NCERT Solutions for Class 10 Social Science Civics Chapter 8 Challenges to Democracy (लोकतंत्र की चुनौतियाँ)
These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Social Science in Hindi Medium. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Social Science Civics Chapter 8 Challenges to Democracy.
प्रश्न अभ्यास
पाठ्यपुस्तक से
संक्षेप में लिखें
1. राजनीतिक सुधार से क्या तात्पर्य है?
(क) राजनीतिक दलों में सुधार को राजनीतिक सुधार कहा जाता है
(ख) लोकतंत्र की विभिन्न चुनौतियों के बारे में सभी सुझाव या प्रस्ताव लोकतांत्रिक सुधार या राजनीतिक सुधार कहे जाते हैं।
(ग) राजनीतिक व्यवस्था में सुधार
(घ) राजनीतिक गतिविधियों में सुधार।
2. लोकतंत्र की परिभाषा या अर्थ बताएँ।
(क) लोकतंत्र शासन का वह स्वरूप है जिसमें लोग अपने शासकों का चुनाव करते हैं।
(ख) लोकतंत्र संसदीय शासन प्रणाली का दूसरा रूप है।
(ग) लोकतंत्र विभिन्न प्रकार चुनौतियों का सामना करता है।
(घ) अफसरशाही के माध्यम से चलाया जाने वाला शासन लोकतंत्र कहलाता है।
3. एक अच्छे लोकतंत्र को किस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है?
(क) एक अच्छे लोकतंत्र में शासक को जनता चुने और जनता की भावनाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप शासक काम करे ।
(ख) अच्छे प्रशासक और अच्छे प्रशासनिक तंत्र अच्छे लोकतंत्र के गुण हैं।
(ग) शासन में जनता की भागीदारी ही अच्छे लोकतंत्र के गुण हैं।
(घ) जनता को अधिक से अधिक अधिकार मिलना ही अच्छे लोकतंत्र की विशेषता है।
4. लोकतांत्रिक सुधारों को किस प्रकार लागू किया जा सकता है?
(क) लोकतांत्रिक सुधारों को कानून और विभिन्न नीतियों या फार्मूलों से लागू किया जा सकता है।
(ख) लोकतांत्रिक सुधारों को प्रशासनिक तंत्र द्वारा लागू किया जा सकता है।
(ग) लोकतांत्रिक सुधारों को योजना आयोग के माध्यम से लागू किया जा सकता है।
(घ) लोकतांत्रिक सुधारों को प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा लागू किया जा सकता है।
5. दुनिया के कितने भागों में लोकतांत्रिक शासन नहीं है?
(क) लगभग आधे भागों में
(ख) लगभग एक तिहाई भागों में
(ग) लगभग एक चौथाई भागों में
(घ) लगभग दो तिहाई भागों में।
6. चुनौती किसे कहते हैं?
(क) विभिन्न प्रकार के संघर्ष
(ख) विभिन्न तरह की मुश्किलें
(ग) लोकतांत्रिक अव्यवस्था
(घ) उपरोक्त सभी
7. विस्तार की चुनौती से आप क्या समझते हैं?
(क) लोकतांत्रिक शासन के बुनियादी सिद्धान्तों को सभी इलाकों, सभी सामाजिक समूहों और विभिन्न संस्थाओं में लागू करना ।
(ख) स्थानीय सरकारों को अधिक अधिकार सम्पन्न बनाना।
(ग) महिलाओं और अल्पसंख्यक समूहों की उचित भागीदारी सुनिश्चित करना
(घ) उपरोक्त सभी।
8. लोकतंत्र की एक चुनौती का उल्लेख करें।
(क) भ्रष्ट प्रशासनिक व्यवस्था की चुनौती
(ख) बुनियादी आधार बनाने की चुनौती जैसे सेना का नियंत्रण समाप्त करना
(ग) समस्याओं से छुटकारा पाना
(घ) आर्थिक असमानता को दूर करने की चुनौती।
9. लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती का एक उदाहरण है
(क) महिलाओं और अल्पसंख्यकों की भागीदारी सुनिश्चित करना
(ख) स्थानीय निकाय शासन को अधिक शक्ति प्रदान करना
(ग) पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करना
(घ) दलितों और अनुसूचित जनजातियों की भागीदारी सुनिश्चित करना।
10. लोकतंत्र को मजबूत करने की चुनौती का एक उदाहरण दें।
(क) संस्थाओं की कार्यपद्धति को सुधारना
(ख) राजनीतिक दल में सुधार लाना
(ग) सत्ता का विकेंद्रीकरण करना
(घ) उपरोक्त सभी।
11. इसमें मौजूदा गैर-लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को गिराने, सत्ता पर सेना के नियंत्रण को समाप्त करने और एक संप्रभु तथा कारगर शासन व्यवस्था को स्थापित करने की चुनौती है
(क) विस्तार की चुनौती
(ख) लोकतंत्र को मजबूत बनाने की चुनौती
(ग) बुनियादी आधार बनाने की चुनौती
(घ) उपरोक्त सभी।
12. निम्नलिखित में से कौन सी चुनौती हर लोकतंत्र के सामने किसी रूप में हैं?
(क) विस्तार की चुनौती ।
(ख) लोकतंत्र को मजबूत बनाने की चुनौती
(ग) बुनियादी आधार बनाने की चुनौती
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर
(ख)
(क)
(क)
(क)
(ग)
(ख)
(घ)
(ख)
(क)
(क)
(ग)
(ख)
II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1. धर्मनिरपेक्षता से क्या तात्पर्य है?
उत्तर राज्य का अपना कोई धर्म न हो तथा राज्य में रहने वाले व्यक्ति स्वेच्छा से कोई भी धर्म अपना सके तथा राज्य धर्म के आधार पर नागरिकों में भेदभाव न करे तो यह स्थिति धर्म निरपेक्षता कहलाती है।
प्रश्न 2. लोकतांत्रिक व्यवस्था क्या है?
उत्तर यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसके केंद्र में लोग हों अर्थात् लोगों के द्वारा बनाई सरकार, जो लोगों के हितों के लिए काम करेगी तथा लोगों की इच्छा तक ही बनी रहेगी।
प्रश्न 3. निरक्षरता का क्या अर्थ है?
उत्तर वह स्थिति जिसमें लोगों को अक्षरों का ज्ञान न हो अर्थात् वे पढ़े लिखे न हो निरक्षरता कहलाती है।
प्रश्न 4. राजनीतिक सुधार से क्या तात्पर्य है?
उत्तर लोकतंत्र की विभिन्न चुनौतियों के बारे में सभी सुझाव या प्रस्ताव राजनीतिक सुधार कहे जाते हैं।
प्रश्न 5. लोकतांत्रिक सुधारों को किस प्रकार लागू किया जा सकता है?
उत्तर लोकतांत्रिक सुधारों को कानूनों और विभिन्न नीतियों या फार्मूलों से लागू किया जा सकता है।
प्रश्न 6. एक अच्छे लोकतंत्र को किस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है?
उत्तर जनता शासक को चुने और शासक जनता की भावनाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप काम करें।
प्रश्न 7. विस्तार की चुनौती से आप क्या समझते हैं?
उत्तर विस्तार की चुनौती से तात्पर्य लोकतांत्रिक शासन के बुनियादी सिद्धांतों को सभी इलाकों, सभी सामाजिक समूहों और विभिन्न संस्थाओं में लागू करना है।
प्रश्न 8. नए और सावधानी से बनाए गए कानूनों के क्या लाभ होते हैं?
उत्तर नए कानून सारी अवांछित चीजें खत्म कर देंगे यह सोच लेना भले ही सुखद हो लेकिन इस लालच पर लगाम लगाना ही बेहतर है। निश्चित रूप से सुधारों के मामले में कानून की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है। सावधानी से बनाए गए कानून गलत राजनीतिक आचरणों को हतोत्साहित और अच्छे कामकाज को प्रोत्साहित करेंगे।
प्रश्न 9. सबसे बढ़िया कानून किसे माना जा सकता है?
उत्तर सबसे बढ़िया कानून वे हैं जो लोगों को लोकतांत्रिक सुधार करने की ताकत देते हैं। सूचना का अधिकार कानून लोगों को जानकार बनाने और लोकतंत्र के रखवाले के तौर पर सक्रिय करने का अच्छा उदाहरण है। ऐसा कानून भ्रष्टाचार पर रोक लगाने तथा कठोर दंड का प्रावधान करने वाले मौजूदा कानूनों की मदद करता है।
प्रश्न 10. उत्तर प्रदेश सरकार ने एक सर्वेक्षण के उपरांत क्या पाया?
उत्तर उत्तर प्रदेश सरकार ने एक सर्वेक्षण कराया और पाया कि ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर पदस्य अधिकतर डॉक्टर अनुपस्थित थे। वे शहरों में रहते हैं, निजी प्रैक्टिस करते हैं और महीने में सिर्फ एक था दो बार अपनी नियुक्ति वाली जगह पर घूम आते हैं। गाँव वालों को साधारण रोगों के इलाज के लिए भी शहर जाना होता है।
प्रश्न 11. सांप्रदायिकता से क्या तात्पर्य है?
उत्तर जब किसी एक धर्म के लोग अपने आपको दूसरे धर्मों से ऊपर समझते हैं तथा अपने धर्म के लिए दूसरे धर्मों को नीचा दिखाते हैं तो यह प्रवृति सांप्रदायिकता कहलाती है।
प्रश्न 12. चुनौतियाँ का अर्थ बताएँ।
उत्तर लोकतंत्र के मार्ग में आने वाली ने बाधाएँ जिन्हें दूर किए बिना लोकतंत्र का विकास संभव नहीं होता।
प्रश्न 13. दुनिया के कितने भागों में लोकतांत्रिक शासन नहीं है?
उत्तर दुनिया के लगभग एक चौथाई भागों में लोकतांत्रिक शासन नहीं है।
III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1. विस्तार की चुनौती पर सफलता पाने के लिए किन्हीं तीन उपायों की व्याख्या कीजिए। [AI CBSE 2013 (C)]
उत्तर देखें लघु उत्तरीय प्रश्न संख्या 7।
प्रश्न 2. विधिक-संवैधानिक बदलावों को लाने मात्र से ही लोकतंत्र की चुनौतियों का हल नहीं किया जा सकता।” उदाहरण सहित इस कथन की न्याय संगत पुष्टि कीजिए। (AI CBSE 2013)
उत्तर कानून बनाकर राजनीति को सुधारने की बात सोचना बहुत लुभावना लग सकता है। नए कानून सारी अवांछित चीजें खत्म कर देंगे यह सोच लेना भले ही सुखद हो लेकिन इस लालच पर लगाम लगाना ही बेहतर है। निश्चित रूप से सुधारों के मामले में कानून की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है। सावधानी से बनाए गए कानून गलत राजनीतिक आचरणों को हतोत्साहित और अच्छे कामकाज को प्रोत्साहित करेंगे। पर विधिक संवैधानिक बदलावों को ला देने भर से लोकतंत्र की चुनौतियों को हल नहीं किया जा सकता। उदाहरण स्वरूप-क्रिकेट एल.वी.डब्लू. के नियम में बदलाव से बल्लेबाजों द्वारा अपनाए जाने वाले बल्लेबाजी के नकारात्मक दाँव पेंच को कम किया जा सकता है पर यह कोई भी नहीं सोच सकता कि सिर्फ नियमों में बदलाव कर देने भर से क्रिकेट खेल सुधर जाएगा उचित नहीं है।
प्रश्न 3. संसार के कुछ देश ‘लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती’ का किस प्रकार सामना कर रहे हैं? (AI CBSE 2012)
उत्तर संसार के कुछ देश लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती का सामना कर रहे हैं। कई देशों में एकात्मक शासन व्यवस्था कायम है ऐसी स्थिति में शासन का केंद्र एक स्थान पर होता है। जबकि लोकतंत्र का विस्तार तभी हो सकता है जब स्थानीय सरकारों को अधिक अधिकार संपन्न बनाना, संघ की सभी इकाइयों के लिए संघ के सिद्धांतों को व्यावहारिक स्तर पर लागू करना, महिलाओं और अल्पसंख्यक समूहों की उचित भागीदारी सुनिश्चित करना आदि ऐसी ही चुनौतियाँ
प्रश्न 4. विश्व में कुछ देश किस प्रकार लोकतंत्र की बुनियादी आधार बनाने की चुनौती का सामना कर रहे हैं? उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए। (CBSE 2012)
उत्तर दुनिया के एक चौथाई हिस्से में अभी भी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था नहीं है। इन इलाकों में लोकतंत्र के लिए बहुत ही मुश्किल चुनौतियाँ हैं। इन देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था की तरफ जाने और लोकतांत्रिक सरकार गठित करने के लिए जरूरी बुनियादी आधार बनाने की चुनौती है। इसमें मौजूदा गैर लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को गिराने, सत्ता पर सेना के नियंत्रण को समाप्त करने और एक संप्रभु तथा कारगर शासन व्यवस्था को स्थापित करने की चुनौती है।
प्रश्न 5. लोकतंत्र की पुर्नपरिभाषा में किन-किन तत्वों को जोड़ा गया?
उत्तर पहले लोकतंत्र की परिभाषा दी गई थी-लोकतंत्र शासन का वह स्वरूप है जिसमें लोग अपने शासकों का चुनाव खुद करते हैं। इसके बाद कुछ और चीजें इसमें जोड़ी गईं
लोगों द्वारा चुने गए शासक ही सारे फैसले लें।
चुनाव में लोगों को वर्तमान शासकों को बदलने और अपनी पसंद जाहिर करने का पर्याप्त अवसर और विकल्प मिलना चाहिए। ये विकल्प और अवसर हर किसी को बराबरी से उपलब्ध होने चाहिए।
विकल्प चुनने के इस तरीके से ऐसी सरकार का गठन होना चाहिए जो संविधान के बुनियादी नियमों और नागरिकों के अधिकारों को मानते हुए काम करे।
प्रश्न 6. किस प्रकार के कानून राजनीति में सफल होते हैं?
उत्तर राजनीतिक कार्यकर्ता को अच्छे काम करने के लिए बढ़ावा देनेवाले या लाभ पहुँचानेवाले कानूनों के सफल होने की संभावना ज्यादा होती है। सबसे बढ़िया कानून वे हैं जो लोगों को लोकतांत्रिक सुधार करने की ताकत देते हैं। सूचना का अधिकार-कानून लोगों को जानकार बनाने और लोकतंत्र के रखवाले के तौर पर सक्रिय करने को अच्छा उदाहरण है। ऐसा कानून भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाता है और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने तथा कठोर दंड लागू करने वाले मौजूदा कानूनों की मदद करता है।
प्रश्न 7. भारत में लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती का वर्णन करें। [AI CBSE 2013 (C)]
उत्तर अधिकांश लोकतंत्रीय व्यवस्थाओं के सामने अपने विस्तार की चुनौती है। इसमें लोकतांत्रिक शासन के बुनियादी सिद्धांतों को सभी इलाकों, सभी सामाजिक समूहों और विभिन्न संस्थाओं में लागू करना शामिल है। भारत में भी लोकतंत्र के विस्तार की जरूरत है। इसके लिए स्थानीय संस्थाओं को अधिक अधिकार संपन्न बनाना होगा। संघात्मक शासन के सिद्धांतों को व्यावहारिक स्तर पर लागू करना होगा, राज्यों की स्वायत्तता को बढ़ाना होगा, केंद्र का राज्यों पर नियंत्रण कम करना होगा। महिलाओं, अल्पसंख्यकों तथा अन्य समूहों की उचित भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। लोगों को जागरूक बनाना होगा, तभी लोकतंत्र का विस्तार हो सकेगा।
प्रश्न 8. लोकतंत्र के लिए जरूरी पहलूओं का वर्णन कीजिए। HOTS
उत्तर लोकतंत्र के लिए कुछ जरूरी पहलू निम्नलिखित हैं
लोकतांत्रिक अधिकार लोकतंत्र का प्रमुख पहलू है। यह अधिकार सिर्फ वोट देने, चुनाव लड़ने और राजनीतिक संगठन बनाने भर के लिए नहीं है। इसमें सामाजिक और आर्थिक अधिकारों को शामिल करते हैं, जिन्हें लोकतांत्रिक शासन को अपने नागरिकों को देना ही चाहिए।
सत्ता में हिस्सेदारी को लोकतंत्र की भावना के अनुकूल माना गया है। इस प्रकार सरकारों और सामाजिक समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र के लिए जरूरी है।
लोकतंत्र बहुमत की तानाशाही या क्रूर शासन व्यवस्था नहीं हो सकता और अल्पसंख्यक आवाजों का आदर करना लोकतंत्र के लिए बहुत जरूरी है।
समाज में विद्यमान हर प्रकार के भेदभाव को मिटाना लोकतांत्रिक व्यवस्था का महत्त्वपूर्ण काम है।
लोकतांत्रिक व्यवस्था में हमें कुछ न्यूनतम नतीजों की उम्मीद तो करनी ही चाहिए।
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)
प्रश्न 1. लोकतंत्र के सम्मुख प्रमुख चुनौतियों का वर्णन करें। HOTS
उत्तर अलग-अलग देशों के सामने अलग-अलग तरह की चुनौतियाँ होती हैं। तीन प्रमुख चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं
दुनिया के जिन देशों में अभी भी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था नहीं है इन इलाकों में लोकतांत्रिक व्यवस्था की तरफ़ जाने और लोकतांत्रिक सरकार गठित करने के लिए जरूरी बुनियादी आधार बनाने की चुनौती है। इसमें मौजूदा गैरलोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को गिराने, सत्ता पर सेना के नियंत्रण को समाप्त करने और एक संप्रभु तथा कारगर शासन व्यवस्था को स्थापित करने की चुनौती है।
अधिकांश स्थापित लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के सामने अपने विस्तार की चुनौती है। इसमें लोकतांत्रिक शासन के बुनियादी सिद्धांतों को सभी इलाकों, सभी सामाजिक समूहों और विभिन्न संस्थाओं में लागू करना,शामिल है। स्थानीय अधिकारों को अधिक अधिकार संपन्न बनाना, संघ की सभी इकाइयों के लिए संघ के सिद्धांतों को व्यावहारिक स्तर पर लागू करना, महिलाओं और अल्पसंख्यक समूहों की उचित भागीदारी सुनिश्चित करना आदि ऐसी ही चुनौतियाँ हैं। इसका यह भी मतलब है कि कम-से-कम चीजें ही लोकतांत्रिक नियंत्रण के बाहर रहनी चाहिए। भारत और | दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्रों में से एक अमेरिका जैसे देशों के सामने भी यह चुनौती है।
तीसरी चुनौती लोकतंत्र को मजबूत करने की है। हर लोकतांत्रिक व्यवस्था के सामने किसी-न-किसी रूप में यह चुनौती रहती ही है। इसमें लोकतांत्रिक संस्थाओं और व्यवहारों को मजबूत बनाना शामिल है। यह काम इस तरह से होना चाहिए कि लोग लोकतंत्र से जुड़ी अपनी उम्मीदों को पूरा कर सकें। लेकिन अलग-अलग समाजों में आम आदमी की लोकतंत्र में अलग-अलग तरह की अपेक्षाएँ होती हैं। इसलिए यह चुनौती दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अलग अर्थ और अलग स्वरूप ले लेती है। संक्षेप में कहें तो इसका मतलबे संस्थाओं की कार्य-पद्धति को सुधारना और मज़बूत करना होता है, ताकि लोगों की भागीदारी और नियंत्रण में वृद्धि हो। इसके लिए फैसला लेने की प्रक्रिया पर अमीर और प्रभावशाली लोगों के नियंत्रण और प्रभाव को कम करने की जरूरत होती है।
प्रश्न 2. एक अच्छे लोकतंत्र की परिभाषा दीजिए। इसकी प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर लोकतंत्र शासन को वह स्वरूप है जिसमें लोग अपने शासकों का स्वयं चुनाव करते हैं। ये शासक संविधान के बुनियादी नियमों और नागरिकों के अधिकारों को मानते हुए कानून बनाते हैं। चुनाव में लोगों को शासकों को बदलने और अपनी पसंद जाहिर करने का पर्याप्त अवसर और विकल्प मिलता है। ये अवसर सबको समान रूप से मिलते हैं।
लोकतांत्रिक शासन की मुख्य विशेषताएँ –
लोकतांत्रिक शासन में अंतिम सत्ता जनता के हाथों में होती है। जनता अपने शासकों का चुनाव करती है और जब चाहे तब उन्हें उनके पद से हटा सकती है।
लोकतांत्रिक शासन में सरकार जनता के प्रति उत्तरदायी होती है, इसलिए वह संविधान के नियमों तथा जनता के हितों को ध्यान में रखकर कानून बनाती है।
लोकतांत्रिक देशों में लोगों को वोट डालने, चुनाव लड़ने और राजनीतिक संगठन बनाने के अतिरिक्त विभिन्न सामाजिक और आर्थिक अधिकार भी प्राप्त होते हैं।
लोकतांत्रिक शासन समाज में विद्यमान मतभेदों का शांतिपूर्ण तरीके से निपटारा कर सकता है। लोकतंत्र विभिन्न सामाजिक टकरावों को कम करने की कोशिश करता है।
लोकतंत्र में नागरिकों को सरकार की गलत नीतियों की आलोचना करने का पूरा अधिकार होता है।
लोकतंत्र देश के बहुसंख्यक समुदाय के साथ-साथ अल्पसंख्यक समुदाय के हितों की भी रक्षा करता है।
एक अच्छा लोकतांत्रिक शासन वह होगा जिसमें अधिक-से-अधिक जनता अधिक-से-अधिक भागीदारी दिखाए। सरकारी मसलों पर जनता अपनी राय दे, यदि जनता राजनीतिक रूप से शिक्षित होगी तो वह लोकतंत्र में भागीदारी कर सकेगी, जो एक अच्छे लोकतंत्र की प्रमुख विशेषता है।
अच्छे लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव कराए जाने चाहिए। जिससे सही प्रतिनिधि चुनकर सरकार में आ सकें।
लोकतांत्रिक देश में जनता को राजनीतिक समानता प्राप्त होती है। कोई भी व्यक्ति सरकार में जा सकता है और राजनीतिक दल का निर्माण कर सकता है।
एक लोकतांत्रिक देश में सरकार विभिन्न प्रकार की असमानताओं को कम करने की कोशिश करती है।
इस प्रकार एक अच्छे लोकतंत्र की कई विशेषताएँ हैं। जहाँ ये सभी विशेषताएँ होती हैं वहाँ लोकतंत्र को सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।
प्रश्न 3. विभिन्न राजनीतिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर लोकतंत्र की विभिन्न चुनौतियों के बारे में सभी सुझाव या प्रस्ताव लोकतांत्रिक सुधार या राजनीतिक सुधार कहे जाते हैं। किसी भी लोकतांत्रिक देश में निम्नलिखित राजनीतिक सुधार किए जा सकते हैं
कानून बनाकर कुछ हद तक राजनीतिक सुधार किए जा सकते हैं। सावधानी से कानून बनाकर गलत राजनीतिक आचरणों को हतोत्साहित और अच्छे कामकाज को प्रोत्साहित करेंगे।
कानूनी परिवर्तनों के कभी-कभी उल्टे परिणाम निकलते हैं। आमतौर पर किसी चीज की मनाही करने वाले कानून राजनीति में ज्यादा सफल नहीं होते। राजनीतिक कार्यकर्ता को अच्छे काम करने के लिए बढ़ावा देने वाले या लाभ पहुँचाने वाले कानूनों के सफल होने की संभावना ज्यादा होती है। सबसे बढ़िया कानून वे हैं जो लोगों को लोकतांत्रिक सुधार करने की ताकत देते हैं। सूचना का अधिकार-कानून लोगों को जानकार बनाने और लोकतंत्र के रखवाले के तौर पर सक्रिय करने का अच्छा उदाहरण है। ऐसा कानून भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाता है और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने तथा कठोर दंड का प्रावधान करने वाले वाले मौजूदा कानूनों की मदद करता है।
लोकतांत्रिक सुधार तो मुख्यत: राजनीतिक दल ही करते हैं। इसलिए राजनीतिक सुधारों का ज़ोर मुख्यत: लोकतांत्रिक कामकाज को ज्यादा मजबूत बनाने पर होना चाहिए। इससे आम नागरिक की राजनीतिक भागीदारी के स्तर और गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।
राजनीतिक सुधार के किसी भी प्रस्ताव में अच्छे समाधान की चिंता होने के साथ-साथ यह सोच भी होनी चाहिए कि इन्हें कौन और क्यों लागू करेगा? यह मान लेना समझदारी नहीं कि संसद कोई ऐसा कानून बना देगी जो हर राजनीतिक दल और सांसद के हितों के खिलाफ़ हो। पर लोकतांत्रिक आंदोलन, नागरिक संगठन और मीडिया पर भरोसा करने वाले उपायों के सफल होने की संभावना होती है।
प्रश्न 4. लोकतंत्र की नवीन परिभाषा में किन बातों को सम्मिलित किया गया है?
उत्तर
लोकतंत्र की नवीन परिभाषा में ये बातें सम्मिलित की गई हैं –
जनता द्वारा चुने गए शासक ही सारे प्रमुख फैसले लें।
चुनाव में लोगों को वर्तमान शासकों को बदलने और अपनी पसंद जाहिर करने का पर्याप्त अवसर और विकल्प मिलना चाहिए। ये विकल्प और अवसर हर किसी को बराबरी के आधार पर मिले।
विकल्प चुनने के इस तरीके से ऐसी सरकार का गठन होना चाहिए जो संविधान के बुनियादी नियमों और नागरिकों के अधिकारों को मानते हुए काम करें।
लोकतंत्र के उन आदर्शों को इसमें सम्मिलित किया जाना चाहिए ताकि लोकतांत्रिक और गैर-लोकतांत्रिक सरकारों में अंतर किया जा सके।
लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोकतांत्रिक अधिकार के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक अधिकारों की चर्चा की जानी चाहिए।
लोकतांत्रिक व्यवस्था में सामाजिक समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी हो।
लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों की आवाज़ का भी आदर होना चाहिए।
हर प्रकार के भेदभाव को नष्ट करना चाहिए।
लोकतांत्रिक व्यवस्था में हमें कुछ न कुछ परिणाम अवश्य प्राप्त करने के प्रयास करने चाहिए।