Class 9 History || Chapter 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे || Pastoralists in the Modern world Notes In Hindi


 


अध्याय 5: आधुनिक विश्व में चरवाहे

1. परिचय

  • इस अध्याय में चरवाहों और घुमंतू समाजों की जीवनशैली, उनकी आर्थिक गतिविधियाँ और आधुनिक विश्व में उनके सामने आने वाली चुनौतियों का वर्णन है।

  • चरवाहे और घुमंतू समाज एक महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक समूह हैं जो अपने पशुओं के लिए चारागाह की खोज में निरंतर यात्रा करते हैं।

2. चरवाहों की जीवनशैली

2.1 चरवाहे और घुमंतू समाज

  • चरवाहे वे लोग होते हैं जो अपने पशुओं के साथ स्थानांतरित होते रहते हैं, चारागाह की खोज में।

  • घुमंतू समाज वे होते हैं जिनकी आजीविका का मुख्य स्रोत पशुपालन और मौसमी स्थानांतरण होता है।

2.2 पारंपरिक चरवाहे समाज

  • पारंपरिक चरवाहे समाज में लोगों के पास भेड़, बकरी, गाय, याक, और ऊंट जैसे पशु होते हैं।

  • इन समाजों में सामान्यतः सामूहिक संपत्ति का सिद्धांत होता है, जहाँ चरागाह और जल स्रोतों का सामूहिक उपयोग किया जाता है।

3. चरवाहे समाज के प्रमुख क्षेत्र

3.1 अफ्रीका के चरवाहे

  • मासाई: पूर्वी अफ्रीका के केन्या और तंजानिया में निवास करते हैं।

  • मासाई लोग गायों पर निर्भर होते हैं और गायों को धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व देते हैं।

3.2 एशिया के चरवाहे

  • मंगोलिया के चरवाहे: मंगोलिया और चीन के कुछ हिस्सों में निवास करते हैं।

  • मंगोलिया के चरवाहे याक, भेड़, और घोड़ों का पालन करते हैं।

3.3 भारत के चरवाहे

  • गुज्जर: जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान में निवास करते हैं।

  • गद्दी: हिमाचल प्रदेश के चरवाहे होते हैं।

  • ये चरवाहे अपनी भेड़ों और बकरियों के साथ ऊँचे पहाड़ों और मैदानी इलाकों में स्थानांतरित होते रहते हैं।

4. चरवाहों की आर्थिक गतिविधियाँ

4.1 पशुपालन

  • पशुपालन चरवाहों की मुख्य आर्थिक गतिविधि है।

  • वे दूध, मांस, ऊन, और चमड़े का उत्पादन करते हैं।

4.2 कृषि और व्यापार

  • कुछ चरवाहे कृषि भी करते हैं, जबकि अन्य व्यापार करते हैं, जैसे कि पशुओं का व्यापार।

  • वे अपनी आवश्यकताओं के लिए वस्त्र, अनाज, और अन्य सामग्री का व्यापार करते हैं।

5. चरवाहों के समक्ष चुनौतियाँ

5.1 भूमि और जल संसाधनों की कमी

  • चरागाह की कमी और जल संसाधनों की कमी चरवाहों के लिए बड़ी समस्या है।

  • विकास और शहरीकरण के कारण उनके पारंपरिक चारागाहों पर अतिक्रमण हो रहा है।

5.2 जलवायु परिवर्तन

  • जलवायु परिवर्तन के कारण चरागाहों की उपलब्धता में कमी आई है।

  • सूखा, बाढ़, और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव चरवाहों की आजीविका पर पड़ता है।

5.3 सरकारी नीतियाँ और कानून

  • चरवाहों के पारंपरिक अधिकारों को मान्यता नहीं मिलती और वे अक्सर सरकारी नीतियों और कानूनों से प्रभावित होते हैं।

  • संरक्षित क्षेत्रों और वन्यजीव अभ्यारण्यों के विस्तार के कारण चरवाहों के पारंपरिक चारागाह सीमित हो गए हैं।

6. आधुनिक विश्व में चरवाहों की स्थिति

6.1 विकास और परिवर्तन

  • कुछ चरवाहे अपनी पारंपरिक जीवनशैली को बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि अन्य आधुनिक आर्थिक गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं।

  • शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं, और तकनीकी सुविधाओं तक पहुंच में सुधार हुआ है।

6.2 संरक्षण और सतत विकास

  • कई स्थानों पर चरवाहों के पारंपरिक ज्ञान और सतत प्रथाओं को संरक्षित करने की पहल की जा रही है।

  • सरकारें और गैर-सरकारी संगठन चरवाहों की आजीविका को स्थिर और सुरक्षित बनाने के लिए प्रयासरत हैं।

महत्वपूर्ण शब्दावली

  • चरवाहा: वे लोग जो पशुपालन करते हैं और अपने पशुओं के लिए चारागाह की खोज में स्थानांतरित होते रहते हैं।

  • घुमंतू समाज: ऐसे समाज जो मौसमी स्थानांतरण और पशुपालन पर निर्भर होते हैं।

  • चारागाह: वह भूमि जहां पशु चरते हैं और घास खाते हैं।

  • जलवायु परिवर्तन: जलवायु में दीर्घकालिक परिवर्तन, जो प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरण पर प्रभाव डालता है।

यह अध्याय चरवाहों और घुमंतू समाजों की पारंपरिक जीवनशैली, उनकी आर्थिक गतिविधियाँ, और आधुनिक विश्व में उनके सामने आने वाली चुनौतियों का विस्तृत अवलोकन प्रदान करता है।



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