Class 11 Economics – II Chapter 10 भारत और उसके पड़ोसी देशों के तुलनात्मक विकास अनुभव (Indian economy development) Notes In Hindi

अध्याय - 10

भारत और उसके पड़ोसी देशों के तुलनात्मक विकास अनुभव


❇️ भारत , पाकिस्तान और चीन का विकास पथ :-

🔹 तीनों देशों ने लगभग एक ही समय में विकास पथ की ओर बढ़ना शुरू किया । भारत और पाकिस्तान सन् 1947 में स्वतंत्रता हुए जबकि चीन गणराज्य की स्थापना सन् 1949 में हुई । 

🔹 तीनों देशों ने एक ही प्रकार से अपनी विकास नीतियाँ तैयार करना शुरू किया था । 

🔹 भारत ने सन् 1951 में अपनी प्रथम पंचवर्षीय योजना की घोषणा की , पाकिस्तान ने सन् 1956 में तथा चीन ने 1953 में अपनी प्रथम पंचवर्षीय योजना की घोषणा की । 

🔹 भारत और पाकिस्तान ने समान नीतियाँ अपनाई जैसे वृहत् सार्वजनिक क्षेत्रक का सृजन और सामाजिक विकास पर सार्वजनिक व्यय । 

🔹 भारत और पाकिस्तान दोनों ने मिश्रित अर्थव्यवस्था के प्रारूप को अपनाया जबकि चीन ने आर्थिक संवृद्धि के निर्देशित अर्थव्यवस्था प्रारूप को अपनाया । 

🔹 1980 तक सभी तीनों देशों में संवृद्धि दर और प्रति व्यक्ति आय लगभग समान थी । आर्थिक सुधार चीन में 1978 में पाकिस्तान में 1988 में और भारत में 1991 में लाभ किये गये । 

❇️ चीन में विकास रणनीतियां :-

🔹  एकदलीय शासन के अंतर्गत चीनी गणराज्य की स्थापना के बाद अर्थव्यवस्था के सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रकों , उद्यमों तथा भूमि , जिनका स्वामित्व संचालन व्यक्तियों द्वारा किया जाता था , को सरकारी नियंत्रण में लाया गया है । 

🔹 सन् 1958 में द ग्रेट लीप फॉरवड नामक अभियान शुरू किया गया जिसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर देश का औद्योगीकरण करना था । इस अभियान के अंतर्गत लोगों को अपने लोगों को अपने घरों के पिछवाड़े में उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहित किया गया ।

🔹 सन् 1965 में , माओत्से तुंग ने ‘ महान सर्वहारा सांस्कृतिक क्रांति ‘ का आरम्भ किया । इसके अन्तर्गत छात्रों और विशेषज्ञों को ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने और अध्ययन करने के लिए भेजा गया । 

🔹 ग्रामीण क्षेत्रों में कम्यून प्रकृति से खेती प्रारंभ की गई । इसके अन्तर्गत लोग सामूहिक रूप से खेती करते थे । 

🔹 सुधार प्रक्रिया में ‘ दोहरी कीमत निर्धारण पद्धति लागू की गई । इसका अर्थ है कि कीमत का निर्धारण दो तरीके से किया जाता था । किसानों और औद्योगिक इकाइयों से यह अपेक्षा की जाती थी कि वे सरकार द्वारा निर्धारित मात्राएं खरीदेंगें और बेचेंगें और शेष वस्तुएं बाजार कीमतों पर खरीदी बेची जाती थी । 

🔹 विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित किए गये । ऐसे भौगोलिक क्षेत्र जिनमें विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के ध्येय से देश के सामान्य आर्थिक कानूनों को पूर्णतः लागू नहीं किया जाता विशेष आर्थिक क्षेत्र कहलाते हैं ।

❇️ पाकिस्तान में विकास रणनितियां :-

🔹 पाकिस्तान ने सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र के सह – अस्तित्व वाली मिश्रित अर्थव्यवस्था प्रणाली को अपनाया । 

🔹 पाकिस्तान ने उपभोक्ता वस्तुओं के विनिर्माण के लिए प्रशुल्क संरक्षण तथा प्रतिस्पर्धी आयातों पर प्रत्यक्ष आयात नियंत्रण की नीतियां अपनाई । 

🔹 हरितक्रान्ति के आगमन ने और चुनिंदा क्षेत्रों की आधारिक संरचना में सार्वजनिक निवेश में वृद्धि से खाद्यानों के उत्पादन में वृद्धि की ।

🔹 सन् 1970 के दशक में पूंजीगत वस्तुओं के उद्योगों का राष्ट्रीयकरण किया गया ।

🔹 1988 में संरचनात्मक आर्थिक सुधार लागू किये गए । मुख्य जोर निजी क्षेत्रक । को प्रोत्साहन देना था ।

❇️ भारत में विकास रणनितियां :-

🔹 स्वतंत्रता के बाद, भारत ने मिश्रित अर्थव्यवस्था को आर्थिक विकास रणनीति के रूप में अपनाया है।  दोनों सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के साथ-साथ मौजूद हैं।  तीव्र आर्थिक विकास को प्राप्त करने के लिए, नियोजित विकास अर्थव्यवस्था की शुरुआत की गई ।

❇️ आजादी के बाद की आर्थिक विकास रणनीति :-

🔹 सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों को व्यावसायिक गतिविधियों को करने के लिए आवंटित किया गया था।  सार्वजनिक क्षेत्र को कोयला, खनन, इस्पात, बिजली, सड़क आदि गतिविधियों का आवंटन किया गया था। निजी क्षेत्र को कानून के रूप में नियंत्रण और नियमों के अधीन उद्योगों को स्थापित करने के लिए आवंटित किया गया था।

🔹 सार्वजनिक क्षेत्र को सरकार द्वारा प्रमुख धक्का दिया गया।  इस क्षेत्र में अधिकतम राजस्व का निवेश किया गया था जो रुपये से बढ़ गया था। प्रथम पंचवर्षीय योजना (1951-56) में 81.1 करोड़ रुपये से नौवीं पंचवर्षीय योजना (1992-97) में  34,206 करोड़ रुपये ।

🔹 गरीबी, बेरोजगारी आदि को समाप्त करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र को महत्व दिया गया ।

🔹 सार्वजनिक क्षेत्र ने अर्थव्यवस्था के औद्योगिकीकरण में योगदान दिया।  इसने भारतीय अर्थव्यवस्था को काफी हद तक आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद की ।

❇️ तुलनात्मक अध्ययन भारत , पाकिस्तान और चीन :-

🔶 जनांकिकीय संकेतक :-

🔹  पाकिस्तान की जनसंख्या बहुत कम है और वह भारत या चीन की जनसंख्या का लगभग दसवां भाग है ।

🔹 यद्यपि इन तीनों देशों में चीन सबसे बड़ा राष्ट्र है तथापि इसका जनसंख्या घनत्व सबसे कम है । पाकिस्तान में जनसंख्या वृद्धि सबसे अधिक है इसके बाद भारत और चीन का स्थान है ।

🔹 चीन में जनसंख्या की निम्न वृद्धि दर का कारण 1970 के दशक में अंत में लागू की गई केवल एक संतान नीति है । परंतु इसके कारण लिंगानुपात ( अर्थात प्रति 1000 पुरूषों पर महिलाओं का अनुपात ) में गिरावट आई । 

🔹 तीनों देशों में लिंगानुपात महिलाओं के पक्ष में कम है । इसका मुख्य कारण तीनों देशों में पुत्र प्राप्ति की प्रबल इच्छा है । 

🔹 चीन में प्रजनन दर बहुत कम है जबकि पाकिस्तान में बहुत अधिक है । 

🔹 नगरीकरण चीन और पाकिस्तान दोनों में अधिक है जबकि भारत में नगरीकरण ( अर्थात् शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या का प्रतिशत ) 28 प्रतिशत है ।

🔶 सकल देशी उत्पाद ( GDP ) और क्षेत्रक :-

🔹  2013 में अनुमानित चीन का सकल देशीय उत्पादन 9.24 ट्रिलीयन डॉलर था जबकि भारत और पाकिस्तान का क्रमश : 1 . 877 ट्रिलियन अमेरिकन डालर तथा 232 . 3 विलियम अमेरिकी डालर होने का अनुमान था । 

🔹 विकास प्रक्रिया के इस पथ पर इतने वर्षों में चीन की औसत वार्षिक वृद्धि लगभग 9 . 5 % भारत की लगभग 5 . 8 % तथा पाकिस्तान की लगभग 4 . 1 % रही है । 

🔹 वर्ष 2011 में चीन में लगभग 37 प्रतिशत कार्यबल कृषि में लगा हुआ था जिसका सकल देशीय उत्पाद में योगदान 9 प्रतिशत के लगभग था । भारत और पाकिस्तान मे जीडीपी में कृषि का योगदान क्रमशः 14 % व 25 % लगभग थौ परन्तु पाकिस्तान में इस क्षेत्रक में 43 प्रतिशत लोग कार्यरत हैं जबकि भारत में 49 प्रतिशत लोग इस क्षेत्रक ( अर्थात कृषि ) में संलग्न है । 

🔹चीन में सकल देशीय उत्पाद में सर्वाधिक योगदान विनिर्माण क्षेत्र का है ।

जबकि भारत और पाकिस्तान में सकल देशीय उत्पाद में सर्वाधिक योगदान ( 50 प्रतिशत से अधिक ) सेवा क्षेत्रक का है ।

🔹 यद्यपि चीन ने परम्परागत नीति को अपनाया जिसमें क्रमशः कृषि से विनिर्माण तथा उसके बाद सेवा क्षेत्र की ओर अवसर होने की प्रवृति थी । परन्तु भारत और पाकिस्तान सीधे कृषि क्षेत्रांक से सेवा क्षेत्रांक की ओर चले गए । 

🔹 1980 के दशक में भारत , चीन और पाकिस्तान में सेवा क्षेत्रांक में क्रमशः 17 . 12 , और 27 प्रतिशत कार्यबल लगा हुआ था । वर्ष 2011 में यह बढ़कर क्रमशः 31 , 37 और 35 प्रतिशत लगभग हो गया है ।

🔹 चीन की आर्थिक संवृद्धि का मुख्य आधार विनिर्माण क्षेत्रांक है जबकि भारत और पाकिस्तान की संवृद्धि का मुख्य आधार सेवा क्षेत्रांक है । 

❇️ मानव विकास संकेतक :-

🔹 मानव विकास के अधिकांश क्षेत्रों में चीन ने भारत और पाकिस्तान की तुलना में अच्छा प्रदर्शन किया है । यह बात अनेक संकेतकों के विषय में सही है , जैसे प्रति व्यक्ति जी . डी . पी . निर्धनता रेखा से नीचे की जनसंख्या का प्रतिशत तथा स्वास्थ्य संकेतक जैसे मृत्युदर , स्वच्छता , साक्षरता तक पहुंच , जीवन प्रत्याशा अथवा कुपोषण । 

🔹 पाकिस्तान गरीबी रेखा से नीचे के लोगों का अनुपात कम करने में भारत से आगे है । स्वच्छता और उत्तम जल स्रोत तक पहुंच के मामलों में इसका निष्पादन भारत से बेहतर है ।

🔹  इसके विपरीत भारत में शिक्षा में निवेश का रिकार्ड व प्रदर्शन पाकिस्तान से बेहतर है । इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने में भी भारत पाकिस्तान से आगे है । 

🔹 भारत और पाकिस्तान उत्तम जल स्रोत उपलब्ध कराने में चीन से आगे है ।

❇️ निष्कर्ष :-

🔶 भारत :-

🔹 लोकतांत्रिक संस्थाओं सहित भारत का निष्पादन साधारण रहा है । यह बात अग्रलिखित तथ्यों से स्पष्ट है :-

अधिकांश जनसंख्या आज भी कृषि पर निर्भर है ।
अनेक भागों में आधारिक संरचना का अभाव है ।
आज लगभग 22 % जनसंख्या निर्धनता रेखा से नीचे है जिसे ऊपर उठाने की आवश्यकता है ।

🔶 पाकिस्तान :-

🔹 पाकिस्तान का निष्पादन बहुत खराब रहा है । पाकिस्तान की संवृद्धि कमी और निर्धरता में पुनः वृद्धि के कारण अग्रलिखित है :-

राजनीतिक अस्थिरता ।
कृषि क्षेत्रांक का अस्थिर निष्पादन ।
प्रेषणों और विदेशी अनुदानों पर अत्यधिक निर्भरता ।
एक तरफ विदेशी ऋणों पर बढ़ती निर्भरता तो दूसरी ओर पुराने ऋणों को चुकाने में बढ़ती कठिनाई ।

🔶 चीन :-

🔹 चीन का निष्पादन सर्वोतम रहा है । यह बात अग्रलिखित तथ्यों से स्पष्ट

  • निर्धनता निवारण के साथ – साथ संवृद्धि दर को बढ़ाने में सफलता ।
    अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता को खोये बिना , बाजार व्यवस्था का प्रयोग अतिरिक्त सामाजिक आर्थिक सुअवसरों के लिए किया है ।
  • सामुदायित्व भू – स्वामित्व को कायम रखते हुए और लोगों को भूमि पर कृषि की अनुमति देकर चीन ने ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित कर दी है ।
  • सामाजिक आधारिक संरचना उपलब्ध कराने में सरकारी हस्तक्षेप द्वारा मानव विकास संकेतकों में सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए हैं ।

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