कक्षा : 6
विषय : सामाजिक विज्ञान (भूगोल –पृथ्वी हमारा आवास)
अध्याय : 8 – भारत : जलवायु, वनस्पति तथा वन्य प्राणी (प्रश्न -उत्तर)
प्रश्न अभ्यास
प्रश्न 1 – निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए।
1 . कौन-सी पवन भारत में वर्षा लाती है ? यह इतनी महत्त्वपूर्ण क्यों है ?
उत्तर :- मानसूनी पवनें भारत में वर्षा लाती हैं। इस समय पवन बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर से सथल की ओर बहती है। वे अपने साथ नमी भी लाती है। जब ये पवन पहाड़ों से टकराती है तब वर्षा होती है। भारत में कृषि वर्षा पर निर्भर हैं। अच्छे मानसून का मतलब है पर्याप्त वर्षा तथा प्रचुर मात्रा में फसलों का उत्पादन।
2. भारत के विभिन्न मौसमों के नाम लिखिए।
उत्तर :- भारत में चार प्रमुख मौसम होते हैं – दिसंबर से फरवरी तक ठंडा मौसम (सर्दी), मार्च से मई तक गर्म मौसम (गर्मी), जून से सितंबर तक दक्षिण-पश्चिम मानसून का मौसम (वर्षा), अक्टूबर और नवंबर में मानसून के लौटने का मौसम (शरद)।
3. प्राकृतिक वनस्पति क्या है?
उत्तर :- हम अपने चारों तरफ विभिन्न प्रकार का पादप जीवन देखते है। हमें हरे घास वाले मैदान में खेलना अच्छा लगता है। कुछ पौधे छोटे होते हैं जिन्हें झाड़ी कहा जाता है जैसे:- कैक्टस, तथा फूलो वाले पौधे। इसके अतिरिक्त बहुत लंबे वाले वृक्ष होते है। उनमे से कुछ में बहुत सी शाखायें तथा पत्तियाँ होती है। जैसे नीम, आम तो कुछ ऐसे वृक्ष होते है जिनमें पतियों की मात्रा बहुत कम होती है जैसे :- नारियल। घास, झाड़ियां तथा पौधे जो बिना मनुष्य की सहायता के उपजते है, प्राकृतिक वनस्पति कहलाते है।
4. भारत में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों के नाम लिखिए।
उत्तर :- जलवायु में अलग अलग प्रकार की वनस्पतियाँ पाई जाती है।इनमे वर्षा की मात्रा सबसे मह्त्वपूर्ण होती है। जलवायु की विभिन्नता के कारण भारत में अलग-अलग पाँच तरह की वनस्पतियाँ पाई जाती हैं:-उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन, उष्ण कटिबंधीय पतझड़ वन, कंटीली झाड़ियाँ, पर्वतीय वन, मैंग्रोव वन।
5. सदाबहार वने तथा पतझड़ वन में क्या अंतर है?
उत्तर :- सदाबहार वन अधिक घने होते है और सूर्य का प्रकाश भी ज़मीन तक अधिक नहीं पहुँच पाता जबकि पतझड़ वन कम घने होते है। सदाबहार वन वर्षा के अलग अलग समय पर अपनी पत्तियां गिराते है। जबकि पतझड़ वन वर्षा में अपने एक निश्चित् समय पर पत्तियां गिराते है। सदाबहार वन उन क्षेत्रों में पाये जाते है जहा अधिक वर्षा होती है। पतझड़ वन देश के बहुत बड़े और अधिक भाग में पाये जाते है। सदाबहार वन में पाये जाने वाले वृक्ष महोगनी, ऐबोनी, रोजवुड आदि है। साल, सागौन, पीपल पतझड वन में पाये जाने वाले वृक्ष है।
6. उष्ण कटिबंधीय वर्षा वनों को सदाबहार वन क्यों कहा जाता है?
उत्तर :- ये वन वर्ष के अलग-अलग समय पर अपनी पत्तियाँ गिराते हैं, जिसके कारण ये हमेशा हरे-भरे दिखाई देते है। ये घने वन भूमध्य रेखा एवं उष्णकटिबंध के पास पाए जाते हैं। ये क्षेत्र गर्म होते हैं एवं पूरे वर्ष यहाँ अत्यधिक वर्षा होती है।सदाबहार वन कई क्षेत्रों में भूमि स्तर पर सूरज की रौशनी न पहुंच पाने के कारण बड़े वृक्षों के नीचे छोटे पौधे और झाड़ियां बहुत कम उग पाती हैं। इस कारण वन से होते हुए लोगों और अन्य जानवरों का चलना संभव हो जाता है। इसलिए इन्हें सदाबहार वन कहते हैं।
प्रश्न -2. सही उत्तर चिह्नित (✓) कीजिए।
1 . विश्व में सबसे अधिक वर्षा वाला क्षेत्र कौन-सा है?
(क) मुंबई
(ख) आसनसोल
(ग) मौसिनराम
2. मैंग्रोव वन कहाँ हो सकते हैं ?
(क) खारे जल में
(ख) साफ जल में
(ग) प्रदूषित जल में
3. महोगनी एवं रोजवुड वृक्ष पाए जाते हैं
(क) मैंग्रोव वन में ।
(ख) उष्ण कटिबंधीय पतझड़ वन में
(ग) उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन में
4. जंगली बकरी तथा हिम तेंदुए कहाँ पाए जाते हैं?
(क) हिमालय क्षेत्र में
(ख) प्रायद्वीपीय क्षेत्र में
(ग) गिर वन में
5. दक्षिण-पश्चिम मानसून के समय आर्द्र पवनें कहाँ बहती हैं ?
(क) स्थल से समुद्र की ओर
(ख) समुद्र से स्थल की ओर
(ग) पठार से मैदान की ओर
उत्तर :-(ग) मौसिनराम
(क) खारे जल में
(ग) उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन
(क) हिमालय क्षेत्र में
(ख) समुद्र से स्थल की ओर
प्रश्न -3. खाली स्थान भरें:-
1.गर्मी में दिन के समय शुष्क तथा गर्म पवनें चलती हैं, जिन्हें …………………… कहा जाता है।
2.आंध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु में …………………… के मौसम में बहुत अधिक मात्रा में वर्षा होती है।
3.गुजरात के …………………… वन …………………… का निवास है।
4.…………………… मैंग्रोव वन की प्रजाति है।
5.………………….. को मानसून वन भी कहा जाता है।
उत्तर :-1.गर्मी में दिन के समय शुष्क तथा गर्म पवनें चलती हैं, जिन्हें लूँ कहा जाता है।
2.आंध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु में लोटते मानसून के मौसम में बहुत अधिक मात्रा में वर्षा होती है।
3.गुजरात के गिर वन एशियाई शेरों का निवास है।
4. सुंदरी मैंग्रोव वन की प्रजाति है।
5. उष्ण कटिबंधीय पतझड़ वन को मानसून वन भी कहा जाता है।