Class 12th History Chapter - 2 राजा किसान और नगर (King, farmer and town) Short and Long Question Answer NCERT CBSE

Chapter - 2 

राजा किसान और नगर (King, farmer and town)


2 अंकों के उत्तर वाले प्रश्न 

प्रश्न 1. आरंभिक भारतीय इतिहास में छठी शताब्दी ई ० पू ० को एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तनकारी काल क्यों माना जाता है । 

उत्तर -1. इस काल में आरंभिक राज्यों , साम्राज्यों एवं रजवाड़ों का उदय हुआ । 

2.इस काल में नए नगरों का उत्थान हुआ । 

3. इस काल में लोहे एवं सिक्कों का प्रचलन बढ़ गया । 

4. इस काल में बौद्ध तथा जैन धर्मों सहित विभिन्न दार्शनिक विचारधाराओं का विकास हुआ । 

प्रश्न 2. जनपद से आपका क्या अभिप्राय है ? 

उत्तर - जनपद से हमारा अभिप्राय एक ऐसे भूक्षेत्र से है जहाँ किसी कुल अथवा जनजाति के लोग आकर बस जाते हैं । 

प्रश्न 3. छठी शताब्दी ई ० पूर्व में भारत कितने महाजनपदों में बंटा था ? किन्हीं तीन के नाम लिखिए । \

उत्तर- 1. छठी शताब्दी ई ० पू ० में भारत 16 महाजनपदों में बँटा था । 

2. किन्हीं तीन महाजनपदों के नाम मगध , कोशल तथा गांधार थे । 

प्रश्न 4. कोशल राज्य की स्मृद्धि में प्रसेनजित के योगदान की चर्चा कीजिए । 

उत्तर- 1.प्रसेनजित ने कृषि और व्यापार को प्रोत्साहन दिया । 

2. उसने अपनी बहन का विवाह मगध के शासक बिंबिसार से करके कोशल राज्य की स्थिति को अधिक दृढ़ किया

प्रश्न 5. चंडप्रद्योत महासेन कौन था ? 

उत्तर - चंडप्रद्योत महासेन अवंति का सबसे शक्तिशाली शासक था । उसके शासनकाल में अवंति राज्य ने बहुत विकास किया । उसने बौद्ध धर्म को लोकप्रिय बनाने प्रशंसनीय योगदान दिया । 

प्रश्न 6. छठी शताब्दी ई ० पू ० गांधार क्यों प्रसिद्ध था ? कोई दो कारण बताएं । 

उत्तर - छठी शताब्दी ई ० पू ० गांधार निम्नलिखित कारणों से प्रसिद्ध था। 

1. गांधार की राजधानी तक्षशिला एक विश्वविद्यालय के रूप में विख्यात थी । 

2. उस समय गांधार एक प्रसिद्ध व्यापारिक केंद्र था । 

प्रश्न 7. महाजनपदों के कोई दो विशिष्ठ अभिलक्षण बताइए । 

उत्तर-1. प्रत्येक महाजनपद की एक राजधानी होती थी । इसे प्रायः किले से घेरा जाता था । 

2. महाजनपद की सुरक्षा के लिए स्थायी सेनाएँ रखी जाती थीं । 

प्रश्न 8. गांधार की राजधानी क्या थी ? 

उत्तर-गांधार की राजधानी का नाम तक्षशिला था । 

प्रश्न 9. मगध साम्राज्य के उत्थान के कोई दो कारण लिखिए । 

उत्तर- 1. मगध साम्राज्य के उत्थान में यहाँ से प्राप्त विशाल लोहे के भंडारों ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया । 

2. मगध में अनेक शक्तिशाली शासकों ने शासन किया । 

प्रश्न 10. बिंबिसार ने प्रशासन प्रबंध में क्या महत्त्वपूर्ण सुधार किए ? 

उत्तर- 1. उसने कुशल शासन व्यवस्था के लिए एक मंत्रिमंडल का गठन किया था । सभी मंत्री योग्य एवं ईमानदार होते थे । 

2. गाँवों की शासन व्यवस्था के लिए पंचायत की व्यवस्था की गई थी । 

3. अपराधियों को कठोर दंड दिए जाते थे । 

प्रश्न 11. अजातसत्तु एवं लिच्छवियों के मध्य होने वाले झगड़े के दो कारण बताइए । 

उत्तर- 1. उस समय लिच्छवि काफी शक्तिशाली थे । अजातसत्तु उनके बढ़ते हुए प्रभाव को सहन करने के लिए तैयार न था । 

2. अजातसत्तु लिच्छवियों पर अधिकार करके अपने यश में वृद्धि करना चाहता था ।

प्रश्न 12 अजातसत्तु कौन था ? वह क्यों प्रसिद्ध था ? 

उत्तर- 1. अजातसत्तु मगध का एक शक्तिशाली शासक था । 

2. उसने शक्तिशाली लिच्छवियों को पराजित किया । 

3. वह बहुत सहनशील शासक था । उसने जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म दोनों को ही संरक्षण प्रदान किया । 

प्रश्न 13. प्रारंभ में मगध की राजधानी कौन - सी थी ? बाद में किसे मगध की राजधानी बनाया गया ?

उत्तर- 1.  प्रारंभ में मगध की राजधानी राजगाह थी । 

2. बाद में पाटलिपुत्र को मगध की राजधानी बनाया गया । 

प्रश्न 14. महापद्मनंद कौन था ? 

उत्तर - महापद्मनंद ने मगध में 364 ई ० पू ० में नंद वंश की स्थापना की थी । उसने 28 वर्ष तक शासन किया । वह एक शक्तिशाली शासक प्रमाणित हुआ । उसने मगध साम्राज्य के विस्तार में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया । 

प्रश्न 15. नंद शासकों की अलोकप्रियता के दो कारण लिखिए । 

उत्तर - 1. नंद शासक बहुत अत्याचारी थे । इसलिए प्रजा उनसे बहुत घृणा करती थी । 

2. नंद शासक बहुत लालची थे । इसलिए धन इकट्ठा करने के उद्देश्य से उन्होंने अनेक गैर - मानवीय कार्य किए जिसके परिणामस्वरूप वे प्रजा में बहुत बदनाम हुए । 

प्रश्न 16. मगध साम्राज्य के विस्तार में लोहे के विशाल भंडार कैसे सहायक सिद्ध हुए ? 

उत्तर - मगध साम्राज्य के विस्तार में लोहे के विशाल भंडारों ने प्रशंसनीय योगदान दिया । लोहे के कारण बढ़िया किस्म के हथियारों का निर्माण किया गया । इन हथियारों से मगध शासकों ने अपने विरोधियों को सुगमता से पराजित किया । 

प्रश्न 17. मौर्य काल के चार स्रोतों के नाम लिखें । 

उत्तर - मौर्य काल के चार स्रोतों के नाम मेगस्थनीज की इंडिका , कौटिल्य का अर्थशास्त्र , विशाखदत्त का मुद्राराक्षस तथा अशोक के अभिलेख हैं 

प्रश्न 18 मेगस्थनीज़ कौन था ? वह भारत में कब से कब तक रहा ? 

उत्तर- 1. मेगस्थनीज़ एक यूनानी राजदूत था । उसे सेल्यकूस ने चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा था । 

2. वह भारत में पाँच वर्ष ( 302 ई ० पू ० से 298 ई ० पू ० ) रहा। 

जी

प्रश्न 19. उस यूनानी राजदूत का नाम बताओ जो चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था ? उसने कौन - सी पुस्तक लिखी ? 

उत्तर- 1. उस यूनानी राजदूत का नाम मेगस्थनीज़ था जो चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया । 

2. उसने इंडिका नामक पुस्तक लिखी । 

प्रश्न 20 मेगस्थनीज कौन था ? उसने कौन - सी पुस्तक लिखी ? उसका ऐतिहासिक महत्त्व क्या है ? 

उत्तर -1. मेगस्थनीज़ एक यूनानी राजदूत था जो चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में 302 ई ० पू ० से 298 ई ० पू ० तक रहा 

2. उसने इंडिका नामक पुस्तक लिखी । 

3. इससे हमें चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है ।

प्रश्न 21. इंडिका किसकी रचना है ? 

उत्तर - इंडिका मेगस्थनीज़ की रचना है ।

प्रश्न 22. चंद्रगुप्त मौर्य का प्रधानमंत्री कौन था तथा उसने कौन - सी पुस्तक लिखी 

उत्तर-( i ) चंद्रगुप्त मौर्य का प्रधानमंत्री कौटिल्य था । 

( ii ) उसकी पुस्तक का नाम अर्थशास्त्र था । 

प्रश्न 23 कौटिल्य कौन था ? 

उत्तर- कौटिल्य चंद्रगुप्त मौर्य का परामर्शदाता एवं प्रधानमंत्री था । उसे चाणक्य के नाम से भी जाना जाता है। उसने अर्थशास्त्र नामक प्रसिद्ध ग्रंथ की रचना की । इसे राजनीति का एक अमूल्य ग्रंथ माना जाता है । 

प्रश्न 24 कौटिल्य के अनुसार राजा के आदर्श क्या होने चाहिए ? 

उत्तर- ( i )उसे प्रजा के कल्याण में अपना कल्याण समझना चाहिए । 

( ii ) उसे आज का काम कल पर नहीं छोड़ना चाहिए । 

( iii ) उसकी सेना शक्तिशाली होनी चाहिए । 

प्रश्न 25 अर्थशास्त्र का लेखक कौन था ? 

उत्तर- ( i ) अर्थशास्त्र का लेखक कौटिल्य था । 

( ii ) इससे मौर्य प्रशासन एवं अर्थव्यवस्था के संबंध में प्रमाणित जानकारी मिलती है । 

प्रश्न 26 मुद्राराक्षस का लेखक कौन था ? इसका ऐतिहासिक महत्त्व क्या है ?  

उत्तर- ( i ) मुद्राराक्षस एक विख्यात नाटक है । इसका लेखक विशाखदत्त था । 

( ii ) इससे हमें नंद वंश के पतन और मौर्य साम्राज्य की स्थापना संबंधी जानकारी मिलती है । 

प्रश्न 27.मौर्य साम्राज्य की स्थापना किसने और कब की थी ? 

उत्तर - मौर्य साम्राज्य की स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने 321 ई ० पू ० में की थी । 

प्रश्न 28. सेल्यूकस के साथ चंद्रगुप्त मौर्य के संघर्ष के दो परिणाम क्या हुए ? 

उत्तर - ( i ) इस लड़ाई में विजय के परिणामस्वरूप चंद्रगुप्त मौर्य ने पश्चिमोत्तर भारत को सेल्यूकस की दासता से स्वतंत्र करवाया । 

( ii ) सेल्यूकस ने चंद्रगुप्त मौर्य को काबुल , कंधार , हिरात एवं बलूचिस्तान के प्रदेश दिये । 

प्रश्न 29 अशोक का राज्याभिषेक कब हुआ और उसने कब तक शासन किया ? 

उत्तर- ( i ) अशोक का राज्याभिषेक 269 ई ० पू ० में हुआ। 

( ii ) उसने 231 ई ० पू ० तक शासन किया । 

प्रश्न 30 अशोक ने कलिंग पर आक्रमण कब और क्यों किया ? 

उत्तर- अशोक ने कलिंग पर आक्रमण 261 ई ० पू ० अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए किया ।

प्रश्न 31 कलिंग युद्ध के दो परिणाम बताइए ।

 उत्तर- ( i ) कलिंग युद्ध के पश्चात् अशोक ने भेरीघोष के स्थान पर धम्मघोष की नीति अपनाई । 

( ii ) अशोक द्वारा युद्ध नीति का त्याग करने के परिणामस्वरूप मौर्य सेना कमजोर पड़ गई । 

प्रश्न 32 धम्मघोष पद का आशय स्पष्ट करें । 

उत्तर - धम्मघोष पद का आशय है धम्म अथवा धर्म की घोषणा करना । दूसरे शब्दों में राज्य द्वारा धम्म की नीति को अपनाना । यह नीति लोगों को शुद्ध एवं पवित्र जीवन व्यतीत करने की प्रेरणा देती है । कलिंग के युद्ध प्रश्न उत्तर + बाद अशोक ने इस नीति का पालन किया ।

प्रश्न 33. तीर्थ पद का आशय स्पष्ट करें । 

उत्तर - मौर्य काल में प्रशासन से संबंधित उच्च अधिकारियों को तीर्थ कहा जाता था । इनमें मंत्री , पुरोहित , सेनापति एवं युवराज सम्मिलित थे । इनका मुख्य कार्य प्रशासन संबंधी राजा को परामर्श देना था । 

प्रश्न 34. संनिधाता पद का आशय स्पष्ट करें । 

उत्तर - संनिधाता मौर्य काल में राज्य का प्रधान कोषाध्यक्ष एवं भंडागार होता था । 

प्रश्न 35. समाहर्ता कौन था ? 

उत्तर - मौर्य काल में कर निर्धारण करने वाले सर्वोच्च अधिकारी को समाहर्ता कहा जाता था ।

प्रश्न 36. षण पद का आशय स्पष्ट करें । 

उत्तर - मौर्य काल में ' पण ' चाँदी का सिक्का होता था । इसका वजन 3/4 तोले के बराबर होता था । उच्च अधिकारियों को 48 हजार पण का वेतन दिया जाता था । निम्न कर्मचारियों को 10 से 20 पण ही वेतन के रूप में दिए जाते थे । 

प्रश्न 37. चंद्रगुप्त मौर्य के काल में प्रांतों एवं उनकी राजधानियों के नाम लिखो । 

उत्तर - प्रांत का नाम राजधानी का नाम 

( 1 ) मगध 

पाटलिपुत्र 

( 2 ) उत्तर - पश्चिमी प्रांत 

तक्षशिला 

( 3 ) पश्चिमी प्रांत 

उजयिनी 

( 4 ) दक्षिणी प्रांत 

सुवर्णगिरि । 

प्रश्न 38. अशोक ने किसे मौर्य साम्राज्य का पांचवां प्रांत बनाया था और इसकी राजधानी का क्या नाम था ? 

उत्तर- ( 1 ) अशोक ने कलिंग को मौर्य साम्राज्य का पाँचवां प्रांत बनाया था । 

( 2 ) इसकी राजधानी का नाम तोसलि था । 

प्रश्न 39. राजुक पद का आशय स्पष्ट करें । 

उत्तर - मौर्य काल में राजुक कृषि अधीन भूमि का सर्वेक्षण करके उसका भू - राजस्व निर्धारित करता था । 

प्रश्न 40. मौर्यकालीन नागरिक प्रबंध कैसा था ? 

उत्तर - मौर्यकालीन नागरिक प्रबंध अति उत्तम था । पाटलिपुत्र के नगर प्रशासन का कार्य 30 सदस्यों की एक समिति के हाथ था जो आगे 6 भागों में विभाजित थी । ये समितियाँ कारखानों की देख - रेख , विदेशियों की रक्षा , जन्म और मृत्यु का लेखा , व्यापार संबंधी नियम , जनसंख्या की गणना एवं विक्री कर एकत्र करने का कुशलतापूर्वक कार्य करती थीं । 

प्रश्न 41. मौर्यकालीन गुप्तचर व्यवस्था के बारे में आप क्या जानते हैं ? 

उत्तर - मौर्य काल की गुप्तचर व्यवस्था बहुत अच्छी थी । ये गुप्तचर संपूर्ण साम्राज्य में फैले हुए थे । वे राजकुमारों , सरकारी अधिकारियों एवं प्रजा की गतिविधियों के संबंध में राजा को सूचना देते थे । गुप्तचर विभाग बड़ी संख्या में स्त्रियाँ भी काम करती थीं ।

प्रश्न 42. मौर्य सेना कितने भागों में बँटी थी ? नाम लिखिए । 

उत्तर- ( i ) मौर्य सेना चार भागों में बँटी थी । 

( ii ) इनके नाम ये थे - पैदल सेना , घुड़सवार सेना , हाथी सेना एवं रथ सेना । 

प्रश्न 43 धम्म घोष पद का आशय स्पष्ट करें ।

उत्तर - धम्म घोष पद से आशय उन नियमों से था जो नैतिकता पर आधारित थे । जैसे बड़ों का सम्मान कर छोटों से प्रेम करना , सत्य बोलना एवं पवित्र जीवन व्यतीत करना आदि । कलिंग विजय के पश्चात् अशोक ने धम्म का प्रचार किया।

प्रश्न 44. धम्म महामात पद का आशय स्पष्ट करें । 

उत्तर - अशोक ने अपने साम्राज्य में धम्म का प्रचार करने के उद्देश्य से जो विशेष अधिकारी नियुक्त किए उन्हें धम्म महामात कहा जाता था । ये अधिकारी लोगों को धम्म के अनुसार जीवन व्यतीत करने के लिए प्रेरित करते थे

प्रश्न 45. अशोक के धम्म की कोई दो विशेषताएँ बताइए । 

उत्तर -( 1 ) बच्चों को अपने माता - पिता का पूर्ण सम्मान करना चाहिए । 

( 2 ) बड़ों का कर्तव्य है कि वे छोटों से प्रेम करें । प्र

प्रश्न 46. अशोक के धम्म के कोई दो महत्त्वपूर्ण परिणाम बताओ । 

उत्तर- ( 1 ) लोगों ने सादा और पवित्र जीवन व्यतीत करना आरंभ कर दिया । 

( 2 ) अशोक ने प्रजा की भलाई के लिए अनेक कार्य किये । प्रश्न 47. बौद्ध धर्म के फैलाव के लिए अशोक द्वारा किए गए दो कार्यों का वर्णन कीजिए ।  

उत्तर- ( 1 ) उसने बौद्ध धर्म को राज्य धर्म घोषित किया । ( 2 ) उसने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए विदेशों में अपने प्रचारक भेजे । 

प्रश्न 48. तीसरी यौद्ध सभा का आयोजन कहाँ किया गया था ? 

उत्तर - तीसरी बौद्ध सभा का आयोजन पाटलिपुत्र में किया गया था 

प्रश्न 49. बौद्ध धर्म श्रीलंका कैसे पहुँचा ? 

उत्तर - महाराजा अशोक ने बौद्ध धर्म के श्रीलंका में प्रचार के लिए अथक प्रयास किए । उसने अपने पुत्र महिंद्र तथा पुत्री संघमित्रा को बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए श्रीलंका भेजा । उनके प्रयासों से बौद्ध धर्म शीघ्र ही श्रीलंका में लोकप्रिय हो गया । 

प्रश्न 50 अशोक के अधिकांश अभिलेख किस लिपि में हैं ? उसके पश्चिमोत्तर में मिले अभिलेखों की लिपि क्या थी ? 

उत्तर - ( 1 ) अशोक के अधिकांश अभिलेख ब्राह्मी लिपि में हैं । 

( 2 ) उसके पश्चिमोत्तर में मिले अभिलेखों की लिपि अरामेइक एवं यूनानी है ।

प्रश्न 51. किसने तथा कब अशोक के अभिलेखों को पढ़ने में सफलता प्राप्त की ? 

उत्तर - जेम्स प्रिंसेप नामक एक अंग्रेज़ अधिकारी ने 1838 ई ० में अशोक के अभिलेखों को पढ़ने में सफलता प्राप्त की । 

प्रश्न 52 अशोक के अभिलेखों का ऐतिहासिक महत्त्व क्या था ?

उत्तर - इनसे अशोक के जीवन , उसके साम्राज्य के विस्तार , उसकी शासन व्यवस्था , उसके धम्म , उसके द्वारा बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए किए गए प्रयासों , उसके चरित्र , उसकी अंतर्राष्ट्रीय नीति एवं मौर्य कला के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है ।

प्रश्न 53. अशोक की महानता के कोई दो कारण बताएं । 

उत्तर- ( 1 ) अशोक का शासन प्रबंध उच्चकोटि का था । 

( 2 ) उसने विभिन्न धर्मों के लोगों में एकता स्थापित करने के उद्देश्य से धम्म की स्थापना की । 

प्रश्न 54. मौर्य काल में श्रेणियों के दो प्रमुख कार्य बताओ । 

उत्तर- ( 1 ) ये व्यापारियों द्वारा तैयार किये गये माल का निरीक्षण करती थीं । 

( 2 ) ये व्यापार को प्रोत्साहन देने हेतु नए क्षेत्रों की खोज करती थीं । 

प्रश्न 55. मौर्य काल में किन चार देशों के साथ अधिक व्यापार चलता था ? 

उत्तर - मौर्य काल में रोम , यूनान , सौरिया एवं मिल के साथ अधिक व्यापार चलता था ।

प्रश्न 56. मौर्य काल में विदेशों को निर्यात की जाने वाली कोई चार वस्तुओं के नाम बताओ । 

उत्तर- मौर्य काल में विदेशों को निर्यात की जाने वाली चार वस्तुएँ सूती और रेशमी कपड़े , हाथी दाँत का सामान , गर्म मसाले एवं नील थे। 

प्रश्न 57. मौर्य काल में विदेशों से आयात की जाने वाली कोई चार वस्तुओं के नाम बताएँ । 

उत्तर - मौर्य काल में विदेशों से आयात की जाने वाली चार वस्तुएँ सोना , चाँदी , बहुमूल्य पत्थर एवं सुगंधित सामान थे । 

प्रश्न 58. मौर्य साम्राज्य के पतन के दो कारण कौन - से थे ? 

उत्तर- ( i ) अशोक के उत्तराधिकारी दुर्बल और निकम्मे निकले । 

( ii ) विदेशी आक्रमणों ने मौर्य साम्राज्य की मृत्यु की घंटी बजा दी थी । 

प्रश्न 59. शुंग वंश की स्थापना कब तथा किसने की थी ? 

उत्तर - शुंग वंश की स्थापना 185 ई ० पू ० में पुष्यमित्र शुंग ने की थी । 

प्रश्न 60. पुष्यमित्र शुंग कौन था ? 

उत्तर - पुष्यमित्र , शुंग वंश का संस्थापक था । वह अंतिम मौर्य शासक बृहद्रथ का सेनापति था । 185 ई ० पू ० पुष्यमित्र ने बृहद्रथ की हत्या कर स्वयं सत्ता संभाल ली । उसने 149 ई ० पू ० तक शासन किया । वह एक योग्य शासक सिद्ध हुआ ।

प्रश्न 61. खारवेल को चेदि वंश का सबसे महान् शासक क्यों माना जाता है ? कोई दो कारण बताएँ । 

उत्तर- ( i ) उसने चेदि राज्य की सीमाओं में काफी वृद्धि 

की । 

( ii ) उसने प्रजा के कल्याण के लिए अनेक प्रशंसनीय कार्य किए । 

प्रश्न 62. सातवाहनों को आंध्रभृत्य क्यों कहा जाता है ? 

उत्तर - सातवाहनों को आंध्रभृत्य इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनके पूर्वज पहले आंध्र शासकों के अधीन सामंत तौर पर कार्य करते थे । 

प्रश्न 63. सातवाहन कौन थे ? सातवाहनों के दो प्रमुख शासकों का वर्णन कीजिए ।  

उत्तर- ( i ) सातवाहन कौन थे इस संबंधी इतिहासकारों में मतभेद है । संभवत : वे आंध्र जाति से संबंधित थे । 

( ii )सातवाहनों के दो प्रसिद्ध शासक सातकनि प्रथम तथा गोतमी - पुत्त सातकनि थे ।

प्रश्न 64 गोतमी - पुत्त सातकनि क्यों प्रसिद्ध था ? 

उत्तर-( i ) उसने शक , यवन एवं पल्लव शासकों को पराजित किया । 

( ii ) उसके शासन का मुख्य उद्देश्य प्रजा का कल्याण करना था । 

( iii ) उसने सातवाहन वंश के गौरव को पुनर्जीवित किया । 

प्रश्न 65. सातवाहन प्रशासन की दो मुख्य विशेषताएं बताएँ । 

उत्तर- ( i ) राजा अपना शासन धर्म शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार चलाता था । 

( ii ) यद्यपि सातवाहन शासक हिंदू धर्म में विश्वास रखते थे तथापि उन्होंने अन्य धर्मों के प्रति सहिष्णुता की नीति अपनाई ।

प्रश्न 66. महापाषाण किसे कहा जाता है ? 

उत्तर - महापाषाण ऐसे स्मारकों को कहा जाता था जो दक्षिण भारत के कुछ समुदायों द्वारा मृत व्यक्ति के शवों पर बनाए जाते थे । ये स्मारक बड़े - बड़े पत्थरों के बने होते थे । इनकी खुदाई से हमें लौह युग के लोगों के जीवन के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है । 

प्रश्न 67. तमिलकम पद का आशय स्पष्ट करें । 

उत्तर - प्राचीन काल में भारत में सुदूर दक्षिणी भागों को तमिलकम का नाम दिया गया था । चौथी सदी से ही उत्तरी भारत एवं तमिलकम में घनिष्ठ व्यापारिक संबंध स्थापित हो चुके थे । 

प्रश्न 68. पांड्यों का सर्वप्रथम उल्लेख कहाँ मिलता है ? उनका राज्य कहाँ से कहाँ तक फैला हुआ था ? 

उत्तर- ( i ) पांड्यों का सर्वप्रथम उल्लेख संगम साहित्य में मिलता है । 

( ii ) यह भारतीय प्रायद्वीप के दक्षिणी छोर से लेकर दक्षिण पूर्वी भाग के मध्य तक फैला हुआ था । इसमें आधुनिक तमिलनाडु के मदुरा , तिनेवली और रामनद के जिले सम्मिलित थे । 

प्रश्न 69. पंड्य राज्य की राजधानी कौन - सी थी ? इसका सर्वाधिक प्रसिद्ध शासक कौन था ?

उत्तर- ( i ) पांड्य राज्य की राजधानी का नाम मदुरा अथवा मदुरई था । 

( ii ) इसका सर्वाधिक प्रसिद्ध शासक नेडु जेलियान था । 

प्रश्न 70. पांड्य शासक नेडु जेलियान क्यों प्रसिद्ध था ? 

उत्तर- ( i ) उसने चोल , चेर तथा पाँच अन्य शासकों को संयुक्त रूप से पराजित किया था । 

( ii ) वह एक महान् विद्वान् भी था । 

( iii ) उसने कला एवं साहित्य को संरक्षण प्रदान किया था ।


3 अंकों के उत्तर वाले प्रश्न 

प्रश्न 1. हड़प्पा सभ्यता के बाद लगभग 1500 वर्षों के दौरान उपमहाद्वीप के विभिन्न भागों में कई प्रकार के विकास हुए । उदाहरण दीजिए । 

उत्तर- ( i ) इस काल में सिंधु नदी और इसकी उपनदियों के किनारे रहने वाले लोगों द्वारा ऋग्वेद की रचना की गई। 

( ii ) उत्तर भारत , दक्कन पठार क्षेत्र और कर्नाटक आदि कई क्षेत्रों में कृषक बस्तियों का उदय हुआ । 

( iii ) दक्कन और दक्षिण भारत के क्षेत्रों में चरवाहा बस्तियाँ स्थापित हुई । 

( iv ) मध्य एवं दक्षिण भारत में शवों के अंतिम संस्कार के नए तरीके अस्तित्व में आए । कई स्थानों पर शवों के साथ लोहे के बने विभिन्न उपकरणों एवं हथियारों को भी दफ़नाया जाता था । 

प्रश्न 2. छठी शताब्दी ई ० पू ० में काशी जनपद की क्या स्थिति थी ? 

उत्तर -16 महाजनपदों में जो सबसे पहले विख्यात हुआ , वह काशी था । इस राज्य की राजधानी का नाम वाराणसी था जोकि गंगा नदी के किनारे पर स्थित थी यह राज्य आरंभ में बहुत शक्तिशाली था और अपने व्यापार के कारण सुविख्यात था । राजा ब्रह्मदत्त के शासनकाल में यह राज्य अपने विकास की चरम सीमा पर पहुँच गया था । बाद में इस राज्य की शक्ति कोशल , अंग और मगध राज्यों से निरंतर लड़ाइयों के कारण दुर्बल पड़ गई थी । परिणामस्वरूप छठी शताब्दी ई ० पू ० में कोशल राज्य ने काशी पर अधिकार कर लिया । 

प्रश्न 3. छठी शताब्दी ई ० पू ० में कोशल जनपद क्यों प्रसिद्ध था ? 

उत्तर - छठी शताब्दी ई ० पू ० कोशल में आधुनिक उत्तर प्रदेश के फैजाबाद , गौंडा तथा बहराइच जिले सम्मिलित थे । श्रावस्ती इस राज्य की राजधानी थी । अयोध्या और कपिलवस्तु इस राज्य के दो प्रमुख नगर थे । अयोध्या भगवान् राम के जन्म स्थान के रूप में और कपिलवस्तु महात्मा बुद्ध के जन्म स्थान के रूप में विख्यात थी । प्रसेनजित कोशल राज्य का सबसे शक्तिशाली शासक था । उसके शासनकाल में कोशल राज्य ने बहुमुखी विकास किया । उसने अपनी स्थिति को सुदृढ़ बनाने के लिए अपनी बहन का विवाह मगध के शासक बिंबिसार से किया । वह महात्मा बुद्ध का समकालीन था । उसने बौद्ध धर्म को लोकप्रिय बनाने के लिए बहुत प्रशंसनीय योगदान दिया ।

प्रश्न 4. छठी शताब्दी ई ० पू ० में गांधार जनपद क्यों प्रसिद्ध था ? 

उत्तर - छठी शताब्दी ई ० पू ० में गांधार राज्य में पाकिस्तान के आधुनिक पेशावर और रावलपिंडी के जिले सम्मिलित थे । इसकी राजधानी का नाम तक्षशिला था । तक्षशिला उस समय के एक विश्वविद्यालय के रूप में सुविख्यात था । यहाँ पर भारत के भिन्न - भिन्न राज्यों और विदेशों से विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करने हेतु आते थे । इसके अतिरिक्त यह एक विख्यात व्यापारिक केंद्र भी था । छठी शताब्दी ई ० पू ० में यहाँ पर राजा पुरुसाती का शासन था । वह मगध के शासक बिंबिसार का समकालीन था । उसने मगध के दरबार में अपना एक दूत भेजा था जिसका उद्देश्य दोनों राज्यों के बीच मित्रता स्थापित करना था । उसने अवंति के शासक चंडप्रद्योत महासेन को एक लड़ाई में पराजित किया था ।

प्रश्न 5. छठी शताब्दी ई ० पू ० में मगध जनपद की क्या स्थिति थी ? 

उत्तर - छठी शताब्दी ई ० पू ० मगध राज्य सर्वाधिक शक्तिशाली था । इसमें वर्तमान पटना , गया और शाहबाद के कुछ क्षेत्र सम्मिलित थे । इस राज्य की राजधानी का नाम राजगाह ( राजगीर ) था । मगध राज्य उत्तर की ओर से गंगा नदी , दक्षिण की ओर से विंध्याचल पर्वत , पूर्व की ओर से चंपा और पश्चिम की ओर से सोन नदी से घिरा हुआ था । बिंबिसार तथा अजातसत्तु इस राज्य के दो सर्वाधिक विख्यात शासक थे । उनके शासनकाल में मगध राज्य ने अद्वितीय विकास किया । बौद्ध ग्रंथों के अनुसार वे दोनों बौद्ध धर्म के और जैन ग्रंथों के अनुसार वे दोनों जैन धर्म के महान् संरक्षक थे ।

प्रश्न 6. मगध शासक बिंबिसार के संबंध से आप क्या जानते हैं ? 

उत्तर - बिंबिसार मगध का एक प्रसिद्ध शासक था । उसने 544 ई ० पू ० से 492 ई ० पू ० तक शासन किया । उसने अपनी शक्ति को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से विख्यात एवं शक्तिशाली शासकों के साथ वैवाहिक तथा मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित किए । उसने अंग के शासक को कड़ी पराजय दी । उसने एक कुशल शासन व्यवस्था की स्थापना की । शासन व्यवस्था में पंचायतों को विशेष महत्त्व दिया गया । उसने यातायात के साधनों एवं व्यापार को विकसित किया । उसके शासनकाल में अपराधियों को कठोर दंड दिए जाते थे । उसने राजगाह को अपनी राजधानी घोषित किया ।

प्रश्न 7. अजातसत्तु कौन था ? वह क्यों प्रसिद्ध था ? 

उत्तर - अजातसत्तु मगध का एक शक्तिशाली शासक था । उसने 492 ई ० पू ० से 460 ई ० पू ० तक शासन किया । उसके काल में काशी को लेकर मगध एवं कोशल राज्यों में दीर्घ काल तक झगड़ा चलता रहा । इसमें अजातसत्तु का पलड़ा भारी रहा । अजातसत्तु ने शक्तिशाली लिच्छवियों को पराजित किया । वह बहुत सहनशील शासक था । उसने जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म दोनों को ही संरक्षण प्रदान किया । उसने 487 ई ० पू ० बौद्ध धर्म की प्रथम महासभा वैशाली में आयोजित की थी । 

प्रश्न 8. नंद शासक महापद्मनंद के संबंध में आप क्या जानते हैं ? 

उत्तर - महापद्मनंद ने मगध में 364 ई ० पू ० में नंद वंश की स्थापना की । वह एक निम्न वंश से संबंध रखता था । उसने 28 वर्ष तक शासन किया । वह बड़ा शक्तिशाली शासक प्रमाणित हुआ । उसकी सैनिक शक्ति बहुत विशाल और दृढ़ थी । इसी कारण उसे ' उग्रसेन ' कहा जाता था । उसे क्षत्रियों का नाश करने के कारण ' सर्वक्षत्रांतक ' भी कहा जाता है । उसने अपने शासनकाल के दौरान इक्ष्वाकु , पाँचाल , कुरू , शूरसेन , मिथिला और कलिंग इत्यादि शासकों को पराजित करके मगध साम्राज्य की सीमाओं में खूब विस्तार किया । परिणामस्वरूप उसे उत्तरी भारत का प्रथम महान सम्राट् कहा जाता है ।

प्रश्न 9. मगध साम्राज्य के उत्थान के प्रमुख कारण क्या थे ?

उत्तर- ( i ) मगध साम्राज्य के विस्तार में इसकी भौगोलिक स्थिति पर्याप्त सहायक सिद्ध हुई । यह राज्य चारों ओर से सुरक्षित था । नदियों से घिरी होने के कारण इसकी राजधानी पाटलिपुत्र भी अत्यंत सुरक्षित थी।

( ii ) इस साम्राज्य के उत्थान में यहाँ से प्राप्त विशाल लोहे के भंडारों ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया । 

( iii ) मगध में अनेक शक्तिशाली शासकों ने शासन किया । 

( iv ) मगध शासकों के पास एक विशाल एवं कुशल सेना थी । 

( v ) मगध साम्राज्य आर्थिक पक्ष से बहुत समृद्ध था । 

प्रश्न 10. महाजनपदों के विशिष्ठ अभिलक्षणों का वर्णन कीजिए । 

उत्तर- ( i ) अधिकाँश महाजनपदों पर राजा का शासन होता था किंतु गणसंघ में कई लोगों का समूह शासन करता था । 

( ii ) प्रत्येक महाजनपद की एक राजधानी होती थी । इसे प्रायः किले से घेरा जाता था । 

( iii ) शासकों का कार्य किसानों , व्यापारियों एवं शिल्पकारों से कर तथा भेंट वसूल करना था । 

( iv ) धन एकत्र करने के उद्देश्य से पड़ोसी राज्यों पर आक्रमण करना वैध माना जाता था । 

( v ) कुछ राज्यों ने अपनी स्थायी सेनाएँ और नौकरशाही तंत्र तैयार कर लिए थे । अन्य राज्य अभी भी सहायक सेना पर निर्भर थे 

प्रश्न 11. मौर्य काल के प्रमुख ऐतिहासिक स्रोत क्या हैं ? 

उत्तर - मौर्य काल के संबंध में हमें अनेक ऐतिहासिक स्रोतों से जानकारी प्राप्त होती है । इनमें प्रमुख हैं मेगस्थनीज़ की इंडिका तथा कौटिल्य का अर्थशास्त्र । मेगस्थनीज़ की इंडिका चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल एवं उस समय के भारतीय समाज पर महत्त्वपूर्ण प्रकाश डालती है । कौटिल्य का अर्थशास्त्र मौर्य काल की राजनीति का विस्तृत वर्णन करता है । इनके अतिरिक्त विशाखदत्त का मुद्राराक्षस , जैन एवं बौद्ध ग्रंथ , पुराण , अभिलेख , भवन एवं स्मारक भी मौर्य काल पर काफी प्रकाश डालते हैं । 

प्रश्न 12 मेगस्थनीज़ कौन था इंडिका पर संक्षिप्त नोट लिखिए । 

उत्तर -मेगस्थनीज़ एक यूनानी था । उसे यूनानी शासक सेल्यूकस ने चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में अपने राजदूत के रूप में भेजा था । वह मौर्य शासन की राजधानी पाटलिपुत्र में लगभग 302 ई ० पू ० से 298 ई ० पू ० तक रहा । इस समय के दौरान उसने भारत के संबंध में जो कुछ आँखों देखा , उसका इंडिका नामक पुस्तक में वर्णन किया । यह सही है कि इस वृत्तांत में कुछ त्रुटियाँ हैं लेकिन फिर भी यह हमारे लिए मौर्य काल के इतिहास को जानने का बहुमूल्य स्रोत है । इससे हमें चंद्रगुप्त मौर्य एवं उसके महल , राजधानी , सैनिक एवं नागरिक प्रबंध तथा भारतीय समाज के संबंध में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है ।

प्रश्न 13. मेगस्थनीज़ ने भारतीय समाज के बारे में क्या लिखा है ? 

उत्तर - मेगस्थनीज़ के अनुसार उस समय भारतीय समाज सात वर्गों में विभाजित था । ब्राह्मणों तथा श्रमणों को समाज में सर्वोच्च स्थान प्राप्त था । उस समय लोगों का नैतिक स्तर बहुत ऊँचा था । वे सादा तथा ईमानदारी का जीवन व्यतीत करते थे । चोरी तथा डकैतियाँ बहुत कम होती थीं । वे माँस तथा मदिरा का कम प्रयोग करते थे । समाज में स्त्रियों की दशा अच्छी थी । उस समय दास प्रथा प्रचलित नहीं थी । 

प्रश्न 14. मेगस्थनीज़ ने मौर्य साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र के बारे में क्या वर्णन किया है ? 

उत्तर - मेगस्थनीज़ लिखता है कि पाटलिपुत्र जो कि उस समय मौर्य साम्राज्य की राजधानी थी उस समय भारत का सबसे बड़ा शहर था । यह गंगा और सोन नदियों के संगम के किनारे स्थित था । इसकी लंबाई 80 स्टेडिया और चौड़ाई 15 स्टेडिया थी । इस शहर के चारों ओर लकड़ी की दीवार थी जिसमें 64 द्वार और 570 बुर्ज थे । इस दीवार के चारों ओर एक बहुत बड़ी खाई थी जो सदा जल से भरी रहती थी। इसका प्रबंध 6 समितियों द्वारा किया जाता था । प्रत्येक समिति में पाँच सदस्य होते थे ।

प्रश्न 15. कौटिल्य कौन था ? 

उत्तर- कौटिल्य को विष्णुगुप्त अथवा चाणक्य के नाम से भी जाना जाता था । वह चंद्रगुप्त मौर्य का परामर्शदाता और प्रधानमंत्री था । उसके द्वारा लिखित महान् ग्रंथ ' अर्थशास्त्र ' राजनीति से संबंधित है । इसमें इसने राजा के कर्त्तव्य , मंत्रियों के गुण , युद्ध विधियाँ , कूटनीति के नियम , शासन व्यवस्था के सिद्धांत तथा अन्य राजनीतिक विषयों पर प्रकाश डाला है । यह ग्रंथ 15 भागों में विभाजित है और प्रत्येक भाग में शासन व्यवस्था से संबंधित भिन्न - भिन्न विषयों की जानकारी दी गई है । निस्संदेह अर्थशास्त्र मौर्य साम्राज्य का एक बहुमूल्य स्रोत है ।

प्रश्न 16. कौटिल्य ने राजा के क्या आदर्श बताये थे ? 

उत्तर - कौटिल्य के अनुसार राजा का सबसे महान् आदर्श प्रजा का कल्याण होना चाहिए । उसे प्रजा के कल्याण में ही अपना कल्याण समझना चाहिए । उसे वह नहीं करना चाहिए जो उसे अच्छा लगे , बल्कि वह करना चाहिए जो उसकी प्रजा को अच्छा लगे । उसे प्रजा की शिकायतें सुनने के लिए सदा तैयार रहना चाहिए तथा उनको दूर करने के लिए हर संभव प्रयत्न करना चाहिए । राजा का साम्राज्य में शांति - व्यवस्था को बनाए रखने और उसे सुरक्षित रखने के पूर्ण योग्य होना चाहिए । उसकी सेना शक्तिशाली होनी चाहिए ताकि राज्य का विस्तार भी किया जा सके ।

प्रश्न 17 मुद्राराक्षस का ऐतिहासिक महत्त्व क्या है ? 

उत्तर - मुद्राराक्षस की रचना गुप्त काल के प्रसिद्ध नाटककार विशाखादत्त ने की थी । इस ग्रंथ में उसने चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा कौटिल्य के सहयोग से नंद वंश के विनाश और मौर्य वंश की स्थापना का विस्तृत वर्णन किया है । इसके अतिरिक्त इस नाटक से हमें तत्कालीन सामाजिक , आर्थिक और धार्मिक दशा का ज्ञान प्राप्त होता है । यद्यपि इसमें कुछ बातें मनघडंत हैं , तथापि हम इसके ऐतिहासिक महत्त्व को अनदेखा नहीं कर सकते । 

प्रश्न 18. मौर्य काल के स्रोतों के रूप में शिलालेखों का महत्त्व बताओ । 

उत्तर - मौर्य काल के इतिहास को जानने के लिए अशोक के शिलालेख अमूल्य स्रोत हैं । ये शिलालेख चट्टानों और पत्थर के स्तंभों पर अंकित हैं । इन शिलालेखों से हमें अशोक के साम्राज्य के विस्तार , शासन - व्यवस्था , जन कल्याण के लिए किए गए कार्यों , राज्य कर्मचारियों को दिए गए निर्देशों , धम्म के सिद्धांतों , धम्म महामात्तों के कर्तव्यों , कलिंग के युद्ध , अशोक की धार्मिक सहिष्णुता , उसके चरित्र , बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए किये गए उसके यत्नों , लोगों की भाषा , शिक्षा के स्तर और मौर्य कला के संबंध में बड़ी महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है ।

प्रश्न 19. चंद्रगुप्त मौर्य ने किस प्रकार मौर्य वंश का शासन स्थापित किया ? 

उत्तर - चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने राज्य की स्थापना करने के लिए सबसे पहले उत्तर पश्चिम में स्थित पंजाब की ओर ध्यान दिया । पंजाब में सिकंदर द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि फिलिप्स की हत्या कर दी गई । ऐसी स्थिति से लाभ उठा कर चंद्रगुप्त मौर्य ने 322 ई ० पू ० में पंजाब पर आक्रमण कर दिया । इस पर उसने बड़ी सरलता से अधिकार कर लिया । पंजाब की विजय से प्रोत्साहित होकर चंद्रगुप्त मौर्य ने मगध की ओर ध्यान दिया । उस समय मगध का राजा धनानंद था । वह अपने अत्याचारों के कारण प्रजा में बहुत कुख्यात था । इस कारण चंद्रगुप्त मौर्य ने मगध पर आक्रमण कर दिया और विजय प्राप्त की । चंद्रगुप्त मौर्य ने पाटलिपुत्र में अपना राज्याभिषेक किया । 

प्रश्न 20. चंद्रगुप्त मौर्य के सेल्यूकस से युद्ध का वर्णन कीजिए । 

उत्तर - चंद्रगुप्त मौर्य की सबसे महत्त्वपूर्ण लड़ाई सेल्यूकस के साथ हुई । सेल्यूकस सिकंदर का एक महान् सेनापति था और उसने पश्चिम तथा मध्य एशिया के कई महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया था । अपने राज्य का और विस्तार करने के लिए सेल्यूकस ने 305 ई ० पू ० में भारत पर आक्रमण कर दिया । इल लड़ाई में चंद्रगुप्त ने सेल्यूकस को हरा दिया । दोनों के मध्य हुई संधि के अनुसार सेल्यूकस ने अपने चार प्रांत काबुल , कंधार , हिरात तथा बलूचिस्तान चंद्रगुप्त को सौंप दिए । उसने अपनी पुत्री का विवाह चंद्रगुप्त से कर दिया और उसके दरबार मेगस्थनीज़ को राजदूत बना कर भेजा । चंद्रगुप्त ने सम्मानार्थ 500 हाथी सेल्यूकस को भेट किए । यह चंद्रगुप्त एक महान् विजय थी । 

प्रश्न 21. बिंदुसार के बारे में आप क्या जानते हैं ? 

उत्तर -298 ई ० पू ० चंद्रगुप्त मौर्य की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र बिंदुसार 298 ई ० पू ० राज्य - सिंहासन पर बैठा । उसने 273 ई ० पू ० तक शासन किया । उसके शासनकाल के संबंध में हमें कोई विशेष जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई है । उसने विदेशी राज्यों से मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित किए । यूनानी शासक एंटीओक्स ने उसके दरबार में डीमेक्स को अपना राजदूत बनाकर भेजा । इसी प्रकार मिस्र के सम्राट् टाल्मी फिलाडेल्फस द्वितीय ने उसके दरबार में डायोनीसियस को अपना राजदूत बनाकर भेजा । 273 ई ० पू ० में बिंदुसार की मृत्यु हो गई । 

प्रश्न 22 कलिंग युद्ध के बारे में आप क्या जानते हैं ?

उत्तर - अशोक ने अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए 261 ई ० पू ० में कलिंग पर आक्रमण किया । यह युद्ध बहुत भयंकर था । इसमें 1 लाख व्यक्ति मारे गए तथा 11 लाख को बंदी बना लिया गया । इस युद्ध में अशोक की विजय हुई तथा कलिंग को मौर्य साम्राज्य में शामिल कर लिया गया । इस युद्ध में हुए भयंकर खून - खराबे से अशोक के दिल पर गहरा प्रभाव पड़ा । इसलिए अशोक ने युद्धों को सदा के लिए त्याग दिया । इसके पश्चात् उसने प्रदेशों की अपेक्षा लोगों के मन को जीतने का निर्णय किया । 

प्रश्न 23. कालिंग के युद्ध का अशोक पर क्या प्रभाव पड़े ? 

उत्तर- ( i ) अशोक ने युद्ध नीति का सदैव के लिए त्याग कर दिया । 

( ii ) अशोक ने धम्म की स्थापना की एवं इसका प्रसार किया । 

( iii ) अशोक कलिंग युद्ध से इतना प्रभावित हुआ कि उसने बौद्ध धर्म को अपना लिया । उसने अपने अथक प्रयासों से इसे विश्व का एक लोकप्रिय धर्म बना दिया । 

( iv ) अशोक ने कलिंग युद्ध के पश्चात् अपना संपूर्ण जीवन लोग भलाई कार्यों में लगा 

( v ) अशोक ने शिकार खेलना एवं माँस खाना बंद कर दिया ।

प्रश्न 24. मौर्य काल में राजा की स्थिति किस प्रकार थी ? 

उत्तर- ( i ) राजा शासन का सर्वोच्च अधिकारी था । 

( ii ) उसके मुख से निकला प्रत्येक शब्द कानून समझा जाता था । 

( iii ) वह राज्य के सभी महत्त्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियाँ करता था । 

( iv ) वह किसी भी अपराधी को कड़े - से - कड़ा दंड दे सकता था या उसे कम या क्षमा कर सकत था 

( v ) केवल राजा को ही किसी के साथ युद्ध करने अथवा संधि करने का अधिकार था । 

प्रश्न 25. मौर्य साम्राज्य का प्रांतीय प्रबंध किस प्रकार का था ? 

उत्तर - चंद्रगुप्त मौर्य ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी । इसलिए उसने शासन की कुशलता के लिए अपने साम्राज्य को चार प्रांतों में विभक्त किया था । इन प्रांतों के नाम थे- ( 1 ) मगध ( 2 ) उत्तर - पश्चिमी प्रांत गंधार ( 3 ) पूर्वी प्रांत अवंति । ( 4 ) दक्षिणी प्राँत । अशोक ने कलिंग को विजित कर उसे मौर्य साम्राज्य का पाँचवां प्राँत बनाया । इसकी राजधानी का नाम तोसलि था । प्रांत के मुखिया को ' कुमार ' कहा जाता था । प्रायः राजकुमारों को ही इस पद पर नियुक्त किया जाता था । उनका मुख्य कार्य अपने प्रांत में शांति बनाए रखना और वहाँ के लोगों के कल्याण के लिए काम करना था । उन्हें सहयोग देने के लिए बहुत - से अन्य अधिकारी नियुक्त किए जाते थे ।

प्रश्न 26. मौर्य साम्राज्य में नगर प्रबंध की मुख्य विशेषताएँ क्या थी ? 

उत्तर- मौर्य काल में बड़े - बड़े नगरों , जैसे पाटलिपुत्र , तक्षशिला और उज्जैन आदि के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी । नगर के मुखिया को नगर अध्यक्ष कहते थे । उसकी सहायता के लिए 30 सदस्यों की एक समिति नियुक्त की थी । इसकी 6 समितियाँ थीं और प्रत्येक समिति में 5 सदस्य होते थे । ये समितियाँ शिल्पकारों , कारखानों , विदेशियों के हितों , जन्म तथा मृत्यु का व व्यापार संबंधी नियमों तथा बिक्री कर को एकत्रित करने का कार्य करती थीं । इसके अतिरिक्त ये समितियाँ संयुक्त रूप में लोक - कल्याण से संबंधित संस्थाओं का प्रबंध करती थीं । 

प्रश्न 27. मौर्य साम्राज्य का गुप्तचर प्रबंध कैसा था ? 

उत्तर - मौर्य शासकों की सफलता का आधार उनका बढ़िया गुप्तचर प्रबंध था । चंद्रगुप्त मौर्य ने सारे साम्राज्य में गुप्तचरों का जाल फैला दिया था । वे राजकुमारों , सरकारी अफसरों , साधारण जनता के कार्यों और विदेशों की घटनाओं से संबंधित गुप्त सूचनाएँ सम्राट् को भेजते थे । जो गुप्तचर एक स्थान पर रह कर कार्य करते थे , उन्हें संस्था और जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते थे , उन्हें संचार कहा जाता था । गुप्तचर विभाग में स्त्रियों को भी नियुक्त किया जाता था । वे जानकारी एकत्रित करने में पुरुषों से भी अधिक निपुण थीं । 

प्रश्न 28. मौर्य साम्राज्य के सैनिक प्रबंध के बारे में आप क्या जानते हैं ? 

उत्तर- मौर्य राजाओं ने अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए और उसे विदेशी आक्रमणों से सुरक्षित रखने के लिए विशाल सेना का प्रबंध किया । चंद्रगुप्त मौर्य के सैनिकों की कुल संख्या 6,90,000 थी । मौर्य सेना के मुख्य अंग पैदल , घुड़सवार , हाथी और रथ थे । इन सैनिकों को अच्छा वेतन दिया जाता था । सैनिकों के अच्छे प्रबंध के लिए मौर्य शासकों ने 30 सदस्यों की एक समिति नियुक्त की थी । यह समिति समुद्री जहाजों , यातायात के साधनों , पैदल सैनिकों , घुड़सवार सैनिकों , हाथियों और रथों का प्रबंध करती थी । सैनिकों के मुख्य शस्त्र तीर कमान , तलवारें , त्रिशूल , ढालें और भाले आदि होते थे । 

प्रश्न 29 अशोक के धम्म के प्रमुख सिद्धांत क्या थे ? 

उत्तर - हमें अपनों से बड़ों का सम्मान करना चाहिए तथा छोटों से प्रेम करना चाहिए । हमें सदैव सत्य बोलना चाहिए । हमें अहिंसा की नीति का पालन करना चाहिए । हमें निर्धनों एवं संतों को दान देना चाहिए । हमारा जीवन सादा तथा पवित्र होना चाहिए । हमें व्यर्थ के रीति - रिवाजों को छोड़ना चाहिए । हमें दूसरे धर्मों के प्रति सहनशीलता की नीति अपनानी चाहिए । मनुष्य को उसके कर्मों का फल अवश्य मिलता है । अच्छे कर्मों द्वारा ही मनुष्य स्वर्ग की प्राप्ति कर सकता है ।

प्रश्न 30. अशोक ने अपने धम्म के प्रसार के लिए क्या कदम उठाए ? 

उत्तर - अशोक ने धम्म के प्रसार के लिए निम्नलिखित कदम उठाए -

( i ) उसने धम्म के सिद्धांतों के अनुसार अपना जीवन ढाल कर लोगों के समक्ष एक उदाहरण प्रस्तुत की । 

( ii ) उसने धम्म के प्रचार के लिए धम्म यात्राएँ कीं । 

( iii ) उसने धम्म के सिद्धांतों को शिलालेखों पर अंकित करवाया ताकि लोग इन्हें पढ़ सकें । 

( iv ) उसने धम्म के प्रचार के लिए धम्म महामात्तों की नियुक्ति की । 

प्रश्न 31. अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए क्या प्रयल किये ?  

उत्तर- अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए इसको राज्य धर्म घोषित किया । उसने स्वयं इस धर्म को अपनाया । उसने बौद्ध धर्म से संबंधित महत्त्वपूर्ण स्थानों की यात्राएँ कीं । उसने धम्म महामात्त नामक अधिकारियों को नियुक्त किया । उसने बौद्ध विहारों तथा मठों का निर्माण करवाया । उसने पाटलिपुत्र में बौद्धियों की तीसरी महासभा आयोजित की । उसने बौद्ध धर्म के विदेशों में प्रचार के उद्देश्य से बौद्ध प्रचारकों को भेजा । 

प्रश्न 32. अभिलेखशास्त्रियों की कुछ समस्याओं की सूची बनाइए । 

उत्तर- ( i ) अभिलेखों पर कभी - कभी अक्षरों को बहुत हलके ढंग से उत्कीर्ण किया जाता है जिन्हें पढ़ना कठिन होता है । 

( ii ) अभिलेख नष्ट हो जाते हैं जिस कारण उन पर उत्कीर्ण अक्षर लुप्त हो जाते हैं । 

( iii ) अभिलेखों की भाषा को जानना तथा उनके अर्थों को समझना कठिन था । 

( iv ) कभी - कभी एक ही घटना को विभिन्न अभिलेखों में अलग - अलग दर्शाया जाता है । अत : वास्तविक घटना के स्वरूप को जानना कठिन होता है ।

( v ) अभिलेखों में सदैव उन्हीं व्यक्तियों का वर्णन किया जाता था जो इसको बनवाते थे । इनमें जनसाधारण के बारे में कोई जानकारी नहीं होती थी । 

प्रश्न 33. अशोक की महानता के क्या कारण थे ? 

उत्तर - अशोक ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की । उसने एक उच्चकोटि का शासन प्रबंध लागू किया । इसका प्रमुख उद्देश्य प्रजा का कल्याण करना था । उसने विभिन्न धर्मों के लोगों में एकता स्थापित करने के लिए धम्म की स्थापना की । इसमें सभी प्रमुख धर्मों के अच्छे सिद्धांतों को सम्मिलित किया गया था उसने बौद्ध धर्म का न केवल भारत में ही बल्कि विदेशों में भी प्रचार किया । उसके शासनकाल में कला , शिक्षा तथा साहित्य के क्षेत्रों में अद्वितीय प्रगति हुई । उसने युद्धों को सदा के लिए त्याग दिया । उसने पड़ोसी राज्यों से मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित किए ।  

प्रश्न 34. मौर्यों का आर्थिक जीवन कैसा था ? 

उत्तर - मौर्य काल में लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था । मौर्य शासकों ने कृषि को उत्साहित करने के लिए किसानों को विशेष सुविधाएँ प्रदान की । अत : इस काल में फ़सलों का भरपूर उत्पादन होता था । इस काल की प्रमुख फ़सलें चावल , गेहूँ , जौ , कपास तथा गन्ना थीं । इस काल में उद्योग व्यवसाय भी बहुत उन्नत था । इस काल का कपड़ा उद्योग सबसे लोकप्रिय था । इस काल में बहुत - से कबीले पशु पालन का कार्य करते थे । मौर्य काल में आंतरिक तथा विदेशी व्यापार बहुत उन्नत था । परिणामस्वरूप लोगों का आर्थिक जीवन बहुत समृद्ध था । 

प्रश्न 35. मौर्य साम्राज्य ने व्यापार और वाणिज्य को किस तरह बढ़ावा दिया ? 

उत्तर - मौर्य काल में आंतरिक तथा बाह्य व्यापार बहुत उन्नत था । व्यापार जल तथा स्थल मार्गों से किया जाता था । मौर्य साम्राज्य का अधिकाँश व्यापार सीरिया , मिस्र , रोम , यूनान तथा दक्षिण - पूर्वी एशिया के देशों के साथ होता था । मौर्य साम्राज्य के प्रमुख व्यापारिक केंद्र तक्षशिला , उज्जैन , कौशांबी तथा पाटलिपुत्र थे । मौर्य साम्राज्य से विदेशों को हीरे , मोती , सुगंधित वस्तुएँ , सूती तथा रेशमी वस्त्र , हाथी दाँत , लकड़ी का सामान , औषधियाँ , गर्म मसाले और नील आदि निर्यात किया जाता था । भारत विदेशों से सोना , चाँदी , मूल्यवान रत्न आदि वस्तुओं का आयात करता था ।

प्रश्न 36. मौर्य काल में कला के क्षेत्र में क्या विकास हुआ ? 

उत्तर-मौर्य काल में कला के क्षेत्र में काफी उन्नति हुई । मौर्य शासकों को भवन - निर्माण कला से बहुत प्रेम था । विदेशी यात्री पाटलिपुत्र में बने शाही महल को देख कर चकित रह गए थे । उनका विचार था कि इसको मनुष्यों ने नहीं अपितु देवताओं ने बनाया है । अशोक ने भवनों की मजबूती के लिए लकड़ी के स्थान पर पत्थरों का प्रयोग करना आरंभ कर दिया था । अशोक ने बड़ी संख्या में स्तूपों का निर्माण करवाया । इनमें साँची का स्तूप अपनी उत्तम कला के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध था । मौर्य काल में आभूषण बनाने की कला ने भी अद्वितीय विकास किया । 

 प्रश्न 37. मौर्य साम्राज्य के पतन के किन्हीं तीन कारणों का वर्णन कीजिए ।

उत्तर -मौर्य साम्राज्य के पतन के लिए कई कारण उत्तरदायी थे । अशोक के उत्तराधिकारी दुर्बल निकले । राजमहल साजिशों का केंद्र बन गया । इस कारण राज्य की स्थिति डावाँडोल होनी आरंभ हो गई । अशोक की मृत्यु के पश्चात् मौर्य साम्राज्य में हर स्थान पर विद्रोह होने आरंभ हो गए । यातायात के साधनों की कमी होने के कारण इन पर नियंत्रण करना बहुत कठिन हो गया था । राज्य का कोष खाली होने के कारण प्रशासनिक प्रबंध में काफी शिथिलता आ गई थी । विदेशी आक्रमणों ने डगमगाते हुए मौर्य साम्राज्य को एक गहरी चोट पहुँचायी ।

प्रश्न 38. बताएं कि भारतीय इतिहास में मौर्य साम्राज्य का क्या महत्त्व है ? 

उत्तर- ( i ) मौर्य शासकों ने प्रथम बार भारत में एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की । 

( ii ) मौर्य शासकों ने एक उच्चकोटि के शासन प्रबंध की स्थापना की ।

( iii ) मौर्य शासकों ने कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया । 

( iv ) मौर्य शासकों ने शिक्षा के प्रसार के लिए खुले दिल से संरक्षण दिया । 

( v ) मौर्य शासकों ने आंतरिक व बाह्य व्यापार को प्रोत्साहन दिया । 

प्रश्न 39. शुंग वंश का भारतीय इतिहास में क्या महत्त्व है ? 

उत्तर-शुंग वंश की स्थापना से भारतीय इतिहास में एक नए युग का सूत्रपात हुआ । इस वंश के शासकों ने यवनों को पराजित करके भारत को विदेशी राज्य के अधीन होने से बचाया । उन्होंने विघटनकारी शक्तियों को नियंत्रण में रखा । इसके अतिरिक्त उन्होंने भारतीय राजनीतिक जीवन को नए ढंग से संगठित किया । क्योंकि शुंग शासक हिंदू धर्म को मानते थे , इसलिए उनके काल में हिंदू धर्म का विकास हुआ । संस्कृत को राज - दरबार की भाषा घोषित किए जाने से इस भाषा ने एक बार फिर अपना गौरवमयी स्थान प्राप्त कर लिया । शुंग शासक कला एवं साहित्य के बड़े संरक्षक थे । परिणामस्वरूप उनके काल में इन दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय प्रगति हुई । 

प्रश्न 40. खारवेल को चेदि वंश का सबसे महत्त्वपूर्ण शासक क्यों माना जाता है ? 

उत्तर - राजा खारवेल उड़ीसा का सबसे महान् राजा था । वह लगभग 24 वर्ष की आयु में कलिंग के सिंहासन पर बैठा था । वह एक महान् विजेता था । उसने दक्षिण में पांड्य राज्य को और उत्तर में मगध तथा अंग राज्य को अपने अधिकार में कर लिया था । इस प्रकार उसने एक विशाल साम्राज्य स्थापित कर लिया था । वह जैन धर्म का बड़ा संरक्षक था परंतु वह अन्य धर्मों के प्रति भी सहिष्णु था । उसने अपनी प्रजा के कल्याण हेतु कई सराहनीय कार्य किए । उसके शासनकाल में संगीत कला के क्षेत्र में काफी विकास हुआ । उसने अपने राज्य कलिंग को बहुत - सुंदर महलों , उद्यानों तथा फव्वारों से सजाया था ।

0 comments: