Class 12 Sociology Chapter 7 परियोजना कार्य के लिए सुझाव (Suggestions for project work) Notes In Hindi

 अध्याय - 7

परियोजना कार्य के लिए सुझाव


❇️ परियोजना कार्य :-

🔹 परियोजना कार्य का मुख्य लक्ष्य व्यवहारिक स्तर पर ज्ञान प्राप्त करना है । परियोजना कार्य ( Project Work ) दो शब्दों से मिल कर बना है ।

प्रोजैक्ट – योजना + वर्क – कार्यप्रणाली या विधि

🔹 परियोजना कार्य ज्ञान प्राप्त करने का एक नवीन तरीका है जिससे व्यक्ति को व्यवहारिक व रचनात्मक ज्ञान व अनुभव प्राप्त होता है । परियोजना कार्य के अन्तर्गत किसी वास्तविक समस्या का अध्ययनकर्ता या समाजशास्त्र के विधार्थियों द्वारा विशेषज्ञों के निर्देशन में अनुसंधान की पद्धतियों के द्वारा अनुसंधान या सर्वेक्षण किया जाता है ।

❇️ परियोजना कार्य किलपेट्रिक के अनुसार :-

🔹 परियोजना वह सहृदय उद्देश्यपूर्ण कार्य है जो पूर्ण सलंग्नता से सामाजिक वातावरण में किया जाता है ।

❇️ परियोजना कार्य बेलार्ड के अनुसार :-

🔹 परियोजना वास्तविक जीवन का एक भाग है जिसका प्रयोग विद्यालय में किया जाता है ।

❇️ परियोजना कार्य विधि :-

🔹 परियोजना कार्य विधि के प्रवर्तक विद्वान डब्ल्यू.एच . किलपेट्रिक है । 

❇️ परियोजना कार्य में योजना का महत्व :-

🔹 परियोजना कार्य को प्रारम्भ करने से पूर्व योजना का निर्माण करना आवश्यक है अन्यथा समय , धन व श्रम का व्यर्थ ही व्यय होता है । इसलिए आवश्यक है कि अध्यनकर्त्ता या अनुसंधानकर्त्ता योजनाबद्ध तरीके से परियोजना कार्य को प्रारम्भ करें ।

❇️ परियोजना कार्य के प्रमुख चरण :-

  • समस्या का चयन या चुनाव
  •  विषय या समस्या रूचिपूर्ण , पूर्वज्ञान आवश्यक , समस्या या विषय व्यवहारिक , उद्देश्य का ध्यान
  • लक्ष्य या उद्देश्य का निर्धारण
  • अध्ययन क्षेत्र का चयन
  • सेम्पल का चुनाव 
  • बजट का निर्माण
  • अध्ययन पद्धतियों का चयन 
  • अध्ययन – सर्वेक्षण , अवलोकन , अनुसूची , प्रश्नावली , साक्षात्कार , वैयक्तिक
  • अध्ययन के उपकरणों 
  • कार्यकर्त्ताओं का चयन व प्रशिक्षण 
  • समुदाय को सर्वेक्षण की जानकारी
  • तत्थ्यों या सामग्री का संकलन ( प्राथमिक तथ्य व द्वितीय तथ्य ) 
  • तथ्यों का सम्पादन , वर्गीकरण एवं सारणीयन 
  • तथ्यों का विश्लेषण 
  • रिपोर्ट का निर्माण एवं प्रकाशन 

❇️ परियोजना कार्य के लाभ या गुण :-

  • आत्म विकास का अवसर 
  • विकास का समान अवसर 
  • मनोवैज्ञानिक संतुष्टि 
  • सामाजिक भावना का विकास 
  • व्यवहारिका में वृद्धि 

❇️ परियोजना कार्य के दोष या कमियां :-

  • अत्यन्त खर्चीली विधि ।
  • उचित परियोजना विधि के चयन की समस्या ।
  • व्यवस्थित एवं क्रमबद्ध अध्ययन का अभाव ।
  • उचित योजना कार्य की जानकारी का अभाव ।
  • अन्य व्यवहारिक समस्याएं धन , सामग्री , संसाधनों का अभाव ।

❇️ सामाजिक अनुसंधान की प्रमुख विधियाँ / पद्धतियां :-

  • सर्वेक्षण 
  • अवलोकन 
  • अनुसूची 
  • प्रश्नावली 
  • साक्षात्कार 
  • वैयक्तिक अध्ययन

❇️ सर्वेक्षण ( Survey )

🔹 अग्रेजी शब्द Survey को हिन्दी में सर्वेक्षण कहते है । जो कि दो शब्दो का योग है । Sur जिसका अर्थ है ऊपर तथा Vey का अर्थ है देखना अर्थात् किसी घटना को ऊपर से देखना , उसका अवलोकन करना , निरीक्षण करना ।

❇️ सामाजिक सर्वेक्षण :-

🔹 सामाजिक सर्वेक्षण सामाजिक अनुसंधान की वैज्ञानिक विधि है जिसके द्वारा एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लोगों के सम्बन्ध में सामाजिक तथ्यों का संकलन किया जाता है । ताकि उनकी सामाजिक समस्याओं के बारे में वास्तविक जानकारी प्राप्त कर उनका निदान या समाधान किया जा सके ।

❇️ सर्वेक्षणकर्ता एवं उत्तरदाता :-

🔹 इसमें जो व्यक्ति सर्वेक्षण का कार्य करता है उसे शोधकर्ता , अनुसंधानकर्ता , सर्वेक्षणकर्ता कहां जाता है तथा जिनसे जानकारी प्राप्त की जाती है उन्हे उत्तरदाता कहां जाता है । 

❇️ प्रश्नावली या अनुसूची का प्रयोग :-

🔹 सर्वेक्षण के दौरान लोगों से ( उतरदाताओं ) तथ्य या जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रश्नावली या अनुसूची का प्रयोग किया जाता है ।

❇️ सर्वेक्षण विधि :-

🔹 वह विधि है जिसमें किसी विशिश्ट समुदाय , संगठन , समूह का व्यवस्थित व विस्तृत अध्ययन किया जाता है । यह अध्ययन एक सामाजिक समस्या के विश्लेषण के लिए किया जाता है । ताकि उसके समाधान की खोज की जा सके । जैसे निर्धनता , अपराध वृद्धि , बालश्रम , विद्यालय में शैक्षणिक माहौल , पाठ्यक्रम की उपयोगिता आदि ।

🔶 लाभ :-

🔹 वर्तमान में सर्वेक्षण कार्य हेतु इन्टरनेट व ई – मेल का प्रयोग भी किया जाता है जिससे श्रम , समय व धन की बचत होती है ।

🔹 सर्वेक्षण पद्धति का एक महत्वपूर्ण लाभ यह है कि बड़े पैमाने पर विस्तृत अध्ययन क्षेत्र होने पर इस विधि द्वारा जानकारी प्राप्त की जा सकती है ।

🔶 दोष :- 

🔹 इस विधि का एक महत्वपूर्ण दोष यह है कि इसमें उतरदाता से पूछे जाने वाले प्रश्न पहले से ही तैयार किये हुए होते है उनमें प्रश्न पूछते समय कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है जिसके कारण पूरक प्रश्न पूछना संभव नही होता है साथ ही कई बार उतरदाता को प्रश्न समझ ना आने पर भी प्रश्न में बदलाव नही किया जा सकता , जिससे उतरदाता द्वारा प्रश्न का जबाव गलत देने की संभावना भी बनी रहती है ।

🔹 उदाहरण :- चुनावों में परिणामों का सर्वेक्षण , वस्तुओं के उपयोग का सर्वेक्षण , मनपसंद कार्यक्रम या नेता के लिए सर्वेक्षण , विद्यालय के छात्रों के विचार जानना ( प्रश्नावली द्वारा ) आदि ।

❇️ सर्वेक्षण के प्रकार :-

🔹 प्रचार सर्वेक्षण , तथ्य संकलन सर्वेक्षण , विवरणात्मक प्रयोगात्मक , जनगणना सर्वेक्षण , नियमित व कार्यवाहक सर्वेक्षण , अंतिम व पुनरावर्तक सर्वेक्षण , गुणात्मक व परिमाणात्मक , सार्वजनिक व गुप्त सर्वेक्षण ।

❇️ अनुसूची :-

🔹 अनूसूची प्रश्नों की वह सूची है जिसे अनुसंधानकर्ता स्वयं अध्ययन क्षेत्र में जाकर उत्तरदाता से पूछकर भरता है ।

❇️ प्रश्नावली :-

🔹 प्रश्नावली प्रश्नों की वह सूची है जिसे अनुसंधानकर्ता डाक द्वारा उत्तरदाता को भेजता है तथा उत्तरदाता इसे भरकर डाक द्वारा पुनः अनुसंधानकर्ता को लौटाता है ।

❇️ साक्षात्कार ( Interview ) :-

🔹 यह एक परिमाणात्मक विधि है ।

🔹 अंग्रेजी का इन्टरव्यू दो शब्दों से मिलकर बना है । जिसमें इन्टर का अर्थ है अंदर या भीतर तथा व्यू का अर्थ है देखना या दृष्टि अर्थात् अंदर तक देखना , अन्तरदृष्टि । 

🔹 साक्षात्कार सामाजिक अनुसंधान तथा सर्वेक्षण के अन्तर्गत तथ्य संकलन करने की एक विधि है । जिसके द्वारा साक्षात्कारकर्ता वार्तालाप द्वारा सूचनादाता से की भावनाओं , प्रवृतियों , विचार , उद्वेगों , रूझानों व मत को जानने का प्रयास करता है तथा तथ्य एकत्रित करता है ।

🔹 साक्षात्कार एक ऐसी व्यवस्थित पद्धति है जिसमें दो या दो से अधिक व्यक्ति किसी विशिष्ट उदेश्य को सामने रखकर परस्पर आमने सामने होकर संवाद , वार्तालाप व उत्तर- प्रतिउत्तर करते है ।

🔹 इस विधि में सम्बन्धित व्यक्ति से आमने सामने बैठकर बातचित की जाती है । इसलिए यह विधि 5 , 10 , 20 , 40 लोगों तक ही सीमित रहती है ।

🔹 इस विधि द्वारा शोधकर्ता उत्तरदाता के बाहरी व आन्तरिक जीवन से सम्बन्धित जानकारिया प्राप्त कर सकता है ।

🔹 साक्षात्कार पूर्व में निर्धारित प्रश्नों के आधार पर किया जा सकता है तथा साक्षात्कार के दौरान उपजे नवीन पूरक प्रश्नों को भी साक्षात्कार में शामिल किया जा सकता है ।

🔹 साक्षात्कार प्रत्यक्ष सम्पर्क द्वारा या फिर फोन या इन्टरनेट के माध्यम से भी सम्पादित किया जा सकता है ।

❇️ साक्षात्कार की प्रमुख विशेषताएँ :-

  • दो या अधिक लोगों का प्रत्यक्ष रूप से वार्तालाप ।
  • प्राथमिक सम्बन्धों का निर्माण ।
  • सामाजिक प्रक्रिया है ।
  • साक्षात्कार का विशिष्ट उद्देश्य ।
  • सूचनाओं का संकलन ।
  • सम्बन्धित विषय पर विस्तार चर्चा ।

❇️ साक्षात्कार के प्रकार :-

  • नियन्त्रित ( संरचित )
  • अनियन्त्रित ( असंरचित )
  • केन्द्रित
  • आवृत्तिपूर्ण

🔹 साक्षात्कार को व्यक्तिगत व सामूहिक साक्षात्कार , अल्पकालिक व दीर्घकालिक साक्षात्कार निदानात्मक , उपचारात्मक , अनुसंधानात्मक साक्षात्कार के रूप में भी बांटा जा सकता है ।

❇️ साक्षात्कार की गुण या लाभ  :-

  • मनोवैज्ञानिक महत्व – उत्तरदाता की भावनाओं , धारणाओं , विचारों का गहन अध्ययन संभव ।
  • सभी स्तर के लोगों से सूचना प्राप्ति – शिक्षित , अशिक्षित , बच्चे , युवक , वृद्ध 
  • भूतकालीन घटनाओं का अध्ययन संभव ।
  • अमूर्त्त घटनाओं का अध्ययन संभव ।
  • सूचनाएँ अधिक विश्वसनीय व प्रमाणिक । 
  • लचीलापन ।
  • आवश्यकतानुसार प्रश्नों में परिवर्तन संभव ।

❇️ साक्षात्कार की सीमाएँ या दोष :-

  • पूर्वाग्रह की संभावना – उत्ततदाता व शोधकर्त्ता दोनो के पूर्वाग्रह हो सकते है । 
  • स्मरण पर आधारित होने कारण त्रुटि की संभावना 
  • अधिक या बड़े पैमाने पर आयोजन में सहायक नहीं – एक साथ ज्यादा लोगा शामिल नहीं
  • अत्यधिक श्रम , धन व समय की आवश्यकता । 

❇️ प्रेक्षण या अवलोकन ( Observation ) 

🔹 यह एक गुणात्मक विधि है ।

🔹 अवलोकन अंग्रेजी भाषा के Observation का हिन्दी रूपान्तरण है । जिसका अर्थ है देखना , प्रेक्षण , निरीक्षण , अवलोकन करना ।

🔹 अवलोकन एक ऐसी अनुसंधान की विधि है जिसमें शोधकर्ता किसी घटना में प्रत्यक्ष भागीदारी द्वारा सूचनाएँ एकत्रित करता है । शोधकर्ता किसी एक समूह , समुदाय , जनजाति का अवलोकन या निरीक्षण करता है ।

❇️ श्रीमती यंग के अनुसार अवलोकन :-

🔹 अवलोकन स्वतः विकसित घटनाओं का उनके घटित होने के समय ही अपने नेत्रों द्वारा व्यवस्थित व जान बूझकर किया गया अध्ययन है ।

🔹 यह विधि जीवनशैली , संस्कृतियों , रीति – रिवाजो , समूहों , संगठनों , आबादी के अध्ययन में अधिक उपयुक्त है ।

❇️ विशेषताएँ :-

  • मानव इन्द्रियों का प्रयोग 
  • प्राथमिक तथ्यों का संकलन 
  • सूक्ष्म गहन व उद्देश्यपूर्ण अध्ययन 
  • व्यवहारिक व अनुभव पर आधारित एवं प्रत्यक्ष अध्ययन 
  • सामूहिक व्यवहार का अध्ययन 

❇️ अवलोकन के प्रकार :-

  • सहभागी 
  • असहभागी 
  • अर्द्धसहभागी 
  • अनियन्त्रित
  • सामूहिक अवलोकन
  • नियन्त्रित अवलोकन

❇️ लघु शोध परियोजनाओं के लिए संभावित प्रकरण एवं विषय :-

🔶 सार्वजनिक स्थान का उपयोग :-

🔹 खाली पड़े मैदान , सड़को के किनारे या फुटपाथ , आवासीय कालोनियों में खाली पडे प्लाट , सार्वजनिक कार्यालयों के बाहर खाली पड़े स्थान आदि पर लोग सब्जियां उगाते है । विवाह व धार्मिक उत्सवों में पण्डाल लगाते है । सार्वजनिक सभाएं आयोजित की जाती है ।

🔶 विभिन्न आयु समूहों की बदलती हुई आकांक्षाए :-

🔹 हर आयु समूह में व्यक्ति की महत्वकांक्षा परिवर्तित होती रहती है । इसलिए विभिन्न आयु समूह के ( 5 , 8 , 12 कक्षा के विधार्थी ) विभिन्न स्कूलों में अध्ययनरत् विद्यार्थियों के बच्चों का चयन करके उनके माध्यम से उनकी महत्वकांक्षाएं जानी जा सकती है ।

🔶 एक वस्तु की आत्मकथा :- 

🔹 धर में काम आने वाली वस्तुएं जैसे टीवी , बाइक , मोबाइल , फर्नीचर , कम्प्यूटर फ्रीज आदि की आत्मकथा लिखें ।

🔶 सार्वजनिक परिवहन :-

🔹 सार्वजनिक परिवहन के रूप जेसे रिक्शा , तांगा , बस , टैक्सी , ऑटो , रेल आदि की भूमिका । दिल्ली मेट्रो का समाज पर प्रभाव ।

🔶 सामाजिक जीवन में संचार माध्यमों की भूमिका :-

🔹 संचार मीडिया एं व्यापक व विस्तृत शब्द है जिसमें जनसंचार जैसे समाचार – पत्र , मैंगजीन , टीवी , फिल्में , कम्प्यूटर , इन्टरनेट , रेडियो आदि शामिल है तथा दूरसंचार जैसे पत्र , टेलिफोन , मोबाइल , ई – मेल , इन्टरनेट , कम्प्यूटर आदि सेवाएं शामिल है । जीवन व समाज में इनकी भूमिका व इनके आयु वर्गों पर प्रभाव का अध्ययन ।

🔶 घर , परिवार में काम आने वाले उपकरण व घरेलू कार्य :-

🔹 घरेलू उपकरण जैसे गैस , लाइटर , गैस स्टोव , मिक्सी , ग्राइंडर , कुकर , टोस्टर , ओवन , वांशीग मशीन , प्रेस आदि दैनिक जीवन में बहुत उपयोगी है । इनके बारे में उपयोगकर्ता क्या सोचता है इनकी उपयोगिता या अभाव के बारे में अध्ययन ।

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