Class 9 Science Chapter 8 गति (Motion) Notes In Hindi

 अध्याय = 8

गति


नोट = यहाँ :- (v = अंतिम वेग ) (u = आरम्भिक वेग)  (a = त्वरण)  (t = लिया गया समय) (s = तय की गयी दूरी)

❇️ गति :-

🔹 यदि वस्तु के चारों तरफ के वातावरण के सापेक्ष वस्तु की स्थिति बदल जाती है तो वस्तु में गति होती है ।

❇️ मूल बिंदु :-

🔹 किसी वस्तु की स्थिति को बताने के लिए हमें एक निर्देश बिंदु की आवश्यकता होती है , जिसे मूल बिंदु कहा जाता है ।

❇️ भौतिक अवस्था :-

भौतिक अवस्था दो प्रकार की होती है ।

  • विरामावस्था 
  • गतिज अवस्था

🔶 विरामावस्था :- कोई वस्तु विरामावस्था में तब कहलाएगी जब उसकी स्थिति में किसी एक बिन्दु के सापेक्ष कोई बदलाव न हो रहा हो ।

🔶 गतिजावस्था :- यदि किसी वस्तु की स्थिति में लगातार बदलाव हो ( किसी एक बिन्दु के सापेक्ष ) , तब यह वस्तु गतिजावस्था में कहलाई जाएगी ।

❇️ गतिजावस्था के प्रारूप :-

🔹 विभिन्न तरह के पथ पर विभिन्न तरह की गतिजावस्थाएँ होती हैं । विभिन्न गतिजावस्थाओं के प्रारूप निम्नलिखित हो सकते हैं :- 

  • वृतीय गति – गोलाकार पथ । 
  • रेखीय गति – रेखीय पथ । 
  • कंपन गति – दोलन पथ । 

❇️ मूल भौतिक राशियाँ :-

🔹 वह राशियाँ जिन्हें मापा जा सकता है वह भौतिक राशियाँ कहलाती है मूल भौतिक राशियों की संख्या सात है । भौतिक राशि के दो भाग होते है पहला उसका परिमाण और दूसरा उसकी इकाई ।

❇️ भौतिक राशियों का विभाजन :-

🔹 भौतिक राशियों के दो वर्गों में रखा जाता है । 

  • आदिश राशि 
  • सदिश राशि

🔶 अदिश राशि :- यदि किसी भौतिक इकाई का केवल परिमाण हो और दिशा न हो तब वह भौतिक इकाई अदिश राशि में गिनी जायेगी । उदाहरण :- चाल , दूरी , द्रव्यमान , समय , ताप इत्यादि 

🔶 सदिश राशि :- इन भौतिक इकाईयों का परिमाण और दिशा दोनों ही होती हैं । उदाहरण :- वेग , विस्थापन , बल , सवेग , चरण इत्यादि ।

❇️ दूरी :-

🔹 वास्तविक पथ ( जो कोई वस्तु अपनी प्रारम्भिक स्थिति से अंतिम स्थिति के बीच चलती है ) का माप उसकी दूरी कहलाती है ।

🔹 दूरी एक अदिश राशि है जिसका केवल मापन ( परिमाण ) होता है , दिशा नहीं होती है । उदाहरण :- रमेश 65 किमी . की दूरी चलता है ।

❇️ विस्थापन :-

🔹 किसी वस्तु की प्रारम्भिक एवं अतिंम स्थिति के बीच न्यूनतम दूरी का मापन होता है । 

🔹 विस्थापन एक सदिश राशि है जिसका मापन और दिशा दोनों होती हैं । उदाहरण :- रमेश घंटाघर से 65 किमी . दक्षिण पश्चिम दिशा में जाता है । 

🔹 विस्थापन का अंकीय मान शून्य हो सकता है ( यदि किसी वस्तु का प्रारम्भिक और अंतिम स्थिति एक हो , जैसा कि गोलाकार पथ में होता है । ) 

नोट :- दूरी और विस्थापन के से ‘ S ‘ निरूपित किया जाता है ।

❇️ दूरी तथा विस्थापन में अंतर :-

दूरीविस्थापन
वास्तविक पथ ( जो कोई वस्तु अपनी प्रारम्भिक स्थिति से अंतिम स्थिति के बीच चलती है ) का माप उसकी दूरी कहलाती है । विस्थापन वस्तु की प्रारम्भिक एवं अंतिम स्थिति के बीच न्यूनतम का मापन होता है । 
यह एक अदिश राशि है । यह एक सदिश राशि है । 
यह हमेशा धनात्मक होती है और कभी भी ‘ 0 ‘ नही होती । यह इकाई धनात्मक , एव शून्य भी हो सकती है । 
दूरी किसी रेखीय पथ में विस्थापन के बराबर हो सकती है या इसका मापन विस्थापन के मापन से अधिक होता है ।इस इकाई का मापन या तो दूरी के मापन के बराबर होगा या फिर कम होगा ।

❇️ एक समान गति :-

🔹 यदि कोई वस्तु समान समयांतरल में समान दूरी तय करे तो वह एक समान गति से विचरण कर रहा होता है । जैसे :- घडी की सुईयों की गति ।

❇️ असमान गति :-

🔹 यदि कोई अलग – अलग दूरी अलग – अलग समय में पूरी करे तब वह असमान गति से विचरण कर रही होती है । जैसे :- व्यस्त सड़क पर कार की गति ।

🔹 असमान गति के दो प्रारूप हो सकते हैं 

🔶 त्वरण गति :- यदि वस्तु की गति समय के साथ लगातार बढ़ती रहे तब वह त्वरण गति कहलाएगी । 

🔶 मंदन गति :- यदि वस्तु की गति समय के साथ लगातार घटती रहे तब वह मंदन कहलाएगी ।

❇️ चाल :-

🔹 गति के दर का मापन चाल कहलाता है । वस्तु की चाल का उसके द्वारा चली गई दूरी को समय से भाग देकर प्राप्त किया जा सकता है । 

❇️ चाल की विशेषताए :-

  • चाल एक अदिश राशि है जिसका केवल मापन होता है , यह दिशारहित होती है । 
  • चाल का मात्रक मीटर प्रति सेकण्ड होता है । ( ms⁻¹, cms⁻¹ , kmh⁻¹ ) 
  • यदि कोई वस्तु समान गति से विचरण कर रहा है तो वह समान चाल द्वारा अपनी दूरी तय करता है । 
  • पर यदि असमान गति हो तो वस्तु की चाल एक समान न रहकर बदलती रहती है । 
  • इस स्थिति में ( असमान स्थिति ) किसी वस्तु की उसके पथ पर औसत चाल निकाली जाती है अथवा औसत चाल असमान गति की स्थिति में किसी वस्तु द्वारा चली गई कुल चाल की एक निश्चित माप है ।

❇️ औसत चाल :-

🔹 वस्तु की औसत चाल , कुल तय की गई दूरी और कुल लिए गए समय के अनुपात को कहते हैं ।

🔶 औसत चाल = कुल दूरी / कुल समय यदि एक वस्तु t समय में दूरी तय करती है तो इसकी S चाल 

  • v = s / t

❇️ चाल के प्रकार :-

🔶 एकसमान चाल :- जब कोई वस्तु समान समय अंतराल में समान दूरी तय करती है तो समान चाल कहलाती है ।

🔶 असमान चाल :- जब कोई वस्तु समान समय अंतराल में असमान दूरी तय करती है तो असमान चाल कहलाती है ।

❇️ वेग :-

🔹 एक निश्चित दिशा में चाल को वेग कहते हैं ।

🔹 वेग एक सदिश राशि है जिसका परिमाप उसकी मापन और दिशा में परिवर्तन के साथ परिवर्तित होता रहता है । 

  • वेग को v में निरूपित किया जाता है । 
  • V एक रेखीय गति में औसत वेग की गणना औसत चाल के अनुरूप होती है ।
  • वेग श्रणात्मक , धनात्मक एवं शून्य भी हो सकता है ।
  • औसत वेग = कुल विस्थापन / कुल समय

❇️ औसत वेग :-

🔹 यदि वस्तु का वेग समान रूप से परिवर्तित हो रहा है , तब दिए गए प्रारम्भिक वेग और अंतिम वेग के अंकगणितीय माध्य के द्वारा औसत वेग प्राप्त किया जा सकता है ।

❇️ वेग और चाल में अंतर :-

वेगचाल 
यह सदिश राशि हैं । यह अदिश राशि हैं । 
वेग ऋणात्मक , धनात्मक हो सकता है ।यह हमेशा धनात्मक होता है । 
औसत वेग शून्य हो सकता है ।चलती वस्तु की चाल कभी शून्य नहीं हो सकती ।

❇️ वेग में परिवर्तन की दर :-

🔶 त्वरण :-

🔹 असमान गति की स्थिति में ( यदि लगातार वेग बढ़ रहा हो ) त्वरण होता है । वेग में समय के साथ परिवर्तन की दर को त्वरण कहा जाता है ।

🔹 त्वरण की स्थिति में , v > u या ‘ a ‘ = ( + ) ve . ( धनात्मक ) 

🔶 मंदन :- असमान गति की स्थिति में ( यदि लगातार वेग घट रहा हो ) मंदन , पैदा होता है । वेग की समय के साथ परिवर्तन की दर को मंदन कहा जाता है । 

🔹 मंदन की स्थिति में , v < u या ‘ a ‘ = ( − ) ve . ( ऋणात्मक ) 

  • त्वरण तथा मंदन सदिश राशियाँ हैं जिनका मान ( + ) , ( – ) या शून्य हो सकता है । और इन्हें ‘ a ‘ से निरूपित किया जाता है । 
  • S.I मात्रक त्वरण तथा मंदन दोनों के लिए ( ms⁻² ) मीटर / ( सेकण्ड )² है ।

❇️ त्वरन के प्रकार :-

🔶 एक समान त्वरण :- यदि वस्तु का समान समय में समान वेग परिवर्तित होता है तो वस्तु एकसमान त्वरण में हैं । 

🔶 असमान त्वरण :- यदि वस्तु का समान समय में असमान हेग परिवर्तित होता है तो वस्तु असमान त्वरण में है ।

❇️ एक समान वृत्तीय गति :-

🔹 यदि कोई वस्तु वृत्तीय पथ में एक समान गति से विचरण करती है तो ऐसी गति को एक समान वृत्तीय गति कहा जाता है । 

🔹 एक समान वृत्तीय गति में चाल में कोई बदलाव नहीं होता है परन्तु वेग में लगातार बदलाव आता रहता है । क्योंकि हर एक बिंदु पर वेग की दिशा में परिवर्तन आता रहता है ) , इसलिए एकसमान वृत्तीय गति में त्वरण पाया जाता है ।

🔹 वेग की दिशा किसी भी वृत्तीय गति में स्पर्श रेखा के समान होती है ।

  •  V = 2πr/t

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