4. मानव बस्तियां (Human Settlements) || B-2 Geography Class 12th Chapter-4 NCERT CBSE || NOTES IN HINDI

 


❇️ मानव बस्ती :-

🔹 किसी भी प्रकार और आकार के घरों का संकुल जिनमें मनुष्य रहते है , मानव बस्ती कहते है ।

❇️ ग्रामीण बस्ती :-

🔹 यहाँ के लोग अपने जीवन यापन के लिए अधिकतर प्राथमिक क्रियाकलापों पर निर्भर करते है जैसे – कृषि , पशुपालन आदि । 

🔹 ग्रामीण बस्तियों में उत्पादित सब्जी , फल – फूल , अनाज आदि जैसे उत्पाद , नगरीय बस्तियों की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं । 

🔹 ग्रामीण लोग एक स्थान छोड़कर दूसरे स्थान जाकर बसने के बारे में कम सोचते हैं अतः उनमें सामाजिक संबंध प्रगाढ़ होते है । ग्रामीण बस्तियों के निवासियों में क्षैतिज गतिशीलता कम होता है । 

❇️ नगरीय बस्ती :-

  • नगरीय बस्तियों में द्वितीयक एवं तृतीयक तथा विभिन्न प्रकार की सेवाओं की प्रधानता होती है । 
  • नगरीय बस्तियों के विनिर्माण उद्योग के उत्पाद ग्रामीण बस्तियों में जाते हैं ।
  • परिवहन एवं संचार माध्यम के जरिए यह कार्य संपन्न होता है।
  • शहरों में क्षैतिज गतिशीलता अधिक पाई जाती है अर्थात् लोग एक जगह जाकर बस जाते हैं । 
  • उनमें सामाजिक संबंधों में औपचारिकता अधिक होती है ।

❇️ ग्रामीण बस्तियों के प्रकार :-

🔹  वृहत तौर पर भारत की ग्रामीण बस्तियों को चार प्रकारों में रखा सकते हैं ।

  •  गुच्छित बस्तियाँ 
  • अर्धगुच्छित बस्तियाँ 
  • पल्ली
  • एकाकी । 

❇️ 1 ) गुच्छित बस्तियाँ :-

🔹 इस बस्तियों में घरों का समूह बहुत पास – पास होता है । इन गाँवों में आवास स्थान एवं खेत खलिहान और चारागाह क्षेत्र स्पष्ट रुप से अलग होते हैं । ये बस्तियाँ आयताकार , अरीय रैखिक आदि प्रतिरुपों में मिलती है और उपजाऊ जलोढ़ मैदानों में पाई जाती है सुरक्षा कारणों से बुंदेलखंड , नागालैंड में तथा जल के अभाव के कारण राजस्थान में ये बस्तियां मिलती हैं । 

❇️ 2 ) अर्द्धगुच्छित बस्तियाँ :-

🔹 किसी बड़े गाँव में समाज का कोई वर्ग किन्हीं कारणों से मुख्य गाँव से दूर रहने लगता है । इस तरह अर्द्धगुच्छित बस्तियों का जन्म होता है । इस तरह की बस्तियाँ गुजरात एवं राजस्थान के कुछ भागों में पाई जाती है । 

❇️ 3 ) पल्ली बस्तियाँ :-

🔹 वे बस्तियाँ जो किसी बडे गाँव से अलग छोटे – छोटे समूहों में बस जाती है लेकिन वे उसी बड़े गाँव का ही हिस्सा होती है इन्हें अलग – अलग जगहों में अलग – अलग नामों में पुकारा जाता है जैसे पल्ली , नंगला , ढाणी , पूर्वा आदि । ये बस्तियाँ छत्तीसगढ़ एवं हिमालय की निचली घाटियों में पाई जाती हैं ।

❇️ 4 ) एकाकी बस्तियां :-

🔹 एकाकी बस्तियों के प्रत्येक घर में केवल एक परिवार ही रहता है, किन्तु यह सम्भव है कि उस परिवार का कोई नौकर या श्रमिक उसी मकान के किसी भाग में अथवा पृथक से एक कमरा बनाकर रह सकता है, यद्यपि इस प्रकार की बस्तियों में गाँव के मनुष्यों का सामाजिक संगठन कमजोर हो जाता है फिर भी इन अधिवासों से अनेक आर्थिक लाभ होते हैं तथा परिवार गाँव की राजनीतिक एवं लड़ाई-झगड़ों से दूर रहता है ।

❇️ भारत में परिक्षिप्त या एकाकी बस्तियों की प्रमुख विशेषताएँ :-

🔹 ये बस्ती प्रारुप सुदूर जंगलो या छोटो पहाड़ियों की ढालों पर खेतों या चारागाहों के आस पास दिखाई पड़ते हैं ।

🔹 इनमें मकान एक दूसरे से दूर बने होते हैं और लोग अलग अलग या एकाकी रहते हैं । 

🔹 मेघालय , उत्तरांचल व हिमाचल प्रदेश के अनेक भागों में यही बस्ती पाई जोती हैं ।

❇️ भारत में ग्रामीण बस्तियों के विभिन्न प्रकारों के लिए उत्तरदायी भौतिक कारक :-

🔶 उच्चावच की प्रकृति :- मानव अपने निवास हेतु ऊँचे क्षेत्रों को बाढ़ व जंगली जानवरों से सुरक्षित रहने के लिए चुना । 

🔶 जल की उपलब्धता :- कृषि व अपने ग्रामीण बस्तियां जल स्रोतों के निकट बसती हैं । 

🔶 उर्वरक मृदा :- मनुष्य बसने के लिए उस जगह का चुनाव करता है , जहाँ की मृदा कृषि के लिए उपयुक्त एवं उपजाऊ हो । 

🔶 जलवायु :- मानव अपने निवास हेतु अनुकूल जलवायु में रहना पसंद करते हैं ।

❇️ नगरीय बस्ती :-

🔹नगरीय बस्ती वह बस्ती है जिसके निवासियों का मुख्य व्यवसाय द्वितीयक तृतीयक एवं चतुर्थक गतिविधियों से सम्बन्धित होता है । लंदन नगर को विश्व की प्रथम नगरीय बस्ती कहा गया है ।

❇️ समय के आधार पर नगरों का वर्गीकरण :-

🔶 प्राचीन नगर :- इस काल में अधिकांश नगरों का विकास धार्मिक अथवा सांस्कृतिक केंद्रों के रूप में हुआ है । उदाहरण के लिए प्रयाग ( इलाहाबाद ) , पाटलिपुत्र ( पटना ) मदुरई । 

🔶 मध्यकालीन नगर :- इस काल में अधिकांशतः नगरों का विकास रजवाड़ों व राज्यों के मुख्यालयों के रूप में हुआ । हैदराबाद , जयपुर , लखनऊ , आगरा इसके उदाहरण हैं । 

🔶 आधुनिक नगर :- अंग्रेजों व अन्य यूरोपीय देशों ने अपनी प्रभाविता को प्रत्यक्ष रूप से अथवा रजवाड़ों पर नियंत्रण के माध्यम से प्रशासनिक केंद्रों , ग्रीष्मकालीन विश्राम स्थलों , पत्तनों प्रशासनिक व सैन्य क्षेत्रों को नगरों के रूप में विकसित किया । 

🔶 स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के नगर :- इस समय अनेक नगर प्रशासनिक केंद्रो जैसे – चंडीगढ़ , भुवनेश्वर आदि व औद्योगिक केंद्र जैसे दुर्गापुर , भिलाई , बरौनी आदि के रूप में विकसित हुए ।

❇️ कार्यों की प्रमुखता के आधार पर भारतीय नगर :-

🔶 प्रशासन शहर :- वे शहर या नगर जहां उच्चतर क्रम के प्रशासनिक मुख्यालय होते हैं जैसे दिल्ली , चंडीगढ़ आदि । 

🔶 औद्योगिक नगर :- जिन नगरों में उद्योगों की प्रधानता हो जैसे – मुंबई , सेलम , जमशेदपुर । 

🔶 परिवहन नगर :- कुछ नगर पत्तन के रुप में आयात – निर्यात में संलग्न रहते हैं जैसे कांडला , कोच्चि , विशाखापट्नम् ।

🔶 खनन नगर :- वे नगर जो मुख्यतः खनन के लिए जाने जाते हैं । जैसे रानीगंज , झारिया , डिगबोई आदि । 

🔶 गैरिसन ( छावनी ) नगर :- जिन नगरों में सेना की छावनियाँ होती उन्हें गैरिसन नगर कहते है अंबाला , जालंधर , बबीना , उधमपुर इस प्रकार के नगर है ।

🔶 धार्मिक एवं सांस्कृतिक नगर :- ऐसे नगर जो धार्मिक व सांस्कृतिक केन्द्र के रूप में विख्यात है । जैसे वाराणसी , मथुरा , अजमेर आदि ।

❇️ नगरीय संकुल :-

🔹 एक नगरीय क्षेत्र के चारों ओर नगरों की एक श्रृखंला विकसित हो जाती है या कभी – कभी दो या दो से अधिक नगर एक साथ जुड़कर एक बड़ा नगरीय परिदृष्य बनाते हैं , ऐसे क्षेत्र को नगरीय संकुल कहते है ।

❇️ कोई नगर नगरीय संकुल कब बन जाता है ?

🔹 कोई नगर नगरीय संकुल बन जाता है जब इसमें से किसी एक का समावेश हाता हैं 

  • नगर एवं उससे संलग्न विस्तार 
  • विस्तार सहित या बिना विस्तार के जब दो या अधिक नगर मिल जाते हैं । 
  • एक नगर या उससे सटे हुए या एक से अधिक नगर और उन नगरों के क्रमिक विस्तार जैसे रेलवे कॉलोनी , विश्वविद्यालय परिसर , पत्तन क्षेत्र या सैनिक छावनी को मिलाकर नगरीय संकुल बन जाता है ।

❇️  महानगर एवं मेगानगर में अंतर :-

🔹 दस लाख से पचास लाख की जनसंख्या वाले नगरों को महानगर तथा पचास लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों को मेगानगर कहते है ।

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