3. जनसंख्या संघटन (Population Composition) || B-1 Geography Class 12th Chapter-3 NCERT CBSE || NOTES IN HINDI



❇️ जनसंख्या संघटन :-

🔹 जनसंख्या संघटन जनसंख्या की उन विशेषताओं को प्रदर्शित करता है जिसमें आयु व लिंग का विशलेषण , निवास का स्थान , जनजातियाँ , भाषा , धर्म , साक्षरता , व्यवसायिक विशेषताएँ आदि का अध्ययन किया जाता है ।

🔹 इसके अन्तर्गत ग्रामीण नगरीय संघटन व उनकी विशेषताओं का भी अध्ययन किया जाता है ।

🔹 किसी देश के भावी विकास की योजनाओं को बनाने तथा निश्चित करने में जनसंख्या संघटन का महत्वपूर्ण योगदान है ।

❇️ लिंग अनुपात :-

🔹  लिंग अनुपात से तात्पर्य किसी देश में पुरुषों और महिलाओं की संख्या से है । यह एक लिंग अनुपात के रूप में निकाला जाता है जो पुरुषों और महिलाओं की संख्या के बीच का अनुपात है ।

🔹  दुनिया में लिंगानुपात प्रति 1000 पुरुषों में 990 महिलाओं का है जो लातविया में सबसे अधिक है ( 1187 महिलाएं प्रति 1000 पुरुष ) और संयुक्त अरब अमीरात में सबसे कम ( प्रति 1000 पुरुषों में 468 महिलाएं ) । 

🔹  दुनिया के 72 देशों में लिंगानुपात प्रतिकूल है क्योंकि वहां कन्या भ्रूण हत्या , कन्या भ्रूण हत्या के साथ – साथ महिलाओं की निम्न आर्थिक स्थिति के कारण भेदभाव है । 

🔹 सामान्य तौर पर चीन , भारत जैसे एशियाई देशों में लिंगानुपात कम है जबकि यूरोपीय देशों में लिंगानुपात अधिक है ।

❇️ विश्व की जनसंख्या का औसत लिंग अनुपात :-

🔹 विश्व की जनसंख्या का औसत लिंग अनुपात प्रति हजार पुरूषों पर 990 स्त्रियां हैं ।

❇️ स्त्रियों के लिंग अनुपात प्रतिकूल होने के प्रमुख कारण :-

🔹 लिंग अनुपात स्त्रियों के प्रतिकूल होने के प्रमुख कारण निम्न हैं :-

  • ( क ) स्त्री – भ्रूण हत्या । 
  • ( ख ) स्त्रियों के प्रति घरेलू हिंसा । । 
  • ( ग ) स्त्रियों के सामाजिक आर्थिक स्तर का निम्न होना ।

नोट :- प्रतिकूल लिंगानुपात वाला महाद्वीप – एशिया 

         अनुकूल लिंगानुपात वाला महाद्वीप – यूरोप

❇️ प्रतिकूल लिंग अनुपात :-

🔹 जिन देशों में पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या कम होती है वहाँ स्त्रियों के लिए निश्चित रूप से प्रतिकूल परिस्थितियाँ होती है । स्त्री भ्रूणहत्या , स्त्री शिशु हत्या व स्त्रियों के प्रति घरेलू हिंसा के कारण ऐसा होता है । विश्व के 72 देश इसी श्रेणी में आते हैं ।

❇️ अनुकूल लिंग अनुपात :-

🔹 जिन देशों में पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या अधिक होती है , वहाँ स्त्रियाँ निश्चित रूप से अनुकूल स्थिति में है । स्त्री शिक्षा , रोजगार तथा इनके जीवन के विकास की अनुकूल दशाएँ तथा सरकारी नीतियाँ , स्त्रियों के लिए अनुकूल स्थिति पैदा करती है । विश्व के 139 देश इसी श्रेणी में आते हैं ।

❇️ वृद्ध होती जनसंख्या :-

🔹 जनसंख्या का वृद्ध होना एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे बुजुर्ग जनसंख्या का हिस्सा अनुपात की दृष्टि से बडा हो जाता है । विश्व के अधिकांश देशों में उच्च जीवन प्रत्याशा एवं निम्न जन्मदर के कारण उच्च आयु वर्गों की जनसंख्या बढी है । 

❇️ आयु संरचना :-

🔹 आयु संरचना विभिन्न आयु वर्गों में लोगों की संख्या को प्रदर्शित करती है । इसी के आधार पर यह ज्ञात किया जा सकता है कि विभिन्न आयु वर्गों में लोगों का कितना प्रतिशत है । 

🔹 इसके अन्तर्गत तीन आयु वर्ग आते हैं :

  • 1 ) बाल वर्ग ( 0 – 14 वर्ष ) 
  • 2 ) प्रौढ़ वर्ग ( 15-59 वर्ष )
  • 3 ) वृद्ध वर्ग ( 60 वर्ष से अधिक )

❇️ आयु संरचना जनसंख्या की किन विशेषताओं को दर्शाती है :-

🔹 यदि जनसंख्या में 0 – 14 आयु वर्ग की जनसंख्या अधिक है तो आश्रित जनसंख्या का अनुपात अधिक होगा । जिसके कारण आर्थिक विकास धीमा होगा । 

🔹 15 – 59 वर्ष की आयु में अधिक जनसंख्या होने पर कार्यशील अथवा अर्जक जनसंख्या अधिक होने की संभावना होती है जो देश के संसाधनों के दोहन करने में सहायक होती है । 

🔹 60 वर्ष के ऊपर की आयु संरचना वर्ग में बढ़ती हुई जनसंख्या से वृद्धों की देखभाल पर अधिक व्यय होने का संकेत मिलता है । उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि जनसंख्या के जनांकिकीय निर्धारक के रूप में आयु संरचना का अध्ययन बहुत महत्वपूर्ण है ।

❇️  ‘ आयु – लिंग ‘ पिरामिड / संरचना :-

🔹 जनसंख्या की आयु – लिंग संरचना का अभिप्राय विभिन्न आयु वर्गों में स्त्रियों व पुरूषों की संख्या से है । पिरामिड का प्रयोग जनसंख्या की आयुलिंग संरचना को दर्शाने के लिए किया जाता है ।

❇️ आयुलिंग असन्तुलन के लिए उत्तरदायी कारक :-

🔶 जन्मदर व मृत्युदर :- विकासशील देशों में मृत्यु दर अधिक होने के कारण लिंग अनुपात में असन्तुलन उत्पन्न हो जाता है । पुरुष जन्म स्त्री जन्म से अधिक होता है और समाज में स्त्रियों को गौण समझा जाता है ।

🔶 प्रवास :– प्रवास के कारण भी उद्भव व गन्तव्य दोनों में लिंगानुपात प्रभावित होता है । रोजगार व शिक्षा के कारण पुरुष प्रवास अत्याधिक होता है ।

🔶 ग्रामीण व नगरीय जीवन :- गाँव के लोग रोजगार व सुविधाओं के कारण नगरों में जाकर बस जाते हैं जिससे नगरीय जीवन में लिंगानुपात अन्तर आ जाता है ।

🔶  सामाजिक आर्थिक स्थिति :- जिन देशों में स्त्रियों की सामाजिक – आर्थिक स्थिति दयनीय है वहाँ भी स्त्रियों की संख्या प्रत्येक आयुवर्ग में पुरुषों की तुलना में कम है ।

❇️ ग्रामीण व नगरीय संघटन :-

🔹 इसका निर्धारण लोगों के निवास स्थान के आधार पर किया जाता है । यह आवश्यक भी है क्योंकि ग्रामीण व नगरीय जीवन आजीविका व सामाजिक दशाओं में एक दूसरे से भिन्न होते हैं ।

❇️ साक्षरता दर :-

🔹 साक्षरता दर किसी भी देश की जनसंख्या का गुणात्मक पहलू है और किसी भी देश में साक्षर जनसंख्या का अनुपात उसके सामाजिक व आर्थिक विकास का सूचक होता है।

❇️ साक्षरता दर को प्रभावित करने वाले कारक :-

🔶 आर्थिक विकास का स्तर :- अल्पविकसित अर्थव्यवस्था वाले देशों में साक्षरता की निम्न दर तथा उन्नत नगरीय अर्थव्यवरूथा वाले देशों में उच्च साक्षरता दर पाई जाती है ।

🔶 नगरीकरण :- जिन प्रदेशों में जनसंख्या का अधिकांश भाग नगरों में निवास करता है वहाँ साक्षरता दर ऊँची है जैसे यूरोप के देश । लेकिन जिन देशों में ग्रामीण जनसंख्या का प्रतिशत अधिक है वहां साक्षरता दर निम्न है ।

🔶 महिलाओं की सामाजिक स्थिति :- कृषि आधारित अर्थव्यवस्थाओं में महिलाओं की स्थिति गौण होती है इसलिए महिला साक्षरता दर निम्न पाई जाती है जबकि औद्योगिक अर्थव्यवस्था वाले देशों में महिलाओं में साक्षरता दर उच्च होती है ।

❇️ व्यवसायिक संरचना :-

🔹 पारिश्रमिक युक्त व्यवसाय कार्यों में संलग्न तथा इन्हीं कार्यों से जीविकोपार्जन करने वाली जनसंख्या के स्वरूप को व्यवसायिक संरचना कहते हैं । जिन देशों में अधिकतर लोग प्राथमिक व्यवसाय में लगे होते हैं उनका आर्थिक स्तर निम्न होगा तथा वहाँ की व्यवस्था कृषि पर आधारित होगी । जहाँ अधिकांश लोग द्वितीयक , तृतीयक तथा चतुर्थक व्यवसाय में लगे होते हैं उनका आर्थिक स्तर ऊँचा होगा ।

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