NCERT Solutions for Class 12 Geography Practical Work in Geography Chapter 3 Graphical Representation of Data (Hindi Medium)

 


NCERT Solutions for Class 12 Geography Practical Work in Geography Chapter 3 Graphical Representation of Data (Hindi Medium)

अभ्यास प्रश्न (पाठ्यपुस्तक से)

प्र० 1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए।
(i) जनसंख्या वितरण दर्शाया जाता है।
(क) वर्णमात्री मानचित्र द्वारा
(ख) सममान रेखा मानचित्रों द्वारा
(ग) बिंदुकित मानचित्रों द्वारा
(घ) ऊपर में से कोई भी नहीं
(ii) जनसंख्या की दशकीय वृद्धि को सबसे अच्छा प्रदर्शित करने का तरीका है।
(क) रेखा ग्राफ
(ख) दंड आरेख
(ग) वृत्त आरेख
(घ) ऊपर में से कोई भी नहीं
(iii) बहुरेखाचित्र की रचना प्रदर्शित करती है।
(क) केवल एक चर
(ख) दो चरों से अधिक
(ग) केवल दो चर
(घ) ऊपर में से कोई भी नहीं
(iv) कौन-सा मानचित्र गतिदर्शी माना जाता है।
(क) बिंदुकित मानचित्र
(ख) सममान रेखा मानचित्र
(ग) वर्णमात्री मानचित्र
(घ) प्रवाह संचित्र

उत्तर:
(i) (ग) बिंदुकित मानचित्रों द्वारा
(ii) (क) रेखा ग्राफ
(iii) (ख) दो चरों से अधिक
(iv) (घ) प्रवाह संचित्र

प्र० 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए
(i) थिमैटिक मानचित्र क्या है?
उत्तर: थिमैटिक मानचित्र को विषयक मानचित्र अथवा वितरण मानचित्र भी कहा जाता है। इसमें चुने गए क्षेत्र/प्रदेश की विविधताओं व विशेषताओं को प्रदर्शित करने के लिए बिंदुकित, वर्णमात्री अथवा सममान रेखा विधि का उपयोग करके मानचित्र तैयार किए जाते हैं।
(ii) आंकड़ों के प्रस्तुतीकरण से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर: आंकड़ों के बेहतर प्रस्तुतीकरण के लिए उन्हें तालिकाबद्ध वे वर्गीकृत किया जाता है। तुलनात्मक अध्ययन हेतु उनको आरेखों व मानचित्रों के द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। उपयुक्त निष्कर्ष निकालने हेतु उन्हें अनेक प्रकार के प्रक्रमण की आवश्यकता होती है। तब जाकर, वे प्रस्तुतीकरण के योग्य बन पाते हैं।
(iii) बहुदंड आरेख और यौगिक दंड आरेख में अंतर बताइए।
उत्तर: बहुदंड आरेख में किसी घटक के विभिन्न तत्वों को समूह में एक साथ प्रदर्शित किया जाता है जैसे भारत की कुल साक्षरता दर की दशकीय वृद्धि को एक दंड द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। उसी के साथ स्त्री व पुरुष साक्षरता दर को भी अलग-अलग दंडों के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। जबकि यौगिक दंड आरेख पर किसी घटक के विभिन्न तत्वों को एक ही दंड पर प्रदर्शित किया जाता है। जैसे – भारत में विद्युत का कुल उत्पादन एक दंड/आयत पर दिखाया जाता है। उसी दंड पर तापीय विद्युत, जलीय विद्युत न नाभिकीय विद्युत के योगदान को उनकी मात्रा के अनुरूप दिखाया जाता है। यह उत्पादन दिए गए वर्ष के अनुरूप प्रदर्शित किया जाता है।
(iv) एक बिंदुकित मानचित्र की रचना के लिए क्या आवश्यकताएँ हैं?
उत्तर: बिंदुकित मानचित्र किसी एक तत्व जैसे-जनसंख्या या फसल आदि के वितरण को प्रदर्शित करने के लिए बनाए जाते हैं। एक बिंदु को मान/मूल्य निर्धारित कर मापनी तय की जाती है। एक ही आकार-प्रकार के बिंदु, वितरण के प्रतिरूप को प्रदर्शित करने के लिए चुने हुए क्षेत्र/प्रदेश पर अंकित किए जाते हैं।
(v) सममान रेखा मानचित्र क्या है? एक क्षेपक को किस प्रकार कार्यान्वित किया जाता है।
उत्तर: मानचित्र पर किसी भौगोलिक लक्षण अथवा जलवायविक तत्वों को जैसे-ऊँचाई, तापमान, वायुदाब, वर्षा व लवणता के समान मानों वाले स्थानों को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा को सममान रेखा (Isopleth) कहते हैं। इनके विशेष उदाहरण हैं-समोच्च रेखाएँ (Isohypses or contouns), समताप रेखाएँ (Isotherms), समदाव रेखाएँ (Isobars), समवर्षा रेखाएँ (Isohyets), समगंभीरता रेखाएँ (Isobaths) समभूकंप रेखाएँ (Isoseismallines), समलवणता रेखाएँ (Isohaline), समदिक्पाती रेखाएँ (Isogones), सममेघ रेखाएँ (Isonephs) आदि। सममान रेखाओं को (Isolines) भी कहा जाता है।
क्षेपक – समान मानों के स्थानों को मिलाने वाली सममान रेखाओं का चित्रण ही क्षेपक कहलाता है। क्षेपक का उपयोग । दो स्थानों के प्रेक्षित मानों के बीच माध्यमान प्राप्त करने के लिए किया जाता है। क्षेपक ज्ञात करने की विधि है।

(vi) एक वर्णमात्री मानचित्र को तैयार करने के लिए अनुसरण करने वाले महत्वपूर्ण चरणों की सचित्र व्याख्या कीजिए।
उत्तर: वर्णमात्री अथवा छाया विधि के द्वारा मानचित्र पर विभिन्न भौगोलिक तथ्यों की मात्रा/माप को रंगों की विभिन्न आभाओं अथवा छायाओं के द्वारा इस तरह प्रदर्शित किया जाता है कि अधिक मान के लिए गहरा तथा उसके बाद के मानों के लिए क्रमश हल्के रंग/छायाओं/आभाओं का प्रयोग किया जाता है। इसे अंग्रेजी में Choropleth कहा जाता है। वर्गामात्री मानचित्र तैयार करने के लिए विभिन्न चरणों का अनुसरण करते हैं
(क) एकत्रित आंकड़ों को आरोही अथवा अवरोही क्रम में व्यवस्थित करना।
(ख) आंकड़ों को उनके पास (अधिकतम-न्यूनतम मान की गणना करके) के अनुसार पांच अथवा उपयुक्त श्रेणियों में वर्गीकृत करना।
(ग) जिन प्रशासकीय इकाइयों के आंकड़े एकत्रित किए गए हैं उन्हें दर्शाने वाले क्षेत्रों का एक सुस्पष्ट मानचित्र । प्राप्त करना। उदाहरण–तालिका 3.10 भारत में साक्षरता दर 2001

(vii) आंकड़ों को वृत्त आरेख की सहायता से प्रदर्शित करने के लिए महत्वपूर्ण चरणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर: वृत्त आरेख आंकड़ों को प्रदर्शित करने की एक उपयोगी विधि है। इसमें दिए गए विभिन्न चरों आंकड़ों के कुल मूल्य को एक वृत्त जो कि 360° का होता है, के अंदर दर्शाया जाता है।
(i) एक चर के आंकड़े को 360° के परिप्रेक्ष्य में कितने अंश में प्रदर्शित करना है, इसको इस सूत्र द्वारा परिकलित

(ii) वृत में प्रत्येक चर का अंश भाग निर्धारित होने पर उन्हें विभिन्न आभाओं/छायाओं द्वारा अलग-अलग दर्शाते हैं।
(iii) किसी आभा/छाया से किस चर/लक्षण को प्रदर्शित किया गया है। इससे संबंधित एक संकेतक/सूचक बनाना आवश्यक है। उदाहरणभारत के भूमि उपयोग संबंधी आंकड़े तालिका में दर्शाए गए हैं

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