7. तृतीयक और चतुर्थ क्रियाकलाप (Tertiary and Quaternary Activities) || B-1 Geography Class 12th Chapter-7 NCERT CBSE || NOTES IN HINDI



❇️ तृतीयक क्रियाकलाप :-

🔹  तृतीयक क्रियाकलाप का सम्बन्ध अमूर्त सेवाओं से है । इनमें विभिन्न प्रकार की सेवाएँ सम्मिलित की जाती है । तृतीयक व्यवसायों में वस्तुओं का उत्पादन नहीं होता । 

🔹 उदाहरण :- शिक्षण कार्य , बैंकिंग , परिवहान व संचार वाणिज्य व व्यापार आदि ।

❇️ तृतीयक क्रियाओं का वर्गीकरण :-

  • व्यापार  
  • परिवहन
  • संचार 
  • अन्य सेवाएं

❇️ व्यापार :-

🔹 वस्तुओं के क्रय विक्रय यानी खरीदने बेचने को व्यापार कहा जाता है यह मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है ।

🔶 1 . थोक व्यापार :- इस व्यापार को वे बिचौलिये स्थापित करते हैं जो विनिर्माताओं से सीधे सामान उपलब्ध कराते हैं । इसी पूरी प्रक्रिया से बड़ी संख्या में लोग संलग्न होते हैं एंव रोजगार प्राप्त करते हैं

🔶 2 . फुटकर व्यापार :-  इस व्यापार में उपभोक्ता वस्तुओं को प्रत्यक्ष रूप में खरीदता है । इसके अन्तर्गत फुटकर दुकानें , रेहड़ी वाले , स्वचालित बिक्री मशीनें , डाक आदेश आदि आते हैं ।

नोट :- उत्पादक ( बनाने वाला ) » थोक व्यापारी » फुटकर व्यापारी » उपभोक्ता ( प्रयोग करने वाला )

❇️ व्यापारिक केन्द्र :-

🔹 व्यापार और वाणिज्य का सारा काम कस्बों और नगरों में होता हैं जिन्हें व्यापारिक केंद्र कहा जाता है ।

❇️ व्यापार के स्थान :-

  •  ग्रामीण विपणन केंद्र ।
  • नगरीय बाजार केन्द्र ।
  • आवधिक बाजारएं ।

❇️ ग्रामीण विपणन केंद्र :-

🔹  ये अर्द्ध नगरीय केंद्र होते हैं तथा निकटवर्ती बस्तियों का पोषण करते हैं । इनमें से अधिकांश केंद्रों में थोक बाजार और कुटकर व्यापार क्षेत्र भी होते है ।

❇️ नगरीय बाजार केन्द्र :-

🔹  नगरीय बाजार केन्द्रों में और अधिक विशिष्टीकृत नगरीय सेवाएँ मिलती है । ये नगरों में स्थित होते हैं और नगरवासियों की सेवा करते हैं ।

❇️ आवधिक बाजार :-

🔹  जिन ग्रामीण क्षेत्रों में नियमित बाजार नही होते वहाँ पर विभिन्न कालिक अंतरालों पर स्थानीय आवधिक बाजार लगाए जाते हैं । ये साप्ताहिक या पाक्षिक होते हैं , जो आस – पास के ग्रामीण लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं ।

❇️ ग्रामीण विपणन केंद्र एव नगरीय विपणन केंद्र में अंतर :-

ग्रामीण विपणन केंद्रनगरीय विपणन केंद्र
ये केंद्र विकटवर्ती बस्तियों को का पोषण करते हैं ।ये केंद्र अधिक विशिष्टीकृत नगरीय सेवाएं प्रदान करते है ।
ये केंद् स्थानीय संग्रहण और वितरण केंद्र की सेवाएं प्रदान करते हैं ।ये केंद्र स्थानीय सेवाओं के साथ – साथ विशिष्टीकृत वस्तुएं एवं सेवाएं प्रदान करते है ।
इन केंद्रों पर व्यक्तिगत और व्यावसायिक सेवाएं सुविकसित नहीं होती है ।ये केंद्र विनिर्मित वस्तुएं प्रदान करते हैं ।
ये केंद्र केवल स्थानीय ग्रामीण आवश्यकताओं की ही पूर्ति कर सकते हैं ।ये केद्र व्यावसायिक सेवाएं जैसे – अध्यापक , वकील , परामर्शदाता एवं चिकित्साक की सेवाएं भी प्रदान करते है ।

❇️ परिवहन :-

🔹 वस्तुओं और व्यक्ति को एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में लाने ओर ले जाने की सेवा को परिवहन कहा जाता है । 

🔹 परिवहन सबसे मुख्य सेवाओं में से एक है बाकी सभी सेवाएं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से परिवहन पर निर्भर होती हैं । 

❇️ परिवहन को प्रभावित करने वाले कारक :-

  • भू क्षेत्र । 
  • विकास का स्तर । 
  • परिवहन के साधनों की उपलब्धता । 
  • मार्गों की स्थिति । 
  • मांग ।

❇️ परिवहन में ‘ नोड़ ‘ और ‘ योजक ‘ का क्या अर्थ है ? 

🔹 दो अथवा अधिक मार्गों का संधिं – स्थल , एक उदगम बिन्दु अथवा मार्ग के सहारे कोई बड़ा कस्बा या शहर नोड़ होता है । प्रत्येक सड़क जो दो नोडो को जोड़ती है योजक कहलाती है ।

❇️ पर्यटन :-

🔹 पर्यटन एक यात्रा है जो व्यापार की बजाय आमोद – प्रमोद के उद्देश्य से अधिक की जाती है । पर्यटन में लोग अपने निवास स्थानों एवं कार्यस्थलों से अस्थायी तौर पर थोड़े समय के लिए अन्य स्थानों पर जाकर मनोरंजन करते हैं ।

❇️ पर्यटन सेवा को प्रभावित करने वाले कारक :-

🔶 1 . मांग :- विगत शताब्दी से अवकाश के लिए पर्यटन की मांग तीव्रता से बढ़ी है । उच्च जीवन स्तर तथा बढ़े हुए आराम के समय के कारण अधिक लोग विश्राम के लिए पर्यटन पर जाते हैं ।

🔶 2 . परिवहन :- परिवहन सुविधाओ में सुधार के कारण पर्यटन क्षेत्रों का अधिक विकास हुआ है , उदाहरण के लिए वायु परिवहन ने धरों को विश्व के सभी पर्यटन स्थलों से जोड़ दिया है ।

🔶 3 . जलवायु :- कुछ ठंडे देशो के पर्यटको को गुनगुनी धूप में पुलिनों पर मौज मस्ती करने की इच्छा होती है । दक्षिणी यूरोप और भूमध्यसागरीय क्षेत्रों में पर्यटन के महत्व का यह एक महत्वपूर्ण कारक है ।

🔶 4 . भू – दृश्य :- कुछ लोग मनोरम और मनोहर पर्यावरण में छुट्टियाँ बिताना पंसद करते हैं । इसके लिए पर्यटक पर्वतों , क्षीलों , दर्शनीय , समुद्र तटों और मनुष्य द्वारा पूर्ण से अपरिवर्तित भू – दृश्यों को चुनते हैं ।

🔶 5 . इतिहास एंव कला :- प्राचीन काल के इतिहास से संबंधित स्थल एंव पुरातत्विक महत्व के भवन पर्यटकों के लिए आकर्षक स्थल होते हैं ।

🔶 6 . संस्कृति और अर्थव्यस्था :- मानव जातीय और स्थानीय रीतियों को पसंद करने वालों को पर्यटन लुभाता है । ” घरों में रूकना ” एक लाभदायक व्यापार बन कर उभरा है ।

उदाहरण :- ( i ) गोवा में हेरिटेज होम्स ( ii ) कर्नाटक में मैडिकेरे और कुर्ग । ( कोई चार )

❇️ चतुर्थक क्रियाकलाप :-

🔹 ये बहुत ही विशिष्ट तथा जटिल प्रकार के क्रियाकलाप हैं जिनका सम्बन्ध ज्ञान से संबंधित क्रियाकलाप से है जैसे – शिक्षा , सूचना , शोध व विकास । चतुर्थक शब्द से तात्पर्य उन उच्च बौद्धिक व्यवसायों से है , जिनका दायित्व चिंतन , शोध तथा विकास के लिए नए विचार देना है ।

❇️ संचार :-

🔹 एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक जानकारी पहुंचाने को व्यवस्था को संचार कहा जाता है । संचार विकास और जीवन स्तर सुधार में अहम भूमिका निभाता है । 

❇️ संचार के प्रकार :-

🔶 ( i ) संचार :- एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के बीच जानकारियों के आदान -प्रदान को संचार कहा जाता है । संचार के साधन :- मोबाइल , पत्र । 

🔶 ( ii ) जनसंचार :- जनसंचार एक स्रोत से अनेकों व्यक्तियों के बीच जानकारियां पहुंचाने की प्रक्रिया को जनसंचार कहा जाता है । जनसंचार के साधन :- टीवी , रेडियो , इंटरनेट आदि । 

❇️ ज्ञान आधारित बाहयस्रोतन ( K . P . O ) :-

🔹 यह सूचना प्रेरित ज्ञान का बाहयस्रोतन है जिसमें विशेषतया किसी विशिष्ट ज्ञान या कौशल की आवश्यकता होती है । इनमें उच्च श्रेणी के कुशल कर्मी संलग्न होते हैं । जैसे ई – लर्निंग , अनुसंधान और विकास क्रियाएँ ।

❇️ चतुर्थक सेवाओं को ज्ञानोन्मुख सेक्टर क्यों कहा जाता है ? 

🔹 चतुर्थक सेवाओं के अन्तर्गत कर्मचारियों के विशिष्ट ज्ञान का उपयोग किया जाता है दूसरे शब्दों में यह ज्ञानोन्मुख सेक्टर हैं ।

🔹 प्राथमिक एंव द्वितीयक सेक्टरों से बड़ी संख्या में चतुर्थक में चतुर्थक सेक्टर की तरफ सेवाओं का प्रतिस्थापन हुआ है । सेवाओं में वृद्धि अर्थव्यवस्था के विकसित होने का प्रतीक है । एक ही प्रकार का काम तृतीयक या चतुर्थक दोनों हो सकता है जैसे अध्यापक तृतीयक श्रेणी में है किन्तु यदि कोई अध्यापक नवीन शिक्षण पद्धति के काम में संलग्न होकर किसी प्रकार का आविष्कार करता है तो वह चतुर्थक में शामिल हो जाता है ।

❇️ द्वितीयक एंव तृतीयक क्रियाकलापों में प्रमुख अन्तर :-

🔹 द्वितीयक क्रियाकलापों में उत्पादन तकनीकी मशीनरी एवं फैक्ट्री के प्रबन्धन से प्रभावित होता है एवं उत्पादन के रूप में कोई वस्तु होती है जबकि तृतीयक क्रियाकलापों में उत्पादन कर्मियों की विशिष्ट कुशलताओं , ज्ञान एवं अनुभव पर आधारित होता है एवं उत्पादन पारिश्रमिक के रूप में होता है ।

❇️ होम शोरिंग :-

🔹  किसी कंपनी द्वारा अपने कर्मियों को घर बैठकर काम करने की सुविधा प्रदान करना ‘ होम शोरिंग है । यह सूचना प्रक्रमण क्षेत्र से संबंधित व्यवसाय जो इंटरनेट से जुडे होते हैं में अधिक प्रचलित हैं ।

❇️ श्रृंखला भंडार :-

🔹 एक भंडार चलाने के अनुभवों को अन्य भंडार पर लागू करके अनेक जगह अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान चलाना श्रृंखला भंडार है ।

❇️ अंकीय विभाजन :-

🔹 सूचना और संचार प्रौद्योगिकी पर आधारित विकास से मिलने वाले अवसरों का वितरण पूरे ग्लोब पर असमान रूप से वितरित है सूचना और संचार प्रौद्योगिकी तक सभी देशों की समान पहुँच नही है । विकसित देश इस दिशा में आगे बढ़ गए है जबकि विकासशील देश पिछड़ गए हैं । इसी को अंकीय विभाजन कहते हैं ।

❇️ देशों के भीतर अंकीय विभाजन : –

🔹 देशों के भीतर भी अंकीय विभाजन दिखाई देता है उदाहरण के लिए भारत और रूस के अलग – अलग भागों में इस प्रौद्योगिकी के विकास में काफी अंतर पाया जाता है । देश के बड़े – बड़े नगरों , महानगरों में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी की भरपूर सुविधाएँ उपलब्ध है , जबकि ग्रामीण औरी दुर्गम क्षेत्र इस सुविधा से वंचित है ।


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