जैव विविधता एवं संरक्षण
(Biodiversity and Conservation
❇️ परिचय :-
🔹 आज जो जैव – विविधता हम देखते हैं , वह 2.5 से 3.5 अरब वर्षों के विकास का परिणाम है ।
🔹 मानव के आने से जैव – विविधता में तेजी से कमी आने लगी , क्योंकि किसी एक या अन्य प्रजाति का आवश्यकता से अधिक उपयोग होने के कारण , वह लुप्त होने लगती है ।
🔹 आज भारत में 66 राष्ट्रीय पार्क , 368 अभ्यारण्य 14 जैव आरक्षित क्षेत्र ( Biosphere Reserve ) हैं । जहाँ विविधता को अक्षुण रखने का प्रयास जारी है ।
❇️ जैव विविधता :-
🔹 जैव विविधता दो शब्दों Bio ( बायो ) व Diversity ( डाईवर्सिटी ) के मेल से बना है ‘ बायो ‘ का अर्थ है- जैव तथा डाईवर्सिटी का अर्थ है – विविधता अर्थात् किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में पाए जाने वाले जीवों की संख्या व उनकी विविधता को जैव विविधता कहते हैं ।
🔹 जैव विविधता उष्ण कटिबंधीय प्रदेशों में अधिक है । जैसे – जैसे हम ध्रुवीय प्रदेशों की ओर बढ़ते हैं प्रजातियों की विविधता कम होती जाती है । किंतु जीवधारियों की संख्या अधिक हो जाती है ।
❇️ जैव विविधता को किन स्तरों पर समझा जा सकता है ।
🔹 जैव विविधता को निम्नलिखित तीन स्तरों पर समझा जा सकता है ।
🔶 अनुवांशिक विविधता ( Genetic Biodiversity ) :- अनुवांशिक जैव विविधता में किसी प्रजाति के जीवों का वर्णन किया जाता है । जीवन निर्माण के लिए जीन ( Gene ) एक मूलभूत इकाई है । किसी प्रजाति में जीव की विविधता ही अनुवांशिक जैव – विविधता है ।
🔶 प्रजातीय विविधता ( Species Biodiversity ) :- प्रजातीय विविधता किसी निर्धारित क्षेत्र में प्रजातियों की अनेक रूपता बताती है और प्रजातियों की संख्या से सम्बन्धित है । जिन क्षेत्रों में प्रजातीय विविधता अधिक होती है , उन्हे विविधता के हॉट – स्पॉट ( Hot Spots ) कहते हैं ।
🔶 पारितंत्रीय विविधता ( Eco System Diversity ) :- पारितंत्रीय विविधता पारितंत्रो की संख्या तथा उनके वितरण से सम्बन्धित है । पारितंत्रीय प्रक्रियाएं , आवास तथा स्थानों की भिन्नता ही पारितंत्रीय विविधता बनाते हैं ।
❇️ जैव – विविधता के आर्थिक महत्व :-
🔹 सभी मनुष्यों के लिए दैनिक जीवन में जैव विविधता एक महत्वपूर्ण संसाधन है । जैव – विविधता को संसाधनों के उन भंडारों के रूप में समझा जा सकता है जिनकी उपयोगिता भोज्य पदार्थ , औषधियों और सौंदर्य प्रसाधन आदि बनाने में होता है । जैव संसाधनों की ये परिकल्पना जैव – विविधता के विनाश के लिए भी उत्तरदायी है ।
🔹 साथ ही यह संसाधनों के विभाजन और बंटवारे को लेकर उत्पन्न नए विवादों का भी जनक है । खाद्य फसलें , पशु , वन संसाधन , मत्स्य और दवा संसाधन आदि कुछ ऐसे प्रमुख आर्थिक महत्व के उत्पाद है , जो मानव को जैव – विविधता के फलस्वरूप उपलब्ध होते हैं ।
❇️ जैव – विविधता के पारिस्थितिक महत्व :-
🔹 जीव व प्रजातियां ऊर्जा ग्रहण कर उसका संग्रहण करती है , कार्बनिक पदार्थ उत्पन्न एंव विघटित करती हैं और परितंत्र में जल व पोषक तत्वों के चक्र को बनाए रखने में सहायक होती हैं । ये वायुमंडलीय गैस को स्थिर करती हैं , और जलवायु को नियंत्रित करने में सहायक होती हैं ।
🔹 ये पारितंत्रीय क्रियाएं मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण क्रियाएं हैं । पारितंत्र में जितनी अधिक विविधता होगी प्रजातियों के प्रतिकूल स्थितियों में भी रहने की संभावना उतनी ही अधिक होगी । जिस पारितंत्र मे जितनी अधिक प्रजातियां होगी , वह पारितंत्र उतना ही अधिक स्थायी होगा ।
❇️ जैव – विविधता के वैज्ञानिक महत्त्व :-
🔹 वैज्ञानिकों के अध्ययनों से वर्तमान में मिलने वाली जैव प्रजाति से हम यह जान सकते हैं कि जीवन का आरम्भ कैसे हुआ तथा भविष्य में यह कैसे विकसित होगा ? पारितंत्र को कायम रखने में प्रत्येक प्रजाति की भूमिका का मूल्यांकन भी जैव – विविधता के अध्ययन से किया जा सकता है ।
❇️ जैव विविधता के सम्मेलन में लिए गए संकल्पों में जैव – विविधता संरक्षण के लिए सुझाए गए उपाय :-
🔹 संकटापन्न प्रजातियों के संरक्षण के लिए प्रयास करने चाहिए ।
🔹 प्रजातियों को लुप्त होने से बचाने के लिए उचित योजनाएं व प्रबंधन अपेक्षित हैं ।
🔹 खाद्यानों की किस्में , चारे संबंधी पौधों की किस्में , इमारती लकडी के पेड़ , पशुधन , जंतु व उनकी वन्य प्रजातियों की किस्मों को संरक्षित करना चाहिए ।
🔹 प्रत्येक देश को वन्य जीवों के आवास को चिन्हित कर उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना चाहिए ।
🔹 प्रजातियों के पलने – बढ़ने तथा विकसित होने के स्थान सुरक्षित व संरक्षित होने चाहिए ।
🔹 वन्य जीवों व पौधों का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार , नियमों के अनुरूप हो ।
❇️ जैव – विविधता के हास को रोकने के उपाय :-
🔹 संकटापन्न प्रजातियों के संरक्षण के लिए प्रयास किए जाने चाहिए ।
🔹 प्रजातियों को लुप्त होने से बचाया जाए ।
🔹 वनरोपण द्वारा पौधों की सुरक्षा करनी चाहिए । प्रदूषण पर नियंत्रण , कीटनाशकों के प्रयोग पर नियंत्रण किया जाना चाहिए ।
🔹 वन्य जीवों के आवास को चिन्हित करके उन्हें सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए ।
🔹 वन्य जीवों एवं पौधों के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार पर रोक लगानी चाहिए ।
❇️ जैव विविधता के द्वारा ( विनाश ) के कारण :-
🔹 जैव विविधता विनाश के निम्नलिखित कारण हैं :-
🔶 आवास में परिवर्तन
🔶 जनसंख्या में वृद्धि
🔶 विदेशज जातियां
🔶 प्रदूषण
🔶 वनों का अतिदोहन
🔶 शिकार
🔶 बाढ़ व भूकंप आदि।
❇️ प्रजाति :-
🔹 समान भौतिक लक्षणों वाले जीवों के समूह को प्रजाति कहते हैं ।
🔹 एक अनुमान के अनुसार संसार में कुल प्रजातियों की संख्या 20 लाख से 10 करोड़ के बीच है किंतु अभी तक एक करोड़ का ही सही अनुमान हो पाया है ।
🔹 एक अनुमान के अनुसार लगभग 99 % प्रजातियाँ , जो कभी पृथ्वी पर रहती थीं , आज विलुप्त हो चुकी हैं ।
❇️ महाविविधता केन्द्र :-
🔹 ये उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र जहां संसार की सर्वाधिक प्रजातीय विविधता पाई जाती है उन्हें महा – विविधता केन्द्र कहा जाता है । इन देशों की संख्या 12 है और इनके नाम है : मैक्सिको , कोलंबिया , इक्वेडोर , पेरू , ब्राजील , डेमोक्रेटिक स्पिब्लिक ऑफ कांगो , मेडागास्कर , चीन , भारत , मलेशिया , इंडोनशिया और आस्ट्रेलिया । इन देशों में समृद्ध महा – विविधता के केन्द्र स्थित हैं ।
❇️ I.U.C.N :-
🔹 पूरा नाम :- International Union For The Protection Of Nature
🔹 स्थापना :- 5 October 1948 – France 1956 में इसका नाम I.U.C.N कर दिया गया
🔹 I.U.C.N :- International Union For Conservation Of Nature (अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ)
❇️ आई यू सी एन द्वारा प्रजातियों वर्गीकरण :-
🔹 संकटापन प्रजातियां ( Endangered Species ) :- इसमें वे सभी प्रजातियाँ सम्मिलित हैं , जिनके लुप्त हो जाने का खतरा है । इंटरनेशनल यूनियन फॉर द कंजरवेशन ऑफ नेचर एण्ड नेचुरल रिसोर्सेज ( आई यू सी एन ) विश्व की सभी संकटापन्न प्रजातियाँ के बारे में रेड लिस्ट ( Red List ) के नाम से सूचना प्रकाशित करता है ।
🔹 सूभेद्य प्रजातियां ( Vulnerable Species ) :- इसमें वे सभी प्रजातियाँ सम्मिलित हैं , जिन्हें यदि संरक्षित नहीं , किया गया या उनके विलुप्त होने में सहयोगी कारक यदि जारी रहे तो निकट भविष्य में उनके विलुप्त होने का खतरा है । इनकी संख्या अत्याधिक कम होने के कारण , इनका जीवित रहना सुनिश्चित नहीं है ।
🔹 दुर्लभ प्रजातियां ( Rare Species ) :- संसार में इन प्रजातियों की संख्या बहुत कम है । ये प्रजातियों कुछ ही स्थानों पर सीमित हैं या बड़े क्षेत्र में विरल रूप से बिखरी हैं ।
❇️ भारत सरकार ने विभिन्न प्रकार की प्रजातियों को बचाने संरक्षित करने तथा उनके विस्तार के लिए किए गए उपाय :-
🔹 भारत सरकार ने प्राकृतिक सीमाओं के भीतर विभिन्न प्रकार की प्रजातियों को बचाने , संरक्षित करने तथा उनके विस्तार के लिए निम्नलिखित उपाय किए हैं :-
🔹 वन्य जीवन सुरक्षा अधिनियम 1972 पारित किया है । जिसके अंतर्गत नेशनल पार्क , पशुविहार स्थापित किए हैं ।
🔹 जीवमंडल आरक्षित क्षेत्रों ( Biosphere Reserves ) की घोषणा की गई है जहाँ वन्य जीव अपने प्राकृतिक आवास में निर्भय होकर रह सकते हैं । तथा प्रजाति का विकास कर सकते हैं ।
❇️ हॉट – स्पॉट :-
🔹 जिन क्षेत्रों में प्रजातीय विविधता अधिक होती है उन्हें विविधता के हॉट – सपॉट कहा जाता है ।
❇️ विभिन्न महाद्वीपों में स्थित पारिस्थितिक हॉट स्पॉट ( Ecological hotspots in the world ) :-
🔹 दक्षिण एवं सेन्ट्रल अमेरिका
1. सेन्ट्रल अमेरिका की उच्च भूमि , निम्न भूमि
2. पश्चिम इक्वाडोर तथा कोलंबियन काको
3. उष्ण कटिबंधीय एंडीज
4. अटलांटिक वन ब्राजील
🔹 अफ्रीका
1. पूर्वी मेडागास्कर
2. पूर्वी चाप पर्वत + तंजानिया
3. ऊपरी गिनी वन
🔹 एशिया
1. पश्चिम घाट , पूर्वी हिमालय , भारत
2. सिंह राजा वन , श्रीलंका
3. इन्डोनेषिया
4. प्रायद्वीपीय मलेषिया
5. फिलीपीन्स
6. उत्तरी बोर्निया
🔹 आस्ट्रेलिया
1. क्वींस लैन्ड
2. मेलेनेषिया ( न्यू कैलेडोनिया )