पटेल तथा राष्ट्रीय एकता
- भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री , 15 अगस्त 1947-15 दिसम्बर , 1950 तक इस पद पर रहे ।
- जन्म 31 अक्टूबर 1875. नडियाद , बंबई प्रेसीडेंसी ब्रिटिश भारत ।
- मृत्यु -15 दिसम्बर 1950 ( उम्र 75 ) बॉम्बे , भारत ।
- राष्ट्रीयता - भारतीय ।
- राजनीतिक दल - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ।
- पेशा - वकालत , राजनीति ।
परिचय:-
- सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर , 1875 को गुजरात में हुआ था ।
- महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया ।
- उन्होंने लन्दन जाकर बैरिस्टर की पढ़ाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे ।
- आप सरदार पटेल के नाम से लोकप्रिय एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे ।
स्वतंत्रता आंदोलनों में भूमिका:-
- स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल का पहला और बड़ा योगदान 1918 में खड़ा संघर्ष में था ।
- इन्होंने 1928 में हुए बारदोली सत्याग्रह में किसान आदोलन का सफल नेतृत्त्व भी किया ।
बारदोली सत्याग्रह:-
- भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वर्ष 1928 में गुजरात में हुए एक प्रमुख किसान आदोलन का नेतृत्त्व सरदार पटेल ने किया । उस समय प्रांतीय सरकार ने किसानों के लगान में तीस प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी थी । पटेल ने इस लगान वृद्धि का जमकर विरोध किया ।
- इस आन्दोलन की सफलता के बाद वहाँ की महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को ' सरदार ' की उपाधि प्रदान की ।
- सरदार पटेल को गांधी जी को अहिंसा नीति ने प्रभावित किया । इसलिए गाधी जो द्वारा किये गए सभी स्वतत्रता आदोलन जैसे - असहयोग आदोलन , स्वराज आंदोलन , दांडी यात्रा , भारत छोड़ो आदोलन जैसे सभी आंदोलनों में सरदार पटेल की भूमिका अहम थी ।
खेड़ा आदोलन:-
- यह आदोलन मुख्य रूप से अंग्रेज सरकार से भारी कर में छूट के लिए किसानों द्वारा किया गया था , जिसकी अस्वीकृति पर सरदार पटेल गांधी एवं अन्य लोगों ने किसाना का नतृत्त्य किया ।
- अंततः सरकार झुकी और उस वर्ष करों में राहत दी गई । यह सरदार पटेल की पहली सफलता थी ।
कांग्रेस के कराची अधिवेशन में सरदार पटेल की भूमिका:-
- 29 मार्च 1931 में कराची में किये गए काग्रेस अधिवेशन में गांधी - इरविन समझौते यानी दिल्ली समझीते को स्वीकृति प्रदान की गई थी ।
- इसकी अध्यक्षता सरदार वल्लभ भाई पटेल ने की थी ।
- इसमें ' पूर्ण स्वराज्य ' के लक्ष्य को फिर से दोहराया गया तथा भगत सिंह , राजगुरु व सुखदेव की वीरता और बलिदान की प्रशंसा की गई । यद्यपि कांग्रेस ने किसी भी प्रकार की राजनीतिक हिसा का समर्थन न करने की अपनी नीति भी दोहराई ।
रियासतों का एकीकरण:-
- देश की स्वतंत्रता के पश्चात सरदार वल्लभ भाई पटेल उप प्रधानमंत्री के साथ प्रथम गृह, सूचना तथा रियासत विभाग के मंत्री बने ।
- 565 छोटी - बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकत्ता का निर्माण किया ।
- उड़ीसा से 23, नागपुर से 38, काठियावाड़ से 250 तथा मुबई , पजाब जैसे 565 रियासतों को भारत में मिलाया ।
- जम्म - कश्मीर , जूनागढ़ तथा हैदराबाद राज्य को छोड़कर सरदार पटेल ने सभी रियासतों को भारत में मिला लिया था ।
- इन तीनों रियासतों में भी जूनागढ़ को 9 नवबर 1947 को भारतीय संघ में मिला लिया गया और जूनागढ़ का नवाब पाकिस्तान भाग गया ।
- हैदराबाद भारत की सबसे बड़ी रियासत थी । वहाँ के निजाम ने पाकिस्तान के प्रोत्साहन से स्वतंत्र राज्य का दावा किया और अपनी सेना बढ़ाने सा हैदराबाद में काफी मात्रा में हथियारों के आयात से सरदार पटेल चितित हो गए अतः 11 सितबर 1948 को भारतीय सेना हैदराबाद में प्रदेश का गई । तीन दिन बाद निजाम ने आत्मसमर्पण कर भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया ।
स्टेच्यू ऑफ यूनिटी:-
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री तथा प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित एक स्मारक है ।
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भारतीय राज्य गुजरात में स्थित है । यह विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है । जिसकी ऊँचाई 183 मीटर है । इसके बाद विश्व में दूसरी सबसे ऊँची मूर्ति चीन में स्प्रिंग टैम्पल बुद्ध की है , जिसकी ऊंचाई 180 मीटर है ।
सरदार पटेल का लेखन कार्य:-
- भारत विभाजन
- गांधी
- नेहरू
- सुभाष
- आर्थिक एवं विदेश नीति
- मुसलमान और शरणाधी
- कश्मीर और हैदराबाद इत्यादि ।
सम्मान और महत्वपूर्ण योगदान:-
- स्वतंत्र राष्ट्र में सरदार पटेल ने एकीकरण का मार्गदर्शन किया ।
- अहमदाबाद के हवाईअड्डे का नामकरण सरदार वल्लभ भाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय विमान क्षेत्र रखा गया ।
- गुजरात के वल्लभ विद्या सागर में सरदार पटेल विश्वविद्यालय की स्थापना की गई ।
- महात्मा गांधी ने उन्हें लौह पुरुष की उपाधि दी थी ।
- सन 1991 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया ।
- सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम से गुजरात में एकता की मूर्ति ( स्टेच्यू ऑफ यूनिटी ) स्मारक बनाया गया ।
- 565 छोटी - बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण करना सरदार की महानतम देन थी ।