Class 11 Economics Chapter 1 परिचय - सांख्यिकी (Economics Introduction to Micro Economics) Notes In Hindi

अध्याय - 1

परिचय - सांख्यिकी


🔹 अर्थशास्त्र :- कोई व्यक्ति या समाज अपने वैकल्पिक प्रयोग वाले दुर्लभ ससाधनो का प्रयोग अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए तथा उनका वितरण समाज में विभिन्न व्यक्तियों और समुहों के बीच उपभोग के लिए कैसे करें , इसका अध्ययन अर्थशास्त्र के अंतर्गत किया जाता है । 


🔹 उपभोक्ता :- एक उपभोक्ता वह होता है जो अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए मुद्रा व्यय करके वस्तुओं और सेवाओं का उपभोग करता है । 

🔹 उत्पादक :- वह है जो आय के सृजन के लिए वस्तुओं व सेवाओं का उत्पादन करता है । 

🔹 सेवाप्रदाता :- वह है जो किसी को भुगतान के बदले में किसी किस्म की सेवा प्रदान करता है । 

🔹 सेवाधारक :- वह है जो किसी अन्य व्यक्ति के लिए कार्य करता है और इसके लिए मजदूरी या वेतन के रुप में भुगतान प्राप्त करता है । 

🔹 गतिविधियाँ :-

( 1 ) आर्थिक गतिविधियाँ 
( 2 ) गैर आर्थिक गतिविधियाँ 

🔹 आर्थिक गतिविधियाँ :- वे सभी गतिविधियाँ जो अर्थव्यवस्था में आय के प्रवाह में वृद्धि करती है , आर्थिक गतिविधियाँ कहलाती है । उदाहरणः उत्पादन , उपभोग आदि । 

🔹 गैर आर्थिक गतिविधियाँ :- वे सभी गतिविधियाँ जो अर्थव्यवस्था में आय के प्रवाह में वृद्धि नहीं करती है , गैर आर्थिक गतिविधियाँ कहलाती है । उदाहरणः रक्तदान ।

🔹 उत्पादन के चार कारक ( साधन ) हैं एवं जिनके मूल्य निम्नलिखित हैं :- 

( i ) भूमि : भूमि से प्राप्त होता है - किराया | 
( ii ) श्रम : श्रम से प्राप्त होता है - मजदूरी | 
( iii ) पूँजी : पूँजी से प्राप्त होता है - ब्याज | 
( iv ) उद्यम : उद्यम से प्राप्त होता है - लाभ | उपभोग , उत्पादन एवं वितरण ये तीन अर्थशास्त्र के मुख्य घटक भी हैं । 

🔹 विनिमय ( Exchange ) :- विनिमय एक आर्थिक क्रिया है जिसमें वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद - बिक्री से सम्बंधित है | आजकल विनिमय की क्रिया मुद्रा के द्वारा की जाती है ।

🔹 दुर्लभता :- दुर्लभता से अभिप्रायः उस अवस्था से है , जिसमें किसी वस्तु सेवा या संसाधन की पूर्ति , उसकी मांग की तुलना में कम होती है । 

🔹 आर्थिक समस्या ( Economical Problems ) :- आर्थिक समस्या एक चयन की समस्या है जो यह बतलाते हैं कि हमारी आवश्यकताओं की तुलना में संसाधन दुर्लभ है और इनके वैकल्पिक उपयोग है । 

संसाधनों के दुर्लभ होने के कारण हमें आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है । और अर्थशास्त्र इन्ही आर्थिक समस्याओं का हल निकालने का एक विज्ञानं अथवा एक कला है ।

📚📚 सांख्यिकी 📚📚

🔹 परिभाषाः- वह विज्ञान जिसमें संख्यात्मक विश्लेषण की विभिन्न विधियों का अध्ययन करते हैं , सांख्यिकी कहा जाता है । जैसे :-

➡️ सांख्यिकी में केवल संख्यात्मक तथ्यों का अध्यनन किया जाता है 

➡️  " इसमें गुणात्मक तथ्यों का अध्ययन नहीं किया जाता है । 

➡️ " सांख्यिकी संख्यात्मक सूचनाओं का भंडार है । 

🔹 सांख्यिकी के जन्मदाताः- जर्मनी के एक प्रसिद्ध विद्वान गाटफ्रायड ओकेनवाल ( Gottfried Achenial ) 1749 में |

सांख्यिकी को दो अर्थों में परिभाषित किया जा सकता है 

सांख्यिकी 
एक वचन के रुप में 
बहुवचन के रुप में

🔹एकवचन के रूप में सांख्यिकी :- एक वचन के रूप में सांख्यिकी वह विज्ञान है जो किसी विषय पर प्रकाश डालने के उद्देश्य से संग्रह किए गए आकड़ों के संग्रहण , वर्गीकरण , प्रदर्शन , तुलना और व्याख्या करने की विधियों का विवेचन करता है । 

🔹 बहुवचन के रूप में सांख्यिकी :- बहुवचन के रूप में सांख्यिकी से अभिप्रायः संख्यात्मक तथ्यों के समूह है , जिन्हें एक - दूसरे से संबंधित रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है तथा जो पर्याप्त सीमा तक अनेक प्रकार के कारणों से प्रभावित होते हैं । 

सांख्यिकी आँकड़े 
परिमाणात्मक आँकडे 
- छात्रों के अंक 
- व्यक्तियों की ऊँचाई 

गुणात्मक आँकड़े 
- सुंदरता 
- ईमानदारी 

🔹 सांख्यिकी के कार्य :-

1. जटिल तथ्यों को सरल करना ।
2. तथ्यों को निश्चित स्वरुप में प्रस्तुत करना । 
3. नीति निर्माण में सहायता करना । 
4. पूर्वानुमान में सहायता करना । 
5. तथ्यों की तुलना करना । 
6. व्यक्तिगत ज्ञान और अनुभव को बढ़ाना । 


🔹 अर्थशास्त्र में सांख्यिकी का महत्व :-

1. अर्थशास्त्र की प्रत्येक शाखा अपने विभिन्न आर्थिक सिद्धांतों को मिलने लिए सांख्यिकी से सहायता लेती है । 
2. आर्थिक समस्या को समझने और हल करने में सहायता करता है । 
3. बाजार संरचनाओं का अध्ययन करने में सहायता करती है । 
4. गणितीय संबंध स्थापित करने में सहायता करती है । 
5. विभिन्न आर्थिक अवधारणाओं के व्यवहार के अध्ययन में सहायक हैं ।

🔹 सांख्यिकी का क्षेत्र :-

आज के युग में सांख्यिकी का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया है । ऐसा कोई क्षेत्र प्रतीत नहीं होता जहाँ सांख्यिकी का प्रयोग न होता है । विभिन्न क्षेत्रों में सांख्यिकी का प्रयोग होता है । 

सभी क्षेत्रों जैसे बैंकिग राजनीति , आर्थिक अनुसंधान , व्यवसाय आदि में सांख्यिकी का प्रयोग होता है । सरकार को कुशल प्रशासन ओर नीति निर्माण के लिए भी सांख्यिकी की आवश्यकता होती है ।

🔹 सांख्यिकी की सीमाएँ :-

1 . गुणात्मक घटनाओं का अध्ययन नहीं करती । 
2 . व्यक्तिगत इकाईयों से सरोकार नहीं रखती । 
3 . निष्कर्ष केवल औसत रुप में सत्य होते है । 
4 . केवल विशेषज्ञ ही इसका सर्वोत्तम प्रयोग कर सकते हैं । 
5 . सांख्यिकी आँकड़े एक समान और समरुप होने चाहिए । 
6 . सांख्यिकी का दुरुपयोग हो सकता है ।


महत्वपूर्ण प्रश्न :- 

1 . अर्थशास्त्र में सांख्यिकी का क्या महत्व है ? 

उ० अनेक आर्थिक समस्याओं को सांख्यिकी की सहायता से समझा जा सकता है । यह आर्थिक नीतियों के निर्माण में सहायक है । अर्थशास्त्र के विभिन्न क्षेत्रों में सांख्यिकी का महत्व इस प्रकार है । 

1 ) उपभोग के अन्तर्गत सांख्यिकी : - भिन्न - भिन्न आय वाले व्यक्ति अपनी आय का प्रयोग किस प्रकार करते हैं , यह हम उपभोग सम्बन्धी आँकड़ों के द्वारा जान सकते हैं । उपभोग सम्बन्धी आँकडे व्यक्तियों को अपना बजट बनाने एवं जीवन स्तर को सधारने में उपयोगी एवं सहायक सिद्ध होते हैं । 

2 ) उत्पादन के अन्तर्गत सांख्यिकी : - सांख्यिकी की सहायता से उत्पादन प्रक्रियाओं का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है । उत्पादन सम्बन्धी आँकड़े मांग तथा पूर्ति में सामंजस्य स्थापित करने में उपयोगी एवं सहायक हैं क्योंकि इनके आधार पर वस्तु के उत्पादन की मात्रा को निर्धारित किया जाता है । 

3 ) वितरण के अन्तर्गत सांख्यिकी : - उत्पादन के विभिन्न कारकों ( भूमि , श्रम , पूंजी और उद्यम ) के मध्य राष्ट्रीय आय के वितरण की समस्या का समाधान करने में सांख्यिकी विधियों का प्रयोग किया जाता है । 

2 . सांख्यिकी के महत्वपूर्ण कार्यों का वर्णन कीजिये ? 

उ० सांख्यिकी महत्वपूर्ण कार्य करती है जो कि इस प्रकार है 

1 ) आर्थिक समस्या को समझने में सहायक : - किसी अर्थशास्त्री के लिये सांख्यिकी एक ऐसा अपरिहार्य साधन है जो किसी आर्थिक समस्या को समझने में उसकी सहायता करता है । इसकी विभिन्न आर्थिक विधियों का प्रयोग करते हये किसी आर्थिक समस्या के कारणों को मात्रात्मक तथ्यों की सहायता से खोजने का प्रयास किया जाता है । 

2 ) तथ्यों को निश्चित रुप में प्रस्तुत करने योग्य बनाता है : - जब आर्थिक तथ्यों को सांख्यिकीय रुप में व्यक्त किया जाता है तब वे यथार्थ तथ्य बन जाते हैं । यथार्थ तथ्य अस्पष्ट कथनों की अपेक्षा अधिक विश्वसनीय होते हैं । तथा उन्हें सही प्रकार से समझा जा सकता है ।

3 ) सांख्यिकी आँकड़ों को संक्षिप्त रुप में प्रस्तुत करती है - सांख्यिकी ऑकड़ों के समूह को कुछ संख्यात्मक मापों ( जैसे माध्य , प्रसरण आदि के रुप में संक्षिप्त करने में सहायता करती है । ये संख्यात्मक मापा आँकड़ों के संक्षिप्तीकरण में सहायता करते हैं । उदाहरण के लिए यदि किसी समूह में लोगों की संख्या बहुत अधिक है , तो उन सबकी आय को याद रख पाना असंभव है । फिर सांख्यिकीय रुप से प्राप्त संक्षिप्त अंको । जैसे औसत आय को याद रखना आसान है । इस प्रकार सांख्यिकी के द्वारा आँकड़ों के समूह के विषय में सार्थक एवं समग्र सूचनाएं प्रस्तुत की । जाती है । 

4 ) सांख्यिकी आर्थिक कारकों के मध्य संबंधों की स्थापना करती है - सांख्यिकी का प्रयोग विभिन्न आर्थिक कारकों के बीच संबंधों को ज्ञात करने के लिए किया जाता है । किसी अर्थशास्त्री की रुचि यह जानने में हो सकती है कि जब किसी वस्तु की कीमत में कमी अथवा वृद्धि होती है । तो उसकी मांग पर क्या प्रभाव पड़ता है । ऐसे प्रश्नों का उत्तर तभी दिया जा सकता है जब विभिन्न आर्थिक घटकों के बीच किसी प्रकार का परस्पर संबंध विद्यमान हो । उनमें इस प्रकार का कोई परस्पर संबंध विद्यमान है या नहीं , इसे सांख्यिकीय विधियों का प्रयोग करके सरलता से पता लगाया जा सकता है । 

5 ) सांख्यिकी आर्थिक योजनाओं एवं नीतियों के निर्माण में सहायता करती है : - सांख्यिकी विधियां ऐसी उपयुक्त आर्थिक नीतियों के निर्माण में सहायता देती है जिनके द्वारा आर्थिक समस्याओं का समाधन हो सकता है।

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