कक्षा : 6
विषय : सामाजिक विज्ञान (इतिहास, हमारे अतीत -1)
अध्याय : 6 – नए प्रश्न नए विचार (प्रश्न -उत्तर)
पाठ्यपुस्तक के आंतरिक प्रश्न
प्रश्न 1 – वेदों की रचना के लिए किस भाषा का प्रयोग हुआ था?
उत्तर :- संस्कृत
प्रश्न 2 – बुद्ध दुःखी माँ को क्या शिक्षा देने का प्रयास कर रहे थे?
उत्तर :- बुद्ध दुःखी माँ को यह शिक्षा देना चाहते थे कि इस दुनिया में कोई भी घर ऐसा नहीं जहाँ कभी किसी कि मृत्यु नहीं हुई हो। मृत्यु एक ऐसी सच्चाई है जो कभी झुटलाई नहीं जा सकती। यह दिन हर किसी की जिंदगी में कभी ना कभी आता ही है, जिससे कभी कोई नहीं बच सकता।
प्रश्न 3 – भिखारी ने भोजन पाने के लिए ऋषियों को किस तरह मनाया?
उत्तर :- भिखारी ने भोजन पाने के लिए ऋषि को सार्वभौम आत्मा की उपासना का सही अर्थ समझाया जिससे उसे भोजन प्राप्त हुआ।
प्रश्न 4 – महावीर के लिए ‘जिन’ शब्द का प्रयोग क्यों हुआ?
उत्तर :- जैन शब्द जिन से निकला है जिसका अर्थ है विजेता।महावीर एक विजेता ही थे जिन्होंने लोगों को अपने विचारों तथा शिक्षा को अपनाने के लिए प्रेरित किया और विजय प्राप्त की।
प्रश्न 5 – संघ के जीवन से आश्रमों की यह व्यवस्था किस तरह भिन्न थी? यहाँ किन वर्गों का उल्लेख हुआ है? क्या सभी चार वर्गों को यह आश्रम व्यवस्था अपनाने की अनुमति थी?
उत्तर :- संघ के जीवन से जीवित रहने वाले लोग यह सोचते थे कि घर का त्याग करने पर ही सच्चे ज्ञान की प्राप्ति हो सकती है। इसलिए इन्होने घर का त्याग कर दिया था। उन्होंने एक संगठन बनाया जिससे जो भी लोग घर त्यागे वे साथ मे रह सके और उन्हें ज्यादा परेशानी ना हो। इन्होने पुरुष और स्त्री दोनों के लिए रहने की अलग अलग व्यव्स्था की थी। इसमें किसी को ना आने की मनाही नहीं थी सब इसमें प्रवेश ले सकते था। बच्चोंं को अपने माता पिता से, पत्नी को अपने पति से, दास और दासी को राजाओं से अनुमति लेनी होती थी। इनके जीवन जीने का तरीका भी बहुत सादा होता था। वे अपना अधिकांश समय ध्यान में बिताते थे। और खाना भिक्षा माँग कर खाते थे। किसी भी तरह की कोई लड़ाई होती तो स्वयम् बैठक बिठाकर निपटारा करते थे। संघ में प्रवेश लेने वालोंं में ब्राह्मण, क्षत्रिय, व्यापारी, मजदूर, नाई सब शामिल थे। अपितु आश्रम में रहने वाले लॉगो का जीवन बहुत ही कष्टदायी होता था।इसमें सबको ग्रहस्थ नियमो का भी पालन करना होता था।
अन्यत्र
एटलस में ईरान हूँढो। जरथुस्त्र एक ईरानी पैगम्बर थे। उनकी शिक्षाओं का संकलन जेन्द-अवेस्ता नामक ग्रंथ में मिलता है। जेन्द-अवेस्ता की भाषा तथा इसमें वर्णित रीति-रिवाज, वेदों की भाषा और रीति-रिवाजों से काफ़ी मिलते-जुलते हैं। जरथुस्त्र की मूल शिक्षा का सूत्र है :
‘सद्-विचार, सद्-वचन तथा सद्-कार्य।’‘हे ईश्वर! बल, सत्य-प्रधानता एवं सद्विचार प्रदान कीजिए, जिनके जरिए हम शांति बना सकें।’एक हजार से अधिक वर्षों तक जरथुस्त्रवाद ईरान का एक प्रमुख धर्म रहा। बाद में कुछ जरथुस्त्रवादी ईरान से आकर गुजरात और महाराष्ट्र के तटीय नगरों में बस गए। वे लोग ही आज के पारसियों के पूर्वज हैं।
प्रश्न 1 – जरथुस्त्र की शिक्षाओं का संकलन किस ग्रंथ में मिलता है ?
उत्तर : जरथुस्त्र एक ईरानी पैगम्बर थे उनकी शिक्षाओं का संकलन जेन्द-अवेस्ता नामक ग्रंथ में मिलता है।
प्रश्न 2 – जेन्द-अवेस्ता नामक ग्रंथ की भाषा और रीति-रिवाज किस से मिलते-जुलते हैं?
उत्तर :- जेन्द-अवेस्ता की भाषा तथा इसमें वर्णित रीति-रिवाज, वेदों की भाषा और रीति-रिवाजों से काफी मिलते-जुलते हैं।
प्रश्न 3 – जरथुस्त्र की मूल शिक्षा सूत्र क्या है?
उत्तर :- जरथुस्त्र की मूल शिक्षा का सूत्र है; सद् विचार, सद्-वचन तथा सद्-कार्य।
प्रश्न 4 – कुछ जरथुस्त्रवादी ईरान से आकर भारत में कहाँ बस गए थे?
उत्तर :- कुछ जरथुस्त्रवादी ईरान से आकर गुजरात और महाराष्ट्र के तटीय नगरों में बस गए। वे लोग ही आज के पारसियों के पूर्वज हैं।
प्रश्न अभ्यास
आओ याद करें:-
प्रश्न 1 – बुद्ध ने लोगों तक अपने विचारों का प्रसार करने के लिए किन-किन बातों पर जोर दिया?
उत्तर :- बुद्ध ने लोगों तक अपने विचारों का प्रसार करने के लिए निम्नलिखित बातों पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि सब का जीवन कष्टों और दुखों से भरा हुआ है। इस कारण हमारी इच्छाएं और लालसाए भी बढ़ती रहती है। अगर हम लड़ते रहेंगे तो हमें कुछ प्राप्त नहीं होगा। अपितु हमारा ही विनाश होगा। लोगों को दयालु होना चाहिए और मनुष्यों के साथ साथ जानवरों के जीवन का भी आदर करना चाहिए।
कभी कभी हम जो चाहते है वे प्राप्त कर लेने के बाद भी संतुष्ट नहीं होते और अधिक चीजो को पाने की भी इच्छा करते है। बुद्ध ने इस लिप्सा को तृष्णा कहा है। बुद्ध ने कहा कि आत्मसयम् अपनाकर हम इन लालसाओ से मुक्ति पा सकते है। बुद्ध कहते है कि हमारे द्वारा किया गया कम अच्छा हो या बुरा इसका प्रभाव वर्तमान के साथ आने वाले जीवन को भी प्रभावित करता है। बुद्ध ने अपनी शिक्षा सामान्य लोगों को प्राकृत भाषा में दी थी ताकि लॉगो को आसानी से समझ भी आ सके।
प्रश्न 2 – सही’ व ‘गलत’ वाक्य बताओ।
(क) बुद्ध ने पशुबलि को बढ़ावा दिया।
(ख) बुद्ध द्वारा प्रथम उपदेश सारनाथ में देने के कारण इस जगह का बहुत महत्त्व है।
(ग) बुद्ध ने शिक्षा दी कि कर्म का हमारे जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
(घ) बुद्ध ने बोध गया में ज्ञान प्राप्त किया।
(ङ) उपनिषदों के विचारकों का मानना था कि आत्मा और ब्रह्म वास्तव में एक ही हैं।
उत्तर :- (क) बुद्ध ने पशुबलि को बढ़ावा दिया। (गलत)
(ख) बुद्ध द्वारा प्रथम उपदेश सारनाथ में देने के कारण इस जगह का बहुत महत्त्व है। (सही)
(ग) बुद्ध ने शिक्षा दी कि कर्म का हमारे जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। (गलत)
(घ) बुद्ध ने बोध गया में ज्ञान प्राप्त किया। (सही)
(ङ) उपनिषदों के विचारकों का मानना था कि आत्मा और ब्रह्म वास्तव में एक ही हैं। (सही)
प्रश्न 3 – उपनिषदों के विचारक किन प्रश्नों का उत्तर देना चाहते थे ?
उत्तर :- उपनिषदो के विचारक अनेक प्रश्नों का उत्तर ढूंढने का प्रयास कर रहे थे। जैसे वो जानना चाह्ते थे कि मृत्यु के बाद का जीवन कैसा होता होगा। मनुष्य के शरीर के साथ क्या होता होगा। क्या उनका फिर से जन्म होता होगा। जो हम यज्ञ करते है वो कैसे लाभदायक होते है। कैसे मनुष्य को उसका फल मिलता होगा। और ऐसी कौन सी चीज़ है जो स्थायी है और हमेशा जीवित रहती है।
प्रश्न 4 – महावीर की प्रमुख शिक्षाएँ क्या थीं?
उत्तर – महावीर जानते थे और सबको यही शिक्षा देते थे जो उन्होंने अपने जीवन में अपनाई थी। वो कहते थे कि जो व्यक्ति ज्ञान की प्राप्ति करना चाहता है, अपने जीवन की सच्चाई जानना चाह्ता है उसे अपना घर त्याग देना चहिए। किसी भी व्यक्ति को लड़ना नहीं चहिए और सच्चाई के रास्ते पर अहिंसा के साथ चलना चहिए। हमें जानवरो को भी हमारी तरह समझना चहिए उनका आदर सत्कार करना चहिए। उन्हें कष्ट नहीं देना चहिए। जानवरो को मारने के वे सख्त खिलाफ थे। भोजन के लिए भिक्षा मांगकर सदा सरल जीवन व्यतीत करना चहिए। अपना जीवन ईमानदारी से जीना चहिए और कभी किसी के साथ छल कपट नहीं करना चहिए।
प्रश्न 5 – अनघा की माँ क्यों चाहती थी कि उनकी बेटी बुद्ध की कहानी से परिचित हो? तुम्हारा इसके बारे में क्या कहना है ?
उत्तर :- अनघा अपने विद्यालय की तरफ से घूमने जा रही थी। इसके लिए उन्होंने देर रात पूणे से वाराणसी की ट्रेन पकड़ी थी। अनघा की माँ चाहती थी कि उसकी बेटी को भारत के महान संत गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़े स्थान देखने का अवसर मिले ताकि उसके मन में भी सत्य, अहिंसा और ईमानदारी का भाव उत्पन हो। वो बुद्ध के बताए हुए रास्ते पर ही चलें। सबसे प्रेम भाव रखे। कभी किसी से झगड़ा ना करें। इसलिए उसकी माँ चाहती थी कि उनकी बेटी बुद्ध के जीवन से परिचित हो।
प्रश्न 6 – क्या तुम सोचते हो कि दासों के लिए संघ में प्रवेश करना आसान रहा होगा, तर्क सहित उत्तर दो।
उत्तर :- नहीं क्योंकि उस समय भी जैसे दास प्रथा चलती आ रही थी। राजा महाराज अपने हर छोटे से छोटे कम अपने दास दासीयों से करवाते थे। महावीर तथा बुद्ध ने भी जो संघ बनाये थे उसमें ये कहा था अगर कोई दास अपना घर त्यागना चाहता है और संघ में प्रवेश लेना चाहता है तो उसे अपने मालिक की अनुमति लेनी होगी। तो मालिक ये अनुमति उन्हें आसानी से नहीं देते होंगे क्योंकि सब काम करने की उनकी सुख सुविधाऐं खत्म हो जाती।
आओ करके देखो:-
प्रश्न 7- इस अध्याय में उल्लिखित कम से कम पाँच विचारों तथा प्रश्नों की सूची बनाओ। उनमें से किन्हीं तीन का चुनाव कर चर्चा करो कि वे आज भी क्यों महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर :- विचार:- अच्छे कर्म, अहिंसा, ईमानदारी, सामान भाव, आत्मसयम्
प्रश्न:- मरने के बाद मनुष्य के शरीर का क्या होता है।
मनुष्य मरने के बाद कहा जाते है।
यज्ञ करने से क्या प्राप्ति होती है।
कौनसी ऐसी चीज़ है जो मरने के बाद भी जीवित रहती है।
- ईमानदारी:- आज के जीवन में सबसे ज्यादा ईमानदारी मह्त्वपूर्ण है जो कि दुनिया में खत्म होती जा रही है। सारी दुनिया लगभग पैसों और बड़े आदमियों से चलती है। सभी काम पैसो से होते है। ईमानदारी ना होने की वजह से एक आयोग्य व्यक्ति को नौकरी दे दी जाती है।
- सामान भाव:- आज के समय में सभी लॉगो में भेदभाव् की भावना रहती है। जाती, रंग, लिंग के आधार पर भेदभाव् होता रहता है। तो दुनिया में सबसे पहले यह खत्म करने की जरूरत है।
- अच्छे कर्म:- आज के लोग चोरी चकारी, मर्डर, एक दूसरे को अपमानित करना ऐसे काम बहुत ज्यादा करते है। उनको ये नहीं पता की तुम्हारे द्वारा आज जो भी प्रतिक्रिया होती है आने वाले समय में वही तुम्हारे सामने आएगी और इससे कोई भी नहीं बच सकता। कहते है ना जो बोओगे वही काटोगे।
प्रश्न 8 – आज दुनिया का त्याग करने वाले स्त्रियों और पुरुषों के बारे में और अधिक जानने का प्रयास करो। ये लोग कहाँ रहते हैं, किस तरीके के कपड़े पहनते हैं तथा क्या खाते हैं ? ये दुनिया का त्याग क्यों करते हैं ?
उत्तर :- आज कल की दुनिया में भी पहले वाली प्रथा लगभग चली आ ही रही है। जैसे पहले लोग अपना घर त्याग करके जगंल में , संघ में, आश्रम मैं रहने चलें जाते थे। वैसै ही आज भी कई स्त्री और पुरुष ऐसे है जो अपने घर के क्लेश से मुक्ति पाने के लिए, या ब्रह्मचारी जीवन व्यतीत करने के लिए अपना घर त्याग देते है। आज कल ऐसे लॉगो के लिए आश्रम बनाये गए है जहाँ लोग अपना जीवन व्यतीत करते है। और वहां खुश भी रहते है। कई लोग पीले तथा कई लोग सफ़ेद वस्त्र पहनते है।