew on its bank first, then after tearing the string they brought the water out. Thus many days passed. After that, they threw out the mud and made the lake deeper. They then spread that mud in the green-fields – by that time it was summer season. It started raining suddenly and the lake was also full of water. All were happy to see clean water. The banks were also clean now, so people felt very convenient.
संकेत – इतः यदि ………… मतं मम।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
संस्कृत – हिन्दी – English
दण्ड्यः = दण्डनीय – Punished
आकारितवान् = बुलाया – Called
कल्याणकरम् = कल्याणकारी – Which causes welfare, beneficial
पितामही = दादी – Grandmother
अबोधयत् = समझाया – Told
अन्यन्तम् = अत्यधिक, पूरी तरह से – Completely
भूतहितम् = प्राणियों के लिए हितकर – Useful for all the living beings
हिन्दी-अनुवाद:
अब यदि कोई जल को दूषित करेगा वह दण्डनीय होगा। एक बार मुनि ने तट पर कृष्ण को देखकर बुलाया। उसे आश्रम में लाकर मुनि ने उससे पूछा – अरे कृष्ण! क्या सच्चाई समझ में आई या नहीं?
नहीं समझ आई।
अरे! यत्य बोलने से ही केवल सत्य नहीं होता, जो वचन कल्याणकारी होता है वह भी सत्य होता है।
दादी ने पुलोमा की पुत्री (इन्द्र की पत्नी शची या इन्द्राणी) को बताया। इसी लिए हमारे शास्त्र में भी है – सत्य का वचन श्रेयस्कर है किन्तु सत्य से भी बढ़कर यह श्रेयस्कर है जो हितकर हो। और मेरे विचार में तो जो भी सभी प्राणियों के लिए अत्यन्त हितकारी हो वहीं वास्तविक सत्य है।
English-Translation:
He will be punished for who pollutes the water now. Once the sage saw Krishna on the bank of the lake. He called and brought him in the hermitage. Then he asked him-Oh Krishna! Did you understand the reality or not?
No-he replied.
Oh! It is not good to speak the truth only, but that is also true which is beneficial (even if it is false).
Thus the grandmother told Puloma’s daughter (Indra’s wife). Therefore it is found in our shastra also – True words are good and that is better than the truth which is really beneficial. But I feel that that is really true which is completely beneficial for all living beings.