Class 10th History Chapter - 1 || यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय (The Rise of Nationalism in Europe) Notes in Hindi


Class 10 History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय Notes in Hindi

📚 अध्याय = 1 📚
💠 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय 💠

❇️ राष्ट्र :-

🔹 अरनेस्ट रेनर के अनुसार समान भाषा नस्ल धर्म से बने क्षेत्र को राष्ट्र कहते हैं । 

🔹 एक राष्ट्र लंबे प्रयासों त्यागो और निष्ठा का चरम बिंदु होता है ।

❇️ राष्ट्रवाद :-

🔹अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम की भावना को राष्ट्रवाद कहते हैं ।

❇️ नेपोलियन कौन था ? 

🔹 नेपोलियन का जन्म 15 अगस्त 1769 को हुआ । नेपोलियन एक महान सम्राट था जिसने अपने व्यक्तित्व एवं कार्यों से पूरे यूरोप के इतिहास को प्रभावित किया ।

🔹 अपनी योग्यता के बल पर 24 वर्ष की आयु में ही सेनापति बन गया ।

🔹 उसने कई युद्धों में फ्रांसीसी सेना को जीत दिलाई और अपार लोकप्रियता हासिल कर ली फिर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा और फ्रांस का शासक बन गया ।

❇️ उदारवाद :-

🔹 उदारवाद यानि Liberalism शब्द लातिनी भाषा के मूल शब्द liber पर आधारित है । जिसका अर्थ है स्वतंत्रता । नए मध्यम वर्ग के लिए उदारवाद का अभिप्राय था व्यक्ति के लिए आज़ादी व कानून के समक्ष समानता । 

❇️ निरंकुशवाद :-

🔹 एक ऐसी सरकार या शासन व्यवस्था जिसकी सत्ता पर किसी प्रकार का कोई अंकुश नहीं होता ।

❇️ जनमत संग्रह :-

🔹 एक प्रत्यक्ष मतदान जिसके द्वारा एक क्षेत्र की सारी जनता से किसी प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए पूछा जाता है । 

❇️ यूटोपिया ( कल्पनादर्श ) :-

🔹 एक ऐसे समाज की कल्पना जो इतना आदर्श है कि उसका साकार होना लगभग असंभव होता है ।

❇️ रूमानीवाद :-

🔹 एक ऐसा सांस्कृतिक आंदोलन जो एक खास तरह की राष्ट्रीय भावना का विकास करना चाहता था । 

❇️ जुंकर्स :-

🔹 प्रशा की एक सामाजिक श्रेणी का नाम जिसमें बड़े – बड़े ज़मींदार शामिल थे । 

❇️ राष्ट्रवाद के उदय के कारण :-

  • निरंकुश शासन व्यवस्था
  • उदारवादी विचारों का प्रसार
  • स्वतंत्रता , समानता तथा बंधुत्व का नारा
  • शिक्षित मध्य वर्ग की भूमिका

❇️ यूरोप में राष्ट्रवाद का क्रमिक विकास :-

  • फ्रांसीसी क्रांति 1789  नागरिक संहिता 1804  वियना की संधि 1815 ⇒ उदारवादियों की क्रांति 1848 ⇒ जर्मनी का एकीकरण 1866-1871 ⇒ इटली का एकीकरण 1859-1871

❇️ यूरोप में राष्ट्रवाद का निर्माण :-

🔹 किसी भी राष्ट्र के निर्माण के लिए एक सामूहिक पहचान , संस्कृति परंपरा आदि का समान होना जरूरी है ।

🔹यूरोप में अलग – अलग समाज था । जैसे :- हैब्सबर्ग साम्राज्य में लोग जर्मन , अंग्रेजी , फ्रेंच , इटली आदि अलग – अलग भाषाएं बोलते ।

❇️ यूरोपीय समाज की संरचना ( 19 शताब्दी के पहले )

🔹 यूरोपियन समाज असमान रूप से दो भागों में विभाजित था।

  • उच्च वर्ग ( कुलीन वर्ग )
  • निम्न वर्ग ( कृषक वर्ग )

🔶 उच्च वर्ग कुलीन वर्ग :-

  • कम जनसंख्या ।
  • उच्च वर्ग तथा वर्चस्व जमाने वाला ।
  • जमींदार यानी ढेर सारे खेतों के मालिक ।
  • सभी अधिकार दिए जाते थे ।

🔶  निम्न वर्ग कृषक वर्ग :-

  • अधिक जनसंख्या ।
  • निम्न वर्ग 
  • जमीन हीन यानी या तो जमीन न थी या तो किराए पर रहते थे ।
  • किसी भी प्रकार के अधिकार नहीं दिए जाते थे ।

🔹 यानी यूरोपियन समाज असमान रूप से विभाजित ।

🔹 उन्नीसवीं सदी के बाद एक नया वर्ग जुड़ गया वह था नया मध्यवर्ग ।

🔶 नया मध्यवर्ग :-

  • इसमें सभी पढ़े – लिखे लोग थे जैसे :- शिक्षक , डॉ , उद्योगपति , व्यापारी आदि ।
  • पढ़े – लिखे होने के नाते उन्होंने एक समान कानून की मांग की यानी उदारवादी राष्ट्रवाद ।

❇️ उदारवादी राष्ट्रवाद :-

🔹 इस उदारवादी राष्ट्रवाद के चलते राष्ट्रवाद का विचार सब जगह फैलने लगा ।

🔹इसी वजह से 1789 में फ्रांस की क्रांति हुई ।

🔹 इससे एक राज्य के अंदर जो भी नियंत्रण ( चीजों तथा पूंजी के आगमन पर ) था उसे खत्म कर दिया गया लेकिन अलग – अलग राज्यों के बीच के नियंत्रण यानी सीमा शुल्क को खत्म नहीं कर पाया ।

🔹  इसके लिए एक संगठन बनाया गया जिसका नाम था ” जॉलबेराइन ” ( zollverein ) 

  • जितने भी शुल्क अवरोध थे उसे समाप्त कर दिया गया ।
  • मुद्राओं की संख्या दो कर दी , इससे पहले 30 से ज्यादा थी 
  • नेपोलियन के समय केवल पुरुष जिनके पास धन है वही वोट दे सकते थे ।

❇️ जॉलवेराइन :-

🔹 यह एक जर्मन शुल्क संघ था जिसमें अधिकांश जर्मन राज्य शामिल थे । यह संघ 1834 में प्रशा की पहल पर स्थापित हुआ था । इसमें विभिन्न राज्यों के बीच शुल्क अवरोधों को समाप्त कर दिया गया और मुद्राओं की संख्या दो कर दी गई । जो पहले बीस से भी अधिक थीं यह संघ जर्मनी के आर्थिक एकीकरण का प्रतीक था ।

❇️ यूरोप में राष्ट्रवाद :-

🔹 यूरोप में राष्ट्रवादी चेतना की शुरुआत फ्रांस से होती है ।

❇️ 1789 की फ्रांसीसी क्रांति :- 

🔹1789 की फ्रांसीसी क्रांति राष्ट्रवाद की पहली स्पष्ट अभिव्यक्ति थी । इसने फ्रांस में राजतंत्र समाप्त कर प्रभुसत्ता फ्रांसीसी नागरिकों को सौंपी । इस क्रांति से पहले फ्रांस एक ऐसा राज्य था जिसके संपूर्ण भू – भाग पर एक निरंकुश राजा का शासन था । 

🔹 फ्रांसीसी क्रांति के आरंभ से ही फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने ऐसे अनेक कदम उठाए जिनसे फ्रांसीसी लोगों में एक सामूहिक पहचान ( राष्ट्रवाद ) की भावना पैदा हो सकती थी । बाद में , नेपोलियन ने प्रशासनिक क्षेत्र में क्रांतिकारी सुधारों को प्रारंभ किया जिसे 1804 की नागरिक संहिता ( नेपोलियन की संहिता ) के नाम से जाना जाता है । इसके अलावा , यूरोप में उन्नीसवीं सदी के शुरूआती दशकों में राष्ट्रीय एकता से संबंधित विचार उदारवाद से करीब से जुड़े थे ।

❇️ सामूहिक पहचान बनाने के लिए उठाये गए कदम :-

प्रत्येक राज्य से एक स्टेट जनरल चुना गया और उसका नाम बदलकर नेशनल असेंबली कर दिया गया ।

फ्रेंच भाषा को राष्ट्रभाषा घोषित कर दिया गया ।

एक प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई जिससे सबको समान कानून का अनुभव हो ।

आंतरिक आयात निर्यात , सीमा शुल्क समाप्त कर दिया गया और भार तथा माफ की एक समान व्यवस्था लागू की गई ।

स्कूल और कॉलेज की छात्राओं द्वारा भी समर्थन के रूप में क्लब का गठन किया गया जिनका नाम दिया गया जैकोबिन क्लब ।

फ्रांस की आर्मी ने समर्थन के तौर पर हर विदेशी क्षेत्र में भेज दिए गए जिससे राष्ट्रवादी भावना और बढ़ती चली गई ।

❇️ फ्रांसीसी क्रांति एवं राष्ट्रवाद की विशेषताए :-

  • संविधान आधारित शासन ।
  • समानता , स्वतंत्रता , बंधुत्व जैसे विचार ।
  • नया फ्रांसीसी तिरंगा झंडा ।
  • नेशनल असेंबली का गठन ।
  • आंतरिक आयात – निर्यात शुल्क समाप्त ।
  • माप – तौल की एक समान व्यवस्था ।
  • फ्रेंच को राष्ट्र की साझा भाषा बनाया गया ।

❇️ नेपोलियन का शासन काल :-

🔹 जब नेपोलियन फ्रांस पर अपना शासन चलाना शुरू किया तो उन्होंने प्रजातंत्र को हटाकर उन्हें राजतंत्र को स्थापित कर दिया ।

🔹 नेपोलियन के समय ही व्यापार आवागमन एवं संचार में बहुत ज्यादा विकास हुआ ।

🔹 राष्ट्रीयवादी विचार को बांटने के लिए उन्होंने कुछ क्षेत्रों में कब्जा कर लिया और कर को बढ़ाना और जबरन भर्ती जैसे अनेक कानून व्यवस्था स्थापित कर दिया ।

❇️ 1804 की नेपोलियन संहिता ( नागरिक संहिता ) :-

🔹 इसे 1804 में लागू किया गया । इसने जन्म पर आधारित विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया । इसने न केवल न्याय के समक्ष समानता स्थापित की बल्कि सम्पत्ति के अधिकार को भी सुरक्षित किया । 

❇️ 1804 की नागरिक संहिता की विशेषताएं :-

  • जन्म पर आधारित विशेषाधिकारों की समाप्ति ।
  • कानून के सामने समानता एवं संपत्ति को अधिकार को सुरक्षित किया गया । 
  • प्रशासनिक विभाजनों को सरल बनाया ।
  • सामंती व्यवस्था को समाप्त किया गया । 
  • किसानों के भू – दासत्व और जागीरदारी शुल्कों से मुक्ति ।
  • शहरों में कारीगरों के श्रेणी संघों के नियंत्रणों को हटा दिया गया ।

❇️ जागीरदारी :-

🔹 इसके तहत किसानों जमींदारों और उद्योगपतियों द्वारा तैयार समान का कुछ हिस्सा कर के रूप में सरकार को देना पड़ता था ।

❇️  रूढ़िवाद :-

🔹 ऐसा राजनीतिक दर्शन जो परंपरा , स्थापित संस्थानों और रिवाजों पर जोर देता है और तेज बदलावों की बजाए क्रमिक और धीरे धीरे विकास को प्राथमिकता देता है । 

❇️ 1815 के उपरांत यूरोप में रूढ़िवाद :-

🔹 1815 में नेपोलियन की हार के उपरांत यूरोप की सरकारों का झुकाव पुनः रूढ़िवाद की तरफ बढ गया । 

🔹 इसके बाद यूरोपीय सरकार पारंपरिक संस्थाएं और परिवार को बनाए रखना चाहते थे ।

🔹  इसके लिए उन्होंने नेपोलियन के समय जितने भी बदलाव हुए थे उन सब को खत्म कर दिया गया जिसके लिए एक समझौता किया गया । जिसका नाम था वियना समझौता या वियना संधि ।

❇️ वियना कांग्रेस :-

🔹 1815 में ब्रिटेन , प्रशा , रूस और ऑस्ट्रिया जैसी यूरोपीय शक्तियों ( जिन्होंने मिलकर नेपोलियन को हराया था ) के प्रतिनिधि यूरोप के लिए एक समझौता तैयार करने के लिए वियना में इकट्ठा हुए जिसकी अध्यक्षता आस्ट्रियन के चांसलर ड्यूक मैटरनिख ने की ।

❇️ संधि के तहत मुख्य 3 निर्णय लिया गया :-

पहला फ्रांस की सीमाओं पर कई राज्य कायम कर दिया गया ताकि भविष्य में फ्रांस अपना विस्तार ना कर सके ।

फ्रांसीसी क्रांति के दौरान हटाए गए बूर्वो वंश को सत्ता में बहाल किया गया।

तीसरा राजतंत्र को जारी रखा गया ।

❇️ 1815 की वियना संधि की विशेषताएँ :-

  • फ्रांस में बुब राजवंश की पुर्नस्थापना ।
  • इसका मुख्य उद्देश्य यूरोप में एक नई रूढ़िवादी व्यवस्था कायम करना था ।
  • फ्रांस ने उन इलाकों पर से आधिपत्य खो दिया जो उसने नेपोलियन के समय जीते थे ।
  • फ्रांस के सीमा विस्तार पर रोक के हेतू नए राज्यों की स्थापना ।

❇️ यूरोप में क्रांतिकारी :-

🔹 यूरोपियन सरकार के इन सारे निर्णय के विरोध में क्रांतिकारी ने जन्म लिया । क्रांतिकारियों ने अंदर ही अंदर कुछ खुफिया समाज का निर्माण किया ।

🔹 जिनका मुख्य मकसद ( लक्ष्य ) था ।

  • राष्ट्रवाद को बढ़ावा देना ।
  • वियना संधि की विरोध करना ।
  • स्वतंत्रता के लिए लड़ना ।

❇️ भूख कठिनाई और जन विद्रोह :-

🔹 1830 को कठिनाइयों का महान साल भी कहा जाता है।

🔶 कारण :-

  • जबरदस्त जनसंख्या वृद्धि 
  • लोग गांव से शहर की ओर रुख कर दिए 
  • बेरोजगारी में वृद्धि 
  • गरीबी में वृद्धि 

🔹इसी सालों के दौरान फसल बर्बाद हो गई जिससे खाने की सामग्री की कीमत बढ़ने लगी और छोटे – छोटे फैक्ट्रियां बंद होने लगी ।

🔹 खाने पीने की कमी और व्यापक बेरोजगारी ,  इन सभी कारणों से लोगों ने सरकार के खिलाफ विद्रोह कर दिया लोग सड़कों पर उतर आएँ जगह – जगह अवरोध लगाया गया । जिसे कृषक विद्रोह के नाम से जाना गया । 

🔹 जिससे यूरोपियन सरकार को गणतंत्र राज्य घोषित कर दिया गया ।

❇️ गणतंत्र के बाद कानून में आये बदलाव :-

  • 21 साल से अधिक उम्र के लोगों को वोट डालने का अधिकार ।
  • सभी नागरिकों को काम के अधिकार की गारंटी दि गई ।
  • रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कारखाने उपलब्ध कराए गए ।
  • इन सभी से धीरे – धीरे गरीबी और बेरोजगारी कम होने लगी । 

❇️ नारीवाद स्त्री :-

🔹 पुरूष को सामाजिक , आर्थिक एवं राजनीतिक समानता की सोच के आधार पर महिलाओं के अधिकारों और हितों का बोध नारीवाद है । 

❇️ विचारधारा :-

🔹एक खास प्रकार की सामाजिक एवं राजनीतिक दृष्टि को इंगित करने वाली विचारों का समूह ।

💠 जर्मनी और इटली का निर्माण 💠

❇️ जर्मनी का एकीकरण :-

🔹 1848 में यूरोपियन सरकार ने बहुत कोशिश की कि वे जर्मनी का एकीकरण कर दे परंतु वह ऐसा नहीं कर पाए ।

🔹 क्योंकि , राष्ट्र निर्माण की यह उदारवादी पहल राजशाही और फौज की ताकत ने मिलकर दबा दी ।

🔹 उसके बाद प्रशा ने यह भार अपने ऊपर लेते हुए कहा कि वे जर्मनी का एकीकरण करके ही रहेंगे ।

🔹 उस समय प्रशा का मुख्यमंत्री ऑटोमन बिस्मार्क था ( जनक ) 

🔹 प्रशा ने एक राष्ट्रीय एकीकरण के आंदोलन का नेतृत्व किया ।

🔹 7 वर्ष के दौरान ऑस्ट्रिया , डेनमार्क और फ्रांस से तीन युद्ध में प्रशा की जीत हुई और एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई ।

🔹 1871 में केसर विलियम प्रथम को नए साम्राज्य का राजा घोषित किया गया । जर्मनी के एकीकरण ने यूरोप में प्रशा को महाशक्ति के रूप में स्थापित किया ।

🔹 नए जर्मन राज्य में , मुद्रा , बैकिंग एवं न्यायिक व्यवस्थाओं के आधुनिकीकरण पर जोर दिया गया ।

❇️ इटली का एकीकरण :-

🔹 इटली सात राज्यों में बँटा हुआ था ।

🔹 1830 के दशक में ज्यूसेपे मेत्सिनी ने इटली के एकीकरण के लिए कार्यक्रम प्रस्तुत किया ।

🔹 1830 एवं 1848 के क्रांतिकारी विद्रोह असफल हुए ।

🔹 1859 में फ्रांस से सार्डिनिया पीडमॉण्ट ने एक चतुर कूटनीतिक संधि की जिसके माध्यम से उसने आस्ट्रियाई बलों को हरा दिया ।

🔹 1861 में इमेनुएल द्वितीय को एकीकृत इटली का राजा घोषित किया गया ।

नोट :- इटली एकीकरण के प्रक्रिया का अध्ययन करने के लिए हमें तीन लोगों पर विचार करना होगा ।

ज्यूसेपे मेत्सिनी , काउंट कैमिलो दे कावूर , ज्यूसेपे गैरीबॉल्डी

❇️ ज्यूसेपे मेत्सिनी :-

🔹 इनका जन्म 1807 में जेनोआ में हुआ था और कुछ समय पश्चात् वह कार्बोनारी में गुप्त संगठन के सदस्य बन गए । चौबीस साल की युवावस्था में लिगुरिया में क्रांति करने के लिए उन्हें 1831 में देश निकाला दे दिया गया । 

🔹 तत्पश्चात् उन्होनें दो और भूमिगत संगठनों की स्थापना की । पहला था मार्सेई मैं यंग इटली और दूसरा बर्न में यंग यूरोप । मेत्सिनी द्वारा राजतंत्र का जोरदार विरोध एवं उसके प्रजातांत्रिक सपनों ने रूढ़िवादियों के मन में भय भर दिया । “ मैटरनिख ने उसे हमारी सामाजिक व्यवस्थाओं का सबसे खतरनाक दुश्मन बताया ।

❇️ काउंट कैमिलो दे कावूर :-

🔹 सार्डिनीया – पीडमॉण्ट का प्रमुख मंत्री था । इटली के प्रदेशों को एकीकृत करने वाले आंदोलन का नेतृत्व किया हाँलाकि वह स्वयं न तो एक क्रांतिकारी था और न ही जनतंत्र में विश्वास रखने वाला ।

🔹 फ्रांस के साथ की गई चतुर संधि के पीछे कावूर का हाथ था जिसके कारण आस्ट्रिया को हराया जा सका एवं इटली का एकीकरण संभव हो सका ।

❇️ ज्यूसेपे गैरीबॉल्डी :-

🔹 वह नियमित सेना का हिस्सा नहीं था । उसने इटली के एकीकरण के लिए सशस्त्र स्वयंसेवकों का नेतृत्व किया ।

🔹 1860 में वे दक्षिण इटली और दो सिसिलियों के राज्य में प्रवेश कर गए और स्पेनी शासकों को हटाने के लिए स्थानीय किसानों का समर्थन पाने में सफल रहे । 

🔹 उसने दक्षिणी इटली एवं सिसली को राजा इमैनुएल द्वितीय को सौंप दी और इस प्रकार इटली का एकीकरण संभव हो सका ।

❇️ ब्रिटेन में राष्ट्रवाद :-

औद्योगिक क्रांति के बाद ब्रिटेन की आर्थिक शक्ति बहुत ज्यादा बढ़ गई थी ।

राष्ट्रवाद किसी उथल – पुथल या क्रांति का परिणाम नहीं अपितु एक लम्बी चलने वाली प्रक्रिया का परिणाम था । 

18 वी शताब्दी से पूर्व ब्रिटेन एक राष्ट्र राज्य नहीं था । 

ब्रिटेन साम्राज्य में – अंग्रेज , वेल्श , स्कॉट या आयरिश जैसे ढेर सारा समाज था जिसे नृजातीय कहते थे ।

आंग्ल – राष्ट्र ने अपनी शक्ति में विस्तार के साथ – साथ अन्य राष्ट्रों व द्वीप समूहों पर विस्तार आरंभ किया ।

1688 में संसद ने राजतंत्र से शक्तियों को ले लिया । 

1707 में इंग्लैण्ड और स्कॉटलैंड को मिलाकर यूनाइटेड किंगडम ऑफ ब्रिटेन का गठन किया गया । 

1798 में हुए असफल विद्रोह के बाद 1801 में आयरलैंड को बलपूर्वक यूनाइटेड किंगडम में शामिल कर लिया गया । 

नए ब्रिटेन के प्रतीक चिह्नों को खूब बढ़ावा दिया गया ।

❇️ बाल्कन समस्या :-

🔹 बाल्कन भौगोलिक एवं नृजातिय रूप से विभिन्नताओं का क्षेत्र था जिसमें आधुनिक रूमानिया , बल्गारिया , अल्बेनिया , ग्रीस , मकदूनिया , क्रोएशिया , स्लोवानिया , सर्बिया आदि शामिल थे ।

🔹 इन क्षेत्रों में रहने वाले मूलनिवासियों को स्लाव कहा जाता था । बाल्कन क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा ऑटोमन साम्राज्य के नियंत्रण में था । 

🔹 बाल्कन राज्य में रूमानी राष्ट्रवाद के फैलने और ऑटोमन साम्राज्य के विघटन से स्थिति काफी विस्फोटक हो गई । एक के बाद एक उसके अधीन यूरोपीय राष्ट्रीयताएँ उसके चंगुल से निकल कर स्वतंत्रता की घोषणा करने लगीं ।

🔹 जैसे – जैसे विभिन्न स्लाव राष्ट्रीय समूहों ने अपनी पहचान और स्वतंत्रता की परिभाषा तय करने की कोशिश की , बाल्कन क्षेत्र गहरे टकराव का क्षेत्र बन गया । हर एक बाल्कन प्रदेश अपने लिए ज्यादा इलाके की चाह रखता था । 

🔹 इस समय यूरोपीय शक्तियों के बीच इस क्षेत्र पर कब्जा जमाने के लिए यूरोपीय शक्तियों के मध्य जबरदस्त प्रतिस्पर्धा रहीं । जिससे यह समस्या गहराती चली गई व जिस कारण यहाँ विभिन्न युद्व हुए । जिसकी परिणति प्रथम विश्व युद्ध के रूप में हुई ।

❇️ साम्राज्यवाद :-

🔹 जब कोई देश , अपने देश की शक्ति को बढ़ाता है , आर्मी और अन्य साधन का प्रयोग करके उसे साम्राज्यवाद कहते हैं ।

❇️ रूपक :-

🔹  जब किसी अमूर्त विचार ( जैसे :- लालच , स्वतंत्रता , ईर्ष्या , मुक्ति ) को किसी व्यक्ति या किसी चीज के जरिए इंगित किया जाता है तो रूपक कहते हैं ।

🔹 18 वीं और 19 वीं शताब्दी में रूपक का प्रयोग राष्ट्रवादी भावना के विकास और मजबूत बनाने में किया जाता था ।

❇️ राज्य की दृश्य कल्पना :-

🔹 अठाहरवीं एवं उन्नीसवीं शताब्दी में कलाकारों ने राष्ट्र को कुछ यूँ चित्रित किया जैसे वह कोई व्यक्ति हों । राष्ट्रों को नारी भेष में प्रस्तुत किया जाता था । राष्ट्र को व्यक्ति का जामा पहनाते हुए जिस नारी रूप को चुना गया वह असल जीवन में कोई खास महिला नहीं थी ।

🔹 यह तो राष्ट्र के अमूर्त विचार को ठोस रूप प्रदान करने का प्रयास था । यानी नारी की छवि राष्ट्र का रूपक बन गई । फ्रांस में उसे लोकप्रिय ईसाई नाम मारिआना दिया गया जिसने जन- राष्ट्र के विचार को रेखांकित किया । इसी प्रकार जर्मेनिया , जर्मन राष्ट्र का रूपक बन गई ।

❇️ राष्ट्रवाद के उदय में महिलाओं का योगदान :-

  • राजनैतिक संगठन का निर्माण
  • समाचार पत्रों का प्रकाशन
  • मताधिकार प्राप्ति हेतु संघर्ष
  • राजनैतिक बैठकों तथा प्रदर्शनों में हिस्सा लेना ।

❇️ विभिन्न प्रतीक चिन्ह और उनका अर्थ :-

प्रतीक महत्त्व 
टूटी हुई बेड़िया आजादी मिलना 
बाज छाप वाला कवच जर्मन समुदाय की प्रतीक शक्ति 
बलूत पत्तियों का मुकुट वीरता 
तलवार मुकाबले की तैयारी 
तलवार पर लिपटी जैतून की डाली शांति की चाह 
काला , लाल और सुनहरा तिरंगा उदारवादी राष्ट्रवादियों का झण्डा
उगते सूर्य की किरणेंएक नए युग की शुरूआत

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