Chapter -8 Environment & Natural Resources IMPORTANT QUESTION

 1. वैश्विक पर्यावरण की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे 1990 के दशक में विभिन्न देशो के प्राथमिक सरोकर ( चिंता का विषय )क्यों बन गए ?

· विश्व राजनीती में पर्यावरण की सुरक्षा का मामला चिंता का विषय निम्न करणों से बन गया :-

· कृषि योग्य भूमि की कमी :- आज विश्व भर में कृषि योग्य भूमि की बढोतरी नही हो रही है जबकि मौजूदा उपजाऊ भूमि की उर्वरता में भी कमी आई है !

· जल प्रदुषण :- जल प्रदुषण एवं जल की कमी के कारण मत्स्य भंडार में कमी आई है !

· वनों की कटाई :- प्राकृतिक वनों की कटाई से जैव-विविधता को नुकसान हुआ है जिससे प्रजातियों का विनाश हो रहा है !

· जनसंख्या वृद्धि :- जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रदुषण का स्तर इतना ज्यदा बढ़ गया है की इससे वायुमंडल को नुकसान हो रहा है और ओजोन परत में छिद्र के कारण पारिस्थितिकी संतुलन व मनुष्य को खतरा बढ़ा है !

· अत: इन समस्या का समाधान कोई अकेला देश नही कर सकता जिससे आज विश्व में पर्यावरण की समस्या एक चिंता का विषय है !

2. पृथ्वी सम्मेलन क्या है ? पृथ्वी सम्मेलन के क्या परिणाम हुए ?

· पृथ्वी सम्मेलन जून 1992 में ब्राजील की राजधानी रियो-डी-जनेरियो में हुआ यह सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र संघ के पर्यावरण एवं विकास के मुद्दे से सम्बन्धित था जिसमे विश्व के 170 देशो तथा हजरों स्वयंसेवी संगठन और बहुराष्ट्रीय कम्पनीयों में भाग लिया !

जिसके निम्न परिणाम हुए :-

· रियो सम्मेलन में जलवायु –परिवर्तन , जैव-विविधता और वनों के संबधं में कुछ नियम निर्धारित किये गए !

· इस सम्मेलन में सभी देशो के बीच इस बात पर सहमती बनी की आर्थिक विकास का तरीका ऐसा होना चाहिए की इससे पर्यावरण को नुकसान भी न पहुंचे और विकास भी हो सके जिसे टिकाऊ विकास कहा गया !

· इस सम्मेलन में एजेण्डा-21 के रूप में विकास के नियम रखे गए !

3. वैश्विक सांझी संपदा किसे कहा जाता है ?

· विश्व के कुछ ऐसे हिस्से और क्षेत्र जिन पर किसी एक राष्ट्र का क्षेत्राधिकार न हो कर पुरे समुदाय का अधिकार होता है और उनका प्रबन्धन सांझे तौर पर अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा किया जाता है उन्हें वैश्विक सांझी संपदा कहा जाता है जैसे :- पृथ्वी का वायुमंडल, समुन्द्र की सतह , अंटार्कटीका, बहरी अतंरिक्ष आदि !

4. सांझी जिम्मेदारी लेकिन भूमिका अलग-2 से क्या अभिप्राय है ? स्पष्ट कीजिए

· सांझी जिम्मेदारी से अभिप्राय है की पर्यावरण की सुरक्षा, संरक्षण व गुणवत्ता बनाए रखने की जिम्मेदारी सभी देशो की बराबर है किन्तु पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने में विभिन्न देशो का योगदान अलग-2 है :-

· विकसित देशो का तर्क :- पर्यावरण रक्षा सबकी जिम्मेदारी है इसके लिए विकास कार्यो पर प्रतिबन्ध लगाना सबका समान दायित्व है!

· विकासशील देशो का तर्क :- विकास प्रकिया के दौरान विकसित देशो ने पर्यावरण को अधिक प्रदूषित किया है तो इसकी क्षतिपूर्ति भी विकसित देशो द्वारा की जानी चाहिए ! विकासशील देशो के सामाजिक –आर्थिक विकास को ध्यान में रखा जाना चाहिए !

5. भारत ने पर्यावरण संरक्षण से संबंधित वैश्विक प्रयासों में किस प्रकार सहयोग किया है ?

· भारत ने पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित अनेक प्रयास किये है जो निम्नलिखित है :-

· भारत ने नेशनल ऑटो फ्यूल पॉलिसी के अंतर्गत वाहनों के लिए स्वच्छ इंजन अनिवार्य कर दिया गया !

· भारत ने 2001 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम पारित करके ऊर्जा के अधिक प्रभावशाली उपयोग की शुरुआत की गई !

· भारत ने 2002 क्योटो –प्रोटोकॉल संधि पर हस्ताक्षर कर इसका अनुमोदन किया !

· 2003 में बिजली अधिनियम के अंतर्गत पुनःनवीकृत ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा दिया गया !

· हाल के वर्षो में प्राकृतिक गैस के आयात व स्वच्छ कोयले के उपयोग पर आधारित प्रोद्योगिकी को अपनाने की तरफ कदम बढाये गए !

· भारत ने बायो डीजल गैस से सम्बन्धित एक राष्ट्रिय मिशन योजना की शुरुआत की गई !

6. मूलवासी किन्हें कहा जाता है ? तथा इनके अधिकारों की मांग क्या है ?

· वे लोग जो किसी देश में बहुत पहले से रहते आये हो परन्तु बाद में दुसरे देश के लोग वहां आकर उन लोगो को अपने अधीन कर लिया हो !मूलवासी अपना जीवन विशिष्ट सामाजिक , आर्थिक, सांस्कृतिक रीती-रिवाज के साथ बिताते है ! 1975 में मूलवासियो का संघठन world council of indigenous people बना जो सरकार से निम्न मांग करता है :-

· विश्व में मूलवासियो को बराबरी का दर्जा दिया जाये !

· मूलवासी कौम के रूप में मान्यता दी जाये

· मूलवासी के आर्थिक संसाधनों का दोहन न किया जाये

· विकास कारणों से इनको विस्थापित न किया जाये


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