Class 9 Economics || Chapter 3 निर्धनता : एक चुनौती || Poverty as a challenge Notes In Hindi


 

Class 9 Economics Chapter 3 निर्धनता : एक चुनौती Poverty as a challenge Notes In Hindi


📚 अध्याय = 3 📚

💠 निर्धनता : एक चुनौती 💠

❇️ निर्धनता :-

🔹 निर्धनता से अभिप्राय जीवन के लिए न्यूनतम उपयोगी आवश्यकताओं की प्राप्ति के न होने से है । निर्धनों ( गरीबों ) की आमदनी इतनी कम होती है कि वे उससे अपनी सामान्य जरूरतों को भी पूरा नहीं कर सकते हैं ।

❇️ भारत मे निर्धनता :-

🔹 भारत में हर चौथा व्यक्ति निर्धन है ( विश्व बैंक के नवीनतम आंकड़े ) दुनिया में सबसे अधिक गरीब भारत में ही हैं ।

❇️ निर्धनता के दो विशिष्ट मामले :-

🔶 शहरी निर्धनता :- शहरी क्षेत्रों में निर्धन लोगो में रिक्शा चालक , मोची , फेरी वाले , निम्न मजदूरी पाने वाले श्रमिक इत्यादि आते हैं । इनके पास भौतिक परिसंपत्ति नहीं होती है और ये अक्सर झुग्गी व मलिन बस्तियों में रहते हैं । 

🔶 ग्रामीण निर्धनता :- ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीन किसान , खेतिहर मज़दूर , लघु एवं सीमान्त किसान आदि आते हैं ।

❇️ सामाजिक वैज्ञानिक की दृष्टि में निर्धनता :-

🔹 सामान्यता निर्धनता का सम्बन्ध आय अथवा उपभोग के स्तर से है ।

🔹 उपभोग के स्तर के अलावा निर्धनता को निरक्षरता स्तर , कुपोषण के कारण रोग प्रतिरोधी क्षमता की कमी , स्वास्थ्य सेवाओं की कमी , रोज़गार के अवसरों की कमी , सुरक्षित पेयजल एवं स्वच्छता तक पहुँच की कमी आदि अन्य सामाजिक सूचकों के माध्यम से भी निर्धनता को देश जाता है ।

❇️ निर्धनता रेखा :-

🔹 आय अथवा उपयोग के न्यूनतम स्तर को निर्धनता रेखा कहा जाता है ।

❇️ भारत में निर्धनता रेखा का निर्धारण :-

🔹 भारत में निर्धनता रेखा का निर्धारण निम्नलिखित दो आधारों पर किया जाता है :-

🔶 कैलोरी आवश्यकता :-

🔹 ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन तथा शाहरी क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन । 

🔶 आय :-

🔹 ग्रामीण क्षेत्रों में 816 रुपये प्रतिव्यक्ति प्रतिमाह तथा शहरी क्षेत्रों में 1000 रुपये प्रतिव्यक्ति प्रतिमाह ( 2011-12 के आंकड़े ) । ये आंकड़े सुरेश तेंदुलकर कमिटी द्वारा दी गयी थी । 

🔹 इसके बाद गरीबी के आकलन के लिए सी . रंगराजन के नेतृत्व में एक और कमिटी बनायी गयी थी जिसने अपनी रिपोर्ट जून 2014 में दी । इसके अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में 972 रूपये प्रतिव्यक्ति प्रतिमाह तथा शहरी क्षेत्रों में 1407 रुपये प्रतिव्यक्ति प्रतिमाह निर्धारित किया गया है ।

❇️ राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन ( नेशनल सैंपल सर्वे आर्गेनाईजेशन ) :-

🔹 वह संस्था जो भारत में निर्धनता रेखा का समय – समय पर आकलन करती है । ( हर पांच साल में )

🔶 गरीबी कम हुई है :-


पंजाब और हरियाणा में उच्च कृषि वृद्धि दर से । 


केरल ने मानव संसाधनों पर ज्यादा ध्यान देकर निर्धनता को कम किया है । 


आन्ध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु ने अनाज के सार्वजनिक वितरण के द्वारा निर्धनता को कम किया है । 


पश्चिम बंगाल में भूमि सुधारों के माध्यम से ।


❇️ असुरक्षित समूह :- 

🔹 अनुसूचित जातियाँ एवं अनुसूचित जनजातियाँ , ग्रामीण श्रमिकों के परिवार , नगरीय अनयित मजदूर परिवार आदि निर्धनता के प्रति सर्वाधिक असुरक्षित हैं ।

❇️ अंतरराज्यीय असमानताएं :-

🔹 प्रत्येक राज्य में निर्धन लोगों का अनूपात एक समान नहीं है । बिहार और ओडिशा सर्वाधिक निर्धन राज्य हैं ।

❇️ वैश्विक निर्धनता परिदृश्य :-

🔹 विश्व बैंक की परिभाषा के अनुसार प्रतिदिन एक डॉलर से कम पर जीवन निर्वाह ।

❇️ निर्धनता के कारण :-


ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान आर्थिक विकास का निम्न स्तर । 


उच्च जनसंख्या वृद्धि । 


भूमि और अन्य संसाधनों का असमान वितरण । 


सामाजिक और सांस्कृतिक कारण ।


❇️ निर्धनता निरोधी उपाय :-

🔹 निर्धनता उन्मूलन भारत की विकास रणनीति का एक प्रमुख उद्देश्य रहा है । सरकार की वर्तमान निर्धनता- निरोधी रणनीति मोटे तौर पर दो कारकों पर निर्भर है ।


आर्थिक संवृद्धि को प्रोत्साहन


लक्षित निर्धनता निरोधी कार्यक्रम


🔶 आर्थिक संवृद्धि को प्रोत्साहन :-

🔹 आर्थिक संवृद्धि और निर्धनता उन्मूलन में गहरा सम्बन्ध है । आर्थिक संवृद्धि अवसरों को व्यापक बना देती है जिससे मानव विकास में निवेश के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध हो पाती है । लेकिन , ऐसा संभव है आर्थिक संवृद्धि से निर्धन लोग प्रत्यक्ष लाभ नहीं उठा पायें इसलिए लक्षित निर्धनता निरोधी कार्यक्रमों की आवश्यकता होती है ।

🔶 लक्षित निर्धनता निरोधी कार्यक्रम :-


महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम । 


प्रधानमंत्री रोजगार योजना । 


स्वर्ण जयंती ग्राम स्व रोज़गार योजना । 


प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना ।


अन्त्योदय अन्न योजना ।


🔹 इसलिए , इन दोनों रणनीतियों को पूरक भी माना जाता है । 

❇️ महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोगार अधिनियम , 2005 :- 


उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षित करना । 


साल में कम से कम 100 दिनों के रोज़गार की गारंटी ।


एक तिहाई रोज़गार महिलाओं के लिए सुरक्षित । 


आवेदक को 15 दिन के अंदर अगर रोज़गार नहीं उपलब्ध कराया जाता तो वह बेरोज़गारी भत्ते का हकदार होगा ।


न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के अंतर्गत मजदूरी का प्रावधान ।


❇️ प्रधानमंत्री रोजगार योजना :- 


1993 में प्रारंभ ।


उद्देश्य ग्रामीण और छोटे शहरों में शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर का सृजन । 


लघु व्यवसाय तथा उद्योग स्थापित करने में सहायता करना ।


❇️ ग्रामीण रोज़गार सृजन कार्यक्रम 1995 :-

🔹 इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों व छोटे शहरों में स्वरोज़गार के अवसर सृजित करता है । 

❇️ स्वर्ण जयंती ग्रामोदय योजना 1999 :-

🔹 इस कार्यक्रम का उद्देश्य सहायता प्राप्त निर्धन परिवारों को स्वसहायता समूहों से संगठित कर बैंक ऋण और सरकारी सहायकी के संयोजन द्वारा निर्धनता रेखा से उपर लाना है ।

❇️ प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना 2000 :-

🔹 इसके अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य , प्राथमिक शिक्षा , ग्रामीण आश्रय , ग्रामीण पेयजल और ग्रामीण विद्युतीकरण जैसी मूल सुविधाओं के लिए राज्यों को अतिरिक्त केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है । 

❇️ निर्धनता से संबंधित अन्य कारण :-


भूमिहीनता


परिवार का आकार


खराब स्वास्थ्य / कुपोषण


असहायता 


बेराजगारी 


निरक्षरता 


बाल श्रम

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