आधुनिकीकरण के रास्ते
(Paths to Modernization)
❇️ चीन :-
🔹 चीन एक विशालकाय द्वीप है , जिसमें कई तरह की जलवायु वाले क्षेत्र सम्मिलित हैं ।
🔹 चीन का सबसे प्रमुख जातीय समूह ‘ हान ‘ है और प्रमुख भाषा चीनी है ।
❇️ चीन में साम्यवादी सरकार की स्थापना :-
🔹 चीन में साम्यवादी सरकार की स्थापना 1949 में हुई ।
❇️ जापान :-
🔹 चीन के विपरित जापान एक द्वीप श्रृंखला है , जिसमें चार बड़े द्वीप समूह हैं होंशू , क्यूशू , शिकोकू और होकाइदो ।
🔹 12 वीं सदी के प्रारम्भ में जापान पर शोगुनों का शासन कायम हुआ जो सैद्धान्तिक रूप से राजा थे ।
🔹 1603 से 1867 के मध्य तक तोकुगावां वंश के लोग शोगुन पद पर कायम थे ।
❇️ डायट :-
🔹 ‘ डायट ‘ जापानी संसद का नाम है और यह जर्मन विचारधारा पर आधारित थी ।
❇️ फुकुज़ावा यूकिची :-
🔹 ‘ फुकुज़ावा यूकिची ‘ मेज़ी काल के प्रमुख बुद्धिजीवियों में से एक थे । उनका कहना था कि जापान को अपने में से एशिया को निकाल फेंकना चाहिए ।
❇️ चीन में छींग राजवंश का अंत :-
🔹 1644 से 1911 तक चीन में छींग राजवंश का शासन था । 19 वीं सदी के शुरुआत में चीन का पूर्वी एशिया पर प्रभुत्व था । यहाँ छींग राजवंश का शासन था । कुछ ही दशकों के भीतर चीन अशांति की गिरफ्त में आ गया और औपनिवेशिक चुनौती का सामना नहीं कर पाया । छींग राजवंश कारगर सुधार करने में असफल रहा और देश गृहयुद्ध की लपटों में आ गया , और छींग राजवंश के हाथों से राजनितिक नियंत्रण चला गया ।
❇️ 19 वीं सदी में जापान में औद्योगिक अर्थतंत्र की रचना :-
🔹 18 वीं सदी के अंत और 19 वीं सदी के शुरुआत में जापान ने अन्य एशियाई देशों की तुलना में काफी अधिक प्रगति की ।
🔹 जापान एक आधुनिक राष्ट्र – राज्य के निर्माण में , औद्योगिक अर्थतंत्र की रचना में चीन को काफी पीछे छोड़ दिया ।
🔹 ताइवान ( 1895 ) तथा कोरिया ( 1910 ) को अपने में मिलाते हुए एक औपनिवेशिक साम्राज्य कायम करने में सफल रहा ।
🔹 उसने अपनी संस्कृति और अपने आदर्शों की स्रोत – भूमि चीन को 1894 में हराया और 1905 में रूस जैसी यूरोपीय शक्ति को पराजित करने में कामयाब रहा ।
❇️ चीन और जापान के भौगोलिक स्थिति में अंतर :-
🔶 चीन :-
🔹 चीन एक विशालकाय महाद्वीप देश है ।
🔹 यहाँ की जलवायु में विविधता पाई जाती है ।
🔹 यहाँ कई राष्ट्रिय भाषाएँ हैं ।
🔹 खानों में क्षेत्रीय विविधता पाई जाती है ।
🔶 जापान :-
🔹 जापान एक द्वीप श्रृंखला वाला देश है ।
🔹 इसमें चार मुख्य द्वीप शामिल हैं , मुख्य द्वीपों की 50 प्रतिशत से अधिक जमीन पहाड़ी है ।
🔹 यहाँ की प्रमुख भाषा जापानी है ।
🔹 जापान बहुत ही सक्रीय भूकंप क्षेत्र में है ।
❇️ आधुनिक दुनियाँ में धीमी चीनी प्रतिक्रिया :-
🔹 जापान के समक्ष देखा जाय या अन्य यूरोपीय देशों को के साथ तुलना की जाए तो चीनी प्रतिक्रिया धीमी रही और उनके सामने कई कठिनाइयाँ आईं ।
🔹 आधुनिक दुनिया का सामना करने के लिए उन्होंने अपनी परंपराओं को पुनः परिभाषित करने का प्रयास किया।
🔹 अपनी राष्ट्र – शक्ति का पुनर्निर्माण करने और पश्चिमी व जापानी नियंत्रण से मुक्त होने की कोशिश की ।
🔹 उन्होंने पाया कि असमानताओं को हटाने और अपने देश के पुनर्निर्माण के दुहरे मकसद को वे क्रांति के जरिए ही हासिल कर सकते हैं ।
❇️ मेजी पुनर्स्थापना :-
🔹 मेजी पुनर्स्थापना का अर्थ है , प्रबुद्ध सरकार का गठन | सन 1867 – 68 के दौरान मेजी वंश का उदय हुआ और देश में विद्यमान विभिन्न प्रकार का असंतोष मेजियों की पुनर्स्थापना का कारण बना ।
❇️ मेजियों के पुनर्स्थापना के पीछे कारण :-
🔹 देश में तरह – तरह का असंतोष था ।
🔹 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व कूटनीतिक संबंधों की भी मांग की जा रही थी ।
❇️ मेजी शासन के अंतर्गत जापान में अर्थव्यवस्था का आधुनिकरण :-
🔹 कृषि पर कर ।
🔹 जापान में रेल लाइन बिछाना ।
🔹 वस्त्र उद्योगों के लिए मशीनों का आयात ।
🔹 मजदूरों का विदेशी कारीगरों द्वारा प्रशिक्षण ।
🔹 विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए विदेश भेजना ।
🔹 आधुनिक बैंकिंग व्यवस्था का प्रारंम्भ ।
🔹 कंपनियों को कर में छुट और सब्सिडी देना ।
❇️ फुकोकु – क्योहे :-
🔹 जिसका अर्थ है समृद्ध देश और मजबूत सेना ।
❇️ जापान में मेजियों द्वारा शिक्षा एवं विद्यालयी व्यवस्था में बदलाव :-
🔹 लडके और लड़कियों के लिए स्कूल जाना अनिवार्य ।
🔹 पढाई की फ़ीस बहुत कम करना ।
🔹 आधुनिक विचारों पर जोर देना ।
🔹 राज्य के प्रति निष्ठा और जापानी इतिहास के अध्ययन पर बल दिया गया ।
🔹 किताबों के चयन और शिक्षकों के प्रशिक्षण पर नियंत्रण ।
🔹 माता – पिता के प्रति आदर , राष्ट्र के प्रति वफ़ादारी और अच्छे नागरिक बनने की प्रेरणा दी गई ।
❇️ जापान में मेजियों द्वारा पर्यावरण पर उद्योगों के विकास का प्रभाव :-
🔹 लकड़ी जैसे प्राकृतिक संसाधनों की मांग से पर्यावरण पर विनाशकारी प्रभाव ।
🔹 औद्योगीकरण के कारण वायु प्रदूषण , जल प्रदूषण का बढ़ना ।
🔹 कृषि उत्पादों में कमी का प्रमुख कारण लोगों का शहरों की तरफ पलायन ।
❇️ चियांग काईशेक के कार्य :-
🔹 वारलार्ड्स पर नियन्त्रण करना ।
🔹 साम्यवा दियों का खात्मा ।
🔹 सेक्यूलर और ‘ इहलौकिक ‘ कन्फ्यूशियसवाद की हिमायत की । राष्ट्र का सैन्यकरण का प्रयास ।
🔹 महिलाओं के चार सद्गुण पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया । सतीत्व , रूप – रंग , वाणी और काम ।
❇️ देश को एकीकृत करने में असफलता के कारण :-
🔹 संकीर्ण सामाजिक आधार ।
🔹 सीमित राजनीतिक दृष्टि ।
🔹 पूँजी नियमन और भूमि अधिकारों में समानता लाने में असमर्थता ।
🔹 लोगों की समस्या पर ध्यान न देकर , फौजी व्यवस्था थोपने का प्रयास किया ।
❇️ चीनी बहसों में तीन समूहों के नजरिए :-
🔹 कांग योवेल ( 1858 – 1927 ) या लियांग किचाऊ ( 1873 – 1929 ) ।
🔹 गणतंत्र के दुसरे राष्ट्राध्यक्ष सन यान – सेन |
🔹 चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ।
❇️ आधुनिक चीन की शुरुआत :-
🔹 आधुनिक चीन की शुरुआत सोलहवीं और सत्रहवीं सदी में पश्चिम के साथ उसका पहला सामना होने के समय से माना जाता है ।
❇️ जेसुइट मिशनरियाँ :-
🔹 जेसुइट मिशनरियों ने चीन में खगोल विद्या और गणित जैसे पश्चिमी विज्ञानों को वहाँ पहुँचाया ।
❇️ पहला अफीम युद्ध :-
🔹 पहला अफीम युद्ध ब्रिटेन और चीन के बीच ( 1839 1942 ) हुआ । इस युद्ध में ब्रिटेन ने अफीम के फायदेमंद व्यापार को बढ़ाने के लिए सैन्य बलों का इस्तेमाल किया ।
❇️ पहला अफीम युद्ध का परिणाम :-
🔹 इस युद्ध ने सताधारी क्विंग राजवंश को कमजोर किया ।
🔹 सुधार तथा बदलाव के माँगों को मजबूती दी ।
❇️ सन यात – सेन :-
🔹 सन यात – सेन के नेतृत्व में 1911 में मांचू साम्राज्य को समाप्त कर दिया गया और चीनी गणतंत्र की स्थापना की गई । वे आधुनिक चीन के संस्थापक माने जाते हैं । वे एक गरीब परिवार से थे और उन्होंने मिशन स्कूलों से शिक्षा प्राप्त की जहाँ उनका परिचय लोकतंत्र व ईसाई धर्म से हआ । उन्होंने डॉक्टरी की पढ़ाई की , परंतु वे चीन के भविष्य को लेकर चिंतित थे । उनका कार्यक्रम तीन सिद्धांत ( सन मिन चुई ) के नाम से प्रसिद्ध है ।
❇️ सन यात – सेन के तीन सिद्धांत :-
🔸 ये तीन सिद्धान्त हैं :-
🔹 राष्ट्रवाद :– इसका अर्थ था मांचू वंश – जिसे विदेशी राजवंश के रूप में माना जाता था – को सत्ता से हटाना , साथ – साथ अन्य साम्राज्यवादियों को हटाना ।
🔹 गणतांत्रिक सरकार की स्थापना :– अन्य साम्राज्यवादियों को हटाना तथा गणतंत्र की स्थापना करना ।
🔹समाजवाद :– जो पूँजी का नियमन करे और भूस्वामित्व में समानता लाए । सन यात – सेन के विचार कुओमीनतांग के राजनीतिक दर्शन का आधार बने । उन्होंने कपड़ा , खाना , घर और परिवहन , इन चार बड़ी आवश्यकताओं को रेखांकित किया ।
❇️ ताइवान में लोकतंत्र की स्थापना :-
🔹 1975 में चियांग काइशेक की मौत के बाद धीरे – धीरे शुरू हुआ और 1887 में जब फौजी कानून हटा लिया गया तथा विरोधी दलों को क़ानूनी इजाजत मिल गई , तब इस प्रक्रिया ने गति पकड़ी । पहले स्वतंत्र मतदान ने स्थानीय ताइवानियों को सत्ता में लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी ।
❇️ चीन द्वारा अपनाये गये आधुनिकीकरण के तरीके :-
🔹 साम्यवादी दल का कड़ा नियंत्रण ।
🔹 आर्थिक खुलेपन और विश्व बाजार से संबंध बनाने की नीति ।
🔹 सामन्तवाद का खात्मा ।
🔹 शिक्षा का विस्तार हुआ ।
🔹 विदेशी साम्राज्यवाद से लड़ने का कार्यक्रम ।
🔹 निजी कारखानों और भू – स्वामित्व का अंत ।
🔹 अर्थव्यवस्था पर सरकारी नियंत्रण ।
🔹 तेजी से औद्योगिकरण ।
🔹 बाजार संबंधी सुधार किए गए ।
🔹 एक ही दल की सरकार ।
🔹 आधुनिकीकरण का श्रेय साम्यवादी दल ।
🔹 पुरानी असमानताओं का अंत ।
🔹 केंद्रीकृत सरकार की स्थापना ।
❇️ जापान द्वारा अपनाये गए आधुनिकता के मार्ग :-
🔹 पारंपरिक कौशल और प्रथाओं का प्रयोग ।
🔹 पश्चिम का अनुकरण ।
🔹 जापानी राष्ट्रवाद ।
🔹 निष्ठावान नागरिक बनना ।
🔹 सम्राट के प्रति वफादार रहने की शिक्षा ।