विकास (Development) || 11th Class Pol. Science Ch-10 ( Book-2) || Notes in Hindi

 विकास

(Development)



❇️ विकास से अभिप्राय :-

🔹  संकुचित रूप में इसका प्रयोग प्रायः आर्थिक विकास की दर में वृद्धि और समाज का आधुनिकीरण के संदर्भ में किया जाता है ।

🔹 व्यापकतम अर्थ में विकास उन्नति , प्रगति , कल्याण और बेहतर जीवन की अभिलाषा के विचारों का वाहक है । इसमे आर्थिक उन्नति के साथ – साथ जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि को भी शामिल किया जाता है ।

❇️ विकास की दृष्टि से विश्व के भाग :-

🔶  विकास की दृष्टि से विश्व को तीन श्रेणियों में बांटा जाता है । 

🔹 विकसित देश 

🔹 विकासशील देश  

🔹अल्प विकसित देश 

❇️ मानव विकास प्रतिवेदन :-

🔹  ‘ मानव विकास प्रतिवेदन ‘ संयुक्त राष्ट्रसंघ विकास कार्यक्रम द्वारा विकास को मापने का एक नया तरीका है । इसमें साक्षरता और शैक्षिक स्तर , आयु संभाविता और मातृ – मृत्यु दर जैसे विभिन्न सामाजिक संकेतकों के आधार पर देशों का दर्जा निर्धारित किया जाता है ।

❇️ सतत् विकास :-

🔹 स्थायी विकास के लिए पर्यावरण तंत्र और औद्योगिक तंत्र के मध्य सही तालमेल तथा संयोजन की आवश्यकता है । विकास के नाम पर औद्योगिकरण द्वारा पर्यावरण को दूषित किया गया है । विकास के लिए आर्थिक रूप और नीतियों का निर्धारण होना चाहिए । 

🔹 मनुष्य के लिए पर्यावरण प्रदूषण को रोकते हुए विकास के कार्यक्रम किए जाने चाहिए । अधिक प्रभावी तथा शक्तिशाली देशों में जीवनशैली के साथ – साथ जीव – जन्तु और मानव को पर्यावरण प्रदषण से बचाए रखने का प्रमाण होना चाहिए । पर्यावरण को विकास नीतियों के साथ प्रबंध के स्तर पर जोड़ दिया जाना चाहिए । वास्तव में पर्यावरण और विकास नीति एक दूसरे के पूरक हैं । स्थायी विकास तभी संभव है ।

❇️ विकास का प्रचलित मॉडल :-

🔹 अविकसित या विकासशील देशों ने पश्चिमी यूरोप के अमीर देशों और अमेरिका से तुलना करने के लिए औद्योगीकरण , कृषि और शिक्षा के आधुनीकीकरण एवं विस्तार के जरिए तेज आर्थिक उन्नति का लक्ष्य निर्धारित किया और यह सिर्फ राज्य सत्ता के माध्यम से ही संभव है ।

🔹 अनेक विकासशील देशों ( जिसमें भारत भी एक था ) ने विकसित देशों की मदद से अनेक महत्वकांक्षी योजनाओं का सूत्रपात किया । 

🔹  विभिन्न हिस्सों में इस्पात संयंत्रों की स्थापना , खनन , उर्वरक उत्पादन और कृषि तकनीकों में सुधार जैसी अनेक वृहत्त परियोजनाओं के माध्यम से देश की संपदा में बढ़ोतरी करना व आर्थिक विकास की प्रक्रिया को तेज करना था । 

🔹 इस मॉडल से विकास के लिए उर्जा का अधिकाधिक उपयोग होता है जिससे इसकी कीमत समाज और पर्यावरण दोनों को चुकानी पड़ती है ।

❇️ विकास के समाज पर पड़ने वाले कुप्रभावों :-

🔶 सामाजिक दुष्परिणाम :-

🔹 विकासशील देशों की प्रभुसत्ता पर प्रभाव

🔹 विस्थापीकरण

🔹 बेरोज़गारी , गरीबी में वृद्धि

🔹 जनसंख्या के संतुलित वितरण का अभाव

🔹 आर्थिक असमानता

🔹 संघर्षों व आन्दोलनों का जन्म

❇️ विकास मॉडल की आलोचना , समाज और पर्यावरण द्वारा चुकाई गई कीमत :-

🔹 विकासशील देशों के लिए काफी मंहगा साबित हुआ । इसमे वित्तीय लागत बहुत अधिक रही जिससे वह दीर्घकालीन कर्ज से दब गए ।

🔹 बांधों के निर्माण , औद्योगिक गातिविधियों और खनन कार्यों की वजह से बड़ी संख्या में लोगों का उनके घरों और क्षेत्रों से विस्थापन हुआ । 

🔹 विस्थापन से परंपरागत कौशल नष्ट हो गए । उनकी संस्कृति का भी विनाश हुआ क्योंकि विस्थापन से दरिद्रता के साथ – साथ लोगों की सामुदायिक जीवन पद्धति खो जाती है । 

🔹 विशाल भू – भाग बड़ें बांधों के कारण डूब जाते है जिससे पारिस्थिति का संतुलन बिगड़ता है । 

🔹 उर्जा के उत्तरोतर बढ़ते उपयोग से पर्यावरण को नुकसान होता है क्योंकि इससे ग्रीन हाग्स गैसों का उत्सर्जन होता है । 

🔹 वायुमण्डल में गीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन की वजह से आर्कटिक और अंटार्कटिक ध्रुवों पर बर्फ पिघल रही है ।  परिणामस्वरूप बांग्लादेश एवं मालदीव जैसे निम्न भूमि वाले क्षेत्रों को डुबो देने में सक्षम हैं ।

🔹 विकास का फायदा विकासशील देशों में निम्नतर वर्ग तक नहीं पहुंचा इस कारण से समाज मे आर्थिक असमानता और बढ़ गई है । सर्वाधिक निर्धन एवं वंचित तबको के जीवन स्तर में सुधार नही आया । 

❇️ विकास की वैकल्पिक अवधारण :-

🔹 लोकतांत्रिक सहभागिता के आधार पर विकास की रणनीतियों में स्थानीय निर्णयकारी संस्थाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना । 

🔹  ऊपर से नीचे की रणनीति को त्यागते हुए विकास की प्राथमिकताओं , रणनितियों के चयन व परियोजनाओ के वास्तविक कार्यान्वयन में स्थानीय लोगों के अनुभवों को महत्व देना तथा उनके शान का उपयोग करने के लिए उनकी भागदारी को बढ़ावा । 

🔹 न्यायपूर्ण और सतत्विकास की अवधारणा को महतव देना । 

🔹  प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित व संरक्षित रखने के प्रयास किए जाने चाहिए ।

🔹  हमें अपनी जीवन शैली को बदलकर उन साधनों का कम से कम प्रयोग करना चाहिए जिनका नवीनीकरण नहीं हो सकता ।

🔹 विकास की महंगी , पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली और प्रौद्योगिकी से संचालित सोच से दूर होने की कोशिश करता है ।

❇️ टिकाऊ विकास :-

🔹 विकास की ऐसी रणनिती जिसमें पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग मितव्ययता के साथ किया जाये और उन्हें संरक्षित रखा जाए ।

❇️ मानव विकास सूचकांक और भारत की स्थिति :-

🔹  मानव विकास को मापने का एक तरीका है ‘ मानव विकास प्रतिवेदन ‘ जिसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ( UNDP ) वार्षिक तौर पर प्रकाशित करता है । इस प्रतिवदेन में साक्षरता और शैक्षिक स्तर , आयु , संभाविता और मातृ – मृत्यु दर जैसे विभिन्न सामाजिक संकेतकों के आधार पर देशों का दर्जा निर्धारित किया जाता है ।




इतिहास विश्व इतिहास के कुछ विषय

Chapter 1: - समय की शुरुआत से (From the Beginning of Time)

Chapter 2: - लेखन कला और शहरी जीवन (Writing and City Life)

Chapter 3: - तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य (An Empire Across Three Continents)

Chapter 4:- इस्लाम का उदय और विस्तार (The Central Islamic Lands )

Chapter 5:- यायावर साम्राज्य (Nomadic Empires)

Chapter 6:- तीन वर्ग (The Three Orders)

Chapter 7:- बदलती हुई सांस्कृतिक परम्पराएँ (Changing Cultural Traditions)

Chapter 8:- संस्कृतियों का टकराव (Confrontation of Cultures)

Chapter 9:- औद्योगिक क्रांति (The Industrial Revolution)

Chapter 10:- मूल निवासियों का विस्थापन (Displacing Indigenous Peoples)

Chapter 11:- आधुनिकीकरण के रास्ते (Paths to Modernization)

राजनीति विज्ञान  भारत का संविधान : सिद्धांत और व्यवहार

Chapter 1:- संविधान क्यों और कैसे (Constitution because and how)

Chapter 2:- भारतीय संविधान में अधिकार (Rights in the Indian Constitution)

Chapter 3:- चुनाव और प्रतिनिधि (Election and Representative)

Chapter 4:- कार्यपालिका (Executive)

Chapter 5:- विधायिका (Legislature)

Chapter 6:- न्यायपालिका (Judiciary)

Chapter 7:- संघवाद (Federalism)

Chapter 8:- स्थानीय शासन (Local Government)

Chapter 9:- संविधान एक जीवंत दस्तावेज़ (Constitution a living document)

Chapter10:- संविधान का राजनितिक दर्शन (Political Philosophy of the Constitution)

 

 

- राजनितिक सिद्धांत

Chapter 1:- राजनीतिक सिद्धांत एक परिचय (Political Theory - An Introduction)

Chapter 2:- स्वतंत्रता (Freedom)

Chapter 3:- समानता (Equality)

Chapter 4:- सामाजिक न्याय (Social justice)

Chapter 5:- अधिकार (Rights)

Chapter 6:- नागरिकता (Citizenship)

Chapter 7:- राष्ट्रवाद (Nationalism)

Chapter 8:- धर्मनिरपेक्षता (Secularism)

Chapter 9:- शांति (Peace)

Chapter 10:- विकास (Development)

 

 

भूगोल   भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत

Chapter 1:- भूगोल एक विषय के रूप में (Geography as A Discipline)

Chapter 2:- पृथ्वी की उत्पत्ति एंव विकास (The Origin and Evolution of the Earth)

Chapter 3:- पृथ्वी की आन्तरिक संरचना (Interior of the Earth)

Chapter 4:- महासागरों और महाद्वीपों का वितरण (Distribution of Oceans and Continents)

Chapter 5:- खनिज एंव शैल (Minerals and Rocks)

Chapter 6:- आकृतिक प्रक्रियाएँ (Geomorphic Processes)

Chapter 7:- भू आकृतियाँ तथा उनका विकास (Landforms and their Evolution)

Chapter 8:- वायुमण्डल का संघटन एवं संरचना (Composition and Structure of Atmosphere)

Chapter 9:- सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान (Solar Radiation , Heat Balance and Temperature)

Chapter 10:- वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसमी प्रणालियाँ (Atmospheric Circulation and Seasonal Systems)

Chapter 11:- वायुमंडल में जल (Water in the Atmosphere)

Chapter 12:- विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन (World Climate and Climate Change)

Chapter 13:- महासागरीय जल (Ocean Water)

Chapter 14:- महासागरीय जल संचलन (Movements of Ocean Water)

Chapter 15:- पृथ्वी पर जीवन (Life on the Earth)

Chapter 16:- जैव विविधता एवं संरक्षण (Biodiversity and Conservation)

 

 

 भारत : भौतिक पर्यावरण

Chapter 1:- भारत स्थिति (India - Location)

Chapter 2:- संरचना तथा भू - आकृति विज्ञान (Structure and Physiography)

Chapter 3:- अपवाह तंत्र (Drainage System)

Chapter 4:- जलवायु (Climate)

Chapter 5:- प्राकृतिक वनस्पति (Natural Vegetation)

Chapter 6:- मृदा (Soils)

Chapter 7:- प्राकृतिक आपदाएं और संकट (Natural Hazards and Disaster)

 

 

 


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