NCERT Solutions for Class 9 Science in Hindi Medium Chapter 12 ध्वनि प्रश्न और उत्तर

ध्वनि 

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(i)

प्रश्न1. किसी माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ आपके कानों तक कैसे पहुँचता है?

उत्तर: जब कोई वस्तु कंपन करती है तब वह मध्यम में संपीड़न तथा विरलान उत्पन्न करती है। जिससे तरंगे उत्पन्न होती है जो एक दूसरे के पीछे चलती हुई हमारे कानों तक पहुंच जाती है और काम के पर्दे पर बाल लगाकर उसे कंपित करती है। इस प्रकार हमें ध्वनि सुनाई देती है।

(ii)

प्रश्न1. आपके विद्यालय की घंटी, ध्वनि कैसे उत्पन्न करती है?

उत्तर: जब विद्यालय की घंटी पर हथौड़े से चोट की जाती है, तो वह कंपन करना आरंभ कर देती है। घंटी में उत्पन्न यही कंपन, ध्वनि उत्पन्न करती है।

प्रश्न2. ध्वनि तरंगों को यांत्रिक तरंगें क्यों कहते हैं?

उत्तर: जिन तरंगों को संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है उनको यांत्रिक तरंगे कहते हैं। क्योंकि ध्वनि तरंगों को भी संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है इसलिए इन्हें भी यांत्रिक तरंगे कहा जाता है।

प्रश्न3. मान लीजिए आप अपने मित्र के साथ चंद्रमा पर गए हुए हैं। क्या आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को सुन पाएँगे?

उत्तर: नहीं, क्योंकि चंद्रमा पर कोई वायुमंडल नहीं है। और वायुमंडल की अनुपस्थिति में ध्वनि तरंगे संचरण नहीं कर सकती।

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प्रश्न1. तरंग का कौन-सा गुण निम्नलिखित को निर्धारित करता है?

  1. प्रबलता 
  2. तारत्व

उत्तर: (a) प्रबलता : ध्वनि तरंग की प्रबलता उसके आयाम द्वारा निर्धारित की जाती है।

(b) तरंग की आवृत्ति तारत्व को निर्धारित करती है।

प्रश्न2. अनुमान लगाइए कि निम्न में से किस ध्वनि का तारत्व अधिक है। 

  1. गिटार 
  2. कार के हॉर्न

उत्तर: गिटार का।

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प्रश्न1. किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य, आवृत्ति, आवर्त काल तथा आयाम से क्या अभिप्राय है?

उत्तर: (i) तरंगदैर्घ्य : दो क्रमागत संपीडनों अथवा दो क्रमागत विरलनों के बीच की दूरी तरगदैर्ध्य कहलाती है।

SI मात्रक : मीटर (m)

(ii) आवृत्ति : एकांक समय में दोलनों की कुल संख्या ध्वनि तरंग की आवृति कहलाती है।

SI मात्रक : हर्ट्ज (Hz)

(iii) आवर्त काल : एक माध्यम में घनत्व के एक संपूर्ण दोलन में लिया गया समय ध्वनि तरंग का आवर्त काल कहलाता है।  

SI मात्रक : सेकंड (Sec)

(iv) आयाम : किसी माध्यम में मूल स्थिति के दोनों और अधिकतम विक्षोभ को आयाम कहते हैं।

प्रश्न2. किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य तथा आवृत्ति उसके वेग से किस प्रकार संबंधित है?

उत्तर: तरंग का वेग = आवृत्ति x तरंगदैर्ध्य

v = ν × λ

प्रश्न3. किसी दिए हुए माध्यम में एक ध्वनि तरंग की आवृत्ति 220 Hz तथा वेग 440 m/s है। इस तरंग की तरंगदैर्घ्य की गणना कीजिए।

उत्तर: ध्वनि तरंग की आवृत्ति, ν =  220 Hz

ध्वनि तरंग का वेग, v = 440 m/s 

(वेग) v = (तरंगदैर्ध्य) λ × (आवृत्ति) ν

(तरंगदैर्ध्य) λ = (वेग) v/(आवृत्ति) v

= 440 / 220 

= 2m

इस प्रकार ध्वनि तरंग की तरंगदैर्ध्य 2m है।

प्रश्न4. किसी ध्वनिस्रोत से 450 m दूरी पर बैठा हुआ कोई मनुष्य 500 Hz की ध्वनि सुनता है| स्रोत से मनुष्य के पास तक पहुँचने वाले दो क्रमागत संपीडनों में कितना समय अंतराल होगा?

उत्तर: दो क्रमागत संपिडनों के बीच का समय

T = 1/ν = 1/500Hz = 0.002s

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प्रश्न1. ध्वनि की प्रबलता तथा तीव्रता में अंतर बताइए।

उत्तर: प्रबलता: प्रबलता ध्वनि के लिए कानों की संवेदनशीलता की माप है।

तीव्रता: किसी एकांक क्षेत्रफल से एक सेकंड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता कहते हैं।

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प्रश्न1. वायु, जल या लोहे में से किस माध्यम में ध्वनि सबसे तेज चलती है?

उत्तर: ध्वनि लोहे में से सबसे तेज 5950 ms के वेग से चलती है।

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प्रश्न1. कोई प्रतिध्वनि 3 s पश्चात् सुनाई देती है। यदि ध्वनि की चाल 342 ms-1 हो तो स्त्रोत तथा परावर्तक सतह के मध्य कितनी दूरी होगी?

उत्तर: ध्वनि का वेग,v = 342m/s 

प्रतिध्वनि सुनने में लिया गया समय, t = 3s

ध्वनि द्वारा तय की गई दूरी = vt

= 342 x 3

= 1026m.

3s में ध्वनि परावर्तक सतह तथा स्रोत के बीच दोगुनी दूरी तय करती है।

इसलिए, स्रोत से परावर्तक सतह की दूरी = 1026/2 

= 513m.

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प्रश्न1. कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार क्यों होती हैं?

उत्तर: कंसर्ट हॉल की छतें वक्रकार इसलिए होती हैं जिसमें कि परावर्तन के पश्चात् ध्वनि हॉल के सभी भागों में पहुँच जाए।

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प्रश्न1. सामान्य मनुष्य के कानों के लिए ध्वनि की श्रव्यता का परिसर क्या है?

उत्तर: औसतन मनुष्य के कान की ध्वनि श्रव्यता का परिसर 20 Hz से 20000Hz है।

प्रश्न2. निम्न से संबंधित आवृत्तियों का परास क्या है?

(a) अवश्रव्य ध्वनि

(b) पराध्वनि

उत्तर: (a) अवश्रव्य ध्वनि : जिस ध्वनि की आवृत्ति 20Hz से कम हो तो उसे अवश्रव्य (Infrasound) ध्वनि कहते हैं।

(b) पराध्वनि : जिस ध्वनि की आवृत्ति 20kHz से अधिक हो उसे पराश्रव्य (Ultrasound) ध्वनि कहते है।

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प्रश्न1. एक पनडुब्बी सोनार स्पंद उत्सर्जित करती है, जो पानी के अंदर एक खड़ी चट्टान से टकराकर 1.02s के पश्चात् वापस लौटता है। यदि खारे पानी में ध्वनि की चाल 1531 m/s हो, तो चट्टान की दूरी ज्ञात कीजिए।

उत्तर: सोनार स्पंद ज्ञात करने तथा संचारण के बीच समय,

t = 1.02s 

लवणीय (खारे पानी) जल में ध्वनि की गति, 

v = 1531ms-1 

चट्टान की दूरी = d

ध्वनि द्वारा तय की गई दूरी = 2 d 

परंतु 2 d = ध्वनि की गति x समय 

= vt 

= 780.81m

अभ्यास

प्रश्न1. ध्वनि क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है?

उत्तर: ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है जो वस्तु द्वारा वायु में उत्पन्न कंपन के कारण उत्पन्न होती है।

प्रश्न2. एक चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए कि ध्वनि के स्त्रोत के निकट वायु में संपीड़न तथा विरलान कैसे उत्पन्न होते हैं।

उत्तर: जब कोई वस्तु कंपन करती है तो अपने आसपास स्थित वायु के कणों में गति पैदा करती है। जब वस्तु आगे की ओर कंपन करती है तो इसके कारण आसपास उच्च दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है। इसको ही संपीड़न कहते हैं। 

और जब वस्तु पीछे की ओर कंपन करती है तो एक निम्न दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है जिसे विरलन कहते हैं। वस्तु के इस तरह से कंपन करने से ही संपीड़न और विरलन की एक श्रृंखला बन जाती है।

प्रश्न3. किस प्रयोग से यह दर्शाया जा सकता है कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है।

उत्तर: प्रयोग: एक बेलजार लीजिए और उसमें विद्युत घंटी को लटकाइए। घंटी के स्विच को दबाने पर आप उसकी ध्वनि को सुन सकते हैं। अब निर्वात पंप को चलाइए और घंटी को फिर से ऑन कीजिए, जब बेलजार की वायु धीरे-धीरे बाहर निकलती है, घंटी की ध्वनि धीमी हो जाती है यद्यपि उसमें पहले जैसी ही विद्युतधारा प्रवाहित हो रही है। 

कुछ समय पश्चात् जब बेलजार में बहुत कम वायु रह जाती है तब आपको बहुत धीमी ध्वनि सुनाई पड़ती है। बेलजार की समस्त वायु निकाल देने पर कोई ध्वनि सुनाई नहीं देती। यह दर्शाता है कि ध्वनि के संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है।

प्रश्न4. ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्ध्य क्यों है?

उत्तर: ध्वनि तरंगे माध्यम में संपीड़न तथा विरलन करती है जिसके कारण उनकी गति आगे-पीछे होती है। इसलिए ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्ध्य है।

प्रश्न5. ध्वनि का कौन-सा अभिलक्षण किसी अन्य अंधेरे कमरे में बैठे आपके मित्र की आवाज पहचानने में आपकी सहायता करता है?

उत्तर: गुणता (Timbre) ध्वनि का वह अभिलक्षण है जो हमें अंधेरे कमरे में बैठे हमारे मित्र की आवाज पहचानने में सहायता करता है।

प्रश्न6. तड़ित की चमक तथा गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं। लेकिन चमक दिखाई देने के कुछ सेकंड गर्जन सुनाई देती है। ऐसा क्यों होता है?

उत्तर: क्योंकि ध्वनि की चाल प्रकाश की चाल से बहुत कम है। इसलिए ध्वनि की हमारे कानों तक पहुंचाने में समय लगता है। अतः तड़ित की चमक हमें पहले दिखाई देती हैं।

प्रश्न7. किसी व्यक्ति का औसत श्रव्य परास 20 Hz से 20 kHz है। इन दो आवृत्तियों के लिए ध्वनि तरंगों की तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए। वायु में ध्वनि का वेग 344 ms-1 लीजिए।

प्रश्न8. दो बालक किसी ऐलुमिनियम पाइप के दो सिरों पर हैं। एक बालक पाइप के एक सिरे पर पत्थर से आघात करता है। दूसरे सिरे पर स्थित बालक तक वायु तथा ऐलुमिनियम से होकर जाने वाली ध्वनि तरंगों द्वारा लिए गए समय का अनुपात ज्ञात कीजिए।

उत्तर: माना कि ऐलुमिनियम पाइप की लंबाई = dm

वायु में ध्वनि का वेग = 346 ms-1

वायु में ध्वनि द्वारा लिया गया समय = d/346 s

ऐलुमिनियम में ध्वनि का वेग = 6420 m/s

ऐलुमिनियम पाइप में ध्वनि द्वारा लिया गया समय = t = d/6420 s

ध्वनि द्वारा वायु और ऐलुमिनियम में लिए गए समय का अनुपात,

= (वायु)/(ऐलुमिनियम) x d/346 x 6420/d

= 6420/346

= 18.55

प्रश्न9. किसी ध्वनि स्त्रोत की आवृत्ति 100 Hz है। एक मिनट में यह कितनी बार कंपन करेगा?

उत्तर: स्रोत की आवृत्ति 100Hz

= 100s-1 

1s में कंपन की संख्या = 100

1 मिनट या 60s में कंपनों की संख्या = 100×60 = 6000

प्रश्न10. क्या ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका कि प्रकाश की तरंगें करती हैं? इन नियमों को बताइए।

उत्तर: हाँ, ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका की प्रकाश की तरंगें करती हैं। 

ध्वनि के परावर्तन नियम के अनुसार ध्वनि के आपतन होने की दिशा तथा परावर्तन होने की दिशा, परवर्तक सतह पर खींचे गए अभिलंब से समान कोण बनाते हैं और ये तीनों एक ही तल में होते हैं।

प्रश्न11. ध्वनि का एक स्रोत किसी परावर्तक सतह के सामने रखने पर उसके द्वारा प्रदत्त ध्वनि तरंग की प्रतिध्वनि सुनाई देती है। यदि स्रोत तथा परावर्तक पृष्ठ की दूरी स्थिर रहे तो किस दिन प्रतिध्वनि अधिक शीघ्र सुनाई देगी- (i) जिस दिन ताप अधिक हो? (ii) जिस दिन ताप कम हो?

उत्तर: जिस दिन ताप अधिक हो, उस दिन प्रतिध्वनि अधिक शीघ्र सुनाई देगी। 

प्रश्न12. ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग लिखिए।

उत्तर: ध्वनि तरंगों के दो उपयोग:

१. ध्वनि तरंगों के परावर्तन का उपयोग जल में स्थित पिंडो की दूरी मापने के लिए किया जाता है।

२. ध्वनि तरंगों के परावर्तन का उपयोग कर, स्टैथोस्कोप जो कि एक चिकित्सा यंत्र है की सहायता से मनुष्य के शरीर के अंदर जैसे: हृदय फेफड़े आदि में उत्पन्न होने वाले ध्वनि को सुनने में किया जाता है।

प्रश्न13. 500 मीटर ऊँची किसी मीनार की चोटी से एक पत्थर मीनार के आधार पर स्थित एक पानी के तालाब में गिराया जाता है। पानी में इसके गिरने की ध्वनि चोटी पर कब सुनाई देगी? (g = 10ms-2 तथा ध्वनि की चाल = 340ms-1)

प्रश्न14. एक ध्वनि तरंग 339ms-1 की चाल से चलती है। यदि इसकी तरंगदैर्घ्य 1.5 cm हो, तो तरंग की आवृत्ति कितनी होगी? क्या ये श्रव्य होंगी?

उत्तर: ध्वनि तरंग का वेग, v = 10

तरंगदैर्ध्य, λ = 1.5cm = 0.015m 

आवृत्ति(v) = v/λ = 339/0.015 = 22,600Hz

प्रश्न15. अनुरणन क्या है? इसे कैसे कम किया जा सकता है?

उत्तर: ध्वनि का बारंबार परावर्तन जिसके कारण ध्वनि निर्बाध होती है, अनुरणन कहलाता हैं।

अनुरणन कम करने के उपाय:

भवन की छतों तथा दीवारों पर ध्वनि और अवशोषक पदार्थों का उपयोग करना।

प्रश्न16. ध्वनि की प्रबलता से क्या अभिप्राय है? यह किन कारकों पर निर्भर करती है?

उत्तर: यह कानों की ध्वनि के लिए संवेदनशीलता की माप है।

प्रबलता ध्वनि के आयाम पर निर्भर करती है। 

प्रश्न17. चमगादड़ अपना शिकार पकड़ने के लिए पराध्वनि का उपयोग किस प्रकार करता है? वर्णन कीजिए।

उत्तर: चमगादड़ तरत्व की पराध्वनि तरंगे उत्सर्जित करता है तथा परिवर्तन के पश्चात इनका संसूचन करता है। इससे चमगादड़ को पता चलता है की शिकार कितना बड़ा और कितनी दूरी पर है।

प्रश्न18. वस्तुओं को साफ़ करने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे करते हैं?

उत्तर: जिन वस्तुओं को साफ़ करना होता है उन्हें साफ़ करने वाले मार्जन विलयन में पराध्वनि तरंगें भेजी जाती हैं। उच्च आवृत्ति के कारण, धूल, चिकनाई और गंदगी के कण अलग होकर नीचे गिर जाते हैं। इस प्रकार वस्तु पराध्वनि का उपयोग करके पूर्णतया साफ़ की जाती है।

प्रश्न19. सोनार की कार्यविधि तथा उपयोगों का वर्णन कीजिए।

उत्तर: सोनार एक ऐसी युक्ति है जिसमे पराध्वनि का उपयोग जल में स्थित पिंडो की दूरी तथा चाल मापने के लिए किया जाता है।

कार्यविधि- सोनार में एक प्रेषित तथा संसूचक होता

है। प्रेषित परध्वनि तरंगे उत्पन्न करता है। ये तरंगें जल में चलती हैं तथा समुद्र तल में पिंड से टकराने के पश्चात परावर्तित होकर संसूचक द्वारा ग्रहण कर ली जाती हैं। जल में ध्वनि की चाल तथा परध्वनि के प्रेषण तथा अभिग्रहण के समय अंतराल को ज्ञात करके उस पिंड की दूरी की गणना की जा सकती है।

मान लो पराध्वनि संकेत के प्रेषण तथा अभिग्रहण का समय अंतराल है t तथा समुद्री जल में ध्वनि की चाल v है, 

तब सतह से पिंड की दूरी 2d होगी:

2d = v x t

प्रश्न20. एक पनडुब्बी पर लगी एक सोनार युक्ति, संकेत भेजती है और उनकी प्रतिध्वनि 5s पश्चात् ग्रहण करती है। यदि पनडुब्बी से वस्तु की दूरी 3625 m हो तो ध्वनि की चाल की गणना कीजिए।

उत्तर: संकेत भेजने और प्रतिध्वनि ग्रहण करने के बीच का समय = 5s

सोनार की पनडुब्बी से दूरी = 3625m

ध्वनि द्वारा तय की गई कुल दूरी = 2d

= 2 x 3625 = 7250m

ध्वनि का वेग(v) = 2d/t 

= 7250/5 

= 1450ms-1

प्रश्न21. किसी धातु के ब्लॉक में दोषों का पता लगाने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे किया जाता है वर्णन कीजिए।

उत्तर: पराध्वनि का उपयोग धातु के ब्लॉकों में दरारों, छिद्रों तथा अन्य दोषों का पता लगाने के लिए किया जाता है। धातु के ब्लॉकों में विद्यमान दरार या छिद्र जो बाहर से दिखाई नहीं देते उसकी मजबूती को कम कर देते हैं। 

पहले पराध्वनि तरंगें धातु के ब्लॉक से गुजारी जाती हैं और फिर प्रेषित तरंगों का पता लगाने के लिए संसूचकों का उपयोग किया जाता है। यदि कही थोड़ी सी भी दरार या छिद्र होता है, तो पराध्वनि तरंगे परिवर्तित हो जाती हैं जो उस धातु में दोष या कमी की उपस्थिति को दर्शाती है।

प्रश्न22. मनुष्य का कान किस प्रकार कार्य करता है? विवेचना कीजिए।

उत्तर: 

मनुष्य के कान के तीन भाग होते हैं:

१. बाह्य कर्ण

२. मध्य कर्ण

३. अन्तः कर्ण

बाह्य कर्ण : बाहरी कान में ‘कर्णपल्लव’ परिवेश से ध्वनि एकत्रित करता है और यह एकत्रित ध्वनि श्रवण नलिका से गुजरती है।

मध्य कर्ण : जब ध्वनि श्रवण नलिका के दूसरे सिरे में पहुंच जाती है उस सिरे में एक पतली झिल्ली होती है जिसे ‘कर्ण पट’ कहते हैं। जब माध्यम के संपीडन कर्ण पटह तक पहुँचते हैं तो झिल्ली के बाहर की ओर लगने वाला दाब बढ़ जाता है और यह कर्ण पटह को अंदर की ओर दबाता है। इसी प्रकार विरलन के पहुँचने पर कर्ण पटह बाहर की ओर गति करता है। इस प्रकार कर्ण पटह कंपन करता है। मध्य कर्ण में विद्यमान तीन हड्डियाँ (मुग्दरक, निहाई तथा वलयक) इन कंपनों को कई गुना बढ़ा देती हैं।

अन्तः कर्ण : आंतरिक कर्ण में कर्णावर्त द्वारा दाब परिवर्तनों को विद्युत संकेतों में परिवर्तित कर दिया जाता है। इन विद्युत् संकेतों को श्रवण तंत्रिका द्वारा मस्तिष्क तक भेज दिया जाता है। इसके बाद ही हम कहीं हुई बात को सुन और समझ पाते हैं।

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