Class 12 Home Science Chapter 11 वस्त्र एवं परिधान के लिए डिज़ाइन Design for Fabric and Apparel Notes In Hindi


 

Class 12 Home Science Chapter 11 वस्त्र एवं परिधान के लिए डिज़ाइन Design for Fabric and Apparel Notes In Hindi


📚 अध्याय = 11 📚

💠 वस्त्र एवं परिधान के लिए डिज़ाइन 💠

❇️ डिज़ाइन :-

🔹 यह उच्च फैशन पोशाकों और उससे जुड़ी वस्तुयों के लिए प्रयोग में लाया जाता है । डिज़ाइन मात्र सजावट नहीं है । एक मोहक वस्तु अच्छे से डिज़ाइन की हुई नहीं समझी जाती यदि वह उपयोग के लिए सहीं नहीं है । 

🔹 डिज़ाइन , उत्पादों ( product ) की कल्पना करने , योजना बनाने और कार्यान्वित करने की मानवीय सामर्थ्य है , जो मानव जाति को किसी वैयक्तिक अथवा सामूहिक उद्देशय को पूरा मे सहायता करती है ।

❇️ डिज़ाइन विश्लेषण :-

🔹 चाही गई वस्तु की रचना के लिए डिज़ाइन एक योजना के अनुसार व्यवस्था होती है । यह योजना के कार्यात्मक भाग से एक कदम आगे होती है और एक परिणाम देती है , जिससे सौंदर्यबोधक संतोष मिलता है । इसका अध्ययन दो पहलुओं में होता है संरचनात्मक तथा अनुप्रयुक्त ।

❇️ डिज़ाइन के प्रकार :-

🔶 संरचनात्मक डिज़ाइन :- वह है जो रूप पर निर्भर करता है , न कि ऊपरी सजावट पर । पोशाक मे , यह कपड़े की मूल कटाई या आकार से संबंध रखता है । 

🔶 अनुप्रयुक्त डिज़ाइन :- मुख्य डिज़ाइन का एक भाग होता है , जो मूल संरचना के ऊपर बनाया जाता है । वस्त्र की सज्जा मे रँगाई तथा छपाई , कसीदाकारी और सुई धागे का काम उसका रूप बदल देता है ।

❇️ डिज़ाइन मे मुख्य कारक :-

🔶 डिज़ाइन के तत्त्व :- रंग , बनावट , रेखा , आकृति अथवा रूप है । 

🔶 डिज़ाइन के सिद्धांत :- सामंजस्य , संतुलन , आवर्तन , अनुपात और महत्त्व ।

❇️ डिज़ाइन के तत्व रंग :-

🔹 रंग- उत्पाद की पहचान का श्रेय अधिकतर रंग को दिया जाता है । रंग मौसम , संस्कृति भावानाओं और फैशन का मुख्य अंग है । 

🔹 रंग सिद्धांत रंग को प्रकाश के किसी वस्तु के पृष्ठ से टकराकर परावर्तन होने के रूप मे परिभाषित किया जा सकता है । किरणे दृष्टिपटल ( retina ) से टकराती है और आँख की तंत्रिकायों की कोशिकायों को उत्तेजित करती है । तंत्रिकाय मस्तिष्क को एक संदेश भेजती है , जो एक विशेष अनुभूति उत्पन्न करता है और हम रंग को अनुभव करते है ।

🔹 जो रंग मस्तिष्क द्वारा अवलोकित किया जाता है , वो प्रकाश स्त्रोत की एक विशिष्ट तरंग के संयोजन पर निर्भर करता है । किसी वस्तु का रंग देखने के किए यहू आवश्यक है कि वस्तु द्वारा प्रावर्तित प्रकाश को देखा जा सके । जब प्रकाश कि सभी किरणे परावर्तित होती है तो वस्तु सफेद दिखाई पड़ती है , जब कोई भी किरण परावर्तित नहीं होती तो वस्तु काली दिखाई पड़ती है ।

❇️ रंग का उल्लेखन :-

🔹 रंग को तीन रूपों में उल्लेखित किया जाता है – रंग ( ह्यू ) , मान तथा तीव्रता या क्रोमा ।

🔶 ह्यू रंग :- हुयू रंग का सामान्य नाम है । वर्णक्रम सात रंगों को दर्शाता है । मुनसेल रंग चक्र द्वारा रंगो को निम्न प्रकार से विभाजित किया गया है ।

🔶 रंग का मूल्य / मान :- ये रंग के हलकेप्न या गहरेपन को बताता है जिसे आभा ( tint ) या रंगत ( shade ) माना जाता है । सफेद रंग का मान अधिकतम तथा काले रंग का मान न्यूनतम होता है ।  ,

🔶 तीव्रता या कोमा :- रंग की चमक ( brightness ) या विशुद्धता होती है । जब किसी रंग को अन्य रंग के साथ मिलाते है विशेषकर रंग चक्र पर इसके विपरीत रंग के साथ तो रंग मे मंदता ( Dullness ) आ जाती है । 

❇️ ह्यू रंग द्वारा रंगों के प्रकार :-

🔶 प्राथमिक रंग :- ये रंग अन्य रंगो को मिलाने से नहीं बनते । ये रंग है- लाल , पीला और नीला । 

🔶 द्वीतीयक रंग :- ये प्राथमिक रंगो को मिलाकर बनाए जाते है । ये रंग है- नारंगी , हरा और बैंगनी ।

🔶 तृतीयक रंग :- ये रंग चक्र पर निकटवर्त प्राथमिक और एक द्वीतीयक रंग को मिलाकर बनाय जाते है । जैसे- लाल नारंगी , पीला – नारंगी , पीला – हरा , नीला – हरा , नीला- बैंगनी और लाल- बैंगनी । 

🔶 उदासीन रंग :- सफ़ेद , काला , धूसर ( grey ) , रजत ( silver ) और धात्विक ( metallic ) । इनको अवर्णक ( achromatic ) अर्थात बिना रंग के रंग कहा जाता है ।

❇️ रंग योजनाएँ :-

🔹 रंगों के संयोजन के लिए मार्गदर्शन के रूप में कुछ मूलभूत रंग योजनाएँ उपयोग में लाई जाती हैं । एक वर्ण योजना यह सुझाती है कि किन रंगों का संयोजन करना है , रंगों के मान और तीव्रताएँ और उपयोग में आने वाले प्रत्येक रंग की मात्रा का निर्धारण डिज़ाइनर अथवा उपभोक्ता करते हैं । रंग योजनाओं का अध्ययन वर्णचक्र के संदर्भ में भली – भाँति किया जाता है ।

🔹 वर्ण योजनाओं की चर्चा दो समूहों में की जा सकती है :- 

❇️ संबन्धित योजनाओं :-

🔹 संबन्धित योजनाओं मे कम से कम एक रंग सामान्य होता है । ये योजनाएँ है :-


एक वर्णी सुमे का अर्थ है कि सुमेल एक रंग पर आधारित है । इस अकेले रंग के मान और तीव्रता में विविधता लाई जा सकती है । 


अवर्णी सुमेल केवल उदासीन रंगों का उपयोग करता हैं , जैसे- काले और सफेद का संयोजन । 


विशिष्टतापूर्ण उदासीन एक रंग और एक उदासीन या एक आवार्णी रंग का उपयोग करता है ।


अनुरूप सुमेल का अर्थ उस वर्ण संयोजन से है , जिसे वर्णं चक्र के दो या तीन निकटवर्ती रंगों के उपयोग से प्राप्त किया जा सकता है ।


❇️ विषम योजनाएँ :-


पुरक सुमेल मे दो रंगों का उपयोग किया जाता है , जो वर्ण चक्र में एक – दूसरे के ठीक सामने होते हैं । 


दोहरा पूरक सुमेल दो पूरक युगलों से होता है , जो वक्र चक्र मैं पड़ोसी होते है । 


विभाजित पूरक सुमेल मे एक रंग , उसके पूरक रंग और पड़ोसी रंग का उपयोग कर तीन रंगों का संयोजन होता है । 


अनूरुप सुमेलु अनुरूप और पूरक योजनाओं का संयोजन है , इसमें पड़ोसी रंगों के समूह में प्रधानता के लिए पूरक का चयन किया जाता है । 


त्रणात्मक सुमेल वर्णचक पर एक – दूसरे से समान दूरी पर स्थित तीन रंगों का संयोजन होता है ।


❇️ बुनावट :-

🔹 बुनावट दिखने और छूने की एक संवेदी अनुभूति है जो वस्त्र की स्पर्शी तथा दृश्य गुणवत्ता को बताती है । 


यह कैसा दिखाई देता है :- चमकीला , मंद , घना आदि । 


उसकी प्रकृति कैसी है :- ढीला , लटका हुआ , कड़ा । 


छूने पर कैसा लगता है :- नरम , कड़क , रूखा , ऊबड़ खाबड़ , खुरदरा ।


❇️ बुनावट का निर्धारण :-

🔹 निम्नलिखित कारक सामग्री मे बुनावट का निर्धारण करते है :- 


रेशा 


धागे का संसाधन और धागे का प्रकार 


वस्त्र निर्माण तकनीक


वस्त्र सज्जा 


पृष्ठीय सजावट 


❇️ रेखा :- 

🔹 रेखा उस चिन्ह को कहते है , जो दो बिन्दुओं को जोड़ती है ।

❇️ रेखा के प्रकार  :-

🔹 मूल रूप से रेखा के दो प्रकार होते हैं :-

❇️ सरल रेखा :-

🔹 सरल रेखा एक दृढ़ अखंडित रेखा होती है । सरल रेखाएँ अपनी दिशा के अनुसार विभिन्न प्रभावों का सर्जन करती हैं । वे मनोवृत्ति का प्रदर्शन भी करती हैं । 

🔶 ऊर्ध्वाधर रेखाएँ :- ऊपर और नीचे गति पर बल देती हैं , ऊँचाई का महत्त्व बताती हैं और वह प्रभाव देती हैं जो तीव्र , सम्मानजनक और सुरक्षित होता है ।

🔶 क्षैतिज रेखाएँ :- एक ओर से दूसरी ओर गति बल देती हैं और चौड़ाई के भ्रम का सर्जन करती हैं , क्योंकि ये धरातली रेखा की पुनरावृत्ति करती हैं , ये एक स्थायी एवं सौम्य प्रभाव देती हैं । 

🔶 तिरछी अथवा विकर्ण रेखाएँ :- कोण की कोटि और दिशा पर निर्भर करते हुए चौड़ाई और ऊँचाई को बढ़ाती या घटाती हैं । ये एक सक्रिय , आश्चर्यजनक अथवा नाटकीय प्रभाव सर्जित कर सकती हैं । 

❇️ वक्र रेखाएँ :-

🔹 वक्र रेखाएँ किसी भी कोटि की गोलाई वाली रेखा होती है । वक्र रेखा एक सरल चाप अथवा एक मुक्त हस्त से खींचा गया वक्र हो सकता है । गोलाई की कोटि वक्र का निर्धारण करती है । अल्प कोटि की गोलाई सीमित वक्र कहलाती है । अधिक कोटि की गोलाई एक वृत्तीय वक्र देती है । 

❇️ आकृतियाँ या आकार :-

🔹 रेखायों को जोड़कर आकार बनाए जाते है आकृतियाँ द्विविमीय या त्रिविमीय हो सकती आकृतीयों के चार मूलभूत समूह होते है :-


प्राकृतिक आकृतियाँ जो प्रकृति अथवा मानव निर्मित वस्तुओं की नकल होती है ।  


फैशनेबल शैली 


ज्यामितीय आकृतियाँ


अमूर्त आकृतियाँ 


❇️ पैटर्न :- 

🔹 एक पैटर्न तब बनता है , जब आकृतियाँ एक साथ समूहित की जाती है । यह समूहन एक प्रकार की आकृतियों अथवा दो या अधिक प्रकार की आकृतियों के संयोजन को हो सकता है । 

❇️ डिज़ाइन के सिद्धांत :-

🔹 वे नियम हैं , जो संचालन करते हैं कि किस प्रकार श्रेष्ठतम तरीके से डिज़ाइन के तत्वों को परस्पर मिलाया जाए । प्रत्येक सिद्धांत एक पृथक अस्तित्व रखता है , उन्हें सफलतापूर्वक उपयोग एक प्रभावशाली उत्पाद का निर्माण करता है ।

🔹 हर परिधान को पहनने वाले को ध्यान में रखते हुए विशिष्ट रूप से डिजाइन किया जाता है । सिद्धांत डिजाइनिंग के लिए विशिष्ट दिशाएँ निर्धारित करते हैं । एक डिज़ाइनर को इन सिद्धांतों के बारे में कल्पना करनी होगी ।

❇️ अनुपात :-

🔹 अनुपात का अर्थ वस्तु के एक भाग का दूसरे भाग से संबंध होता है । एक अच्छा डिज़ाइन -विश्लेषण नहीं होने देता । तत्वों को इतनी कुशलतापूर्वक सम्मिश्रित किया जाता है कि जहाँ से एक समाप्त होता है और दूसरा प्रारंभ होता है , वह वास्तव में प्रकट नहीं होता । यह संबंध आमाप , रंग , आकृति , और बुनावट में सर्जित किया जा सकता है ।

❇️ अनुपात के प्रकार :-

🔶 रंग का अनुपात :- स्वर्णिम माध्य का उपयोग करते हुए , रंग का अनुपात उत्पन्न करने के लिए कमीज और पेंट के विभिन्न रंग पहने जा सकते हैं ।

🔶 बुनावट का अनुपात :- यह तब प्राप्त होता है , जब पोशाक बनाने वाली सामग्री की विभिन्न बुनावटें , पोशाक पहनने वाले व्यक्ति का साइज़ बढ़ा या घटा देती हैं । उदाहरण के लिए , एक दुबले और ठिगने व्यक्ति पर भारी तथा वृह्दाकार बुनावटें हावी होती प्रतीत होती हैं ।

🔶 आकृति तथा रूप का अनुपात :- एक पोशाक में कलाकृतियों अथवा छपाई का साइज़ और स्थिति पहनने वाले के साइज़ के अनुपात में होते हैं । शरीर की चौड़ाई , कमर या धड़ की लंबाई , टाँगों की लंबाई आदर्श शारीरिक आकृति से अलग हो सकती हैं । वस्त्र धारण रुचिकर ढंग से भद्दे शारीरिक अनुपात का एक उचित अनुपात में रूपांतरण करते हैं । 

❇️ औपचारिक सतुलन :-


परिधान का एक पक्ष दूसरे पक्ष की सटीक प्रति ।


काल्पनिक रेखा के दवारा दो समान भागों में विभाजित ।


कम महंगी और सबसे अधिक अपेक्षित प्रकार की डिजाइन । 


स्थिरता , गरिमा और औपचारिकता लेकिन नीरस ।


कम रचनात्मक , रंग बनावट का उपयोग । जैसे :- स्कर्ट , कार्डिगन , सूट


❇️ अनौपचारिक संतलन :- 


दोनों तरफ परिधान की संरचना अलग – अलग है ।


उत्साह प्रदान नाटकीय और ध्यान आकर्षित करता है । 


संतुलन बनाने के लिए अधिक रचनात्मकता । 


शरीर की अनियमितता छिपी ।


विशेष अवसर के कपड़े , अधिक महंगा


❇️ आवर्तिता :-

🔹 आवर्तिता का अर्थ है डिज़ाइन अथवा विवरण की लाइनों , रंगों अथवा अन्य तत्वों को दोहराकर पैटर्न का सर्जन करना , जिसके माध्यम से पदार्थ या वस्तु / पोशाक आँख को अच्छा लगे । आवर्तिता रेखाओं , आकृतियों , रंगों तथा बुनावटों का उपयोग कर इस प्रकार सर्जित की जा सकती है कि यह दृश्य – एकता दर्शाती है ।

❇️ सामंजस्यता :-

🔹 सामंजस्यता अथवा एकता तब उत्पन्न होती है , जब डिज़ाइन के सभी तत्व एक रोचक सामंजस्यपूर्ण प्रभाव के साथ एक – दूसरे के साथ आते हैं । यह विपणन योग्य ( जन स्वीकृति ) डिज़ाइनों के उत्पादन में एक महत्वपूर्ण कारक है ।

❇️ आकृति द्वारा सामंजस्यता :-

🔹 यह तब उत्पन्न होती है जब पोशाक के सभी भाग एक जैसी आकृति दर्शाते हैं । जब कॉलर , कफ़ तथा किनारे गोलाई लिए होते हैं , तब यदि जेबें वर्गाकार बना दी जाएँ , तो ये डिज़ाइन की निरंतरता में बाधक होंगी ।

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