एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 सामाजिक विज्ञान इतिहास अध्याय 2 आखेट – खाद्य संग्रह से भोजन उत्पादन तक

 कक्षा : 6

विषय : सामाजिक विज्ञान (इतिहास, हमारे अतीत -1)
अध्याय : 2
 – आखेट – खाद्य संग्रह से भोजन उत्पादन तक (प्रश्न -उत्तर)

पाठ्यपुस्तक के आंतरिक प्रश्न

प्रश्न 1 – क्या तुम बता सकते हो कि सबसे पहले कुत्तों को ही पालतू क्यों बनाया गया ?

उत्तर :- पहले वाले समय में जब मानव शिकारी थे हो सकता है कि आद्य-कुत्ते प्रारंभिक मानव द्वारा शिकार के बाद छोड़ दिये गये शवों का लाभ लेते थे, साथ ही शिकार को पकड़ने में सहायता प्रदान करते थे और बड़े शिकारियों से रक्षा प्रदान करते थे। और धीरे धीरे कुत्ते मानव के घर में रहने वाले लॉगो से जुड़ने लगे हो इसलिए कुत्तो को पहले पालतु बनाया गया।

प्रश्न 2 – क्या तुम्हें लगता है कि शिकारी या भोजन-संग्रह करने वाले बर्तन बनाते और उनका प्रयोग करते होंगे ? अपने जवाब का कारण बताओ।

उत्तर :- नहीं क्योंकि ये लोग वैसे भी एक स्थान पर नहीं रहते थे। उन्हे भोजन संग्रह के लिए जगह बदलनी पड़ती थी। इसके लिए इधर उधर भटकना पड़ता था। इसमें उन्हें वैसे भी उतना ही खाना प्राप्त होता कि वो एक समय खा सकते तब उन्हें बर्तन इक्ट्ठा करने की जरूरत ही क्या थी।

प्रश्न 3 – भोजन के अतिरिक्त जानवरों से और क्या-क्या मिल सकता है ?

उत्तर :- भोजन के अतिरिक्त जानवरो से हम कपड़े बनवा सकते है। इनसे हम भिन्न् प्रकार के औजार बना सकते है।

प्रश्न 4 – आज जानवरों का उपयोग किसलिए होता है ?

उत्तर :- गाय, भैस का उपयोग दूध निकालने के लिए किया जाता है। बैल का उपयोग बोझा ढोने के लिए, खेतों में सिचाई करने के लिए, सामान को इधर उधर भेजने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 5 – पुरुषों द्वारा किए जाने वाले कामों की एक सूची बनाओ। महिलाएँ क्या-क्या काम करती हैं ?

उत्तर :- पुरुषो द्वारा किये गए काम :- शिकार करना, घर बनाना, घर की रक्षा करना।

           महिलाओं द्वारा किये गए काम :-  खाना बनाना, सब्जी काटना, बर्तन साफ करना, घर साफ रखना।

प्रश्न 6 – कौन-से ऐसे काम हैं, जो स्त्री-पुरुष दोनों करते हैं ?

उत्तर :- जहाँ हम रहते है उस जगह की देखभाल करना, घर बनाना, खाना ढूंढ़ना, खेती करना, मजदूरी करना।

प्रश्न 7 – स्तर 2 और 3 को देखो। कौन-सा ज्यादा पुराना है ?

उत्तर :- स्तर 3 ज्यादा पुराना है।

एटलस में तुर्की हूँढ़ो। नवपाषाण युग के सबसे प्रसिद्ध पुरास्थलों में एक चताल ह्यूक तुर्की में है। यहाँ दूर-दराज स्थानों से कई चीजें लाई जाती थीं और उनका उपयोग किया जाता था। जैसे सीरिया से लाया गया चकमक पत्थर, लाल सागर की कौड़ियाँ तथा भूमध्य सागर की सीपियाँ। ध्यान रहे कि उस समय तक पहिए वाले वाहन का विकास नहीं हुआ था। लोग सामान खुद या जानवरों की पीठ पर लादकर ले जाया करते थे।

बताओ कौड़ियों तथा सीपियों का क्या उपयोग होता होगा ?

उत्तर :- कौड़ियों तथा सीपियों का उपयोग आकर्षक आभूषणों को बनाने में होता होगा।

कल्पना करो

अगर तुम्हारे पास जमीन का एक छोटा-सा टुकड़ा हो तो तुम उसमें कौन-सी फसल उगाओगी। बीज कहाँ से मिलेंगे? और तुम उन्हें कैसे बोओगी? अपने पौधों की देखभाल तुम कैसे करोगी? और कैसे यह समझोगी कि अब फ़सल काटने लायक हो गई है?

उत्तर :- अगर हमारे पास ज़मीन है तो हम उस पर चावल की खेती करना चाहेगे। चावल की खेती व्यावसायिक रूप से सीधे बीज बोकर की जा सकती है या फिर नर्सरी में पौधों को बड़ा करने के बाद उन्हें जंगली घास से रहित खेत में लगाया जा सकता है। हर विधि के अपने फायदे और नुकसान हैं। थोड़े शब्दों में कहा जाए तो सीधे बीज लगाना किफायती और तेज तरीका है, लेकिन इसकी वजह से बाद में बड़ी समस्याएं पैदा होती हैं। वहीं पौधे लगाने का खर्च ज्यादा आता है, लेकिन इसके परिणास्वरूप खेत में जंगली घास नहीं उगती। इसके अलावा, पौधे लगाने की विधि से, पौधों के बीच मौजूद उचित और पूर्वनिर्धारित दूरियां फसल के सही वायु संचार को सुनिश्चित करती हैं। साथ ही, इससे हर पौधे को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह भी मिलती है। जब अनाज पीले रंग का और कड़ा होना शुरू हो जाता है तो हम इसकी कटाई के लिए तैयार होते हैं।

प्रश्न अभ्यास

आओ याद करें

प्रश्न 1 – खेती करने वाले लोग एक ही स्थान पर लंबे समय तक क्यों रहते थे ?

उत्तर :- खेती करना आसान नहीं होता था। खेती में ऐसा नहीं होता कि बीज बोते ही खेती होने लगे और उगाई हुई चीजेंं हमें आसानी से प्राप्त हो जाए। जहाँ खेती में उगने वाली चीजो के लिए समय होता था वैसे ही खेती होने में भी समय लगता है। और हम खेती को ऐसे छोड़कर कहीं और नहीं जा सकते क्योंकि ऐसी कई चीजेंं होती है जो खेती को नुकसान पंहुचा सकती है। खेती बीज बोने से लेकर फसल के पकने तक लम्बा समय लगता था। इसके दौरान सिचाई करना, खरपतवार हटाना, जानवरो और चिडियों से खेती की रक्षा करने के लिए एक ही स्थान पर लंबे समय तक रहना पड़ता था।

प्रश्न 2 – पृष्ठ 25 की तालिका को देखो। नेइनुओ अगर चावल खाना चाहती है, तो उसे किन स्थानों पर जाना चाहिए।

उत्तर :- नेइनुओ अगर चावल खाना चाहती है तो उसे उन स्थानों पर जाना चहिए जहाँ चावल की खेती सबसे अधिक मात्रा में होती हो उसके लिए उत्तर प्रदेश के कोलिडहवा और महागढा नामक पुरास्थलो में जाना चहिए।

प्रश्न 3 – पुरातत्त्वविद् ऐसा क्यों मानते हैं कि मेहरगढ़ के लोग पहले केवल शिकारी थे, और बाद में उनके लिए पशुपालन ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो गया ?

उत्तर :- छात्र इसका उत्तर खुद लिखें।

प्रश्न -4. सही या गलत बताओ।

  • हल्लूर में ज्वार-बाजरा मिला है।
  • बुर्जहोम में लोग आयताकार घरों में रहते थे।
  • चिरौद कश्मीर का एक पुरास्थल है।
  • जेडाइट, जो दाओजली हेडिंग में मिला है, चीन से लाया गया होगा।

उत्तर :-(क) हल्लूर में ज्वार-बाजरा मिला है। (सही)

(ख) बुर्जहोम में लोग आयताकार घरों में रहते थे। (गलत)

(ग) चिरौद कश्मीर का एक पुरास्थल है। (गलत)

(घ) जेडाइट, जो दाओजली हेडिंग में मिला है, चीन से लाया गया होगा। (सही)

आओ चर्चा करें

प्रश्न 5 – कृषकों-पशुपालकों का जीवन शिकारी-खाद्य संग्राहकों के जीवन से कितना भिन्न था, तीन अंतर बताओ।

उत्तर :- कृषक और पशुपालक एक स्थान पर रहते थे जबकि शिकारी  खाद्य संग्राहक अलग अलग स्थान पर भटकते रहते थे। कृषक और पशुपालक अन्न का उत्पादन करते थे जबकि शिकारी खाद्य संग्राहक शिकार करके जानवरो को मारकर खाना खाते थे।

प्रश्न 6 – पृष्ठ 25 की तालिका में दिए गए जानवरों की एक सूची बनाओ और यह भी बताओ कि इनका उपयोग किस रूप में किया जाता था।

उत्तर :- जानवरो का नाम               उपयोग

          भेड़, बकरी, सूअर              मॉस की प्राप्ति के लिए

          भैंस, गाय                   दूध की प्राप्ति के लिए

          बैल                        बोझा ढोने के लिए

          कुत्ता                       घर की रखवाली के लिए

आओ करके देखो:-

प्रश्न 7 – तुम जिन अनाजों को खाते हो उनकी एक सूची बनाओ।

उत्तर :- चावल, गेंहू, बाजरा, मक्का।

प्रश्न 8 – प्रश्न 7 के उत्तर में लिखे अनाजों को क्या तुम स्वयं उगाते हो? अगर हाँ, तो एक तालिका बनाकर उसकी खेती की विभिन्न अवस्थाओं को दिखाओ। अगर नहीं, तो एक तालिका बनाकर दिखाओ कि ये अनाज किसान से लेकर तुम्हारे पास तक कैसे पहुँचे।

उत्तर :- नहीं हम ये अनाज स्वयम् नहीं उगाते। ये सब हमे पास किसानों द्वारा की मेहनत से प्राप्त होता है। किसान इनको उगाकर मंडी में बेचते है और उसके बाद ही हमें ये डिपो द्वारा प्राप्त होते है।

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