पाठगत प्रश्न
1. औरंगजेब के शासनकाल में किन-किन लोगों ने मुगल सत्ता को सबसे लम्बे समय तक चुनौती दी? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यक्रम पुस्तक, पेज-139)
उत्तर औरंगजेब को उत्तर भारत में सिक्खों, जाटों और संतनामियों, उत्तर पूर्व में अहोमो और दक्कन में मराठों के विद्रोहों का सामना करना पड़ा। मराठों ने औरंगजेब को काफी लम्बे समय तक चुनौती दी थी।
2. अपने राज्य को सुदृढ़ करने की कोशिशों में मुगल सूबेदार दीवान के कार्यालय पर भी क्यों नियंत्रण जमाना चाहते थे? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यक्रम पुस्तक, पेज-144)
उत्तर दीवान ही राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से कर वसूल करता था। राज्य के आय का मुख्य स्रोत राजस्व व्यवस्था ही था, इसलिए मुगल सूबेदार अपने राज्य को सुदृढ़ करने के लिए दीवान के कार्यालय पर भी नियंत्रण जमाना चाहते थे।
3. खालसा से क्या अभिप्राय है? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यक्रम पुस्तक, पेज-148)
उत्तर खालसा का शाब्दिक अर्थ है शुद्ध। खालसा पंथ के संस्थापक गुरु गोविंद सिंह थे। विक्रम संवत् 1756 ई. में बैसाख के प्रथम दिन आनंदपुर में एक बड़ी सभा का आयोजन किया गया तथा खालसा पंथ का गठन किया।
प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)
फिर से याद करें
1. निम्नलिखित में मेल बैठाएँ :
उत्तर
2. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :
(क) औरंगजेब ने …………. में एक लंबी लड़ाई लड़ी।
(ख) उमरा और जागीरदार मुगल ………….. के शक्तिशाली अंग थे।
(ग) आसफ़ जाह ने हैदराबाद राज्य की स्थापना ………………. में की।
(घ) अवध राज्य का संस्थापक ……………. था।
उत्तर
(क) दक्कन
(ख) साम्राज्य
(ग) 18वीं शताब्दी
(घ) सआदत खाँ
3. बताएँ सही या गलत :
(क) नादिरशाह ने बंगाल पर आक्रमण किया।
(ख) सवाई राजा जयसिंह इन्दौर का शासक था।
(ग) गुरु गोविंद सिंह सिक्खों के दसवें गुरु थे।
(घ) पुणे अठारहवीं शताब्दी में मराठों की राजधानी बना।
उत्तर
(क) गलत
(ख) गलत
(ग) सही
(घ) सही
4. सआदत ख़ान के पास कौन-कौन से पद थे ?
उत्तर सआदत ख़ान के पास निम्नलिखित पद थे
- सूबेदारी
- फ़ौजदारी
- दीवानी
आइए विचार करें
5. अवध और बंगाल के नवाबों ने जागीरदारी प्रथा को हटाने की कोशिश क्यों की?
उत्तर अवध और बंगाल के नवाबों ने जागीरदारी प्रथा को निम्न कारणों से हटाने की कोशिश की
- दोनों नवाब मुगल शासन के प्रभाव को कम करना चाहते थे।
- राजस्व के पुर्ननिर्धारण के लिए।
- अपने विश्वस्त लोगों की नियुक्ति के लिए।
- जमींदारों द्वारा की जाने वाली धोखाधड़ी को रोकने के लिए।
6. अठारहवीं शताब्दी में सिक्खों को किस प्रकार संगठित किया गया?
उत्तर अठारहवीं शताब्दी में कई योग्य नेताओं के नेतृत्व में सिक्खों ने अपने-आपको पहले ‘जत्थों में और बाद में ‘मिस्लों में संगठित किया। इन जत्थों और मिस्लों की संयुक्त सेनाएँ ‘दल खालसा’ कहलाती थीं। उन दिनों दल खालसा, बैसाखी और दीवाली के पर्वो पर अमृतसर में मिलता था। इन बैठकों में वे सामूहिक निर्णय लिए जाते थे, जिन्हें गुरमत्ता (गुरु के प्रस्ताव) कहा जाता था। सिक्खों ने राखी व्यवस्था स्थापित की, जिसके अंतर्गत किसानों से उनकी उपज का 20 प्रतिशत कर के रूप में लेकर बदले में उन्हें संरक्षण प्रदान किया जाता था।
7. मराठा शासक दक्कन के पार विस्तार क्यों करना चाहते थे?
उत्तर मराठा शासक निम्न कारणों से दक्कन के पार अपने साम्राज्य का विस्तार करना चाहते थे
- मराठा सरदारों को शक्तिशाली सेनाएँ खड़ी करने के लिए संसाधन मिल सके।
- एक बड़े क्षेत्र पर शासन स्थापित करने के लिए।
- उत्तरी मैदानी भागों के उपजाऊ क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए।
- अधिक-से-अधिक क्षेत्रों से चौथ तथा सरदेशमुखी वसूल करने के लिए।
8. आसफजाह ने अपनी स्थिति को मजबूत बनाने के लिए क्या-क्या नीतियाँ अपनाईं?
उत्तर असाफ़जाह द्वारा अपनी स्थिति को मजबूत बनाने के लिए अपनाई गई नीतियाँ
- असाफ़जाह अपने लिए कुशल सैनिकों तथा प्रशासकों को उत्तरी भारत से लाया था।
- उसने मनसबदार नियुक्त किए और इन्हें जागीरें प्रदान की।
- हैदराबाद राज्य पश्चिम की ओर मराठों के विरुद्ध और पठारी क्षेत्र के स्वतंत्र तेलुगु सेनानायकों के साथ युद्ध करने के लिए भी कूटनीति का सहारा लिया।
9. क्या आपके विचार से आज महाजन और बैंकर उसी तरह का प्रभाव रखते हैं, जैसाकिं वे अठारहवीं शताब्दी में रखा करते थे?
उत्तर हमारे विचार में आज महाजन और बैंकर उस तरह का प्रभाव नहीं रखते, क्योंकि 18वीं सदी में महाजन और बैंकर निम्न तरीके से राज्य को प्रभावित करते थे
- राज्य ऋण प्राप्त करने के लिए स्थानीय सेठ, साहूकारों और महाजनों पर निर्भर रहता था।
- साहूकार महाजन लोग लगान वसूल करने वाले इजारेदारों को पैसा उधार देते थे, बदले में बंधक के रूप में जमीन रख लेते थे।
- साहूकार महाजन जैसे कई नए सामाजिक समूह राज्य की राजस्व प्रणाली के प्रबंध को भी प्रभावित करने लगे थे।
10. क्या अध्याय में उल्लिखित कोई भी राज्य आपके अपने प्रांत में विकसित हुए थे? यदि हाँ, तो आपके विचार से अठारहवीं शताब्दी का जनजीवन आगे इक्कीसवीं शताब्दी के जनजीवन से किस रूप में भिन्न था?
उत्तर छात्र स्वयं करें।
आइए करके देखें
11. अवध, बंगाल या हैदराबाद में से किसी एक की वास्तुकला और नए क्षेत्रीय दरबारों के साथ जुड़ी संस्कृति के बारे में कुछ और पता लगाएँ।
उत्तर छात्र स्वयं करें।
12. राजपूतों, जाटों, सिक्खों अथवा मराठों में से किसी एक समूह के शासकों के बारे में कुछ और कहानियों का पता लगाएँ।
उत्तर छात्र स्वयं करें।