Bhaswati Sanskrit Class 11 Solutions Chapter 2 सौवर्णो नकुलः
अभ्यासः
प्रश्न 1.
अधोलिखितानां प्रश्नानामुत्तराणि संस्कृतभाषया देयानि –
(क) नकुलः कीदृशः आसीत्?
उत्तर:
नकलः रुक्मपार्श्वः आसीत।
(ख) बिलान्निष्क्रम्य नकुलः किं कथयति?
उत्तर:
बिलान्निष्क्रम्य नकुलः कथयति – अयं वः यज्ञः सक्तुप्रस्थेन तुल्यः न।
(ग) उञ्छवृत्तिर्द्विजः कुत्र न्यवसत्?
उत्तर:
उञ्छवृत्तिर्द्विजः कुरुक्षेत्रे न्यवसत्।
(घ) कपोतधर्मी द्विजः द्रव्यहीनः कथम् अभवत्?
उत्तर:
कपोतधर्मी द्विजः दुर्भिक्षण द्रव्यहीनः अभवत्।
(ङ) यदा तस्य द्विजस्य परिवारः सक्तून् भोक्तुं प्रवृत्तः अभवत् तदा तत्र कः आगतः?
उत्तर:
यदा तस्य द्विजस्य परिवारः सक्तून् भोक्तुं प्रवृत्तः अभवत् तदा तत्र कश्चित् द्विजः आगच्छत्।
(च) द्विजः सक्तून् कस्मै प्रादात्?
उत्तर:
द्विजः सक्तून् अतिथये प्रादात्।
प्रश्न 2.
अधोऽङ्कितेषु सन्धिविच्छेदं दर्शयत –
उत्तर:
(क) महदार्चम् = महत् + आश्चर्यम्।
(ख) बिलान्निष्क्रम्य = बिलात् + निष्क्रम्य।
(ग) उञ्छवृत्तेर्वदान्यस्य = उञ्छवृत्तेः + वदान्यस्य।
(घ) भुङ्क्तेऽन्यस्मिन् = भुङ्क्ते + अन्यस्मिन्।
(ङ) क्षीणौषधिसमवायः = क्षीण + ओषधिसमवायः।
प्रश्न 3.
अधोन्यस्तेषु सन्धिं कुरुत –
उत्तर:
(क) तस्य + आहारः = तस्याहारः।
(ख) यत् + अभूत + विभो = यदभूद्विभो।
(ग) उञ्छवृत्तिः + द्विजः = उञ्छवृत्तिर्द्विजः।
(घ) नियत + इन्द्रियः = नियतेन्द्रियः।
(ङ) ततः + अहम् = ततोऽहम्।
(च) न्याय + उपात्तेन = न्यायोपात्तेन।
प्रश्न 4.
अधोऽङ्कितयोः श्लोकयोः स्वमातृभाषया अनुवादः कार्यः
उत्तर:
(क) सक्तुप्रस्थेन वो नायं यज्ञस्तुल्यो नराधिपाः।
उञ्छवृत्तेर्वदान्यस्य कुरुक्षेत्रनिवासिनः||
अनुवाद – हे राजाओ! तुम्हारा यज्ञ कुरुक्षेत्र में रहने वाले तथा खेत में गिरे हुए अनाज के दानों से जीवन-निर्वाह करने वाले दानी के एक सेर सत्तू के समान भी नहीं है।
(ख) दिव्यपुष्पावभर्दाच्च साधो नलवैश्च तैः।
विप्रस्य तपसा तस्य शिरो मे काञ्चनीकृतम् ||
अनुवाद – हे सज्जन! दिव्य पुष्पों को मसलने से, दान में दिए गए सत्तुओं के उन कणों से.तथा उस ब्राह्मण की तपस्या से मेरा सिर सोने का बना दिया गया।
भास्वती (प्रथमो भागः)
प्रश्न 5.
‘सौवर्णो नकुलः’ इत्यस्य पाठस्य सारांशः मातृभाषया लेखनीयः
उत्तर:
“सौवर्णों नकुलः’ सारांश – एक बार सुवर्णमय बगल वाला, बिल में रहने वाला अत्यन्त शक्तिशाली नेवला बिल से बाहर आकर मनुष्य की आवाज में इस प्रकार कहने लगा – प्राचीन समय में कुरुक्षेत्र में अत्यन्त निर्धन, इधर-उधर गिरे हुए अनाज के दानों से अपना जीवन निर्वाह करने वाला एक वृद्ध धर्मात्मा ब्राह्मण हुआ था। वह अपने पुत्र, पत्नी तथा पुत्रवधू के साथ कठोर तपस्या में लीन हो गया। उसे कभी भोजन के समय भोजन मिल जाता था, कभी नहीं मिल पाता था। एक बार वहाँ भयंकर अकाल पड़ा और उसके पास कुछ भी वस्तु या भोज्य पदार्थ नहीं रहा। तब छठा प्रहर बीत जाने पर उसने एक सेर जौ प्राप्त किए तथा उन तपस्वियों ने उस एक सेर जौ से सत्तू बनाए। नित्य जप कर्म, यज्ञ इत्यादि करने के पश्चात् उन चारों तपस्वियों ने आपस में एक-एक पाव सत्तू बाँट लिए। तभी वहाँ एक ब्राह्मण आ गया। उस अतिथि को देखकर वे अत्यन्त प्रसन्न हुए और उसे कुटिया में अन्दर लाकर, अर्घ्य, जल, आसन आदि देकर उस तपस्वी ने भूख से व्याकुल उस अतिथि को खाने के लिए सत्तू भी दे दिए। इस व्यवहार से अत्यन्त प्रसन्न उस ब्राह्मण ने उन तपस्वियों को स्वर्ग भेज दिया। उन सबके स्वर्ग चले जाने पर अंत में वह नेवला कहने लगा – यह यज्ञ एक सेर भर सत्तू के समान किसी भी प्रकार नहीं है।
प्रश्न 6.
रिक्तस्थानानि पूरयत –
उत्तर:
(क) राजशार्दूल! महत् उत्तमम् आश्चर्य श्रूयताम्।
(ख) अयं वः यज्ञः सक्तुप्रस्थेन तुल्यः नास्ति।
(ग) पुरा उञ्छवृत्तिर्द्विजः कश्चित् कापोतिः अभवत।
(घ) तदा क्षुधार्तम् अतिथिं ते कुटी प्रवेशयामासुः।
(ङ) तस्य विप्रस्य तपसा मे शिरः काञ्चनीकृतम्।
(च) सक्तुप्रस्थेनाय यज्ञः सर्वथा सम्मितो नास्ति।
योग्यताविस्तारः
(क) महाभारतम् – महर्षिव्यासप्रणीते ……………. क्वचित्।”
अनुवाद – महर्षि व्यास द्वारा रचित महाभारत नामक इस महाकाव्य में एक लाख से अधिक श्लोक हैं। इस महाकाव्य में 18 पर्व (अध्याय) हैं आदिपर्व, सभापर्व, वनपर्व, विराटपर्व, उद्योगपर्व, भीष्मपर्व, द्रोणपर्व, कर्णपर्व,शल्यपर्व, सौप्तिकपर्व, स्त्रीपर्व, शान्तिपर्व, अनुशासनपर्व, आयवमेधिकपर्व, आश्रमवासिकपर्व, मौसलपर्व, महाप्रस्थानपर्व तथा स्वर्गारोहणपर्व।
Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 2 सौवर्णो नकुलः Summary Translation in Hindi and English
श्रूयतां राजशार्दूल महदाश्चर्यमुत्तमम्।
अश्वमेधे महायज्ञे निवृत्ते यदभूद्विभो!||
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – हे नृपश्रेष्ठ! हे स्वामी! अश्वमेध यज्ञ के सम्पन्न हो जाने पर जो महान् उत्तम आश्चर्य हुआ उसे आप सुनें।
Meaning in English – Oh great king! Oh lord! Please listen to the great wonder which took place at the accomplishment of Ashwamedha’s sacrifice.
2. बिलान्निष्क्रम्य नकुलो रुक्मपार्श्वस्तदानघ!।
मानुषं वचनं प्राह धृष्टो बिलशयो महान्||
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – हे पापरहित! सुवर्णमय बगल वाला, बिल में रहने वाला, अत्यन्त शक्तिशाली एक नेवला बिल से निकलकर मनुष्य की आवाज में इस प्रकार बोलने लगा –
Meaning in English – Oh sinless! Then a very strong mongoose which was having golden sides and which lived in the hole, came out of the hole and started speaking in human voice.
3. सक्तुप्रस्थेन वो नायं यज्ञस्तुल्यो नराधिपाः।
उच्छवृत्तेर्वदान्यस्य कुरुक्षेत्रनिवासिनः||
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – हे राजाओ! तुम्हारा यह यज्ञ कुरुक्षेत्र में रहने वाले तथा खेत में गिरे हुए . अनाज के दानों से जीवन-निर्वाह करने वाले दानी के एक सेर सत्तू के समान भी (मूल्यवान) नहीं है।
Meaning in English – Oh kings! Your this sacrifice (Yajna) is not equal to one kg. of Sattu (meal of parched grains) of the generous man who lives in Kurushetra and leads his life by grains which remain lying in the field.
4. धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे धर्मज्ञैर्बहुभिर्वृते।
उञ्छवृत्तिर्द्विजः कश्चित्कापोतिरभवत्पुरा||
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – प्राचीन काल में धार्मिक स्थल कुरुक्षेत्र में अनेक धर्मज्ञों के साथ खेत में गिरे हुए अनाज से तथा कबूतर के समान इधर-उधर पड़े हुए दानों से जीवन निर्वाह करने वाला एक ब्राह्मण हुआ था।
Meaning in English – In ancient time, in the religiouis place of Kurushetra which was crowded with many people who knew religion, there was a Brahman who used to lead his life with the grains that were left in the field and also with the grains which were found lying here. and there (like a pigeon).
5. सभार्यः सह पुत्रेण सस्नुषस्तपसि स्थितः।
वधूचतुर्थो वृद्धः स धर्मात्मा नियतेन्द्रियः||
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – वहाँ अपनी पत्नी, पुत्र तथा पुत्र वधू के साथ चौथा वह धर्मात्मा तथा जितेन्द्रिय वृद्ध पुरुष तपस्या में लीन हो गया।
Meaning in English – There with his wife, son and daughter-in law an old man religious and with his senses under control was practising penance.
6. षष्ठे काले कदाचिच्च तस्याहारो न विद्यते।
भुङ्क्तेऽन्यस्मिन्कदाचित्स षष्ठे काले द्विजोत्तमः||
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – वह श्रेष्ठ ब्राह्मण कभी भोजन के समय कुछ भी आहार नहीं प्राप्त कर पाता था और कभी-कभी भोजन के समय उसे भोजन मिल भी जाता था।
Meaning in English – That great Brahmana sometimes could not get any food up till sixth prahara (or by the time of having meals) and sometimes he used to get food at proper time.
7. कपोतधर्मिणस्तस्य दुर्भिक्षे सति दारुणे।
क्षीणौषधिसमवायो द्रव्यहीनोऽभवत्तदा||
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – तब वहाँ भयंकर अकाल पड़ जाने से कबूतर के समान वृत्ति वाला वह ब्राह्मण सभी औषधियों से तथा अन्य वस्तुओं से हीन हो गया।
Meaning in English – Then there was a serious famine and that brahmana, who led his life like a pigeon eating grains from here and there, had nothing to eat.
8. अथ षष्ठे गते काले यवप्रस्थमुपार्जयत्।
यवप्रस्थं च ते स तपस्विनः||
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – तब छठा प्रहर बीत जाने पर उसने एक सेर जौ प्राप्त किया और उस एक सेर जौ से उन तपस्वियों ने सत्तू बनाए।
Meaning in English – Then after the sixth prahara (quite late after the time of having meals) those ascetics got one kg. of barley. They then prepared sattu with that one kg, of barley grains.
9. कृतजप्याहिकास्ते तु हुत्वा दहि यथाविधि।
कुडवं कुडवं सर्वे व्यभजन्त तपस्विनः||
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – तब जप एवं नित्यकर्म करके तथा विधिपूर्वक अग्नि में हवन करके उन सब तपस्वियों ने आपस में एक-एक पाव सत्तू बाँट लिया।
Meaning in English – Then all those ascetics practised their daily penance and worship. After that they distributed one quarter kg. of Sattu (meal of parched grains) to each one of them.
10. अयागच्छदिवजः कश्चिदतिथिर्भुजतां तदा।
ते त दृष्ट्वातिथिं तत्र प्रहृष्टमनसोऽभवन् ||
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – तब वहाँ कोई ब्राह्मण आ गया। उस अतिथि को देखकर वे तपस्वी प्रवन्न हो गए और बोले – यह अतिथि पहले खा ले।
Meaning in English – Then some brahmana came there. Those ascetics became happy to see that guest and said – He may eat first.
11. कुटीं प्रवेशयामासुः क्षुधार्तमतिथिं तदा।
इदमयं च पाद्यं च बृसी चेयं तवानघ||
शुचयः सक्तवश्चेमे नियमोपार्जिताः प्रभो!!
प्रतिगृह्णीष्व भद्रं ते मया दत्ता द्विजोत्तम!||
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – तब उस तपस्वी ने भूख से व्याकुल उस अतिथि को कुटिया के अन्दर प्रवेश कराया (और उससे कहा)– हे निर्दोष! यह आपके लिए अर्घ्य, पैर धोने के लिए जल तथा आसन है। ये नियमपूर्वक प्राप्त पवित्र सत्तू हैं। हे द्विजोत्तम! हे भद्रपुरुष! आप इन्हें स्वीकार करें। ये मेरे द्वारा आपको दिए गए हैं।
Meaning in English – Then that ascetic asked that guest who was very hungry to enter the cottage and said to him-Oh sinless one! This is the water for worship, this water is for washing the feet and this is a small carpet for sitting. These Sattus (meal of parched grains) have been achieved after following daily sacrifice. Oh great brahmana! Oh gentleman! Please accept these. These have been offered by me for you.
12. ‘इत्युक्त्वा तानुपादाय सक्तून्प्रादाद्विजातये।
ततस्तुष्टोऽभवद्विप्रस्तस्य साधोर्महात्मनः||
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – ऐसा कहकर उसने उन सत्तुओं को उस ब्राह्मण को दे दिया। तब वह ब्राह्मण उस सज्जन महात्मा से प्रसन्न हो गया।
Meaning in English – Having said so he gave away those sattus (meals) to that brahmana. Then that brahmana became happy with that geratle great man.
13. प्रीतात्मा स तु तं वाक्यमिदमाह द्विजर्षभम्।
वाग्मी तदा द्विजश्रेष्ठो धर्मः पुरुषविग्रहः||
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – तब प्रसन्न मन वाले उस अतिथि ने उस ब्राह्मण से यह वाक्य कहा – तुम श्रेष्ठ ब्राह्मण और श्रेष्ठ वक्ता तथा साक्षात धर्म के शरीर को धारण करने वाले हो।
Meaning in English – Then that guest brahmana being happy said to that brahmana – You are a great brahmana and a good speaker also, moreover you possess human body also.
भास्वती (प्रथमो भागः)
14. शुद्धेन तव दानेन न्यायोपात्तेन यत्नतः।
यथाशक्ति विमुक्तेन प्रीतोऽस्मि द्विजसत्तम!||
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – हे श्रेष्ठ ब्राह्मण! तुम्हारे द्वारा धर्मपूर्वक, प्रयत्नपूर्वक तथा शक्ति के अनुसार दिए गए शुद्ध दान से मैं प्रसन्न हूँ।
Meaning in English – Oh great Brahmana! I am happy by the sacred charity given by you which is just, which is given with effort and which is given according to your limits.
15. ब्रह्मचर्येण यज्ञेन दानेन तपसा तथा।
अगह्वरेण धर्मेण तस्माद्गच्छ दिवं द्विज||
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – मैं तुम्हारे ब्रह्मचर्य से, यज्ञ से, दान से, तपस्या से तथा उत्तम धर्म से प्रसन्न हूँ अतः तुम स्वर्ग को जाओ।
Meaning in English – I am satisfied wth your brahmacharya, yajna, penance and best dharma; so you go to heaven now.
16. तस्मिन्विप्रे गते स्वर्ग ससुते सस्नुषे तदा।
भार्याचतुर्थे धर्मज्ञे ततोऽहं निःसृतो बिलात्||
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – तब पुत्र, पुत्रवधू तथा पत्नी सहित धर्म के ज्ञाता उस ब्राह्मण के स्वर्ग चले जाने पर मैं बिल से बाहर निकल आया।
Meaning in English – Then when that brahmana who knew dharma very well went to heaven along with his son, daughter-in-law and his wife, I came out of the hole.
17. ततस्तु सक्तुगन्धेन क्लेदेन सलिलस्य च।
दिव्यपुष्पावमर्दाच्च साधोनलवैश्च तैः।
विप्रस्य तपसा तस्य शिरो मे काञ्चनीकृतम्||
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – तब हे सज्जन! सत्तुओं की गन्ध से, पसीने से, जल से, दिव्य पुष्पों को मसलने से, दान दिए गए सत्तुओं के उन कणों से तथा उस ब्राह्मण की तपस्या से मेरा सिर सोने का बना दिया गया।
Meaning in English – Then oh gentleman! My head was made of gold by the penance of that brahmana, by the sweet smell of sattus (meal of parched-grains), by the sweet smell of crushing the divine flowers and by the grains which were given as charity.
18. ततो मयोक्तं तद्वाक्यं प्रहस्य द्विजसत्तमाः!!
सक्तुप्रस्थेन यज्ञोऽयं सम्मितो नेति सर्वथा||
शब्दार्थ (Word-meanings)
सरलार्थ – तब हँसकर मैंने वह वाक्य कहा – हे श्रेष्ठ ब्राह्मणो! यह यज्ञ एक सेर भर सत्तू के समान किसी भी प्रकार नहीं है।
Meaning in English – Then while laughing I said that sentence Oh great brahmanas! This yajna is not at all equl to one kg. of sattu (meals of parched grains).