🔹 उपभोक्ता :- एक उपभोक्ता वह होता है जो अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए मुद्रा व्यय करके वस्तुओं और सेवाओं का उपभोग करता है ।
🔹 उत्पादक :- वह है जो आय के सृजन के लिए वस्तुओं व सेवाओं का उत्पादन करता है ।
🔹 सेवाप्रदाता :- वह है जो किसी को भुगतान के बदले में किसी किस्म की सेवा प्रदान करता है ।
🔹 सेवाधारक :- वह है जो किसी अन्य व्यक्ति के लिए कार्य करता है और इसके लिए मजदूरी या वेतन के रुप में भुगतान प्राप्त करता है ।
🔹 गतिविधियाँ :-
( 1 ) आर्थिक गतिविधियाँ
( 2 ) गैर आर्थिक गतिविधियाँ
🔹 आर्थिक गतिविधियाँ :- वे सभी गतिविधियाँ जो अर्थव्यवस्था में आय के प्रवाह में वृद्धि करती है , आर्थिक गतिविधियाँ कहलाती है । उदाहरणः उत्पादन , उपभोग आदि ।
🔹 गैर आर्थिक गतिविधियाँ :- वे सभी गतिविधियाँ जो अर्थव्यवस्था में आय के प्रवाह में वृद्धि नहीं करती है , गैर आर्थिक गतिविधियाँ कहलाती है । उदाहरणः रक्तदान ।
🔹 उत्पादन के चार कारक ( साधन ) हैं एवं जिनके मूल्य निम्नलिखित हैं :-
( i ) भूमि : भूमि से प्राप्त होता है - किराया |
( ii ) श्रम : श्रम से प्राप्त होता है - मजदूरी |
( iii ) पूँजी : पूँजी से प्राप्त होता है - ब्याज |
( iv ) उद्यम : उद्यम से प्राप्त होता है - लाभ | उपभोग , उत्पादन एवं वितरण ये तीन अर्थशास्त्र के मुख्य घटक भी हैं ।
🔹 विनिमय ( Exchange ) :- विनिमय एक आर्थिक क्रिया है जिसमें वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद - बिक्री से सम्बंधित है | आजकल विनिमय की क्रिया मुद्रा के द्वारा की जाती है ।
🔹 दुर्लभता :- दुर्लभता से अभिप्रायः उस अवस्था से है , जिसमें किसी वस्तु सेवा या संसाधन की पूर्ति , उसकी मांग की तुलना में कम होती है ।
🔹 आर्थिक समस्या ( Economical Problems ) :- आर्थिक समस्या एक चयन की समस्या है जो यह बतलाते हैं कि हमारी आवश्यकताओं की तुलना में संसाधन दुर्लभ है और इनके वैकल्पिक उपयोग है ।
संसाधनों के दुर्लभ होने के कारण हमें आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है । और अर्थशास्त्र इन्ही आर्थिक समस्याओं का हल निकालने का एक विज्ञानं अथवा एक कला है ।
📚📚 सांख्यिकी 📚📚
🔹 परिभाषाः- वह विज्ञान जिसमें संख्यात्मक विश्लेषण की विभिन्न विधियों का अध्ययन करते हैं , सांख्यिकी कहा जाता है । जैसे :-
➡️ सांख्यिकी में केवल संख्यात्मक तथ्यों का अध्यनन किया जाता है
➡️ " इसमें गुणात्मक तथ्यों का अध्ययन नहीं किया जाता है ।
➡️ " सांख्यिकी संख्यात्मक सूचनाओं का भंडार है ।
🔹 सांख्यिकी के जन्मदाताः- जर्मनी के एक प्रसिद्ध विद्वान गाटफ्रायड ओकेनवाल ( Gottfried Achenial ) 1749 में |
सांख्यिकी को दो अर्थों में परिभाषित किया जा सकता है
सांख्यिकी
एक वचन के रुप में
बहुवचन के रुप में
🔹एकवचन के रूप में सांख्यिकी :- एक वचन के रूप में सांख्यिकी वह विज्ञान है जो किसी विषय पर प्रकाश डालने के उद्देश्य से संग्रह किए गए आकड़ों के संग्रहण , वर्गीकरण , प्रदर्शन , तुलना और व्याख्या करने की विधियों का विवेचन करता है ।
🔹 बहुवचन के रूप में सांख्यिकी :- बहुवचन के रूप में सांख्यिकी से अभिप्रायः संख्यात्मक तथ्यों के समूह है , जिन्हें एक - दूसरे से संबंधित रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है तथा जो पर्याप्त सीमा तक अनेक प्रकार के कारणों से प्रभावित होते हैं ।
सांख्यिकी आँकड़े
परिमाणात्मक आँकडे
- छात्रों के अंक
- व्यक्तियों की ऊँचाई
गुणात्मक आँकड़े
- सुंदरता
- ईमानदारी
🔹 सांख्यिकी के कार्य :-
1. जटिल तथ्यों को सरल करना ।
2. तथ्यों को निश्चित स्वरुप में प्रस्तुत करना ।
3. नीति निर्माण में सहायता करना ।
4. पूर्वानुमान में सहायता करना ।
5. तथ्यों की तुलना करना ।
6. व्यक्तिगत ज्ञान और अनुभव को बढ़ाना ।
🔹 अर्थशास्त्र में सांख्यिकी का महत्व :-
1. अर्थशास्त्र की प्रत्येक शाखा अपने विभिन्न आर्थिक सिद्धांतों को मिलने लिए सांख्यिकी से सहायता लेती है ।
2. आर्थिक समस्या को समझने और हल करने में सहायता करता है ।
3. बाजार संरचनाओं का अध्ययन करने में सहायता करती है ।
4. गणितीय संबंध स्थापित करने में सहायता करती है ।
5. विभिन्न आर्थिक अवधारणाओं के व्यवहार के अध्ययन में सहायक हैं ।
🔹 सांख्यिकी का क्षेत्र :-
आज के युग में सांख्यिकी का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया है । ऐसा कोई क्षेत्र प्रतीत नहीं होता जहाँ सांख्यिकी का प्रयोग न होता है । विभिन्न क्षेत्रों में सांख्यिकी का प्रयोग होता है ।
सभी क्षेत्रों जैसे बैंकिग राजनीति , आर्थिक अनुसंधान , व्यवसाय आदि में सांख्यिकी का प्रयोग होता है । सरकार को कुशल प्रशासन ओर नीति निर्माण के लिए भी सांख्यिकी की आवश्यकता होती है ।
🔹 सांख्यिकी की सीमाएँ :-
1 . गुणात्मक घटनाओं का अध्ययन नहीं करती ।
2 . व्यक्तिगत इकाईयों से सरोकार नहीं रखती ।
3 . निष्कर्ष केवल औसत रुप में सत्य होते है ।
4 . केवल विशेषज्ञ ही इसका सर्वोत्तम प्रयोग कर सकते हैं ।
5 . सांख्यिकी आँकड़े एक समान और समरुप होने चाहिए ।
6 . सांख्यिकी का दुरुपयोग हो सकता है ।
महत्वपूर्ण प्रश्न :-
1 . अर्थशास्त्र में सांख्यिकी का क्या महत्व है ?
उ० अनेक आर्थिक समस्याओं को सांख्यिकी की सहायता से समझा जा सकता है । यह आर्थिक नीतियों के निर्माण में सहायक है । अर्थशास्त्र के विभिन्न क्षेत्रों में सांख्यिकी का महत्व इस प्रकार है ।
1 ) उपभोग के अन्तर्गत सांख्यिकी : - भिन्न - भिन्न आय वाले व्यक्ति अपनी आय का प्रयोग किस प्रकार करते हैं , यह हम उपभोग सम्बन्धी आँकड़ों के द्वारा जान सकते हैं । उपभोग सम्बन्धी आँकडे व्यक्तियों को अपना बजट बनाने एवं जीवन स्तर को सधारने में उपयोगी एवं सहायक सिद्ध होते हैं ।
2 ) उत्पादन के अन्तर्गत सांख्यिकी : - सांख्यिकी की सहायता से उत्पादन प्रक्रियाओं का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है । उत्पादन सम्बन्धी आँकड़े मांग तथा पूर्ति में सामंजस्य स्थापित करने में उपयोगी एवं सहायक हैं क्योंकि इनके आधार पर वस्तु के उत्पादन की मात्रा को निर्धारित किया जाता है ।
3 ) वितरण के अन्तर्गत सांख्यिकी : - उत्पादन के विभिन्न कारकों ( भूमि , श्रम , पूंजी और उद्यम ) के मध्य राष्ट्रीय आय के वितरण की समस्या का समाधान करने में सांख्यिकी विधियों का प्रयोग किया जाता है ।
2 . सांख्यिकी के महत्वपूर्ण कार्यों का वर्णन कीजिये ?
उ० सांख्यिकी महत्वपूर्ण कार्य करती है जो कि इस प्रकार है
1 ) आर्थिक समस्या को समझने में सहायक : - किसी अर्थशास्त्री के लिये सांख्यिकी एक ऐसा अपरिहार्य साधन है जो किसी आर्थिक समस्या को समझने में उसकी सहायता करता है । इसकी विभिन्न आर्थिक विधियों का प्रयोग करते हये किसी आर्थिक समस्या के कारणों को मात्रात्मक तथ्यों की सहायता से खोजने का प्रयास किया जाता है ।
2 ) तथ्यों को निश्चित रुप में प्रस्तुत करने योग्य बनाता है : - जब आर्थिक तथ्यों को सांख्यिकीय रुप में व्यक्त किया जाता है तब वे यथार्थ तथ्य बन जाते हैं । यथार्थ तथ्य अस्पष्ट कथनों की अपेक्षा अधिक विश्वसनीय होते हैं । तथा उन्हें सही प्रकार से समझा जा सकता है ।
3 ) सांख्यिकी आँकड़ों को संक्षिप्त रुप में प्रस्तुत करती है - सांख्यिकी ऑकड़ों के समूह को कुछ संख्यात्मक मापों ( जैसे माध्य , प्रसरण आदि के रुप में संक्षिप्त करने में सहायता करती है । ये संख्यात्मक मापा आँकड़ों के संक्षिप्तीकरण में सहायता करते हैं । उदाहरण के लिए यदि किसी समूह में लोगों की संख्या बहुत अधिक है , तो उन सबकी आय को याद रख पाना असंभव है । फिर सांख्यिकीय रुप से प्राप्त संक्षिप्त अंको । जैसे औसत आय को याद रखना आसान है । इस प्रकार सांख्यिकी के द्वारा आँकड़ों के समूह के विषय में सार्थक एवं समग्र सूचनाएं प्रस्तुत की । जाती है ।
4 ) सांख्यिकी आर्थिक कारकों के मध्य संबंधों की स्थापना करती है - सांख्यिकी का प्रयोग विभिन्न आर्थिक कारकों के बीच संबंधों को ज्ञात करने के लिए किया जाता है । किसी अर्थशास्त्री की रुचि यह जानने में हो सकती है कि जब किसी वस्तु की कीमत में कमी अथवा वृद्धि होती है । तो उसकी मांग पर क्या प्रभाव पड़ता है । ऐसे प्रश्नों का उत्तर तभी दिया जा सकता है जब विभिन्न आर्थिक घटकों के बीच किसी प्रकार का परस्पर संबंध विद्यमान हो । उनमें इस प्रकार का कोई परस्पर संबंध विद्यमान है या नहीं , इसे सांख्यिकीय विधियों का प्रयोग करके सरलता से पता लगाया जा सकता है ।
5 ) सांख्यिकी आर्थिक योजनाओं एवं नीतियों के निर्माण में सहायता करती है : - सांख्यिकी विधियां ऐसी उपयुक्त आर्थिक नीतियों के निर्माण में सहायता देती है जिनके द्वारा आर्थिक समस्याओं का समाधन हो सकता है।