Chapter - 11
कार्य तथा ऊर्जा
❇️ कार्य :-
🔹 कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है ।
- सजीवों में ऊर्जा , भोजन से मिलती है ।
- मशीनों को ऊर्जा , ईंधन से मिलती है ।
🔶 कठोर कार्य करने के बावजूद कुछ अधिक कार्य नहीं :- सभी प्राक्रियाओं , लिखना , पढ़ना , चित्र बनाना , सोचना , विचार विमर्श करना आदि में ऊर्जा व्यय होती है । लेकिन वैज्ञानिक परिभाषा के अनुसार इनमें बहुत थोड़ा – सा नगण्य कार्य हुआ ।
❇️ कार्य किया जाता है जब :-
- एक चलती हुई वस्तु विरामावस्था में आ जाये ।
- एक वस्तु विराम अवस्था से चलना शुरु कर दें ।
- एक गतिमान वस्तु का वेग परिवर्तन हो जाये ।
- एक वस्तु का आकार परिवर्तन हो जाये ।
❇️ कार्य करने की दशा :-
- वस्तु पर बल लगना चाहिए ।
- वस्तु विस्थापित होनी चाहिए ।
❇️ कार्य की वैज्ञानिक संकल्पना :-
🔹 कार्य किया जाता है जब एक बल वस्तु में गति उत्पन्न करता है । कार्य किया जाता है जब एक वस्तु पर बल लगाया जाता है और वस्तु बल के प्रभाव से गतिशील हो जाती है ( विस्थापित हो जाये ) ।
❇️ एक नियत बल द्वारा किया गया कार्य :-
🔹 एक गतिमान वस्तु पर किया गया कार्य वस्तु पर लगे बल तथा वस्तु द्वारा बल की दिशा में किये गये विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है ।
- कार्य = बल × विस्थापन
- W = f × s
- कार्य एक अदिश राशि है ।
- कार्य का मात्रक :- कार्य का मात्रक न्यूटन मीटर या जूल है ।
❇️ जूल :-
🔹 जब बल वस्तु को बल की दिशा में 1 मीटर ( m ) विस्थापित कर देता है तो एक जूल ( 1j ) कार्य होता है ।
- 1 जूल = 1 न्यूटन × 1 मीटर
- 1J = 1 न्यूटन × 1 मीटर
❇️ धनात्मक , ऋणात्मक तथा शून्य कार्य :-
🔹 एक बल द्वारा किया गया कार्य धनात्मक , ऋणात्मक या शून्य हो सकता है ।
🔶 ( a ) कार्य धनात्मक :-
🔹 कार्य धनात्मक होता है जब बल वस्तु की गति की दिशा में लगाया जाता है । ( 0° के कोण पर )
🔶 ( b ) ऋणात्मक कार्य :-
🔹 ऋणात्मक कार्य तब होता है जब बल वस्तु की गति की विपरीत दिशा में लगाया जाता है । ( 180 ° के कोण पर )
🔹 उदाहरण :- ( a ) जब हम जमीन पर रखी फुटबाल पर किक मारते हैं तो फुटबाल किक मारने की दिशा में चलती है यह धनात्मक कार्य है । ( b ) लेकिन जब फुटबाल रूकती है उस पर घर्षण बल गति की दिशा के विपरीत दिशा में कार्य करता है । यहाँ कार्य ऋणात्मक है ।
🔶 ( c ) कार्य शून्य :-
🔹 कार्य शून्य होता है जब लगाये गये बल और गति की दिशा में 90° का कोण बनता है ।
🔹 उदाहरण :- चन्द्रमा पृथ्वी के चारों तरफ गोलीय पथ में गति करता है । यहाँ पर पृथ्वी का गुरुत्व बल चन्द्रमा की गति की दिशा के साथ 90° का कोण बनाता है । अतः किया गया कार्य शून्य है ।
❇️ ऊर्जा :-
🔹 कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं ।
🔹 किसी वस्तु में निहित ऊर्जा , उस वस्तु द्वारा किये जाने वाले कार्य के बराबर होती है । कार्य करने वाली वस्तु में ऊर्जा की हानि होती है , तथा जिस वस्तु पर कार्य किया जाता है उसकी ऊर्जा में वृद्धि होती है ।
- ऊर्जा एक अदिश राशि है ।
- ऊर्जा का S.I. मात्रक जूल ( J ) है ।
- ऊर्जा का बड़ा मात्रक किलो जूल है ।
- 1KJ = 1000 J
❇️ ऊर्जा के रूप :-
🔹 ऊर्जा के मुख्य रूप हैं :-
- गतिज ऊर्जा
- ऊष्मीय ऊर्जा
- विद्युत ऊर्जा
- ध्वनि ऊर्जा
- स्थितिज ऊर्जा
- रासायनिक ऊर्जा
- प्रकाश ऊर्जा
- नाभिकीय ऊर्जा ।
❇️ यांत्रिक ऊर्जा :-
🔹 किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा के योग को यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं ।
🔹किसी वस्तु की गति या स्थिति के कारण कार्य करने की क्षमता को यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं ।
❇️ गतिज ऊर्जा :-
🔹 किसी वस्तु की गति के कारण कार्य करने की क्षमता को गतिज ऊर्जा कहते हैं ।
🔶 गतिज ऊर्जा के उदाहरण :-
- एक गतिशील क्रिकेट बॉल ।
- बहता हुआ पानी ।
- एक गतिशील गोली ।
- बहती हुई हवा ।
- एक गतिशील कार ।
- एक दौड़ता हुआ खिलाड़ी ।
- लुढ़कता हुआ पत्थर ।
- उड़ता हुआ हवाई जहाज ।
🔹 गतिज ऊर्जा वस्तु के द्रव्यमान तथा वस्तु के वेग के समानुपाती होती है ।
🔶 गतिज ऊर्जा का सूत्र :-
🔹 यदि m द्रव्यमान की एक वस्तु एक समान वेग u से गतिशील है । इस वस्तु पर एक नियत बल F विस्थापन की दिशा में लगता है और वस्तु s दूरी तक विस्थापित हो जाती है इसका वेग u से v हो जाता है । तब त्वरण उत्पन्न होता है ।
- किया गया कार्य ( w ) = F × s
- F = ma
❇️ स्थितिज ऊर्जा :-
🔹 किसी वस्तु में उस वस्तु की स्थिति या उसके आकार में परिवर्तन के कारण , जो कार्य करने की क्षमता होती है , उसे स्थितिज ऊर्जा कहते हैं ।
🔹 उदाहरण :-
- बाँध में जमा किया गया पानी :- यह पृथ्वी से ऊँची स्थिति के कारण टरबाइन को घुमा सकते हैं । जिससे विद्युत उत्पन्न होती है ।
- धनुष की तनित डोरी :- धनुष की आकृति में परिवर्तन के कारण उसमें संचित स्थितिज ऊर्जा ( तीर छोड़ते समय ) तीर की गतिज ऊर्जा में परिवर्तित होती है ।
❇️ स्थितिज ऊर्जा को प्रभावित करने वाले कारक :-
🔶 द्रव्यमान :- PE ∝ cm
- वस्तु का द्रव्यमान ज्यादा होगा तो स्थितिज ऊर्जा ज्यादा होगी ।
- वस्तु का द्रव्यमान कम होगा तो स्थितिज ऊर्जा कम होगी ।
🔶 पृथ्वी तल से ऊँचाई :- P E a h ( यह उस रास्ते पर निर्भर नहीं करता जिस पर वस्तु ने गति की है । )
- वस्तु की पृथ्वी तल से ऊँचाई ज्यादा होगी तो स्थितिज ऊर्जा ज्यादा होगी ।
- वस्तु की पृथ्वी तल से ऊँचाई कम होगी तो स्थितिज ऊर्जा कम होगी ।
🔶 आकार में परिवर्तन :- वस्तु में जितना ज्यादा खिंचाव ( Stretching ) , ऐंठन ( Twisting ) या झुकाव ( Bending ) होगा उतनी ही स्थितिज ऊर्जा ज्यादा होगी ।
❇️ किसी ऊँचाई पर वस्तु की स्थितिज ऊर्जा :-
🔹 यदि m द्रव्यमान की वस्तु को पृथ्वी के ऊपर h ऊँचाई तक उठाया जाता है तो पृथ्वी का गुरुत्व बल ( m × g ) नीचे की दिशा में कार्य करता है । वस्तु को उठाने के लिए गुरुत्व बल के विपरीत कार्य किया जाता है ।
- अतः किया गया कार्य W = बल X विस्थापन mg × h = mgh .
- यह कार्य वस्तु में गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है ।
- अतः स्थितिज ऊर्जा = ( Ep ) = m × g × h यहाँ ( g ) पृथ्वी का गुरुत्वीय त्वरण है ।
❇️ ऊर्जा का रूपान्तरण :-
🔹 ऊर्जा के एक रूप से ऊर्जा के दूसरे रूप में परिवर्तन को ऊर्जा का रूपान्तरण कहते हैं ।
🔹 उदाहरण :- एक निश्चित ऊँचाई पर एक पत्थर में स्थितिज ऊर्जा होती है जब यह नीचे गिराया जाता है , तो जैसे – जैसे ऊँचाई कम होती जाती है , वैसे – वैसे पत्थर की स्थितिज ऊर्जा कम होती जाती है । लेकिन नीचे गिरते पत्थर का वेग बढ़ने के कारण पत्थर की गतिज ऊर्जा बढ़ती जाती है , जैसे ही पत्थर जमीन पर पहुँचता है , इसकी स्थितिज ऊर्जा शून्य हो जाती है और गतिज ऊर्जा अधिकतम हो जाती है इस प्रकार सारी स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में रूपान्तरित हो जाती है ।
❇️ ऊर्जा संरक्षण का नियम :-
🔹 जब ऊर्जा का एक रूप ऊर्जा के दूसरे रूप में रूपान्तरित होता है तब कुल ऊर्जा की मात्रा अचर रहती है ।
- ऊर्जा की न तो उत्पत्ति हो सकती है और न ही विनाश ।
- हालांकि ऊर्जा रूपान्तरण के दौरान कुछ ऊर्जा बेकार ( ऊष्मीय ऊर्जा या ध्वनि के रूप में ) हो जाती है लेकिन निकाय की कुल ऊर्जा अपरिवर्तित रहती है ।
❇️ एक वस्तु के मुक्त पतन के समय ऊर्जा का संरक्षण :-
- m द्रव्यमान की एक वस्तु में h ऊँचाई पर स्थितिज ऊर्जा = mgh
- जैसे वस्तु नीचे गिरती है ऊँचाई h घटती है , और स्थितिज ऊर्जा भी घटती है ।
- ऊँचाई h पर गतिज ऊर्जा शून्य थी , लेकिन वस्तु के नीचे गिरने के समय यह बढ़ती जाती है ।
- मुक्त पतन के समय किसी भी बिन्दु पर स्थितिज और गतिज ऊर्जा का योग समान रहता है ।
- ½ mv² + mgh = अचर
- गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा = अचर
❇️ कार्य करने की दर ( शक्ति ) :-
🔹कार्य करने के दर को शक्ति कहते है या ऊर्जा रूपान्तरण की दर को शक्ति कहते हैं ।
❇️ विद्युत उपकरण की शक्ति :-
🔹 विद्युत उपकरणों के द्वारा विद्युत ऊर्जा को उपयोग करने की दर को विद्युत उपकरण की शक्ति कहते हैं ।
🔹 शक्ति का बड़ा मात्रक किलोवाट ( KW ) है ।
- 1 किलोवाट = 1000 वाट = 1000 जूल / सेकेण्ड
❇️ ऊर्जा का व्यावसायिक मात्रक :-
🔹 जूल ऊर्जा का बहुत छोटा मात्रक है । ऊर्जा की ज्यादा मात्रा उपयोग होती है , वहाँ पर इसका उपयोग सुविधाजनक नहीं है । व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए ऊर्जा के बड़े मात्रक किलोवाट घण्टा ( KWh ) का उपयोग करते हैं ।
❇️ किलोवाट घण्टा ( KWh ) :-
🔹 जब एक किलोवाट शक्ति का विद्युत उपकरण , एक घण्टे के लिए उपयोग में लाया जाता है तब एक किलोवाट घण्टा ( KWh ) ऊर्जा व्यय होगी ।
🔹 किलोवाट घण्टा तथा जूल में सम्बन्ध-1 किलोवाट घण्टा ऊर्जा की वह मात्रा है जो एक किलोवाट प्रति घण्टा की दर से व्यय होती है ।
- एक किलोवाट घण्टा = एक किलोवाट × एक घण्टा
- KWh = 1000 वाट × 1 घंटा
- = 1000 वाट × 3600 सेकंड ( 1 घंटा = 60 × 60 सेकंड )
- = 36,00,000 जूल
- 1KWh = 3.6 × 10⁶ जूल = 1 यूनिट