रूस (Russia) || Ch-3 B-1 Pol. Science Class 12th || New Topic || Hindi Medium || NCERT CBSE


रूस (Russia)


परिचय:-

  • रूस अपने विघटन से पूर्व सोवियत संघ का सबसे बड़ा भाग था । 
  • 1980 के दशक के अंत तथा 1990 के प्रारम्भ में सोवियत संघ के विघटन के पश्चात रूस , ' सोवियत समाजवादी संघ गणराज्य ' ( यू . एस . एस . आर . ) के सबसे सशक्त उत्तराधिकारी के रूप में उदित हुआ । 
  • रूस के पास खनिजों , प्राकृतिक संसाधनों तथा गैसों का अपार भंडार है जो इसे वैश्विक पटल पर एक शक्तिशाली राज्य बनाते हैं । 
  • इसके अतिरिक्त , परिष्कृत शस्त्रास्त्रों के विशाल भंडार के साथ रूस एक परमाणु शक्ति सम्पन्न राज्य है । 

  • रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद , जिसे पी -5 भी कहा जाता है , का एक स्थायी सदस्य भी है । 

सोवियत संघ का विघटन ( 25 दिसम्बर , 1991 ) के बाद रूस:-

  • दिसम्बर , 1991 में भूतपूर्व सोवियत संघ का विघटन हो गया तथा 15 नए राष्ट्रों का उदय हुआ । 
  • तीन बाल्टिक राज्यों- एस्तोनिया , लातविया और लिथुआनिया को छोड़कर शेष 12 राज्यों ने स्वतंत्र राज्यों का एक राष्ट्रकुल ( CIS ) बना लिया है , जिसका मुख्यालय बेलारूस की राजधानी मिस्क में है । 
  • इन देशों में रूस , कजाकिस्तान , तजाकिस्तान , उज्बेकिस्तान , किर्गिजिस्तान , तुर्कमेनिस्तान , जार्जिया , आर्मेनिया , अजरबैजान , माल्दोविया , यूकेन , बेलारूस शामिल हैं । 
  • जार्जिया , आर्मेनिया व अजरबैजान को संयुक्त रूप से ' काकेशस राज्य ' कहा जाता है । 
  • पूर्व सोवियत संघ का 76 % भू - भाग अब भी रूस में शामिल है । 
  • यह दो महाद्वीपों में विस्तृत विश्व का विशालतम देश है । 
  • पश्चिम में बाल्टिक सागर से लेकर पूर्व में प्रशांत महासागर तक इसका फैलाव 9,000 किमी . क्षेत्र में है ।
  • उत्तर में आर्कटिक महासागर से लेकर दक्षिण में कार्कशस पर्वत श्रेणी के मध्य 4,500 किमी . की दूरी में इसका विस्तार है । 
  • यूराल पर्वत , यूराल नदी है इंस्पियन सागर इस देश को यूरोपीय और एशियाई भागों में बाँटते हैं । 
  • काकेशस पर्वत रूस के दक्षिणी - पश्चिमी भाग में काला सागर और कैस्पियन र बीच फैले हैं । 
  • एल्ब्रुश ' रूस का सबसे ऊँचा पर्वत शिखर है । यह काकेशस पर्वत में है । 

भारत के लिए रूसी सहयोग का महत्त्व:-

  • भारतीय नौसेना की शक्ति और इसकी तकनीकी क्षमता को बढ़ाने में रूस का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है । 
  • वर्तमान में भारत को रूस द्वारा परमाणु पनडुब्बी INS चक्र ( SSN )  प्रदान की गई है . साथ ही निकट भविष्य में रूस द्वारा भारत को एक अन्य परमाणु पनडुब्बी के दिए जाने की संभावना है । । 
  • देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम के विकास में भारत को प्रारंभ से ही रूस का सहयोग मिलता रहा है और वर्तमान में भी भारतीय अतरिक्ष यात्रियों को रूस में प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है ।
  • भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना में भी रूस का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है ।
  • रक्षा , ऊर्जा , अंतरिक्ष आदि जैसे महत्त्वपूर्ण और रणनीतिक क्षेत्रों में रूस को क्षमता तथा अनुभव भारत के लिये बहुत ही मददगार रहा है । 
  • ' ब्रह्मोस मिसाइल , M - 46 बंदूक का उन्नयन आदि रक्षा क्षेत्र में भारत - रूस के मजबूत संबंधों के प्रमुख उदाहरण है । 

भारत - रूस रक्षा, परमाणु, ऊर्जा संबंध:-

  • शीतयुद्ध के अंत से ही भारत ने रूस के साथ एक मजबूत दीर्घकालिक ऊर्जा भागीदारी स्थापित करने की कोशिश की है । 
  • भारत और रूस को पहले से चल रहे रक्षा हार्डवेयर और परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए । और इन दोनों क्षेत्रों में भारतीय बाजार में हानि होती है तो इससे रूस को एक बड़ा झटका लग सकता है और भारत को उन्नत प्रौद्योगिकी से वंचित होना पड़ सकता है । 
  • इन्ही सब कारणों से सेंट पीटर्सबर्ग में हुई बैठक में भारत और रूस ने एक " ऊर्जा गलियारा " स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की और अपेक्षाकृत स्वक्ष और जलवायु अनुकूल ईंधन के रूप में प्राकृतिक गैस के उपयोग पर जोर दिया । 
  • लेकिन हाल की यात्रा के दौरान पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के सहयोग के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई , जिसके सह - उत्पादन और विकास को लेकर दोनों देशों के मध्य लगभग एक दशक पहल सहमति बनी थी।

निष्कर्षता:-

  • हम कह सकते है की भारत की स्वतंत्रता के बाद से रक्षा , अंतरिक्ष , परमाणु ऊर्जा , औद्योगिक तकनीकी और कई अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में देश को स्थानीय क्षमता के विकास में रूस का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है । 
  • भारत और रूस के संबंध शुरुआत से हो बहुत ही मजबूत रहे हैं , परंतु किसे भी अन्य साझेदारी की तरह समय के साथ इसमें कुछ सुधारों को आवश्यकता महसूस की गई है । 
  • वर्तमान में भारत और रूस के साझा हितों को देखते हुए रक्षा क्षेत्र में भारत - रूस सहयोग को ' मेक इन इंडिया ' (Make in India) पहल से जोड़कर द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊर्जा दी जा सकती है ।



0 comments: