NCERT Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 4 The Mughal Empire (Hindi Medium)

 पाठगत प्रश्न

1. राजपूतों के साथ मुगलों के शादियों के कुछ उदाहरण दें। (एनसी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-50)
उत्तर जहाँगीर की माँ और अकबर की पत्नी कच्छवा की राजकुमारी थी। वह अंबर (वर्तमान में जयपुर) के राजपूत शासक की पुत्री थी। शाहजहाँ की माँ और जहाँगीर की पत्नी एक राठौड़ राजकुमारी थी। वह मारवाड़ (जोधपुर) के राजपूत शासक की पुत्री थी।

2. अकबर और औरंगजेब के शासनकाल के मनसबदारों की संख्या की तुलना करें। (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-31)
उत्तर 5000 जात वाले अभिजातों का दर्जा 1000 जात वाले अभिजातों से ऊँचा था। अकबर के शासनकाल में 29 ऐसे मनसबदार थे, जो 5000 जाते की पदवी के थे। औरंगजेब के शासनकाल तक ऐसे मनसबदारों की संख्या 79 हो गई।

3. अकबरनामा और आइने अकबरी के बारे में व्याख्या करें। (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-53)
उत्तर अकबर ने अपने करीबी मित्र और दरबारी अबुल फजल को आदेश दिया कि वह उसके शासनकाल का इतिहास लिखें। अबुल फजल ने यह इतिहास तीन जिल्दों में लिखा और इसको शीर्षक है ‘अकबरनामा’। पहली जिल्द में अकबर के पूर्वजों का बयान है और दूसरी अकबर के शासनकाल की घटनाओं का विवरण देती है। तीसरी जिल्द आइने अकबरी है। इसमें अकबर के प्रशासन, घराने, सेना, राजस्व और साम्राज्य के भूगोल का ब्यौरा मिलता है। इसमें समकालीन भारत के लोगों की परंपराओं और संस्कृतियों का भी विस्तृत वर्णन है। आइने-अकबरी का सबसे रोचक आयाम है, विविध प्रकार की चीजों-फसलों, पैदावार, कीमतों, मजदूरी और राजस्व का सांख्यिकीय विवरण।

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प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)

फिर से याद करें

NCERT Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 4 (Hindi Medium) 1

2. रिक्त स्थानों को भरें :

(क) ………… अकबर के सौतेले भाई, मिर्जा हाकिम के राज्य की राजधानी थी।
(ख) दक्कन की पाँचों सल्तनत बरार, खानदेश, अहमदनगर, …………. और …………. थीं।
(ग) यदि जात एक मनसबदार के पद और वेतन को द्योतक था, तो सवार ………… उसके ………….. को दिखाता था।
(घ) अकबर के दोस्त और सलाहकार, अबुल फ़जल ने उसकी …………. के विचार को गढ़ने में मदद की जिसके द्वारा वह विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और जातियों से बने समाज पर राज्य कर सका।

उत्तर

(क) काबुल
(ख) बीजापुर और गोलकुंडा
(ग) सैन्य उत्तरदायित्व
(घ) सुलह-ए-कुल।

3. मुगल राज्य के अधीन आने वाले केंद्रीय प्रांत कौन-से थे?
उत्तर मुगल साम्राज्य के अधीन आने वाले केन्द्रीय प्रांत-

  1. दिल्ली
  2. आगरा।

4. मनसबदार और जागीर में क्या संबंध था?
उत्तर मनसबदार अपना वेतन राजस्व एकत्रित करने वाली भूमि के रूप में पाते थे, जिन्हें जागीर कहते थे और जो तकरीबन ‘इक्ताओं के समान थी, परंतु मनसबदार, मुक्तियों से भिन्न अपने जागीरों पर नहीं रहते थे और न ही उन पर प्रशासन करते थे। उनके पास अपनी जागीरों से केवल राजस्व एकत्रित करने का अधिकार था। यह राजस्व उनके नौकर उनके लिए एकत्रित करते थे, जबकि वे स्वयं देश के किसी अन्य भाग में सेवारत रहते थे।

आइए समझे

5. मुगल प्रशासन में जमींदार की क्या भूमिका थी?
उत्तरं मुगलों की आमदनी का प्रमुख साधन किसानों की उपज से मिलने वाला राजस्व था। अधिकतर स्थानों पर | किसान ग्रामीण कुलीनों यानी ज़मींदारों को अपना राजस्व देते थे। एकत्रित किए गए राजस्व को जमींदार सरकारी खजाने में जमा कराते थे।

6. शासन-प्रशासन संबंधी अकबर के विचारों के निर्माण में धार्मिक विद्वानों से होने वाली चर्चाएँ कितनी महत्त्वपूर्ण थीं?
उत्तर अकबर के विचारों के निर्माण में धार्मिक विद्वानों से होने वाली चर्चाएँ निम्न प्रकार महत्त्वपूर्ण थीं

  1. धार्मिक चर्चाओं और परिचर्चाओं से अकबर को ज्ञात हुआ कि धार्मिक कट्टरता प्रजा के विभाजन और असामंजस्य के लिए उत्तरदायी होती है।
  2. ये अनुभव अकबर को सुलह-ए-कुल या सर्वत्र शांति के विचार की ओर ले गया।
  3. इन चर्चाओं ने उसे प्रशासन की एक स्पष्ट सोच प्रदान की, जिसमें केवल सच्चाई, न्याय और शांति पर बल था।

7. मुगलों ने खुद को मंगोल की अपेक्षा तैमूर के वंशज होने पर क्यों बल दिया?
उत्तर मुगल दो महान शासक वंशों के वंशज थे। माता की ओर से मंगोल शासक चंगेज खान के वंशज थे। पिता की ओर से वे ईरान, इराक एवं वर्तमान तुर्की के शासक तैमूर के वंशज थे, परंतु मुगल अपने को मंगोल या मुगल कहलवाना पसंद नहीं करते थे। ऐसा इसलिए था, क्योंकि चंगेज खान से जुड़ी स्मृतियाँ सैकड़ों व्यक्तियों के नरसंहार से संबंधित थी। दूसरी तरफ मुगल, तैमूर के वंशज होने पर गर्व का अनुभव करते थे, क्योंकि उनके इस महान पूर्वज ने 1398 में दिल्ली पर कब्जा कर लिया था।

आइए विचार करें

8. भू-राजस्व से प्राप्त होने वाली आय, मुगल साम्राज्य के स्थायित्व के लिए कहाँ तक जरूरी थी?
उत्तर
 भू-राजस्व से प्राप्त होने वाली आय मुगल साम्राज्य के लिए निम्न कारणों से जरूरी था

  1. भू-राजस्व राज्य की आय का प्रमुख स्रोत था।
  2. समस्त प्रशासनिक कार्य इस आय द्वारा पूरे किए जाते थे।
  3. राजदरबार के कर्मचारियों, प्रशासनिक कर्मचारियों के वेतन तथा अन्य खर्चे की पूर्ति राजस्व पर ही निर्भर था।

9. मुगलों के लिए केवल तूरानी या ईरानी ही नहीं, बल्कि विभिन्न पृष्ठभूमि के मनसबदारों की नियुक्ति क्यों महत्त्वपूर्ण थी?
उत्तर मुगलों के साम्राज्य में जैसे-जैसे विभिन्न क्षेत्र सम्मिलित होते गए, वैसे-वैसे मुगलों ने तरह-तरह के सामाजिक समूहों के सदस्यों को प्रशासन में नियुक्त करना प्रारंभ किया। प्रारंभ में ज्यादातर सरदार तुर्की (तूरानी) थे, लेकिन अब इस छोटे समूह के साथ-साथ उन्होंने शासक वर्ग में ईरानियों, भारतीय मुसलमानों, अफगानों, राजपूतों, मराठों और अन्य समूहों को सम्मिलित किया। इससे मुगलों को भारत में अपने शासन का विस्तार करने में एवं उसे स्थायित्व प्रदान करने में सहायता मिली।

10. मुगल साम्राज्य के समाज की ही तरह वर्तमान भारत, आज भी अनेक सामाजिक और सांस्कृतिक इकाइयों से बना हुआ है? क्या यह राष्ट्रीय एकीकरण के लिए एक चुनौती है?
उत्तर मुगल साम्राज्य के समाज में कई धर्म और जाति के लोग रहते थे, यही स्थिति वर्तमान भारत में भी बनी हुई है। फिर भी भारत में विविधता में एकता कायम है। भारत में विविध प्रकार की संस्कृतियाँ जैसे संगीत, नृत्य, भाषा, पर्व-त्योहार, साहित्य, खान-पान, रहन-सहन, पहनावा आदि में कई तरह की विविधता देखने को मिलती है। उसी तरह भारतीय समाज में अनेकों धर्म (हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी आदि) अनेक जाति, (ब्राह्मण, क्षत्रिय, बनिया आदि) के लोग रहते हैं। इससे भारत की सामाजिक और राष्ट्रीय एकता में किसी तरह की चुनौती नहीं है।

11. मुगल साम्राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए कृषक अनिवार्य थे। क्या आप सोचते हैं कि वे आज भी इतने ही महत्त्वपूर्ण हैं? क्या आज भारत में अमीर और गरीब के बीच आय का फासला मुगलों के काल की अपेक्षा कहीं अधिक बढ़ गया है?
उत्तर मुगल साम्राज्य की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित थी। वर्तमान अर्थव्यवस्था भी कृषि पर आधारित है, लेकिन राष्ट्रीय आय में कृषि का योगदान धीरे-धीरे घटता जा रहा है और दूसरे क्षेत्र जैसे उद्योग, संचार, सूचना प्रौद्योगिकी, यातायात, व्यापार, पर्यटक एवं अन्य सेवा क्षेत्र का योगदान बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में अमीर और गरीब के बीच का अंतर मुगल साम्राज्य की तुलना में अधिक बढ़ा है। मुगलकाल में 5.6% व्यक्ति कुल संसाधनों के मात्र 61.5% का उपभोग करते थे, जबकि आज लगभग 5% व्यक्ति देश के लगभग 90% संसाधनों का उपभोग करते हैं।

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