पाठगत प्रश्न
1. उपमहाद्वीप का एक भौतिक मानचित्र लेकर वे इलाके बताइए जहाँ जनजातीय लोग रहते रहे होंगे। (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-92)
उत्तर उपमहाद्वीप में जनजातियों के निवास स्थान –
2. पता करें कि आजकल गाँव से शहरों तक अनाज ले जाने का काम कैसे होता है? बंजारों के तौर-तरीकों से यह किन मायनों में भिन्न या समान हैं? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-95)
उत्तर आजकल गाँव से शहरों तक अनाज ले जाने का काम बैलगाड़ी, घोड़ागाड़ी, भैंसागाड़ी, ट्रैक्टर, खच्चर आदि से किया जाता है, जबकि बंजारे अपना सामान बैलों पर लादकर ले जाते थे, अर्थात् पहले की तुलना में आज गाँव से शहरों तक अनाज ले जाने में काफ़ी सुविधा हो गई है।
3. चर्चा करें कि मुगल लोग गोंड प्रदेश पर क्यों कब्जा करना चाहते थे? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-99)
उत्तर गोंडों का राज्य गढ़ कटंगा था जो कि एक समृद्ध राज्य था। इस राज्य ने हाथियों को पकड़ने और दूसरे राज्यों में उनका निर्यात करने के व्यापार में खासा धन कमाया। मुगल गोंड राज्य की समृद्धि को देखकर उस पर कब्जा जमाना चाहते थे। जब मुगलों ने गोंडों को हराया तो उन्होंने लूट में बेशकीमती सिक्के और हाथी प्राप्त किए। मुगलों ने राज्य का एक भाग अपने कब्जे में ले लिया और शेष बीर नारायण के चाचा चंदरशाह को दे दिया।
4. आपके विचार में मुगलों ने अहोम प्रदेश को जीतने का प्रयास क्यों किया? (एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यपुस्तक, पेज-100)
उत्तर अहोमों ने सोलहवीं सदी के दौरान चुटियों और कोच-हाजो के राज्यों को अपने राज्य में मिला लिया। उन्होंने कई अन्य जनजातियों को भी अपने अधीन कर लिया। अहोमों ने एक बड़ा राज्य बनाया और इसके लिए 1530 के दशक में ही इतने वर्षों पहले आग्नेय अस्त्रों का इस्तेमाल किया। 1660 तक आते-आते वे उच्च स्तरीय बारूद और तोपों का निर्माण करने में सक्षम हो गए थे। अहोम अपनी शक्ति और साम्राज्य का विस्तार काफ़ी तेजी से कर रहे थे, इसलिए मुगलों ने अहोम प्रदेश को जीतने का प्रयास किया।
प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)
फिर से याद करें
1. निम्नलिखित में मेल बैठाएँ :
उत्तर
2. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :
(क) वर्गों के भीतर पैदा होती नयी जातियाँ ………….. कहलाती थीं।
(ख) ………….. अहोम लोगों के द्वारा लिखी गई ऐतिहासिक कृतियाँ थीं।
(ग) …………. ने इस बात का उल्लेख किया है कि गढ़ कटंगा में 70,000 गाँव थे।
(घ) बड़े और ताकतवर होने पर जनजातीय राज्यों ने ………….. और …………. को भूमि-अनुदान दिए।
उत्तर
(क) श्रेणियाँ
(ख) बुरंजी
(ग) अकबरनामा
(घ) मंदिर बनवाए, ब्राह्मणों।
3. सही या गलत बताइए :
(क) जनजातीय समाजों के पास समृद्धवाचक परंपराएँ थीं।
(ख) उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भाग में कोई जनजातीय समुदाये नहीं था।
(ग) गोंड राज्यों में अनेक नगरों को मिलाकर चौरासी बनता था।
(घ) भील, उपमहाद्वीप के उत्तर-पूर्वी भाग में रहते थे।
उत्तर
(क) सही
(ख) गलत
(ग) गलत
(घ) गलत।।
4. खानाबदोश पशुचारकों और एक जगह बसे हुए खेतिहरों के बीच किस तरह का विनिमय होता था?
उत्तर खानाबदोश पशुचारकों और खेतिहरों के बीच वस्तु विनिमय होता था, जिसके तहत एक वस्तु को देकर दूसरे वस्तु को प्राप्त करना होता था। खानाबदोश चरवाहे अपने जानवरों के साथ दूर-दूर तक घूमते थे। उनका जीवन दूध और अन्य पशुचारी उत्पादों पर निर्भर था। खानाबदोशी चरवाहे गृहस्थों से अनाज, कपडे, बर्तन और ऐसी ही चीज़ों के बदले ऊन, घी, दूध दिया करते थे। कुछ खानाबदोश रास्ते में पड़ने वाले गाँवों और नगरों में सामानों की खरीद-फरोख्त भी करते थे। आइए समझें
5. अहोम राज्य का प्रशासन कैसे संगठित था?
उत्तर अहोम प्रशासन को संगठन निम्न प्रकार से संगठित था
- सत्रहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध तक अहोम प्रशासन केन्द्रीकृत हो चुका था।
- अहोम समाज कुलों में विभाजित था। बाद में कुलों में एकता भंग हो गई।
- एक कुल (खेल) के नियंत्रण में प्रायः कई गाँव होते थे। किसान को अपने ग्राम समुदाय के द्वारा जमीन दी जाती थी। समुदाय की सहमति के बगैर राजा तक इसे वापस नहीं ले सकता था।
6. वर्ण आधारित समाज में क्या परिवर्तन आए?
उत्तर वर्ण आधारित समाज में निम्न परिवर्तन आए –
- वर्गों के भीतर छोटी-छोटी जातियाँ उभरने लगीं। उदाहरण के लिए, ब्राह्मणों के बीच नयी जातियाँ सामने आईं।
- दूसरी ओर कई जनजातियों और सामाजिक समूहों को जाति विभाजित समाज में शामिल कर लिया गया और उन्हें जातियों का दर्जा दे दिया गया।
- ब्राह्मणों द्वारा शिल्पियों, सुनार, लोहार, बढ़ई और राजमिस्त्री को जातियों के रूप में मान्यता दे दी गई।
- वर्ण की बजाय जाति, समाज के संगठन का आधार बनी।
7. एक राज्य के रूप में संगठित हो जाने के बाद जनजातीय समाज कैसे बदला?
उत्तर एक राज्य के रूप में संगठित हो जाने के बाद जनजातीय समाज में कई तरह से बदलाव आए।
(i) हूण, चंदेल, चालुक्य और कुछ दूसरी वंश परंपराओं में से कुछ पहले जनजातियों में आते थे और बाद में कई कुल राजपूत मान लिए गए। धीरे-धीरे उन्होंने पुराने शासकों की जगह ले ली, विशेषतः कृषि वाले क्षेत्रों में।
शासकों के रूप में राजपूत गोत्रों के उदय के उदाहरण का जनजातीय लोगों ने अनुसरण किया। धीरे-धीरे ब्राह्मणों के समर्थन से कई जनजातियाँ, जाति व्यवस्था का हिस्सा बन गई लेकिन केवल प्रमुख जनजातीय परिवार ही शासक वर्ग में शामिल हो सके।
आइए विचार करें
8. क्या बंजारे लोग अर्थव्यवस्था के लिए महत्त्वपूर्ण थे?
उत्तर हाँ, बंजारे लोग अर्थव्यवस्था की दृष्टि से कई तरह से महत्त्वपूर्ण थे –
- बंजारे लोग सबसे महत्त्वपूर्ण व्यापारी खानाबदोश थे।
- सल्तनत काल में बंजारे नगर के बाजारों तक अनाज की ढुलाई किया करते थे।
- बंजारे विभिन्न इलाकों से अपने बैलों पर अनाज ले जाकर शहरों में बेचते थे।
- सैन्य अभियानों के दौरान वे मुगल सेना के लिए खाद्यान्नों की ढुलाई का काम करते थे। बंजारे किसी | भी सेना के लिए एक लाख बैलों से अनाज ढोते थे।
9. गोंड लोगों का इतिहास, अहोमों के इतिहास से किन मायनों में भिन्न था? क्या कोई समानता भी थी?
उत्तर गोंड लोगों के इतिहास एवं अहोमों के इतिहास में कई मायनों में अन्तर था, जैसे
- गोंड, गोंडवाना प्रदेश की प्रमुख जनजाति थी, जबकि अहोम ब्रह्मपुत्र घाटी में निवास करने वाली प्रमुख जनजाति थी।
- गोंड यहाँ के मूल निवासी थे, जबकि अहोम म्यानमार से आकर बसे थे।
- गोंड आग्नेय अस्त्रों का प्रयोग नहीं जानते थे, जबकि अहोम उच्च स्तरीय बारूद और तोपों के निर्माण में सक्षम थे।
- गोंडवाना राज्य अहोम राज्य की तुलना में बड़ा था।
गोंड इतिहास एवं अहोम इतिहास में समानताएँ –
- गोंड और अहोम दोनों ही जनजातियाँ थीं।
- दोनों ही जनजातियों ने अपने-अपने साम्राज्य स्थापित किए।
- दोनों ही राज्यों को मुगलों ने पराजित किया।