Bhaswati Sanskrit Class 11 Solutions Chapter 5 वीरःसर्वदमन:
अभ्यास:
प्रश्न 1.
संस्कृतभाषया उत्तरं देयम –
(क) कस्य कवेः कस्मात् पुस्तकात् गृहीतोऽयं पाठः?
उत्तर:
महाकवेः कालिदासस्य अभिः शाकुन्तलात् गृहीतोऽयं पाठः।
(ख) बालः कीदृशं सिंहशिशुं कर्षति स्म?
उत्तर:
बालः मातुः अर्धपीतस्तन आमर्दक्लिष्टकेसर सिंहशिशु कर्षति स्म।
(ग) तापसी बालाय क्रीडार्थ किं दत्तवती?
उत्तर:
तापसी बालाय क्रीडार्थं क्रीडनकं दत्तवती।
(घ) क्रीडापरस्य बालस्य मातुः किं नामधेयम्?
उत्तर:
क्रीडापरस्य बालस्य मातुः नामधेयं शकुन्तला इत्यासीत्।
(ङ) बालाय किं रोचते?
उत्तर:
बालाय क्रीडनकं रोचते।
प्रश्न 2.
रिक्तस्थानानां पूर्तिः करणीया –
उत्तर:
(क) अपत्यनिर्विशेषाणि सत्त्वानि विप्रकरोषि।
(ख) पुत्रे स्निह्यति मे मनः।
(ग) यद्यस्याः पुत्रकं न मुञ्चसि।
(घ) अपरं क्रीडनकं ते दास्यामि।
(ङ) आकारसदृशं चेष्टितमेवास्य कथयति।
प्रश्न 3.
निम्नाङ्कितेषु सन्धिच्छेदो विधेयः –
उत्तर:
(क) गत एवात्मनः = गतः + एव + आत्मनः।।
(ख) औरस इव = औरसः + इव।
(ग) दन्तांस्ते = दन्तान् + ते।
(घ) यद्यस्याः = यदि + अस्याः।
(ङ) शकुन्तलेत्यस्य = शकुन्तला + इति + अस्य।
(च) खल्वयम् = खलु + अयम्।
(छ) बालेऽस्मिन् = बाले + अस्मिन्
(ज) भीतोऽस्मि = भीतः + अस्मि।
(झ) कस्यापि = कस्य + अपि।
(ञ) एकान्वयः = एक + अन्वयः।
(ट) एवास्य.. = एव + अस्य
(ठ) तमस्योपहर = तम् + अस्य + उपहर।
(ड) मैवम् = मा + एवम्।।
(ढ) इत्यधरम् = इति + अधरम्।
(ण) ममाम्बा = मम + अम्बा।
(त) अनेनैव = अनेन + एव।
प्रश्न 4.
अधोलिखितेषु विग्रहं कृत्वा समासनाम लिखत –
उत्तर:
(क) पूर्वावधीरितम् = पूर्वम् अवधीरितम्; कर्मधारय समास।
(ख) अभूमिः = न भूमिः नञ् तत्पुरुष समास।
(ग) अविनयस्य = न विनयस्य; नञ् तत्पुरुष समास।
(घ) शब्दानुसारेण = शब्दस्य अनुसारेण; षष्ठी तत्पुरुष समास।
(ङ) सविस्मयम् = विस्मयेन सहितम्; अव्ययीभाव समास।
(च) अबालसत्त्वः = न बालसत्त्वः; नञ् तत्पुरुष समास।
(छ) सिंहशिशुम् = सिंहस्य शिशुम्; षष्ठी तत्पुरुष समास।
(ज) अनपत्यता = नास्ति अपत्यं यस्य सः अनपत्यः; बहुव्रीहि समास, तस्य भावे ‘ता’ प्रत्यय।
(झ) सस्मितम् = स्मितेन सहितम्; अव्ययीभाव समास।
(ञ) मृत्तिकामयूरः = मृत्तिकायाः मयूरः; षष्ठी तत्पुरुष समास।
(ट) बालमृगेन्द्रम् = बालश्चासौ मृगेन्द्रः तम्; कर्मधारय समास।
(ठ) एकान्वयः = एक एव अन्वयः यस्य सः; बहुव्रीहि समास।
(ड) आकारसदृशम् = आकारेण सदृशम् ; तृतीया तत्पुरुष समास।
(ढ) बालस्पर्शम् = बालस्य स्पर्शम् ; षष्ठी तत्पुरुष समास।
प्रश्न 5.
अधोलिखितानां पदानां संस्कृतवाक्येषु प्रयोगः करणीयः –
उत्तर:
(क) सविस्मयम् = तत् चलचित्रं दृष्ट्वा सविस्मयं मया उक्तम्।
(ख) कर्षति = बालः क्रीडितुं सिंहशिशुं कर्षति।
(ग) स्निह्यति = माता पुत्रे स्निह्यति।
(घ) केसरिणी = केसरिणी स्वशिशुं स्तनपानं करोति।
(ङ) उटजे = उटजे तापसः तपस्याम् आचरति।
(च) व्यपदेशः = आवयोः व्यपदेशः एकः एव।
(छ) प्रेक्षस्व = पुत्र! शकुन्तलावण्यं प्रेक्षस्व।
(ज) ममाम्बा = ममाम्बा प्रधानाचार्या अस्ति।
प्रश्न 6.
प्रकृतिप्रत्ययपरिचयो देयः –
उत्तर:
(क) सूचयित्वा = सूच् + क्त्वा प्रत्यय।
(ख) प्रक्रीडितुम् = प्रक्रिीड् + तुमुन् प्रत्यय।
(ग) अवलोक्य = अव Vलुक् + ल्यप् प्रत्यय।
(घ) अनुबध्यमानः = अनु + बध् + कर्मणि यक् + शानच् प्रत्यय।
(ङ) निष्क्रान्ता = निस् क्रिम् + क्त और टाप् प्रत्यय।
(च) उपलभ्य = उप लिभ् + ल्यप् प्रत्यय।
(छ) उपलालयन् = उप लिल् + शतृ प्रत्यय।
प्रश्न 7.
स्वमातृभाषया सप्रसङ्गं व्याख्यायताम् –
(क) मनोरथाय नाशंसे ……………………………….. दुःखाय परिवर्तते।।
उत्तर:
प्रसंग – प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘भास्वती प्रथमो-भागः’ के अध्याय ‘वीरः सर्वदमनः’ में से अवतरित किया गया है। तथा यह अध्याय संस्कृत कविशिरोमणि कालिदास के विश्वविश्रुत नाटक अभिज्ञानशाकुन्तलम् के सप्तम अंक में से संकलित है।
जब राजा दुष्यन्त मारीच ऋषि के आश्रम में प्रवेश करते हैं तो उनकी दाहिनी भुजा फड़कती है। पुरुषों का दाहिना अंग फड़कना किसी शुभ सूचना का परिचायक होता है। तभी वे यह श्लोक बोलते हैं-
मैं अपने किसी मनोरथ के लिए आशा नहीं कर रहा। इसलिए हे भुजा! तू व्यर्थ क्यों फड़क रही है क्योंकि पहले ठुकराया गया मंगल कठिनाई से लौटता है।
प्रस्तुत श्लोक में राजा दुष्यन्त का शकुन्तला के लिए विरहभाव वर्णित है। वह यही सोच रहा है कि जिसे उसने स्वयं ठुकरा दिया उसका पुनः प्राप्त होना अत्यन्त कठिन है। अतः उसे भुजा के फड़कने से कोई शुभ सम्पन्न होने की आशा नहीं है। इस प्रकार इस श्लोक में राजा का शकुन्तला के लिए विरह दुःख भी वर्णित है।
(ख) अर्धपीतस्तनं ………………………. बलात्कारेण कर्षति।।
उत्तर:
प्रसंग – प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘भास्वती प्रथमो-भागः’ के अध्याय ‘वीरः सर्वदमनः’ मे से उद्धृत किया गया है और यह अध्याय संस्कृत साहित्य के कवि सम्राट कालिदास के विश्वविख्यात नाटक अभिज्ञानशाकुन्तलम के सप्तम अंक में से संकलित है। जब राजा दुष्यन्त महर्षि मारीच के आश्रम में जाता है तो वहाँ बालक सर्वदमन को देखकर वह उसके विषय में ऐसा सोचता है –
(यह कौन बालक है जो) माता के केवल आधे दूध को पिए हुए खींचने के कारण इधर-उधर बिखरे हुए बालों वाले सिंह के बच्चे को खेलने के लिए जबरदस्ती खींच रहा है।
प्रस्तुत श्लोक में बालक सर्वदमन के अद्भुत शौर्य का चित्रण किया गया है। वह शेर के बच्चे को खेलने के लिए जबरदस्ती खींच रहा है जो सिंहशावक अपनी माता का दूध पी रहा था वह उसके बाल पकड़कर खींच रहा है तथा तनिक भी भयभीत नहीं है। ऐसे अद्भुत पराक्रमी बालक को देखकर राजा दुष्यन्त उसकी ओर आकर्षित होता है और उसके बारे में जानने को उत्सुक भी है।
(ग) किं न खलु बालेऽस्मिन् ………………………. मां वत्सलयति।
उत्तर:
प्रसंग – प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘भास्वती प्रथमो-भागः’ के अध्याय ‘वीरः सर्वदमनः में से उद्धृत किया गया है और यह अध्याय संस्कृत साहित्य के कविशिरोमणि कालिदास के अत्यन्त प्रसिद्ध नाटक अभिज्ञानशाकुन्तलम् के सप्तम अंक में . से संकलित है। महर्षि मारीच के आश्रम में पहुँचकर बालक सर्वदमन को देखकर राजा दुष्यन्त उसकी ओर बहुत आकर्षित होता है। बालक के प्रति प्रेमभाव को प्रकट करता हुआ राजा दुष्यन्त कहता है –
न जाने क्यों मेरा मन इस बालक के प्रति अपने निजी पुत्र के समान स्नेह कर रहा है? अवश्य ही संतानहीनता मुझसे इस प्रकार स्ने करा रही है।
इस प्रकार राजा दुष्यन्त का बालक के प्रति वात्सल्य भाव वर्णित है इस श्लोक में। वह उस बालक से बहुत प्रेम करने लगा है। इसका कारण वह यह सोचता है कि वह
सन्तानहीन है शायद इसीलिए इस बालक को देखकर वह उससे अपने सगे पुत्र की तरह प्रेम कर रहा है।
प्रश्न 8.
स्वमातृभाषया आशयं स्पष्टी अनेन कस्यापि कुलाकुरेण ………………………………….. यस्यायमङ्कात् कृतिनः प्ररूढः।।
उत्तर:
बालक सर्वदमन को देखकर दुष्यन्त के मन में यह भाव उत्पन्न होता है – इस बालक के स्पर्श मात्र से जब मुझे इतना आनन्द मिल रहा है तो यह बालक जिसकी सन्तान होगा उसे कितना अवर्णनीय आनन्द प्राप्त होगा। इस प्रकार राजा का बालक के प्रति अद्भुत वात्सल्य भाव इस श्लोक में वर्णित है। इस श्लोक का आशय यह है कि वह इस बालक के लिए अत्यन्त लालायित है और वह यही सोच रहा है कि उसका पुत्र भी शायद इतना ही बड़ा होता यदि वह अपनी गर्भवती पत्नी को ठुकराता न।
योग्यताविस्तारः
यहाँ नाटक में आए हुए परिभाषिक शब्दों का विवेचन किया गया है –
1. अङ्कः – जो भावों और रसों के द्वारा अर्थों को प्रस्फुरित करता है, जहाँ पर अनेक प्रकार के विधान होते हैं, जहाँ पर एक अर्थ की समाप्ति होती है और बीज का उपसंहार होता है तथा अंशतः बिन्दु का संबंध बना रहता है उसे अङ्क कहते हैं।
2. नेपथ्यम् – जहाँ अभिनेतागण नाटक के उपयुक्त वेशभूषा धारण करते हैं उसे नेपथ्य कहते हैं।
3. आत्मगतम् – जो बात सुनाने योग्य नहीं होती उसे स्वगत (मन में) कहते हैं। इसे ही ‘आत्मगत’ भी कहते हैं। इसका उद्देश्य यह होता है कि साथ के अभिनेता उस बात को न सुन सकें, केवल श्रोता ही उसे सुन पावें।
Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 5 वीरःसर्वदमन: Summary Translation in Hindi and English
दुष्यन्तः – (निमित्तं सूचयित्वा)
मनोरथाय नाशंसे किं बाहो स्पन्दसे वृथा।
पूर्वावधीरितं श्रेयो दुःखाय परिवर्तते।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – (शकुन को सूचित करके)
मैं अपने मनोरथ के लिए आशा नहीं कर रहा इसलिए हे भुजा! तू व्यर्थ क्यों फड़क रही है क्योंकि पहले ठुकराया गया मंगल कठिनता से लौटता है (अथवा पहले ठुकराया गया . मंगल दुःख में ही परिवर्तित होता है।)
Meaning in English – (Informing about the omen)
I do not hope for the fulfillment of the desire. Therefore, Oh my arm! Why are throbbing? The happiness which is once refused comes back with great difficulty (or the happiness once refused turns into sorrow).
नेपथ्ये (पर्दे के पीछे) (Behind the curtain)
संकेत – मा खल चापलं …………………………… अबालसत्त्वो बालः।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – चंचलता मत कर। कैसे यह अपने ही स्वभाव को प्राप्त कर रहा है?
दुष्यन्त – (ध्यान देकर) यह आश्रम अविनीतता का स्थान नहीं है। फिर भला किसे मना किया जा रहा है?. (आवाज के अनुसरण से देखकर आश्चर्य के साथ) अरे! दो तपस्विनियों के द्वारा मनाया जाता हुआ असाधारण शक्ति वाला यह कोई बालक है!
Meaning in English – Don’t be so restless. Oh he is acting according to his nature.
Dushyanta – (Being attentive) This hermitage is not the place of immodesty. Who is then being prohibited? (Watching in accordance with the sound, with surprise) Oh! Here is some boy with extra-ordinary strength who is being persuaded by two female-devotees.
अर्धपीतस्तनं मातुरामदक्लिष्टकेसरम्।
प्रकीडितुं सिंहशिशु बलात्कारेण कर्षति।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – माता के केवल आधे दूध को पिए हुए, खींचने के कारण इधर-उधर बिखरे हुए बालों वाले सिंह के बच्चे को यह बालक खेलने के लिए जबरदस्ती खींच रहा है।
Meaning in English – This boy is pulling forcibly the cub of their lion to play who has taken half dose of milk of his mother’s breast and whose hair are lying here and there due to pulling.
संकेत – बालः जृम्भस्व सिंह! ………………………….. तमस्योपहर।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ : बालक – अरे सिंह! जम्हाई ले। मैं तेरे दाँत गिनूँगा।
पहली (तपस्विनी) – अरे अविनम्र! हमारी संतान के समान जन्तुओं को तू क्यों तंग कर रहा है? अरे! तेरा हठ बढ़ता जा रहा है। ऋषियों ने तेरा नाम सर्वदमन ठीक ही रखा है। दुष्यन्त – न जाने क्यों मेरा मन इस बालक के प्रति अपने निजी पुत्र के समान स्नेह कर रहा है? अवश्य ही सन्तानहीनता मुझसे इस प्रकार स्नेह करा रही है।
दूसरी (तपस्विनी) – यह शेरनी अवश्य तुझ पर आक्रमण कर देगी यदि तू इसके बच्चे को नहीं छोड़ेगा।
बालक (मुस्कराकर)- ओह! मैं तो बहुत डर गया हूँ। (अपना निचलों होंठ दिखाता है)। पहली – पुत्र! इस शेर के बच्चे को छोड़ दे। मैं तुझे दूसरा खिलौना दूंगी। बालक – कहाँ है (खिलौना)? वह दो। (अपना हाथ फैलाता है।)
दूसरी – हे सुव्रता! यह केवल कहने मात्र से नहीं मान सकता। तू जा। मेरी कुटिया में मिट्टी का मोर रखा है, वह लाकर इसे दे दो।
Meaning in English: Boy-Oh lion! Yawn, I will count your teeth.
First (lady-devotee)-Oh cruel! Why do you tease these beasts who are just like our own off-springs? Oh! Your violence is increasing. You have been correctly named as ‘Sarvadamana’ by the sages.
Dushyanta – I do not understand why do I love this boy like my own son? The childlessness causes me to feel affectionate definitely.
Second (lady-devotee) – This lioness will definitely attack on you – if you do not leave her cub.
Boy – (With a smile) Oh! I am very much afraid. (Shows his lower. lip).
First (female-devotee) – Oh son! Leave this cub. I will give you another toy.
Boy – Where is the toy? Give me that. (Spreads his hand).
Second (female-devotee) – Oh Suvrata! He cannot be stopped by mere words. You go. There is a peacock made of clay in my cottage.
Bring that and give that to him.
संकेत – बालः – अनेनैव तावत् …………………………….. कथयति। (आत्मगतम्)
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ : बालक – तब तक मैं इसी से खेलूँगा। (ऐसा कहकर तपस्विनी को देखकर हँसता है।)
तपस्विनी – अच्छा, यह मेरी बात नहीं मानता। (राजा को देखकर) हे सज्जन! तंग किए जाते हुए इस सिंह के बच्चे को इस बालक से छुड़वाइए।
दुष्यन्त – आकार के समान इसकी चेष्टा ही कह रही है। (अपने आप से)
Meaning in English : Boy – By that time, I will play with it only.
(Having seen the female ascetic, he laughs):
Female Ascetic-Oh! He does not consider me. (Looking towards the king) Oh gentleman! Please ask the child to leave the cub which is being teased by him.
Dushyanta – It is known by his action which is according to his strong body. (To himself)
अनेन कस्यापि कुलाङ्कुरेण
स्पृष्टस्य गात्रेषु सुखं ममैवम्।
कां निवृत्तिं चेतसि तस्य कुर्यात्
यस्यायमक़ात कृतिनः प्ररूढः।।
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – किसी के वंश के अंकुर स्वरूप इस बालक से स्पर्श होने पर जब मेरे अंगों में इस प्रकार आनन्द हो रहा है, तब जिस सौभाग्यशाली की गोद से यह उत्पन्न हुआ है उसके चित्त में किस अचिन्तनीय आनन्द को यह उत्पन्न करता होगा?
Meaning in English – Whep I feel such a great pleasure by the touch of this boy who is a seed of some-race, then what wonderful pleasure he brings for him from whose lap he is born?
संकेत – (बालमुपलालयन्) प्रकाशम् ……………………………… क्रीडनकमादत्ते)।
शदार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – (बालक को लाड़ करते हुए) प्रकट रूप से
दुष्यन्त – तो इसका वंश क्या है।
तपस्विनी – पुरुवंश।
दुष्यन्त – (मन में) क्या! मेरा और इसका वंश एक ही है? (प्रवेश करके)
तपस्विनी – पुत्र सर्वदमन! पक्षी के सौन्दर्य को देखो। (अथवा शकुन्तला के रूप को देखो)
बालक – कहाँ है मेरी माता?
दुष्यन्त – (मन में) क्या शकुन्तला इसकी माता का नाम है?
बालक – मुझे यह मोर अच्छा लगता है। (यह कहकर खिलौना ले लेता है।)
Meaning in English : Giving great love to the boy) Loudly
Dushyanta – Then, what is his family’s name?
Fem. Ascetic- Puru-race.
Dushyanta -(To himself) What? His and my race is the same?
Fem. Ascetic – Oh Sarvadamana! Look at the beauty of this bird.
Boy – Where is my mother?
Dushyanta – (To himself) Is Shakuntala his mother’s name?
Boy – I like this peacock. (Having said so takes the toy.).