Chapter - 3
पर्यावरण और समाज
पर्यावरण :-
हम जिस वातावरण और परिवेश के चारों ओर से घिरे हैं उसे पर्यावरण कहते हैं ।
पर्यावरण के प्रकार :-
मुख्यतः पर्यावरण दो प्रकार का होता है :-
- प्राकृतिक पर्यावरण
- मानव द्वारा निर्मित पर्यायवरण
पारिस्थितिकी :-
पारिस्थितिकी शब्द का अर्थ एक ऐसे जाल से है जहाँ भौतिक और जैविक व्यवस्थाएँ तथा प्रक्रियाएँ घटित होती हैं तथा मनुष्य भी इसका एक अंग होता है । नदियाँ , पर्वत , सागर , मैदान , जीव जंतु सभी पारिस्थितिक अंग हैं ।
सामाजिक पारिस्थितिकी :-
वह विज्ञान जो पर्यावरण तथा जीवित वस्तुओं के बीच के संबंधों का अध्ययन करता है उसे सामाजिक पारिस्थितिकी कहते हैं ।
पारिस्थितिकी तंत्र :-
वह परितंत्र जिसका हिस्सा पशु , पौधे तथा पर्यावरण होते हैं , पारिस्थितिकी तंत्र कहलाता है ।
सामाजिक पर्यावरण :-
सामाजिक पर्यावरण का उद्भव जैव – भौतिक पारिस्थितिकी तथा मनुष्य के हस्तक्षेप की अंतःक्रिया के कारण होता है । यह दो – तरफा प्रक्रिया है जिस प्रकार समाज को आकार देती है , ठीक उसी प्रकार से समाज भी प्रकृति को आकार देता है ।
दो तरफा प्रक्रिया :-
प्रकृति समाज को आकार देती है :- सिंधु , गंगा के बाढ़ के मैदान की उपजाऊ भूमि गहन कृषि के लिए उपयुक्त है उसकी उच्च उत्पादकता क्षमता के कारण यह घनी आबादी का क्षेत्र बन जाता है ।
समाज प्रकृति को आकार देता है :- पूंजीवादी सामाजिक संगठनों ने विश्वभर की प्रकृति को आकार दिया है । शहरों में वायु प्रदूषण तथा भीड़ – भाड़ , प्रादेशिक झगड़े तेल के लिए युद्ध तथा ग्लोबल वार्मिंग ने प्रकृति को प्रभावित किया है ।
पर्यावरण की प्रमुख समस्याएँ ओर जोखिम :-
संसाधनो की क्षीणता :-
अस्वीकृत प्राकृतिक संसाधनो का प्रयोग करना पर्यावरण की एक गंभीर समस्या है । भूजल के स्तर में लगातार कमी इसका एक उदाहरण है ।
प्रदूषण :-
पर्यावरण प्रदूषण आज के समय में एक बहुत बड़ी समस्या बनता जा रहा है । वायु प्रदूषण , जल प्रदूषण , भूमि प्रदूषण , ध्वनि प्रदूषण इत्यादि ऐसे प्रदूषण हैं जिन्होने हमारे पर्यावरण को इतना दूषित कर दिया है कि शुद्ध वायु और जल का मिलना असंभव हो गया है ।
वैश्विक तापमान वृद्धि प्रदूषण की सबसे बड़ी समस्या हमारे सामने आ रही है वैश्विक तापमान वृद्धि के रूप में विश्वव्यापी तापीकरण के कारण हमारा पर्यावरण उलट – पलट हो गया है । अधिक गर्मी हो रही है जिससे ध्रुवों की बर्फ पिघल रही है तथा महासागरों में पानी की मात्रा बढ़ रही है । इससे कई द्वीपों के डूबने का खतरा उत्पन्न हो गया है ।
जैनेटिकल मोडिफाइड आर्गेकनजम्स :-
वैज्ञानिक जीन स्पेलिसिंग की नई तकनीकों के द्वारा एक किस्म के गुणों को दूसरी किस्म में डालते हैं ताकि बेहतरीन गुणों से भरपूर वस्तु का निर्माण किया जा सके ।
पर्यावरण की समस्याएँ सामाजिक समस्याएँ भी हैं :-
पर्यावरण की समस्याएँ सामाजिक समस्याएँ भी हैं क्योंकि पर्यावरण प्रत्यक्ष रूप से समाज को प्रभावित करता है । मनुष्य अपने निजी स्वार्थ के लिए पर्यावरण को काफी समय से प्रदूषित करता आ रहा है तथा प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करता आ रहा है । मनुष्यों के इन कृत्यों के कारण ही प्रकृति विनाश की तरफ बढ़ रही है तथा मनुष्य को प्रकार की पर्यावरण संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है ।
पर्यावरण से संबंधित कुछ विवादास्पद मुद्दे :-
- चिपको आन्दोलन ( उत्तराखण्ड )
- नर्मदा बचाओं आंदोलन ( एम पी और गुजरात )
- भोपाल औद्योगिक दुर्घटना ( मध्य प्रदेश )
पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता :-
पर्यावरण के संरक्षण की बहु आवश्यकता है क्योंकि जीवन जीने के लिए पर्यावरण सबसे महत्वपूर्ण कारण है । अगर वायु प्रदूषित हो गये तो हे स्वस्थ जीवन नहीं जी पायेंगे और भावी पीढ़ी के लिए प्राकृतिक संसाधनों की कमी हो जाएगी ।
ग्रीन हाउस :-
पौधों की जलवायु को अधिक ठंड से बचाने के लिए ढका हुआ ढांचा जिसे हरितगृह भी कहते हैं । इसमें बाहर की तुलना में अंदर का तापमान अधिक होता है ।
प्रदूषण के प्रकार :-
वायु प्रदूषण :- उद्योगो तथा वाहनों से निकलने वाली जहरीली गैसे तथा घरेलू उपयोग के लिए लकड़ी तथा कोयले को जलाने से ।
जल प्रदूषण :- घरेलू नालियाँ , फैक्ट्री से निकलने वाले व्यर्थ पदार्थ , नदियों तथा जलाशयों में नहाना तथा कूड़ा कर्कट डालना ।
ध्वनि प्रदूषण :- लाउडस्पीकर , वाहनों के हार्न , यातायात के साधनों का शोर , मनोरंजन के साधनों से निकलने वाली आवाजें , पटाखे आदि ।
भूमि प्रदूषण :- खेतों में कीटनाशक दवाओं , रसायनिक खादों का प्रयोग , शहरी कूड़ा कर्कट , सीवरेज , तेजाबी वर्षा से रसायनिक पदार्थों का मिट्टी में मिलना ।
परमाणु प्रदूषण :- परमाणु परीक्षण से निकलने वाली किरणें ।
प्रशासक – मानवविज्ञानी :-
यह शब्द ब्रिटिश प्रशासनिक अधिकारियों को संदर्भित करता है जो 19 वीं और 20 वीं शताब्दी की शुरूआत में ब्रिटिश भारत सरकार का हिस्सा थे , और जिन्होंने मानव विज्ञान अनुसंधान , विशेष रूप से सर्वेक्षण और जनगणना आयोजित करने में बहुत रूचि ली । उनमें से कुछ सेवानिवृत्ति के बाद अच्छी तरह से ज्ञात मानवविज्ञानी बन गए । प्रमुख नामों में शामिल हैं : एडगर थर्स्टन , विलियम क्रुक , हर्बर्ट रिस्ले और जेएच हटन ।
मानव विज्ञान :-
मानव विज्ञान की शाखा , मानव शरीर को मापकर , विशेष रूप से क्रेनियम ( खोपड़ी की मात्रा , सिर की परिधि और नाक की लंबाई को मापकर मानव जाति के प्रकार का अध्ययन किया ।
आत्मसातीकरण :-
एक प्रक्रिया जिसके द्वारा एक संस्कृति ( आमतौर पर बड़ा या अधिक प्रभावशाली ) धीरे – धीरे दूसरे को आत्मसात करता है , समेकित संस्कृति संस्कृति में विलीन हो जाती है , ताकि प्रक्रिया के अंत में यह जीवित या दिखाई न दे ।
अंतसमूह :-
एक सामाजिक संस्था जो सामाजिक या रिश्तेदार समूह की सीमा को परिभाषित करती है जिसमें विवाह समबंध की अनुमति है , इस परिभाषित समूहों के बाहर विवाह प्रतिबंधित है । सबसे आम उदाहरण जाति अंतसमूह है , जहां विवाह केवल उसी जाति के सदस्य के साथ ही हो सकता है ।
बहिर्विवाह :-
एक सामाजिक संस्थान जो एक सामाजिक या रिश्तेदार समूह की सीमा को परिभाषित करता है जिसके साथ या जिसके भीतर विवाह समबंध निषिद्ध है , इन प्रतिबंधित समूहों के बाहर विवाहों को अनुबंधित किया जाना चाहिए । सामान्य उदाहरणों में रक्त रिश्तेदारों ( सैपिंड एक्सोगामी ) के साथ विवाह की रोकथाम , एक ही वंश ( सगोत्र exogamy ) के सदस्य या एक ही गांव या क्षेत्र के निवासियों ( गांव / क्षेत्र exogamy ) शामिल है ।
लाइससेज़ – फेयर :-
एक फ्रांसिसी वाक्यांश ( शाब्दिक रूप से चलो ‘ या ‘ अकेला छोड़ें ) जो एक राजनीतिक और आर्थिक सिद्धांत के लिए खड़ा है जो अर्थव्यवस्था और आर्थिक समबंध में न्यूनतम राज्य हस्तक्षेप की वकालत करता है , आमतौर पर नियामक शक्तियों और मुक्त बाजार की दक्षता में विश्वास के साथ जुड़े होते हैं । और अततः अपने पूर्ववर्तियों से परे जाओ ।
उत्सर्जन :-
मानव द्वारा शुरू की गई प्रक्रिया आमतौर पर उद्योगों या वाहनों के संदर्भ में दिए गए अपशिष्ट गैसों को छोड़ दें ।
अपशिष्ट :-
औद्योगिक प्रक्रियाओं से उत्पादित तरल पदार्थ में अपशिष्ट सामग्री ।
एक्वाफर्स / जलवाही स्तर :-
एक ऐसे क्षेत्र के भूविज्ञान में प्राकृतिक भूमिगत संरचनाएं जहां पानी संग्रहित हो जाता है ।
मोनोकल्चर :-
जब एक इलाके या क्षेत्र में पौधे का जीवन एक ही विविधता में कम हो जाता है ।