Chapter 2. लेखन कला और शहरी जीवन

 

Chapter 2. लेखन कला और शहरी जीवन

शहरी जीवन की शुरुआत : शहरी जीवन की शुरुआत मेसोपोटामिया’ में हुई थी। फरात (Euphrates) और दज़ला (Tigris) नदियों के बीच स्थित यह प्रदेश आजकल इराक गणराज्य का हिस्सा है।

मेसोपोटामिया की प्रसिद्धि : मेसोपोटामिया की सभ्यता अपनी संपन्नता, शहरी जीवन, विशाल एवं समृद्ध साहित्य, गणित और खगोलविद्या के लिए प्रसिद्ध है।

वर्त्तमान में मेसोपोटामिया की स्थिति: आजकल में मेसोपोटामिया वर्त्तमान में इराक गणराज्य का हिस्सा है | 

  • अभिलिखित इतिहास के आरंभिक काल में, इस प्रदेश को मुख्यतः इसके शहरीकृत दक्षिणी भाग को सुमेर (Sumer) और अक्कद (Akkad) कहा जाता था।
  • 2000 ई.पू. के बाद जब बेबीलोन एक महत्त्वपूर्ण शहर बन गया तब दक्षिणी क्षेत्र को बेबीलोनिया कहा जाने लगा।
  • लगभग 1100 ई.पू. से, जब असीरियाइयों ने उत्तर में अपना राज्य स्थापित कर लिया, तब उस क्षेत्र को असीरिया (Assyria) कहा जाने लगा।

मेसोपोटामिया की भाषा :  प्रथम ज्ञात भाषा सुमेरियन यानी सुमेरी थी | लेकिन 2400 ई.पू. के आसपास जब अक्कदी भाषी लोग यहाँ आ गए तब सुमेरी से यहाँ की भाषा अक्कदी हो गयी | 1400 ई.पू. से धीरे-धीरे अरामाइक (Aramaic) भाषा का भी प्रवेश शुरू हुआ | यह भाषा हिब्रू से मिलती जुलती थी | और 1000 ई.पू. के बाद यह व्यापक रूप से बोली जाने लगी थी और आज भी इराक के कुछ भागों में बोली जाती है।

मेसोपोटामिया की प्रमुख भाषाएँ : सुमेरियन, अक्कदी तथा अरामाइक इसकी प्रमुख भाषाएँ थी।

मेसोपोटामिया में पुरातात्विक खोजों की शुरुआत : मेसोपोटामिया में पुरातत्त्वीय खोजों की शुरुआत 1840 के दशक में हुई। वहाँ एक या दो स्थलों पर जैसे उरुक और मारी में, उत्खनन कार्य कई दशकों तक चलता रहा।

मेसोपोटामिया की ऐतिहासिक जानकारी के स्रोत : मेसोपोटामिया की ऐतिहासिक जानकारी के प्रमुख स्त्रोत इमारतें, मूर्तियाँ, कब्रें, आभूषण, औजार, मुद्राएँ, मिट्टी की पट्टिकाएं तथा लिखित दस्तावेज हैं।

यूरोपवासियों के लिए मेसोपोटामिया का महत्त्व:  यूरोपवासियों के लिए मेसोपोटामिया इसलिए महत्त्वपूर्ण था क्योंकि बाईबल के प्रथम भाग ‘ओल्ड टेस्टामेंट’ में इसका उल्लेख कई संदर्भो में किया गया है। उदाहरण के लिए, ओल्ड टेस्टामेंट की ‘बुक ऑफ जेनेसिस’ (Book of Genesis) में ‘शिमार’ (shimar) का उल्लेख है जिसका तात्पर्य अर्थात् सुमेर ईंटों से बने शहरों की भूमि से है। 

शिमार का उल्लेख : ओल्ड टेस्टामेंट की ‘बुक ऑफ जेनेसिस’ (Book of Genesis) में ‘शिमार’ (shimar) का उल्लेख है | 

वस्तियों और शहरों का विकास : 5000 ई.पू. दक्षिण मेसोपोटामिया में बस्तियों का विकास होने लगा था जिनमें से कुछ शहरों में परिवर्तित हो गए।

नगरों की शुरुआत और प्रसिद्ध नगर : इस सभ्यता में नगरों का निर्माण 3000 ई.पू. में प्रारम्भ हो गया था। उरूक, उर और मारी इसके प्रसिद्ध नगर थे।

आजीविका के साधन : यहाँ स्टेपी घास के मैदान हैं अतः पशुपालन खेती की तुलना में आजीविका का अच्छा साधन है। अतः यहाँ कृषि, पशुपालन एवं व्यापार आजीविका के विभिन्न साधन हैं।

  • यहाँ के लोग औजार बनाने के लिए कॉसे का इस्तेमाल करते थे।
  • यहाँ के उरुक नगर में एक स्त्री का शीर्ष मिला है जो सफेद संगमरमर को तराश कर बनाया गया है - जिसे वार्का शीर्षकहते हैं।
  • श्रम विभाजन एवं सामाजिक संगठन शहरी जीवन एवं अर्थव्यवस्था की विशेषता थे।
  • यहाँ खाद्य-संसाधन तो समृद्ध थे परन्तु खनिज-संसाधनों का अभाव था, जिन्हें तुर्की, ईरान अथवा खाड़ी पार देशों से मंगाया जाता था।
  • शहरी अर्थव्यवस्था में हिसाब-किताब, लेन-देन, रखने के लिए, यहाँ लेखन कला का विकास हुआ।

व्यापार एवं परिवहन : यहाँ व्यापार के लिए परिवहन व्यवस्था अच्छी थी जलमार्ग द्वारा। फरात नदी व्यापार के लिए विश्व मार्ग के रुप में प्रसिद्ध थी।

लेखन कला : मेसोपोटामिया में जो पहली पट्टिकाएँ पाई गईं हैं वे लगभग 3200 ई.पू. की हैं, इन पर सरकण्डे की तीखी नोंक से कीलाकार लिपि द्वारा लिखा जाता था। इन पट्टिकाओं को धूप में सुखा लिया जाता था।

कीलाकार (क्युनिफार्म) : यह लातिनी शब्द ‘क्यूनियस’, जिसका अर्थ खूँटी और फोर्मा जिसका अर्थ ‘आकार’ है, से मिलकर बना है।

  • मेसोपोटामिया में बहुत कम लोग पढ़े-लिखे थे चिन्हों की संख्या काफी पेचीदा तथा बहुत अधिक थी।
  • मेसोपोटामिया में शहर मंदिर के चारां ओर, व्यापार केन्द्रों के रुप में, एवं शाही शहरों के रुप में विकसित हुए।

मेसोपोटामिया में पूजा स्थल: मेसोपोटामिया के कुछ प्रारंभिक मंदिर साधारण घरों की तरह थे अंतर केवल
मंदिर की बाहरी दीवारों के कारण था जो कुछ खास अंतराल के बाद भीतर और बाहर की ओर मुड़ी होती थीं। (प्रेम एवं युद्ध की देवी) यहाँ के प्रमुख देवी देवता थे।

उर नगर की विशेषताएँ : यहाँ उर नगर में नगर-नियोजन पद्धति का अभाव था, गलियां टेढ़ी-मेढ़ी एवं
संकरी थी। जल-निकास प्रणाली अच्छी नहीं थी। उर वासी घर बनाते समय शकुन-अपशकुन पर विचार करते थे।

मारी नगर की विशेषताएँ : 2000 ई.पू. के बाद फरात नदी की उर्ध्वधारा पर मारी नगर शाही राजधानी के रूप में फला-फूला। यह अत्यन्त महत्वपूर्ण व्यापारिक स्थल पर स्थित था। इसके कारण यह बहुत समृद्ध तथा खुशहाल था। यहाँ ज़िमरीलियम का राजमहल मिला है तथा एक मंदिर भी मिला है।

पारिवारिक स्थिति : एकल परिवार को आदर्श माना जाता था जिसमें पति-पत्नी और उनके बच्चे शामिल होते थे। पिता परिवार का मुखिया होता था। कानूनी दस्तावेजों (विवाह, उत्तराधिकार आदि से संबंधित) की यहाँ से जानकारी मिलती है।

काल-गणना : काल-गणना और गणित की विद्वतापूर्ण परम्परा दुनिया को मेसोपोटामिया की सबसे बड़ी देन है। काल गणना के लिए यहाँ के लोगों ने एक वर्ष का 12 महीनों में, 1 महीनें का 4 हफ्तों में, 1 दिन का 24 घंटों में तथा 1 घंटे का 60 मिनट में विभाजन किया था।

गिल्मेशिक : गिल्मेशिक उरूक नगर का शासक था, महान योद्धा था, जिसने दूर-दूर तक के प्रदेशों को अपने अधीन कर लिया था।

नैबोपोलास्सर ने 625 ई.पू. में बेबिलोनिया को असीरियाई आधिपत्य से मुक्त कराया था।

331 ई.पू. में सिकंदर से पराजित होने तक बेबीलोन दुनिया का एक प्रमुख नगर बना रहा। नैबोनिड्स स्वतंत्र बेबीलोन का अंतिम शासक था।


अतिरिक्त प्रश्नोत्तर NCERT Book


1 अंकीय प्रश्न-उत्तर: 

Q1. मेसोपोटामिया की सभ्यता की तीन विशेषताएँ कौन-कौन सी है ? 

उत्तर: मेसोपोटामिया की सभ्यता की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं - 

(i) शहरी/नगरीय सभ्यता का विकास 

(ii) लेखन कला का विकास 

(iii) सुदूर देशों से व्यापार 

Q2. एनमर्कर किस शहर का शासक था ? 

उत्तर: एनमर्कर उरुक शहर का शासक था |

Q3. वार्का शीर्ष कहाँ से प्राप्त हुआ है ? 

उत्तर: वार्का शीर्ष उरुक नगर से प्राप्त हुआ है |

Q4. मेसोपोटामिया में एक पत्थर की मुद्रा बनाने वाले को पत्थर उकेरने के लिए किस धातु के औजार की जरुरत पड़ती थी?

उत्तर: 

Q5. किन दो चीजों को दुनिया के लिए मेसोपोटामिया की सबसे बड़ी देन माना जाता है ? 

उत्तर: (1) कालगणना (2) गणित की विद्वत्तापूर्ण परंपरा

Q6. मेसोपोटामिया की प्रथम ज्ञात भाषा कौन-सी थी ? 

उत्तर: सुमेरी 

Q7. गिल्गेमिश कहाँ का शासक था?

उत्तर: उरुक 

Q8. मेसोपोटामिया की सभ्यता के दो प्रमुख केन्द्र कौन कौन से थे? 

उत्तर: मेसोपोटामिया सभ्यता के दो प्रमुख केंद्र है - 

1.  सुमेरिया तथा

2.  बेबीलोन

Q9. मेसोपोटामिया की सभ्यता का जन्म कहाँ हुआ था ? 

अथवा 

       मेसोपोटामिया की सभ्यता किन नदियों के बीच विकसित हुई ?

उत्तर: दजला-फरात नदी की घाटी में 

Q10. मेसोपोटामिया में मिली पहली पट्टिका कब की है ?

उत्तर: मेसोपोटामिया में जो पहली पट्टिठ्ठकाएँ (Tablet) पाई गई हैं वे लगभग 3200 ई.पू. की हैं।

Q11. मेसोपोटामियाई लोग विभिन्न प्रकार की धातुएं एवं पत्थर कहाँ से आयात करते थे ?

उत्तर: मेसोपोटामियाई लोग संभवतः लकड़ी, ताँबा, राँगा, चाँदी, सोना, सीपी और विभिन्न प्रकार के पत्थरों को तुर्की और ईरान अथवा खाड़ी-पार के देशों से मंगाते थे | 

Q12. मेसोपोटामियाई लोग किन वस्तुओं का निर्यात करते थे ?

उत्तर: मेसोपोटामियाई लोग कपडा, कृषि-जन्य उत्पाद आदि वस्तुओं का निर्यात करते थे | 

Q13. मारी में राजाओं का क्या भोजन होता था?
उत्तर : मारी के राजाओं के भोजन में विविधता होती थी जिसमें रोटी, मांस, मछली, फल, जौ और अंगूर की शराब शामिल थी।

Q14. मेसोपोटामिया के लोग कालगणना किस प्रकार करते थे ?

उत्तर:  काल-गणना और गणित की विद्वतापूर्ण परम्परा दुनिया को मेसोपोटामिया की सबसे बड़ी देन है। काल गणना के लिए यहाँ के लोगों ने एक वर्ष का 12 महीनों में, 1 महीनें का 4 हफ्तों में, 1 दिन का 24 घंटों में तथा 1 घंटे का 60 मिनट में विभाजन किया था।

Q15. मेसोपोटामिया की समकालीन सभ्यता कौन सी थी ?

उत्तर: हड़प्पा सभ्यता |

Q16. एक पुराकालीन पुस्तकालय किसने बनाया ?

उत्तर: असुरबनिपाल ने पुराकालीन पुस्तकालय बनाया |

Q17. कुम्हार के चाक का प्रयोग सर्वप्रथम कहाँ हुआ था?
उत्तर : कुम्हार के चाक का प्रयोग सर्वप्रथम मेसोपोटामिया की सभ्यता में हुआ था।

Q18.  मेसोपोटामिया के दो प्रमुख देवताओं के नाम बताइए।

उत्तर : मेसोपोटामिया के दो प्रमुख देवता थे

1.  एनलिल (वायु देवता) और

2.  शम्स (सूर्य देवता)

Q19. षट्दाशमिक प्रणाली का आविष्कार किस सभ्यता में हुआ था?
उत्तर : षट्दाशमिक प्रणाली का आविष्कार मेसोपोटामिया की सभ्यता में हुआ था।

Q20. मेसोपोटामिया में ‘पित्तेसी’ किसे कहते थे?
उत्तर : मेसोपोटामिया में प्रधान मन्दिरों के वे पुजारी, जो शासन का कार्य करते थे, ‘पित्तेसी’ कहलाते थे।

Q21. अलाशिया क्यों प्रसिद्ध था?
उत्तर : लाशिया अपने ताँबे के लिए प्रसिद्ध था।

Q22. डैगन कौन थे?
उत्तर : डैगन स्टेपी क्षेत्र के देवता थे। एमोराइट समुदाय के लोगों ने डैगन के लिए मारी नगर में एक मन्दिर बनवाया था।

Q23. मारी शहर की विशेषता बताइये ?

उत्तर:  मारी शहर की निम्नलिखित विशेषताएँ है -  

(i) 2000 ई.पू. के बाद फरात नदी की उर्ध्वधारा पर मारी नगर शाही राजधानी के रूप में फला-फूला।

(ii) यह अत्यन्त महत्वपूर्ण व्यापारिक स्थल पर स्थित था।

(iii) इसके कारण यह बहुत समृद्ध तथा खुशहाल था।

(iv) यहाँ ज़िमरीलियम का राजमहल मिला है तथा एक मंदिर भी मिला है।

Q24. मेसोपोटामिया के लोग किन-किन वस्तुओं का आयात करते थे ? 

उत्तर: मेसोपोटामिया में खनिज-संसाधनों का अभाव था, इसलिए वे लकड़ी, तांबा, रांगा, चांदी, सोना, सीपी और अन्य कीमती पत्थरों का तुर्की व ईरान से आयात करते थे।

3 अंक के प्रश्न :

Q21. शहरों का विकास केवल ग्रामीण समृद्धि के बल पर ही हुआ है। मेसोपोटामिया के सन्दर्भ में समझाइए।

उत्तर: शहरों का विकास केवल ग्रामीण समृद्धि के बल पर ही हुआ है। मेसोपोटामिया के सन्दर्भ में निम्नलिखित बिन्दुओं से स्पष्ट हो जाता है - 

(i) शहरी अर्थव्यवस्थाओं में खाद्य उत्पादन के अलावा व्यापार, उत्पादन और तरह-तरह की सेवाओं की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। नगर के लोग आत्मनिर्भर नहीं रहते और उन्हें नगर या गाँव के अन्य लोगों द्वारा उत्पन्न वस्तुओं या दी जाने वाली सेवाओं के लिए उन पर आश्रित होना पड़ता है।

(ii) शहरों में उत्पादन कार्य और सेवाओं के लिए गाँव के लोगों पर निर्भर रहना पड़ता है जैसे मेसोपोटामिया में पत्थर की मुद्रा बनाने वाले, पत्थरों पर उकेरने वाले, नक्काशी करने वाले उन्हें बाहर से मंगाने होते थे वे स्वयं यह नहीं करते थे |

(iii) शहरी विनिर्माताओं के लिए ईंधन, धातु, विभिन्न प्रकार के पत्थर, लकड़ी आदि जरूरी चीज़ें भिन्न-भिन्न
जगहों से आती हैं |

(iv) शहरों में अनाज और अन्य खाद्य-पदार्थ गाँवों से आते हैं |

Q22. ‘‘इराक भौगोलिक विविधताओं का देश है।’’ इस कथन की चार बिन्दुओं द्वारा पुष्टि कीजिए।

उत्तर: मेसोपोटामिया की धरती वर्त्तमान इराक गणराज्य का हिस्सा है | इसकी भौगोलिक स्थिति निम्नलिखित है | 

(i) इसके पूर्वोत्तर भाग में हरे-भरे, ऊँचे-नीचे मैदान हैं जो धीरे-धीरे वृक्षाच्छादित पर्वत- शृंखला के रूप में फैलते गए हैं। साथ ही यहाँ स्वच्छ झरने तथा जंगली फूल हैं। यहाँ अच्छी फसल के लिए पर्याप्त वर्षा हो जाती है। यहाँ 7000 से 6000 ई.पू. के बीच खेती शुरू हो गई थी। 

(ii) उत्तर में उँची भूमि है जहाँ ‘स्टेपी’-घास के मैदान हैं, यहाँ पशुपालन खेती की तुलना में आजीविका का अधिक अच्छा साधन है। सर्दियों की वर्षा के बाद, भेड़-बकरियाँ यहाँ उगने वाली छोटी-छोटी झाडि़यों और घास से अपना भरण-पोषण करती हैं।

(iii) पूर्व में दज़ला की सहायक नदियाँ ईरान के पहाड़ी प्रदेशों में जाने के लिए परिवहन का अच्छा साधन है | 

(iv) दक्षिणी भाग एक रेगिस्तान है और यही वह स्थान है जहाँ सबसे पहले नगरों और लेखन प्रणाली का विकास हुआ | इन रेगिस्तानों में शहरों के लिए भरण-पोषण का साधन बन सकने की क्षमता थी | 

Q23.  श्रम-विभाजन किस प्रकार शहरी जीवन की विशेषता था? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: श्रम-विभाजन शहरी की प्रमुख विशेषता है, मेसोपोटामिया के सन्दर्भ के निम्नलिखित बिन्दुओं से स्पष्ट हो जाता है - 

(i) शहरी अर्थव्यवस्थाओं में खाद्य उत्पादन के अलावा व्यापार, उत्पादन और तरह-तरह की सेवाओं की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। जिसमें भिन्न-भिन्न लोग और सेवा देने वाले शामिल थे | 

(ii) नगर अथवा शहर के लोग आत्मनिर्भर नहीं रहते और उन्हें नगर या गाँव के अन्य लोगों द्वारा उत्पन्न वस्तुओं या दी जाने वाली सेवाओं के लिए उन पर आश्रित होना पड़ता है। श्रम-विभाजन का यह भी एक कारण है | 

(iii) शहरी जीवन में वस्तु उत्पादन और सेवाओं का उनमें आपस में लेन-देन होता रहता है | भिन्न-भिन्न उत्पादन और सेवा के लिए श्रम-विभाजन की आवश्यकता होती है | जैसे- एक पत्थर की मुद्रा बनाने वाले को पत्थर उकेरने के लिए काँसे के औज़ारों की जरूरत पड़ती है वह स्वयं ऐसे औज़ार नहीं बना सकता, इसलिए वह पत्थर के औजार देने वाले और और बनाने वाले की सेवा लेता है | 

Q24. मारी एक शहरी केन्द्र एवं व्यापारिक स्थल था, उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: मारी एक शहरी केन्द्र एवं व्यापारिक स्थल था, यह निम्नलिखित उदाहरणों से स्पष्ट हो जाता है - 

(i) मारी नगर एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण व्यापारिक स्थल पर स्थित था जहाँ से होकर लकड़ी, ताँबा, राँगा, तेल, मदिरा और अन्य कई किस्मों का माल नावों के जरिए फरात नदी के रास्ते दक्षिण और तुर्की, सीरिया और लेबनान के उँच्चे इलाकों के बीच लाया-ले जाया जाता था।

(ii) मारी नगर व्यापार के बल पर समृद्ध हुए शहरी केंद्र का एक अच्छा उदाहरण है। दक्षिणी नगरों को घिसाई-पिसाई के पत्थर, चक्कियाँ, लकड़ी और शराब तथा तेल के पीपे ले जाने वाले जलपोत मारी में रुका करते थे |

(iii)  मारी के अधिकारी जलपोत पर जाया करते थे, उस पर लदे हुए सामान की जाँच करते थे और उसे आगे बढ़ने की इजाज़त देने से पहले उसमें लदे माल की कीमत का लगभग 10 प्रतिशत प्रभार वसूल करते थे।

(iv) यहाँ राँगे का भी व्यापार होता था। क्योंकि काँसा, औज़ार और हथियार बनाने के लिए एक मुख्य औद्योगिक सामग्री था |

(v) मारी राज्य सैनिक दृष्टि से उतना सबल नहीं था, परंतु व्यापार और समृद्ध के मामले में वह अद्वितीय था।

Q25. मेसोपोटामिया में लेखन-कला के विकास को साक्ष्यों के आधार पर समझाइए।

उत्तर:  मेसोपोटामिया में लेखन-कला का विकास 3200 ई.पू. हुई है इसके निम्नलिखित साक्ष्य हैं - 

(i) मेसोपोटामिया में जो पहली पट्टिकाएँ (Tablet) पाई गई हैं वे लगभग 3200 ई.पू. की हैं।

(ii) वहाँ बैलों, मछलियों और रोटियों आदि की लगभग 5000 सूचियाँ मिली हैं, जो वहाँ के दक्षिणी शहर उरुक के मंदिरों में आने वाली और वहाँ से बाहर जाने वाली चीजों की होंगी।

(iii) वहां स्पष्टतः, लेखन कार्य तभी शुरू हुआ जब समाज को अपने लेन-देन का स्थायी हिसाब रखने की ज़रूरत पडी़ क्योंकि शहरी जीवन में लेन-देंन अलग-अलग समय पर होते थे, उन्हें करने वाले भी कई लोग होते थे और सौदा भी कई प्रकार के माल के बारे में होता था। 

(iv) मेसोपोटामिया के लोग गीली मिटटी की पट्टिकाओं पर तीली से लिखा करते थे और बाद में धूप में सुखा लेते थे।

(v) लगभग 2600 ई.पू. के आसपास वर्ण कीलाकार हो गए और भाषा सुमेरियन थी।

(vi) धीरे-धीरे यहाँ शब्द-कोष भी बनाया गया | 

Q26. ‘‘शहरी अर्थव्यवस्था में एक सामाजिक संगठन का होना आवश्यक है।’’ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: 

Q27. स्पष्ट कीजिए कि जमीन में प्राकृतिक उपजाऊपन होने के पश्चात् भी मेसोपोटामिया में कृषि कई बार संकटों से किस प्रकार घिर जाती थी?

उत्तर: ज़मीन में प्राकृतिक उपजाउपन होने के बावजूद कृषि कई बार संकटों से घिर जाती थी। इसके निम्नलिखित कारण थे | 

(i) फरात नदी की प्राकृतिक धराओं में किसी वर्ष तो बहुत ज़्यादा पानी बह आता था और फसलों को डुबा देता था और कभी-कभी ये धराएँ अपना रास्ता बदल लेती थीं, जिससे खेत सूखे रह जाते थे।

(ii) जैसा कि पुरातत्त्वीय अभिलेखों से पता चलता है, मेसोपोटामिया के इतिहास में गाँव समय-समय पर पुनः स्थापित किए जाते रहे हैं।

(iii) इन प्राकृतिक विपदाओं के अलावा, कई बार मानव-निर्मित समस्याएँ भी आ खड़ी होती थीं। जो लोग इन धाराओं के उपरी इलाकों में रहते थे, वे अपने पास की जलधारा से इतना ज़्यादा पानी अपने खेतों में ले लेते थे कि धरा के नीचे की ओर बसे हुए गाँवों को पानी ही नहीं मिलता था।

(iv) ये लोग अपने हिस्से की सरणी में से गाद (मिट्टी) नहीं निकालते थे, जिससे बहाव रुक जाता था और नीचे वालों को पानी नहीं मिलता था। इसलिए मेसोपोटामिया के तत्कालीन देहातों में ज़मीन और पानी के लिए बार-बार झगड़े हुआ करते थे।

Q28. स्पष्ट कीजिए कि मेसोपोटामिया में समकालीन नगर मोहनजोदड़ो के विपरीत उर नगर में नगर-नियोजन पद्धति का अभाव था।

उत्तर: 

(i)  मेसोपोटामिया का उर एक ऐसा नगर था जिसके साधरण घरों की खुदाई 1930 के दशक में सुव्यवस्थित ढंग से की गई। उसमें टेढ़ी-मेढ़ी व संकरी गलियाँ पाई गईं जिससे यह पता चलता है कि पहिए वाली गाड़ियाँ वहाँ के अनेक घरों तक नहीं पहुँच सकती थीं।

(ii) अनाज के बोरे और ईंधन के गट्ठे संभवतः गधे पर लादकर घर तक लाए जाते थे। पतली व घुमावदार गलियों
तथा घरों के भू-खंडों का एक जैसा आकार न होने से यह निष्कर्ष निकलता है कि नगर-नियोजन की पद्धति का अभाव था।

(iii) लोग अपने घर का सारा कूड़ा-कचरा बुहारकर गलियों में डाल देते थे, जहाँ वह आने-जाने वाले लोगों के पैरों के नीचे आता रहता था। इस प्रकार बाहर कूड़ा डालते रहने से गलियों की सतहें उँफची उठ जाती थीं जिसके कारण कुछ समय बाद घरों की दहलीशों को भी उँच्चा उठाना पड़ता था ताकि वर्षा के बाद कीचड़ बह कर घरों के भीतर न आ सके।

(iv) शायद यह इसलिए किया गया था कि एक साथ तेज़ वर्षा आने पर घर के बाहर की कच्ची गलियाँ बुरी तरह कीचड़ से न भर जाएँ।

(v) वहाँ गलियों के किनारे जल-निकासी के लिए उस तरह की नालियाँ नहीं थीं, जैसी कि उसके समकालीन नगर मोहनजोदड़ो में पाई गई हैं। बल्कि जल-निकासी की नालियाँ और मिट्टठ्ठी की नलिकाएँ उर नगर के घरों के भीतरी आँगन में पाई गई हैं, जिससे यह समझा जाता है कि घरों की छतों का ढलान भीतर की ओर होता था और वर्षा का पानी निकास नालियों के माध्यम से भीतरी आँगनों में बने हुए हौज़ों’ में ले जाया जाता था।

Q29. खानाबदोश पशुचारक शहरी जीवन के लिए खतरा थे। तर्क देकर स्पष्ट कीजिए।

Q30. मेसोपोटामिया में शहरीकरण का क्या महत्व है? स्पष्ट कीजिए।

Q31. मेसोपोटामिया की मोहरों की बनावट और उपयोगिता का वर्णन कीजिए।

Q32. मेसोपोटामिया के बहुत कम लोग साक्षर थे, स्पष्ट कीजिए।

Q33. मेसोपोटामिया के प्रारंभिक मंदिरों की रचना घरों जैसी क्यों प्रतीत होती थी,
स्पष्ट कीजिए।

Q34. मेसोपोटामिया में परिवार एवं विवाह के नियम किस प्रकार के थे, स्पष्ट कीजिए।

Q35. कुम्हार के चाक से किस प्रकार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक युगान्तरकारी परिवर्तन आया।

8 अंक के प्रश्न-उत्तर: 

Q36. मंदिर मेसोपोटामिया की संस्कृति के अभिन्न अंग थे। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: मंदिर मेसोपोटामिया की संस्कृति के अभिन्न अंग थे यह निम्नलिखित बिन्दुओं से स्पष्ट होता है | 

(i) कुछ प्राचीन शहर मंदिर के चारों ओर विकसित हुए।

(ii) सबसे पहला ज्ञात मंदिर एक छोटा-सा देवालय था, जो कि कच्ची ईंटों का बना हुआ था।
(iii) मंदिर विभिन्न प्रकार के देवी-देवताओं के निवास स्थान थे जैसे उर जो चंद्र देवता के और इन्नाना जो प्रेम व युद्ध की देवी थी।
(iv) कुछ प्रारम्भिक साधारण मंदिर घरों जैसे ही होते थे क्योंकि मंदिर भी किसी देवता के घर होते थे।

(v) देवता पूजा का केन्द्र-बिन्दु होता था, लोग देवी-देवताओं के लिए अन्न, दही और मछली लाते थे।
(vi) आराध्य देव सैद्धान्तिक रूप से खेतों, मत्स्य क्षेत्रों और स्थानीय लोगों के पशुधन का स्वामी माना जाता था।
(vii) समय आने पर उपज को उत्पादित वस्तुओं में बदलने की प्रक्रिया मंदिरों में ही की जाती थी।
(viii) उस काल में मंदिर ना केवल धार्मिक केन्द्र थे अपितु आर्थिक-क्रियाओं से भी जुड़े थे।

Q37. मेसोपोटामिया में लेखन कला का विकास कैसे हुआ ? बिंदु देकर समझाए | 

उत्तर: मेसोपोटामिया में लेखन कला का विकास निम्नप्रकार से हुआ | 

(i) मेसोपोटामिया में जो पहली पट्टिकाएँ (Tablet) पाई गई हैं वे लगभग 3200 ई.पू. की हैं।

(ii) वहाँ बैलों, मछलियों और रोटियों आदि की लगभग 5000 सूचियाँ मिली हैं, जो वहाँ के दक्षिणी शहर उरुक के मंदिरों में आने वाली और वहाँ से बाहर जाने वाली चीजों की होंगी।

(iii) वहां स्पष्टतः, लेखन कार्य तभी शुरू हुआ जब समाज को अपने लेन-देन का स्थायी हिसाब रखने की ज़रूरत पडी़ क्योंकि शहरी जीवन में लेन-देंन अलग-अलग समय पर होते थे, उन्हें करने वाले भी कई लोग होते थे और सौदा भी कई प्रकार के माल के बारे में होता था। 

(iv) मेसोपोटामिया के लोग गीली मिटटी की पट्टिकाओं पर तीली से लिखा करते थे और बाद में धूप में सुखा लेते थे।

(v) लगभग 2600 ई.पू. के आसपास वर्ण कीलाकार हो गए और भाषा सुमेरियन थी।

(vi) धीरे-धीरे यहाँ शब्द-कोष भी बनाया गया | 

Q38. सम्भवतः दुनिया को मेसोपोटामिया की सबसे बड़ी देन उसकी कालगणना और गणित की विद्वतापूर्ण परम्परा है। समझाइए | 

उत्तर: 

(i) मेसोपोटामिया की दुनिया को सबसे बडी देन उसकी कालगणना और गणित की विद्वत्तापूर्ण परम्परा है।
(ii) 1800 ई.पू. के आस-पास की कुछ पट्टिकाएं मिली हैं जिनमें गुणा और भाग की तालिकाएं, वर्ग तथा वर्गमूल और चक्रवृद्धि ब्याज की सारणियां दी गई हैं।
(iii) मेसोपोटामिया वासियों से ही हमें ज्ञात हुआ कि पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की परिक्रमा के अनुसार एक पूरे वर्ष का 12 महीनों में विभाजन, एक महीने का 4 हफ्तों में विभाजन, एक दिन का 24 घंटों में विभाजन और एक घंटे का 60 मिनट में विभाजन किया गया। आज यह सब हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा है।
(iv) सूर्य और चन्द्र ग्रहण घटित होने पर वर्ष, मास और दिन के अनुसार उनका हिसाब रखकर गणना की जाती थी।
(v)  रात को आकाश में तारों और तारामंडल की स्थिति पर नजर रखते हुए गणना की जाती थी।

Q39. मेसोपोटामिया की प्रमुख उपलब्ध्यिं को वर्णित कीजिए।

अथवा 

          मेसोपोटामिया की सभ्यता की विश्व को क्या देन है?

उत्तर: मेसोपोटामिया की सभ्यता की विश्व को निम्नलिखित देन है - 

(i) लेखन कला का विकास संभवत: मेसोपोटामिया में हुए है ।
(ii) शहरी जीवन तथा सामाजिक व्यवस्था।
(iii) गणित की गणनाओं का विकास।
(iv) विद्यालय जैसी संस्थाएँ।
(v) 5000 ई.पू. बस्तियों का विकास।
(vi) विवाह, उत्तराधिकार के मामलों में कानूनी दस्तावेजों का होना।
(vii) मोहर : एक शहरी शिल्प कृति।
(viii) शहरीकरण का महत्व - व्यापार, वार्का शीर्ष।

 

Q40.  मेसोपोटामिया के लोगों के धार्मिक जीवन की विशेषताएँ बताइए | 

उत्तर:  मेसोपोटामिया के लोगों के धार्मिक जीवन की विशेषताएँ निम्नलिखित थीं

(i) अनेक देवी-देवताओं में विश्वास : मेसोपोटामिया के लोगों का अनेक देवी-देवताओं में विश्वास था। उनमें शम्स (सूर्य देवता), अनु (आकाश देवता), एनलिल (वायु देवता) तथा नन्नार चंद्र देवता) आदि प्रमुख थे। बेबीलोन के निवासी विशेष रूप से ‘माईक’ और असीरिया के लोग ‘असुर’ (अस्सुर) नामक देवता की उपासना करते थे।

(ii) भव्य मंदिरों का निर्माण : प्रत्येक नगर में एक प्रधान मन्दिर होता था। वहाँ का देवता नगर का संरक्षक देवता माना जाता था। नगर के संरक्षक देवता के लिए नगर के पवित्र क्षेत्र में किसी पहाड़ी पर या ईंटों के बने चबूतरे पर मंदिर का निर्माण किया जाता था, जिसे जिगुरत’ या “जिग्गूरात’ कहते थे।

(iii) बलि प्रथा : लोग देवताओं को प्रसन्न करने के लिए भेड़-बकरी आदि पशुओं की बलि चढ़ाते थे। उनकी पूजा स्वार्थ-प्रेरित होती थी। उसमें श्रद्धा का अभाव पाया जाता था।

(iv) भौतिकवाद में आस्था :  इस सभ्यता के लोग अपने जीवनकाल में अधिक-से-अधिक सुख भोगना चाहते थे। अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वे देवी-देवताओं की उपासना करते थे। उनका विश्वास था कि देवताओं को प्रसन्न रखकर भौतिक सुख प्राप्त किया जा सकता है।

(v) अंधविश्वास : इस सभ्यता के लोग अंधविश्वासी होते थे। वे ज्योतिषियों, पुरोहितों, भविष्यवाणियों, जादू-टोनों तथा भूत-प्रेत आदि पर बहुत विश्वास रखते थे। बाढ़, अकाल तथा महामारी को वे देवता का प्रकोप मानते थे।

(v) नैतिकता : इस सभ्यता के लोग नैतिकतापूर्ण जीवन व्यतीत करते थे। झूठ बोलना, घमण्ड करना तथा दूसरे को अप्रसन्न करने इत्यादि दुर्गुणों से वे दूर रहते थे।

(vi) वर्तमान का महत्त्व : इस सभ्यता के लोग परलोक के स्थान पर इहलोक की चिंता अधिक करते थे। उनका विश्वास था कि परलोक अंधकार और दुर्भिक्ष (अकाल) का डेरा है, जहाँ पेट भरने के लिए केवल मिट्टी मिलती है।

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