NCERT Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 8 Devotional Paths to the Divine (Hindi Medium)

 पाठगत प्रश्न

1. शंकर या रामानुज के विचारों के बारे में पता लगाने का प्रयत्न करें। (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-107)
उत्तर
शंकर – उनका का जन्म आठवीं शताब्दी में केरल प्रदेश में हुआ था। उनके मुख्य विचार थे-

  1. वे अद्वैतवाद के समर्थक थे, जिसके अनुसार जीवात्मा और परमात्मा दोनों एक ही हैं।
  2. उन्होंने यह शिक्षा दी कि ब्रह्मा, जो एकमात्र या परम सत्य है, वह निर्गुण और निराकार है।
  3.  उन्होंने हमारे चारों ओर के संसार को मिथ्या या माया माना और संसार का परित्याग करने अर्थात संन्यास लेने और ब्रह्मा की सही प्रकृति को समझने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए ज्ञान के मार्ग को अपनाने का उपदेश दिया।

रामानुज – रामानुज ग्यारहवीं शताब्दी में तमिलनाडु में पैदा हुए थे। वे विष्णु भक्त अलवार संतों से बहुत प्रभावित थे। इनके मुख्य विचार थे-

  1. मोक्ष प्राप्त करने का उपाय विष्णु के प्रति अनन्य भक्ति भाव रखना है।
  2. भगवान विष्णु की कृपादृष्टि से भक्त उनके साथ एकाकार होने का परमानंद प्राप्त कर सकता है।
  3. रामानुज ने विशिष्टताद्वैत के सिद्धान्त को प्रतिपादित किया, जिसके अनुसार आत्मा, परमात्मा से जुड़ने के बाद भी अपनी अलग सत्ता बनाए रखती है।

2. वसवन्ना, ईश्वर को कौन-सा मंदिर अर्पित कर रहा है? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-108)
उत्तर बसवन्ना ईश्वर को शरीररूपी मंदिर अर्पित कर रहा है।

3. आपके विचार से मीरा ने राणा का राजमहल क्यों छोड़ा? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-115)
उत्तर मीराबाई रविदास जो ‘अस्पृश्य जाति’ के माने जाते थे, की अनुयायी बन गईं। वे कृष्ण के प्रति समर्पित थीं। और उन्होंने अपने गहरे भक्ति-भाव को कई भजनों में अभिव्यक्त किया है। कृष्ण के प्रति समर्पित होने के कारण ही उन्होंने राजमहल को छोड़ दिया।

प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)

फिर से याद करें

1. निम्नलिखित में मेल बैठाएँ :

NCERT Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 8 (Hindi Medium) 1

उत्तर

NCERT Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 8 (Hindi Medium) 2

2. रिक्त स्थान की पूर्ति करें :

(क) शंकर …………. के समर्थक थे।
(ख) रामानुज ………….. के द्वारा प्रभावित हुए थे।
(ग) …………………. , …………………….. और …………………….. वीरशैव मत के समर्थक थे।
(घ) ……………… महाराष्ट्र में भक्ति परंपरा का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र था।

उत्तर

(क) अद्वैत
(ख) अलवार
(ग) वसवन्ना,अल्लामा-प्रभु,अक्कमहादेवी
(घ) पंढरपुर।

3. नाथपंथियों, सिद्धों और योगियों के विश्वासों और आचार-व्यवहारों का वर्णन करें।
उत्तर नामपंथी, सिद्ध और योगी इस काल में अनेक ऐसे धार्मिक समूह उभरे, जिन्होंने साधारण तर्क-वितर्क का सहारा लेकर रूढ़िवादी धर्म के कर्मकांडों और अन्य बनावटी पहलुओं तथा समाज-व्यवस्था की आलोचना की है। उनमें नामपंथी, सिद्धाचार और योगी जन उल्लेखनीय हैं। उन्होंने संसार का त्याग करने का समर्थन किया। उनके विचार से निराकार परम सत्य का चिन्तन-मनन और उसके साथ एक हो जाने की अनुभूति ही मोक्ष का मार्ग है। इसके लिए उन्होंने योगासन, प्राणायाम और चिन्तन-मनन जैसी क्रियाओं के माध्यम से मन एवं शरीर को कठोर प्रशिक्षण देने की आवश्यकता पर बल दिया। उनके द्वारा की गई रूढ़िवादी धर्म की आलोचना ने भक्तिमार्गीय धर्म के लिए आधार तैयार किया, जो आगे चलकर उत्तरी भारत में लोकप्रिय शक्ति बना।

4. कबीर द्वारा अभिव्यक्त प्रमुख विचार क्या-क्या थे ? उन्होंने इन विचारों को कैसे अभिव्यक्त किया ?
उत्तर कबीर द्वारा अभिव्यक्त प्रमुख विचार

  1. कबीर निराकार परमेश्वर में विश्वास करते थे।
  2. भक्ति के माध्यम से ही मोक्ष यानी मुक्ति प्राप्त हो सकती है।
  3. हिन्दू और इस्लाम धर्म में व्याप्त कुरीतियों की आलोचना की।
  4. प्रत्येक व्यक्ति को ईश्वर के प्रति प्रेम-भाव रखना चाहिए।
  5. हिंदू और मुसलमान एक ही ईश्वर की संतान हैं।
  6. धर्मों का अंतर अथवा भेदभाव मानव द्वारा बनाया गया है। आइए समझें।

5. सूफियों के प्रमुख आचार-व्यवहार क्या थे ?
उत्तर सूफी पंथ के आचार-विचार

  1. सूफी पंथ धर्म के बाहरी आडम्बरों को अस्वीकार करते हुए ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति तथा सभी मनुष्यों के प्रति दयाभाव रखने पर बल देते थे।
  2. सूफी संत ईश्वर के साथ ठीक उसी प्रकार जुड़े रहना चाहते थे, जिस प्रकार एक प्रेमी दुनिया की। परवाह किए बिना अपनी प्रियतम के साथ जुड़े रहना चाहता है।
  3. ईश्वर एक है, उसे प्रेम-साधना और भक्ति द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।

6. आपके विचार से बहुत-से गुरुओं ने उस समय प्रचलित धार्मिक विश्वासों तथा प्रथाओं को अस्वीकार क्यों किया ?
उत्तर बहुत से गुरुओं ने उस समय प्रचलित धार्मिक विश्वासों तथा प्रथाओं को निम्न कारणों से अस्वीकार कर दिया

  1. प्राचीनकाल से चले आ रहे ऐसे धार्मिक कर्मकांड जिसमें कई तरह की कुरीतियाँ व्याप्त हो गई थीं।
  2. प्राचीन काल से चली आ रही धार्मिक रीति-रिवाज एवं प्रथाओं में काफी जटिलताएँ आ गई थीं।
  3. उस समय प्रचलित धार्मिक विश्वास तथा प्रथाएँ समानता पर आधारित नहीं थीं। कई वर्गों के साथ काफी भेदभाव किया जाता था।

7. बाबा गुरुनानक की प्रमुख शिक्षाएँ क्या थीं ?
उत्तर बाबा गुरुनानक की प्रमुख शिक्षाएँ निम्न हैं

  1. एक ईश्वर की उपासना करनी चाहिए।
  2. जाति-पाति और लिंग-भेद की भावना से दूर रहना चाहिए।
  3. ईश्वर की उपासना करनी चाहिए, दूसरों का भला करना चाहिए तथा अच्छे आचार-विचार अपनाने चाहिए।
  4. उनके उपदेशों को नाम-जपना, कीर्तन करना और वंड-छकना के रूप में याद किया जाता है।

आइए विचार करें

8. जाति के प्रति वीरशैवों अथवा महाराष्ट्र के संतों का दृष्टिकोण कैसा था ? चर्चा करें।
उत्तर
जाति के प्रति वीरशैवों के विचार – वीरशैवों ने सभी प्राणियों की समानता के पक्ष में और जाति तथा नारी के प्रति व्यवहार के बारे में ब्राह्मणवादी विचारधारा के विरुद्ध अपने प्रबल तर्क प्रस्तुत किए। इसके अलावा वे सभी प्रकार के कर्मकांडों और मूर्तिपूजा के विरोधी थे।

जाति के प्रति महाराष्ट्र के संतों के विचार – महाराष्ट्र के संतों में जणेश्वर, नामदेव, एकनाथ और तुकाराम आदि महत्त्वपूर्ण थे। इन संतों ने सभी प्रकार के कर्मकांडों, पवित्रता के ढोंगों और जन्म पर आधारित सामाजिक अंतरों का विरोध किया।

9. आपके विचार से जनसाधारण ने मीरा की याद को क्यों सुरक्षित रखा?
उत्तर हमारे विचार से जनसाधारण ने मीराबाई की याद को निम्न कारणों से सुरक्षित रखा

  1. मीराबाई एक राजपूत राजकुमारी थीं और उसका विवाह मेवाड़ के राजपरिवार में हुआ था, फिर भी उन्होंने रविदास जो अस्पृश्य जाति से संबंधित थे, को अपना गुरु बनाया।
  2. उन्होंने भगवान कृष्ण की उपासना में अपने-आप को समर्पित कर दिया था। उन्होंने अपने गहरे भक्ति-भाव को कई भजनों में अभिव्यक्त किया है।
  3. उनके गीतों ने उच्च जातियों के रीतियों-नियमों को खुली चुनौती दी तथा ये गीत राजस्थान व गुजरात के जनसाधारण में बहुत लोकप्रिय हुए।

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