Class 11 Economics – II Chapter 6 ग्रामीण विकास (Rural development) Notes In Hindi

अध्याय - 6

ग्रामीण विकास


❇️ ग्रामीण विकास :-

🔹 ग्रामीण विकास से अभिप्राय उस क्रमबद्ध योजना से है जिसके द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के जीवन स्तर तथा आर्थिक व सामाजिक कल्याण में वृद्धि की जाती है ।

❇️ ग्रामीण विकास के मुख्य तत्व :-

  • भूमि के प्रति इकाई कृषि उत्पादकता को बढ़ाना
  • कृषि विपणन प्रणाली को सुधारना ताकि किसान को उसके उत्पाद का उचित मूल्य प्राप्त हो सके ।
  • ज्यादा मूल्य वाली फसलों के उत्पाद को बढ़ावा देना ।
  • कृषि विविधीकरण को बढ़ावा देना ।
  • उत्पादन की गतिविधियों का विविधीकरण ताकि फसल – खेती के अलावा रोजगार के वैकल्पिक साधनों को ढूंढा जा सके ।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में साख को सुविधाएँ उपलब्ध कराना ।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि तथा गैर – कृषि रोजगारों द्वारा निर्धनता को कम करना ।
  • जैविक खेती को बढ़ावा देना ।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करना ।

❇️ भारत में ग्रामीण साख के स्रोत :-

  • गैर – संस्थागत अथवा अनौपचारिक स्रोत
  • संस्थागत अथवा औपचारिक स्रोत

❇️ गैर – संस्थागत अथवा अनौपचारिक स्रोत :-

🔹 इसमें साहकार , व्यापारी , कमीशन एजेंट , जमींदार , संबंधी तथा मित्रों को शामिल किया जाता है ।

❇️ संस्थागत अथवा औपचारिक स्रोत :-

  • सहकारी साख समितियाँ
  • स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया व अन्य व्यापारिक बैंक ।
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक ।
  • कृषि तथा ग्रामीण विकास के लिए राष्ट्रीय बैंक ( NABARD )
  • स्वयं सहायता समूह ।

❇️ कृषि विपणन :-

🔹 कृषि विपणन में उन सभी क्रियाओं को शामिल किया जाता है जो फसल के संग्रहण , प्रसंस्करण , वर्गीकरण , पैकेजिंग , भण्डारण , परिवहन तथा बिक्री से सम्बन्धित है ।

❇️ कृषि विपणन के दोष :-

  • अपर्याप्त भण्डार ग्रह
  • परिवहन व संचार के कम साधन
  • अनियमित मण्डियों में गड़बड़ियाँ
  • बिचौलियों की बहुलता
  • फसल के उचित वर्गीकरण का अभाव
  • पर्याप्त संस्थागत वित्त का अभाव
  • पर्याप्त विपणन सुविधाओं का अभाव

❇️ विपणन प्रणाली को सुधारने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम :-

  • नियमित मण्डियों की स्थापना
  • कृषि उत्पादों के संग्रहण के लिए भण्डार गृह की सुविधाओं का प्रावधान । 
  • मानक बाट और नाप – तौल की अनिर्वायता ।
  • रियायती यातायात की व्यवस्था ।
  • कृषि व संबद्ध वस्तुओं की श्रेणी विभाजन एंव मानकीकरण की व्यवस्था ( केन्द्रीय श्रेणी नियंत्रण प्रयोगशाला महाराष्ट्र के नागपुर में है ) ।
  • भण्डार क्षमता को बढाने के उद्देश्य से सार्वजनिक में भारतीय खाद्य निगम ( FCI ) , केंद्रीय गोदाम निगम ( CWC ) आदि की स्थापना ।
  • न्यूनतम समर्थन कीमत नीति
  • विपणन सूचना का प्रसार

❇️ विविधीकरण :-

🔹 कृषि क्षेत्र में बढ़ती हुई श्रम शक्ति के एक बड़े हिस्से के अन्य और कृषि क्षेत्रों में वैक्लपिक रोजगार में अवसर ढूंढ़ने की प्रक्रिया को विविधिकरण कहते हैं ।

🔹 इसके दो पहलू है :

🔶 1 ) फसलों के उत्पादन का विविधीकरण :- इसके अन्तर्गत एक फसल की बजाए बहु – फसल के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाता है । इसके दो लाभ है :-

  • मानसून की कमी के कारण होने वाले खेतों के जाखिम को कम करती है ।
  • यह खेतों के व्यापारीकरण को बढ़ावा देती है ।

🔶 उत्पादन गतिविधियों अथवा रोजगार का विविधिकरण :- इसमें श्रम शक्ति को कृषि क्षेत्र से हटाकर गैर – कृषि कार्यों जैसे – पशुपालन , मत्स्य पालन , बागवानी आदि में लगाया जाता है ।

❇️ ग्रामीण जनसंख्या के लिए रोजगार के गैर – कृषि क्षेत्र :-

  • पशुपालन
  • मछली पालन
  • मुर्गी पालन
  • मधुमक्खी पालन
  • बागवानी
  • कुटीर और लघु उद्योग

❇️ जैविक कृषि :-

🔹 जैविक कृषि खेती की वह पद्धति है जिसमें खेतों के लिए जैविक खाद ( मुख्यतः पशु खाद और हरी खाद ) का प्रयोग किया जाता है । इसके अन्तर्गत रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को हतोत्साहित करते हुए जैविक खाद के उपयोग पर बल दिया जाता है । यह खेत करने की वह पद्धति है जो पर्यावरण के सन्तुलन को पुनः स्थापित करके उसका संरक्षण एंव संवर्धन करती है ।

❇️ जैविक कृषि के लाभ :-

🔹 जैविक खादों के प्रयोग से मृदा का जैविक स्तर बढ़ता है और मृदा काफी उपजाऊ बनी रहती है ।

🔹 जैविक खाद पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक खनिज पदार्थ प्रदान करती है , जो मृदा में मौजूद सूक्ष्म जीवों द्वारा पौधों को मिलाते हैं । जिससे पौधे स्वस्थ बनते हैं और उत्पादन बढ़ता है ।

🔹 रसायनिक खादों के मुकाबले जैविक खाद सस्ते और टिकाऊ होते हैं ।

🔹 जैविक खादों के प्रयोग से हमें पौष्टिक व स्वास्थ्य वर्धक भोजन प्राप्त होता है ।

🔹 जैविक खाद पर्यावरण मिश्र होते हैं । इनमें रासायनिक प्रदूषण नही फैलता ।

🔹 छोटे और सीमान्त किसानों के लिए सस्ती प्रक्रिया है ।

🔹 यह पद्धति धारणीय कृषि को बढावा देती है ।

🔹 जैविक खेती श्रम प्रधान तकनीक पर आधारित है ।

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