अपवाह तंत्र (Drainage system) || 11th Class Geography Ch-3 (Book-2) || Notes In Hindi

अपवाह तंत्र

(Drainage system)



❇️ अपवाह :-

🔹 किसी भी क्षेत्र का अपवाह तंत्र वहाँ की भूवैज्ञानिक समयावधि , चट्टानों की प्रकृति एवं संरचना , स्थलाकृतिक ढाल , बहते जल की मात्रा और बहाव की अवधि से प्रभावित एवं नियंत्रित होता है ।

🔹 निश्चित वाहिकाओं के माध्यम से हो रहे जलप्रवाह को अपवाह ( Drainage ) कहते है ।

❇️ अपवाह तंत्र :-

🔹 वाहिका अर्थात् नदियाँ , नाले व अन्य जल निकास तंत्र जिनसे वर्षा का जल बहते हुए किसी बड़ी झील , तालाब या सागर में चला जाता है । 

🔹 इन वाहिकाओं के जाल को अपवाह तंत्र ( Drainage System ) कहते हैं ।

❇️ अपवाह प्रतिरूप के प्रकार :-

🔹 अपवाह प्रतिरूप मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं :-

🔶 वृक्षाकार प्रतिरूप ( Dendritic Pattern ) :- जो अपवाह प्रतिरूप पेड़ की शाखाओं के अनुरूप हो उसे वृक्षाकार प्रतिरूप कहते हैं । जैसे उत्तरी मैदान की नदियां ।

🔶 अरीय प्रतिरूप ( Radial Pattern ) :- जब नदियां किसी पर्वत से निकलकर सभी दिशाओं में बहती है उसे अरीय प्रतिरूप कहते हैं । अमरकंटक पर्वत श्रृंखला से निकलने वाली नदियां इस प्रतिरूप के अच्छे उदाहरण है ।

🔶 जालीनुमा प्रतिरूप ( Trellis Pattern ) :- जब मुख्य नदियां एक दूसरे के समानान्तर बहती हों तथा सहायक नदियां उनसे समकोण पर मिलती हैं तो उसे जालीनुमा प्रतिरूप कहते हैं ।

🔶 अभिकेन्द्री प्रतिरूप ( Centripetal Pattern ) :- जब सभी दिशाओं से नदियां बहकर किसी झील या गर्त में विसर्जित होती है तो ऐसे अपवाह प्रतिरूप को अभिकेन्द्री प्रतिरूप कहते हैं ।

❇️ हिमालयी अपवाह तंत्र :-

🔹 हिमालयी अपवाह तंत्र काफी लम्बे दौर में विकसित हुआ है ।

🔹 प्रमुख नदियाँ : गंगा , ब्रहमपुत्र , सिन्धु 

🔹 यहाँ की नदियाँ बारहमासी हैं ( 12 months ) , क्योंकि ये बर्फ पिघलने पर और वर्षण दोनों पर निर्भर हैं ।

🔹 ये नदियाँ गहरे गार्ज से गुज़रती हैं तथा अपरदन की क्रिया भी करती हैं ।

🔹 ये नदियाँ अपने पर्वतीय मार्ग में v- आकार की घाटियाँ बनाती है।

🔹 ये नदियाँ हिमालय से निकलकर उत्तरी भारत के उपजाऊ मैदानों में बहती हुई बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं , हिमालय अपवाह तंत्र नवीन हैं ।

🔹 यहाँ नदियाँ विसर्प बनाती हैं और अपने मार्ग भी बदलती रहती हैं , ये नदियाँ हिमालय की हिमाच्छादित क्षेत्रो से जल प्राप्त करती हैं और हमेशा बहती रहती हैं ।

🔹 ये नदियाँ अपने विकास की युवावस्था में हैं और अपने मार्ग में अपरदन का कार्य करती हैं और डेल्टा का निर्माण भी करती हैं ।

🔹 गंगा – ब्रहमपुत्र डेल्टा दुनिया का सबसे प्रसिद्ध और सबसे तेजी से बढ़ने वाला डेल्टा है ।

❇️ हिमालयी अपवाह तंत्र की नदियाँ :-

❇️ सिन्धु नदी तंत्र :-

🔹 यह विश्व के सबसे बड़े नदी द्रोणीयों में से एक है । 

🔹 क्षेत्रफल : 11 लाख , 65 हज़ार वर्ग किलोमीटर ।

🔹 कुल लम्बाई : 2880 किलोमीटर और भारत में : 1114 किलोमीटर ।

🔹 भारत में यह हिमालयी नदियों में से सबसे पश्चिमी है ।

🔹 इसका उद्गम तिब्बती क्षेत्र में कैलाश पर्वत श्रेणी में बोखर चू के नज़दीक एक हिमनद से होता है ।

🔹 तिब्बत में इसे सिंगी खंबान / शेर मुख कहते हैं ।

🔹 लद्दाख एवं जास्कर श्रेणियों के बीच से उत्तर पश्चिमी दिशा में बहती हुई लद्दाख और बालिस्तान से गुज़रती है ।

🔹 लद्दाख श्रेणी को काटते हुए ये नदी जम्मू और कश्मीर में गिलगित के पास एक दर्शनीय महाखड्ड का निर्माण करती है ।

🔹 यह पाकिस्तान में चिल्लस के निकट दरदिस्तान प्रदेश में प्रवेश करती है ।

🔹 सिन्धु नदी की बहुत सारी सहायक नदियाँ हिमालय पर्वत से निकलती हैं जैसे : शयोक , गिलगित , जास्कर , हुंजा , नुबरा , शिगार , गास्टिंग और द्रास ।

🔹 सिन्धु नदी की मुख्य सहायक नदियाँ :- झेलम , चेनाब , रावी , व्यास , सतलुज।

❇️ झेलम :-

🔹 यह सिन्धु की महत्वपूर्ण सहायक नदी है ।

🔹 उद्गम – कश्मीर घाटी के दक्षिण – पूर्वी भाग में पीर पंजाल गिरीपद में स्थित वेरीनाग झरने से यह निकलती है । 

🔹 पाकिस्तान में प्रवेश करने से पहले नदी श्रीनगुर और वूलर झील से बहते हुए एक तंग और गहरे महाखड्ड से गुज़रती है । 

🔹 पाकिस्तान में झंग के पास यह चेनाब से मिलती है ।

❇️  चेनाब :-

🔹 सिन्धु की सबसे बड़ी सहायक नदी है । चन्द्रा और भागा -दो सरिताओं के मिलने से बनती है । 

🔹  ये सरिताएं हिमाचल प्रदेश में केलांगू के निकट ताडी में आपस में मिलती है । इसलिए इसे चंद्रभागा के नाम से भी जाना जाता है ।

❇️ रावी :-

🔹 यह सिन्धु की एक और महत्वपूर्ण सहायक नदी है ।

🔹 उद्गम – हिमाचल के कुल्लू पहाड़ियों में रोहतांग दर्रे के पश्चिम से निकलती है ।

🔹 यह राज्य की चंबा घाटी से बहती है ।

🔹 पाकिस्तान में प्रवेश करने एवं सराय सिन्धु के पास में चेनाब नदी में मिलने से यह नदी पीर पंजाल के दक्षिण पूर्वी भाग एवं धौलाधर के बीच प्रदेश से बहती है ।

❇️ व्यास :-

🔹 यह सिन्धु की एक और महत्वपूर्ण सहायक नदी है । 

🔹 समुद्र तल से 4000 मीटर की ऊंचाई पर रोहतांग दर्रे के निकट व्यास कुंड से निकलती है ।

🔹 यह नदी कुल्लू घाटी से गुज़रती है और धौलाधर श्रेणी में काती और लारगी गार्ज का निर्माण करती है ।

🔹यह पंजाब के मैदान में प्रवेश करती है जहाँ हरिके के पास सतलुज नदी में मिल जाती है ।

❇️ सतलुज :-

🔹  यह नदी तिब्बत में 4,555 मीटर की ऊंचाई पर मानसरोवर के निकट राक्षस ताल से निकलती है , जहाँ इसे लाँगचेन खन्बाब के नाम से जाना जाता है ।

🔹 भारत में प्रवेश करने से पहले यह लगभग 400 KM तक सिन्धु नदी के समांतर बहती है और रोपड़ में एक गार्ज से निकलती है ।

🔹 यह हिमालय पर्वत श्रेणी में शिपकीला से होती हुई पंजाब के मैदान में प्रवेश करती है ।

🔹 यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण नदी है क्योंकि यह भाखड़ा नांगल परियोजना के नहर तंत्र का पोषण करती है ।

❇️ गंगा नदी तंत्र :-

🔹 द्रोणी तथा सांस्कृतिक महत्व दोनों के दृष्टिकोण से गंगा एक महत्वपूर्ण नदी है ।

🔹 उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गोमुख के पास गंगोत्री हिमनद से निकलती है ।

🔹 यहाँ पर यह भागीरथी नाम से जानी जाती है , देवप्रयाग में भागीरथी अलकनंदा से मिलती है और इसके बाद यह गंगा कहलाती है ।

🔹 गंगा नदी हरिद्वार में मैदान में प्रवेश करती है और हरिद्वार से दक्षिण की ओर फिर दक्षिण से पूर्व की ओर बहती है तथा अंत में यह दक्षिण मुखी होकर दो धाराओं भागीरथी और हुगली में बंट जाती है ।

🔹 बांग्लादेश में प्रवेश करने के बाद इसका नाम पदमा हो जाता है । 

🔹 गंगा नदी की लम्बाई 2525 किलोमीटर है और यह भारत का सबसे बड़ा अपवाह तंत्र है । इसके उत्तर में हिमालय से निकलने वाली बारहमासी नदियाँ आकर मिलती है ।

🔹 यमुना , गंगा की सबसे पश्चिमी और सबसे लम्बी सहायक नदी है ।

🔹 सोन इसके RIGHT किनारे पर मिलने वाली एक प्रमुख सहायक नदी है ।

🔹 LEFT तट पर मिलने वाली महत्वपूर्ण सहायक नदियाँ : रामगंगा , गोमती , घाघरा , गंडक , कोसी , महानंदा ।

❇️ ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र :-

🔹 विश्व की सबसे बड़ी नदियों में से एक है ।

🔹 उद्गम – कैलाश पर्वत में मानसरोवर झील के पास चेमायूँगडुंग हिमनद

🔹 यह दक्षिणी तिब्बत के शुष्क एवं समतल मैदान में लगभग 1,200 KM की दूरी तय करती है | 

🔹 जहाँ इसे ‘ सान्ग्पो ‘ नाम से जाना जाता है | जिसका अर्थ है ‘ शोधक ‘

🔹 हिमालय के गिरीपद में यह सिशंग या दिशंग नाम से निकलती है । 

🔹 दक्षिण – पश्चिम दिशा में बहते हुए इसके बाएँ तट पर इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ दिबांग या सिकांग और लोहित मिलती हैं । इसके बाद यह ब्रह्मपुत्र के नाम से जानी जाती है ।

🔹 बांग्लादेश में तिस्ता नदी इसके दाहिने किनारे पर मिलती है और इसके बाद यह जमुना कहलाती है ।

🔹 अंत में यह नदी पद्मा के साथ मिलकर बंगाल की खाड़ी में जा गिरती है ।

🔹यह नदी बाढ़ , मार्ग परिवर्तन और तटीय अपरदन के लिए जानी जाती है । क्योंकि इसकी अधिकतर सहायक नदियाँ बड़ी हैं ।

❇️ प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र :-

🔹 ये नदियाँ पश्चिमी घाट एवं प्रायद्वीपीय पठार से निकलकर पश्चिम से पूर्व की और बहते हैं । 

🔹 यह अपवाह तंत्र पुराना है । प्रायद्वीपीय नदियाँ सुनिश्चित मार्ग में बहती हैं तथा ये विसर्प नहीं बनाती हैं ।

🔹 ये नदियाँ वर्षा पर निर्भर करती हैं इसलिए ग्रीष्म ऋतु में सुख जाती हैं ।

🔹 ये नदियाँ अपने विकास की प्रौढ़ावस्था में हैं तथा इनकी नदी घाटियाँ चौड़ी तथा उथली हैं ।

🔹 नर्मदा और तापी को छोड़कर अधिकतर प्रायद्वीपीय नदियाँ पश्चिम से पूर्व की ओर बहती हैं ।

🔹 प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र की प्रमुख नदियाँ :- महानदी , गोदावरी , कृष्णा कावेरी ,

🔹 सबसे लम्बी नदी – गोदावरी – 1,465 किलोमीटर

❇️ महानदी :-

🔹 उद्गम – छत्तीसगढ़ , रायपुर ( जिला ) , सिहावा के पास से ओडिशा से बहते हुए अपना जल बंगाल की खाड़ी में विसर्जित करती है ।

🔹 लम्बाई – 851 किलोमीटर . इसके निचले मार्ग में नौसंचालन भी होता ।

🔹 इसका अपवाह द्रोणी का 53 % भाग मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में तथा 47 % भाग ओडिशा में विस्तृत है ।

❇️ गोदावरी :-

🔹 इसे दक्षिण गंगा नाम से भी जाना जाता है ।

🔹  उद्गम – महाराष्ट्र , नासिक ( जिला ) बंगाल की खाड़ी में गिरती है ।

🔹 इसकी सहायक नदियाँ महाराष्ट्र , मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ , ओडिशा और आंध्रप्रदेश से होकर गुज़रती हैं।

🔹 लम्बाई – 1,465 किलोमीटर 

🔹 मुख्य सहायक नदियाँ – पेनगंगा , इन्द्रावती , प्राणहिता , मंजरा 

🔹 इसके डेल्टा के भाग में नौसंचालन संभव है ।

❇️ कृष्णा :-

🔹 उद्गम – सह्याद्री , महाबलेश्वर के निकट ।

🔹 लम्बाई – 1,401 किलोमीटर

🔹 प्रमुख सहायक नदियाँ – कोयना , तुंगभद्रा , भीमा 

🔹 जलग्रहण क्षेत्र का 27 % ( महाराष्ट्र ) , 44 % ( कर्नाटक ) , 29 % ( आंध्रप्रदेश और तेलंगाना )

❇️ कावेरी :-

🔹 उद्गम – कर्नाटक , कोगाडु ( जिला ) , ब्रह्मगिरी पहाड़ियां ।

🔹 लम्बाई – 800 किलोमीटर ।

🔹 प्रमुख सहायक नदियाँ – काबीनी , भवानी , अमरावती 3 % ( केरल ) , 41 % ( कर्नाटक ) , 56 % भाग ( तमिलनाडु ) । यह नदी लगभग सारा साल बहती है ।

❇️ नर्मदा नदी :-

🔹 उद्गम – अमरकंटक पठार के पश्चिम पाशर्व से लगभग 1,057 मीटर की ऊंचाई से निकलती है ।

🔹 सरदार सरोवर परियोजना इसी नदी पर बनाई गई है 

🔹 दक्षिण में सतपुड़ा और उत्तर में विध्यांचल श्रेणियों के बीच यह भंश घाटी से बहती हुई संगमरमर की चट्टानों में खूबसूरत गार्ज और जबलपुर के पास मे धुआंधार जल प्रपात बनती है ।

🔹 यह भड़ौच के दक्षिण में अरब सागर में मिलती है ।

❇️ जल संभर क्षेत्र के आधार पर भारतीय अपवाह द्रोणियों को कितने भागों में बाँटा गया है ?

🔹 जल – संभर क्षेत्र के आधार पर भारतीय अपवाह द्रोणियों को तीन भागों में बांटा गया है । 

🔶 प्रमुख नदी द्रोणी :- इनका अपवाह क्षेत्र 20,000 वर्ग किलो मीटर से अधिक है । इसमें 14 नदी द्रोणियाँ शामिल हैं जैसे गंगा , ब्रह्मपुत्र , कृष्णा , तापी , नर्मदा इत्यादि । 

🔶 मध्यम नदी द्रोणी :- जिनका अपवाह क्षेत्र 2,000 से 20,000 वर्ग किलो मीटर है । इसमें 44 नदी द्रोणियाँ हैं जैसे कालिंदी , पेरियार , मेघना आदि । 

🔶 लघु नदी द्रोणी :- जिनका अपवाह क्षेत्र 2,000 वर्ग किलो मीटर से कम है । इसमें न्यून वर्षा के क्षेत्रों में बहने वाली बहुत सी नदियां शामिल हैं ।

❇️ नदी बहाव प्रवृत्ति :-

🔹 एक नदी के अपवाह क्षेत्र में वर्ष भर जल प्रवाह के प्रारूप में पर्याप्त भिन्नता देखने को मिलती है । इसे नदी बहाव ( River Regime ) कहा जाता है । उत्तर भारत की नदियां जो हिमालय से निकलती हैं । सदानीरा अथवा बारहमासी हैं । क्योंकि ये अपना जल बर्फ पिघलने तथा वर्षा से प्राप्त करती है । 

🔹 दक्षिण भारत की नदियां हिमनदों से जल नहीं प्राप्त करतीं । जिससे इनकी बहाव प्रवृत्ति में उतार – चढ़ाव देखा जा सकता है । इनका बहाव मानसून ऋतु में काफी ज्यादा बढ़ जाता है । इस प्रकार दक्षिण भारत की नदियों के बहाव की प्रवृत्ति वर्षा द्वारा नियंत्रित होती है , जो प्रायद्वीपीय पठार के एक स्थान से दूसरे स्थान पर भिन्न होती है । 

❇️ नदियों की उपयोगिता :-

🔹 सिंचाई :- भारतीय नदियों के जल का सबसे अधिक उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है । भारतीय नदियों में प्रतिवर्ष 1,67,753 करोड़ घन मीटर जल बहता है , जिसमें से 55,517 करोड़ घन मीटर अर्थात वार्षिक प्रवाह का 33 प्रतिशत का सिंचाई के लिए उपयोग किया जा सकता है । 

🔹जल शक्ति :- उत्तर में हिमालय , पश्चिम में विन्ध्याचल , सतपुड़ा और अरावली , पूर्व में मैकाल और छोटा नागपुर , उत्तर पूर्व में मेघालय के पठार और पूर्वांचल तथा दक्कन के पठार के पश्चिमी और पूर्वी घाट पर बड़े पैमाने पर जल शक्ति के विकास की संभावनाएं हैं । देश में इन नदियों से 60 प्रतिशत कार्यक्षमता के आधार पर लगभग 4.1 करोड़ किलोवाट जल शक्ति का उत्पादन किया जा सकता है । 

🔹 जलमार्ग :- देश के उत्तर तथा उत्तर पूर्व में क्रमशः गंगा व ब्रह्मपुत्र , उड़िसा में महानदी , आंध्रप्रदेश में गोदावरी और कृष्णा , गुजरात में नर्मदा और तापी तथा तटीय राज्यों में झीलों और ज्वारीय निवेशिकाओं में देश के प्रमुख और उपयोगी जलमार्ग है । देश में लगभग 10,600 कि.मी. लम्बे नौगम्य जलमार्ग हैं । इनमें से 2480 कि.मी. लम्बी नौगम्य में स्टीमर और बड़ी नावें , 3920 कि.मी. लम्बी नौगम्य नदियों में मध्यम आकार की देशी नावें और 4200 कि.मी. लंबी नौगम्य नहरें हैं । कृष्णा , नर्मदा और तापी केवल मुहानों के निकट ही नौगम्य हैं ।

❇️ नदी जल उपयोग से जुड़ी मुख्य समस्यायें :-

🔹 नदी जल उपयोग से जुड़ी मुख्य समस्याएं निम्नलिखित हैं : 

🔶 पर्याप्त मात्रा में जल का उपलब्ध न होना । 

🔶 नदी जल प्रदूषण ।

🔶 नदी जल में भारी मात्रा में गाद – मिट्टी का विद्यमान होना । 

🔶 जल बहाव में ऋतुवत परिवर्तनशीलता । 

🔶 राज्यों के बीच नदी जल विवाद । 

🔶 मानव बसाव के कारण नदी वाहिकाओं का सिकुड़ना ।

❇️ भारत की नदियों प्रदूषित क्यों ?

🔹 औद्योगिक कूड़ा – कचरा तथा घरेलू क्रियाकलापों से निकलने वाले अपशिष्ट को गंदे नालों द्वारा बहाकर भारत की नदियों में लाया जाता है । 

🔹  बहुत से शमशान घाट नदी किनारे हैं और कई बार मृत शरीरों या उनके अवशेषों को नदियों में बहा दिया जाता है । 

🔹 कुछ त्योहारों पर फूलों और मूर्तियों को नदियों में विसर्जित किया जाता है । बड़े पैमाने पर स्नान व कपड़े आदि की धुलाई से भी नदी प्रदूषित होती ।



इतिहास विश्व इतिहास के कुछ विषय

Chapter 1: - समय की शुरुआत से (From the Beginning of Time)

Chapter 2: - लेखन कला और शहरी जीवन (Writing and City Life)

Chapter 3: - तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य (An Empire Across Three Continents)

Chapter 4:- इस्लाम का उदय और विस्तार (The Central Islamic Lands )

Chapter 5:- यायावर साम्राज्य (Nomadic Empires)

Chapter 6:- तीन वर्ग (The Three Orders)

Chapter 7:- बदलती हुई सांस्कृतिक परम्पराएँ (Changing Cultural Traditions)

Chapter 8:- संस्कृतियों का टकराव (Confrontation of Cultures)

Chapter 9:- औद्योगिक क्रांति (The Industrial Revolution)

Chapter 10:- मूल निवासियों का विस्थापन (Displacing Indigenous Peoples)

Chapter 11:- आधुनिकीकरण के रास्ते (Paths to Modernization)

राजनीति विज्ञान  भारत का संविधान : सिद्धांत और व्यवहार

Chapter 1:- संविधान क्यों और कैसे (Constitution because and how)

Chapter 2:- भारतीय संविधान में अधिकार (Rights in the Indian Constitution)

Chapter 3:- चुनाव और प्रतिनिधि (Election and Representative)

Chapter 4:- कार्यपालिका (Executive)

Chapter 5:- विधायिका (Legislature)

Chapter 6:- न्यायपालिका (Judiciary)

Chapter 7:- संघवाद (Federalism)

Chapter 8:- स्थानीय शासन (Local Government)

Chapter 9:- संविधान एक जीवंत दस्तावेज़ (Constitution a living document)

Chapter10:- संविधान का राजनितिक दर्शन (Political Philosophy of the Constitution)

 

 

- राजनितिक सिद्धांत

Chapter 1:- राजनीतिक सिद्धांत एक परिचय (Political Theory - An Introduction)

Chapter 2:- स्वतंत्रता (Freedom)

Chapter 3:- समानता (Equality)

Chapter 4:- सामाजिक न्याय (Social justice)

Chapter 5:- अधिकार (Rights)

Chapter 6:- नागरिकता (Citizenship)

Chapter 7:- राष्ट्रवाद (Nationalism)

Chapter 8:- धर्मनिरपेक्षता (Secularism)

Chapter 9:- शांति (Peace)

Chapter 10:- विकास (Development)

 

 

भूगोल   भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत

Chapter 1:- भूगोल एक विषय के रूप में (Geography as A Discipline)

Chapter 2:- पृथ्वी की उत्पत्ति एंव विकास (The Origin and Evolution of the Earth)

Chapter 3:- पृथ्वी की आन्तरिक संरचना (Interior of the Earth)

Chapter 4:- महासागरों और महाद्वीपों का वितरण (Distribution of Oceans and Continents)

Chapter 5:- खनिज एंव शैल (Minerals and Rocks)

Chapter 6:- आकृतिक प्रक्रियाएँ (Geomorphic Processes)

Chapter 7:- भू आकृतियाँ तथा उनका विकास (Landforms and their Evolution)

Chapter 8:- वायुमण्डल का संघटन एवं संरचना (Composition and Structure of Atmosphere)

Chapter 9:- सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान (Solar Radiation , Heat Balance and Temperature)

Chapter 10:- वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसमी प्रणालियाँ (Atmospheric Circulation and Seasonal Systems)

Chapter 11:- वायुमंडल में जल (Water in the Atmosphere)

Chapter 12:- विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन (World Climate and Climate Change)

Chapter 13:- महासागरीय जल (Ocean Water)

Chapter 14:- महासागरीय जल संचलन (Movements of Ocean Water)

Chapter 15:- पृथ्वी पर जीवन (Life on the Earth)

Chapter 16:- जैव विविधता एवं संरक्षण (Biodiversity and Conservation)

 

 

 भारत : भौतिक पर्यावरण

Chapter 1:- भारत स्थिति (India - Location)

Chapter 2:- संरचना तथा भू - आकृति विज्ञान (Structure and Physiography)

Chapter 3:- अपवाह तंत्र (Drainage System)

Chapter 4:- जलवायु (Climate)

Chapter 5:- प्राकृतिक वनस्पति (Natural Vegetation)

Chapter 6:- मृदा (Soils)

Chapter 7:- प्राकृतिक आपदाएं और संकट (Natural Hazards and Disaster)

 

 

 

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