अध्याय - 1
हमारे आस – पास के पदार्थ
❇️ पदार्थ :-
🔹 विश्व में प्रत्येक वस्तु जिस सामग्री से बनी है , उसे पदार्थ कहा जाता है और हमारे आस – पास विद्यमान हर वस्तु में पदार्थ है ।
🔹 पदार्थ स्थान घेरता है और इसका द्रव्यमान होता है ।
❇️ कणों के भौतिक गुण :-
- पदार्थ कणों से बना है ।
- यह सतत् नहीं है ।
- पदार्थ के कण अत्यंत छोटे होते हैं ।
❇️ पदार्थ के कणों के अभिलाक्षणिक गुण :-
- पदार्थ के कण निरंतर गति करते हैं । यानि उनके पास गतिज ऊर्जा होती है ।
- पदार्थ के कणों के बीच में रिक्त स्थान होता है ।
- पदार्थ के कण एक – दूसरे को आकर्षित करते हैं ।
❇️ पदार्थ की अवस्थाएँ :-
🔹 भौतिक रूप से पदार्थ तीन अवस्थाओं में पाया जाता है :-
- ( i ) ठोस अवस्था
- ( ii ) द्रव अवस्था
- ( iii ) गैसीय अवस्था
🔹 हम मानव शरीर को भी पदार्थ की तीन अवस्थाओं में विभाजित कर सकते हैं ।
- ( i ) हड्डियों और दाँत – ठोस अवस्था
- ( ii ) ( Blood ) रक्त और जल – द्रव अवस्था
- ( iii ) फेफड़ों में हवा – गैसीय अवस्था
❇️ ठोस अवस्था :-
- एक निश्चित आकार होता है ।
- ठोस अवस्था में स्पष्ट सीमाएँ होती हैं ।
- निश्चित या स्थिर आयतन होता है ।
- इनकी संपीड्यता नगण्य होती है ।
- ये दृढ़ होते हैं ।
❇️ द्रव अवस्था :-
- द्रव तरल होते हैं , उनमें बहाव होता है ।
- द्रव का कोई स्थिर आकार नहीं होता है । वे बर्तन का आकार लेते हैं ।
- द्रव का निश्चित आयतन होता है ।
- द्रवों में बहुत कम संपीडन होता है ।
❇️ गैसीय अवस्था :-
- गैसों में बहाव होता है ।
- गैसों में संपीडन अधिक होता है ।
- गैसों में कोई निश्चित सीमाएँ नहीं होती हैं ।
- गैसों में कोई निश्चित आकार नहीं होता है ।
- गैसों में कोई निश्चित आयतन नहीं होता है ।
❇️ पदार्थ की अवस्थाओं में परिवर्तन :-
🔹 पानी पदार्थ की तीनों अवस्थाओं में मिलता है ।
- ठोस – बर्फ
- पानी – द्रव
- गैसीय – वाष्प
🔹 गर्म करने पर बर्फ पानी में परिवर्तित हो जाती है और पानी वाष्प में परिवर्तित हो जाता है । पदार्थ की भौतिक अवस्था को दो तरीकों से परिवर्तित किया जा सकता है ।
- ( a ) तापमान में परिवर्तन
- ( b ) दाब परिवर्तन का प्रभाव
❇️ तापमान में परिवर्तन :-
🔶 गलनांक ( Melting point ) :-
🔹 जिस तापमान पर ( वायुमंडलीय दाब पर कोई ठोस पिघल कर द्रव बनता है , वह इसका गलनांक कहलाता है ।
🔹 बर्फ का गलनांक 273.16 K है । सुविधा के लिए हम इसे 0°C अर्थात् 273 K लेते हैं ।
🔶 संगलन की गुप्त ऊष्मा :-
🔹 वायुमंडलीय दाब पर 1 किग्रा. ठोस को उसके गलनांक पर द्रव में बदलने के लिए जितनी ऊष्मीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है , उसे संगलन की गुप्त ऊष्मा कहते हैं ।
🔹 अतः 0°C बर्फ के कणों की तुलना में 0°C पर पानी के कणों से अधिक ऊर्जा होती है ।
🔶 क्वथनांक :-
🔹 वायुमंडलीय दाब पर वह तापमान जिस पर द्रव उबलने लगता है , इसका क्वथनांक कहलाता है ।
🔹 क्वथनांक समष्टि गुण है । जल का क्वथनांक = 373 K ( 100°C + 273 = 373K ) =
जब पानी को उबाला जाता है , तो उसके तापमान में वृद्धि नहीं होती है तापमान 100°C ही रहता है क्योंकि वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा , पानी के कणों के बीच के आकर्षण बल को तोड़ती है ।
🔹 अतः 100°C तापमान पर वाष्प के कणों उसी तापमान पर पानी के कणों की अपेक्षा अधिक ऊर्जा होती है ।
तापमान में परिवर्तन से पदार्थ की अवस्था को एक से दूसरी में बदला जा सकता है , जैसा कि नीचे के आरेख में दिखाया गया है ।
🔶 ऊर्ध्वपातन :-
🔹 कुछ ऐसे पदार्थ हैं , जो द्रव अवस्था में परिवर्तित हुए बिना ठोस अवस्था से सीधे गैस में और वापिस ठोस में बदल जाते हैं । इस प्रक्रिया को ऊर्ध्वपातन कहते हैं ।
❇️ ( b ) दाब परिवर्तन का प्रभाव :-
🔹 यदि हम तापमान घटाने पर सिलिंडर में गैस लेकर उसे संपीडित करें , तो कणों के बीच की दूरी कम हो जाएगी और गैस द्रव में बदल जायेगी ।
- ज्यादा दाब बढ़ाने से गैस के कण नजदीक आ जाते हैं ।
- Solid Carbondioxide ( ठोस कार्बन डाइऑक्साइड ) [ dry ice ] को वापिस गैसीय CO2 ( कार्बन डाइऑक्साइड ) में बदला जा सकता है बिना द्रव अवस्था में बदले | इसके लिए दाब को घटा कर 1 ऐटमॉस्फीयर तक करना होता है ।
❇️ वाष्पीकरण :-
🔹 एक ऐसी सतही प्रक्रिया जिसमें द्रव पदार्थों में सतह के कण क्वथनांक से नीचे किसी भी तापमान पर वाष्प में बदलने लगते हैं । ऐसी प्रक्रिया को वाष्पीकरण कहते हैं ।
❇️ वाष्पीकरण को प्रभावित करने वाले कारक :-
🔶 सतही क्षेत्रफल :- सतही क्षेत्रफल बढ़ाने से वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है ।
🔶 तापमान में वृद्धि :- तापमान बढ़ाने से वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है क्योंकि पदार्थ के कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है ।
🔶 आर्द्रता :- अगर हवा में आर्द्रता है तो वाष्पीकरण की दर घट जाती है ।
🔶 वायु की गति :- अगर वायु की गति बढ़ जाती है तो वाष्पीकरण की दर भी बढ़ जाती है ।
❇️ वाष्पीकरण से शीतलता :-
🔹 वाष्पीकरण प्रक्रिया के दौरान , लुप्त हुई ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने के लिए द्रव के कण अपने आस – पास के वातावरण से ऊर्जा , अवशोषित कर लेते हैं । इस अवशोषण के कारण वातावरण शीतल हो जाता है