विधायिका
(Legislature)
❇️ सरकार के तीन अंग होते है :-
🔹 विधायिका
🔹 कार्यपालिका
🔹 न्यायपालिका
संविधान के अनुच्छेद 76 के अनुसार भारतीय संसद में दो सदनों के साथ – साथ राष्ट्रपति को भी सम्मिलित किया जाता हैं ।
❇️ विधायिका :-
🔹 संघ की विधायिका को संसद कहा जाता है , यह राष्ट्रपति और दो सदन , जो राज्य परिषद ( राज्य सभा ) और जनता का सदन ( लोक सभा ) से बनती है । राज्यों की विधायिका को विधानमंडल या विधानसभा कहते हैं ।
🔹 विधायिका का चुनाव जनता द्वारा होता है । इसलिए यह जनता का प्रतिनिधी बनकर कानून का निर्माण करता है । इसकी बहस विरोध , प्रदर्शन , बहिर्गमन , सर्वसम्मति , सरोकार और सहयोग आदि अत्यंत जीवन्त बनाए रखती है ।
🔹 लोकतंत्रीय शासन में विधायिका का महत्व बहुत अधिक होता है । भारत में संसदीय शासन प्रणाली अपनायी गयी है जो कि ब्रिटिश प्रणाली पर आधारित हैं ।
❇️ विधायिका दो प्रकार के हैं :-
( 1 ) केंद्र में संसद
( 2 ) राज्य में राज्य विधानमंडल
❇️ भारतीय संसद के दो भाग है :-
🔹 लोकसभा :- भारतीय संसद के अस्थायी सदन को लोक सभा कहते है । जिसका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है और इसके 542 सदस्य चुने जाते है ।
🔹 राज्यसभा :- भारतीय संसद के अन्य सदन जो स्थायी होता है राज्यसभा कहते है । इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष होता है ।
❇️ संसद में दो सदनों की आवश्यकता :-
🔹 विविधताओं से पूर्ण देश प्राय : द्वि – सदनात्मक राष्ट्रिय विधायिका चाहते है ताकि समाज के सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व दिया जा सके ।
🔹 इसका एक अन्य लाभ यह है कि एक सदन द्वारा लिए गए प्रत्येक निर्णय पर दुसरे सदन में पुनर्विचार हो जाता है ।
🔹 प्रत्येक विधेयक और निति पर दो बार विचार होता है ।
🔹 एक सदन कोई भी निर्णय जल्दबाजी में थोप नहीं पाता है ।
❇️ संसद के प्रमुख कार्य :-
🔹 कानून बनाना ।
🔹 कार्यपालिका पर नियंत्रण ।
🔹 वित्तीय कार्यः बजट पारित करना
🔹 संविधान संशोधन ।
🔹 निर्वाचन संबंधी कार्य ।
🔹 न्यायिक कार्य ।
🔹 प्रतिनिधित्व ।
🔹 बहस का मंच ।
🔹 विदेश नीति पर नियन्त्रण ।
🔹 विचारशील कार्य ।
❇️ द्वि – सदनात्मक विधायिका वाले प्रान्त :-
🔹 बिहार
🔹 जम्मू और कश्मीर
🔹 उत्तर – प्रदेश
🔹 महाराष्ट्र
🔹 कर्नाटक
❇️ राज्यसभा :-
🔹 भारतीय संसद का ऊपरी सदन राज्यसभा हैं इसके अधिकतम 250 सदस्य होते है जिनमें 12 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत और 238 राज्यों द्वारा अप्रत्यक्ष चुनाव द्वारा निर्वाचित होते हैं । इनका निर्वाचन 6 वर्ष के लिए किया जाता है । राज्य सभा एक स्थायी सदन है । प्रत्येक 2 वर्ष बाद इसमें एक तिहाई सदस्यों का चुनाव होता है । मनोनीत सदस्य साहित्य , विज्ञान , कला , समाजसेवा , खेल आदि क्षेत्रों से लिये जाते है ।
❇️ राज्यसभा का सदस्य बनने की योग्यताएं :-
🔹 वह भारत का नागरिक हो ।
🔹 30 वर्ष की आयु का हो ।
🔹 इनका निर्वाचन एकल संक्रमणीय अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली से होता है ।
🔹 1951 के जन – प्रतिनिधि कानून के अनुसार राज्यसभा या लोक सभा के उम्मीदवार का नाम किसी न किसी संसदीय निर्वाचक क्षेत्र में पंजीकृत होना आवश्यक है ।
❇️ राज्यसभा की शक्तियाँ :-
🔹 समान्य विधेयकों पर विचार कर उन्हें पारित करती है और धन विधेयकों में संशोधन प्रस्तावित करती है ।
🔹 संवैधानिक संशोधनों को पारित करती है ।
🔹 प्रश्न पूछ कर तथा संकल्प और प्रस्ताव प्रस्तुत करके कार्यपालिका पर नियंत्रण करती है ।
🔹 राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेती है और उन्हें और सर्वोच्य न्यायलय के न्यायधीशों को हटा सकती है ।
🔹उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव केवल राज्यसभा में ही लाया जा सकता है ।
🔹 यह संसद को राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार दे सकती है ।
🔹 यह राज्यों की हितों ( शक्तियों ) की रक्षा करती है ।
❇️ वित्तिय शक्तियां :-
🔹 वित्त विधेयक पर राज्यसभा 14 दिन तक विचार कर सकता है ।
🔹 संविधान संशोधन संबंधी शक्तियां ।
🔹 प्रशासनिक शक्तियां – मंत्रियों से उनके विभागों के संबंध में प्रश्न राज्यसभा में जो पूछे जा सकते है ।
🔹 अन्य शक्तियाँ चुनाव , सहभियोग , आपात स्थिति की घोषणा न्यायधीश को उसके पद से हटाया जाना इत्यादि पर दोनों सदनों पर अनुमति जरूरी है ।
❇️ लोकसभा :-
🔹 लोकसभा भारतीय संसद का निम्न सदन है । इसमे अधिकतम 550 सदस्य हो सकते है । वर्तमान में लोकसभा के 543 निर्वाचित सदस्य है और दो सदस्य ( एंग्लो इंडियन ) को राष्ट्रपति मनोनित कर सकता है । लोकसभा के सदस्यों का चुनाव जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाता हैं इसका कार्यकाल 5 वर्ष निर्धारित है परंतु उसे समय से पहले भी भंग किया जा सकता है ।
🔹 भारत में संसदीय शासन प्रणाली होने के कारण लोकसभा अधिक शक्तिशाली है क्योंकि इसके सदस्यों का निर्वाचन प्रत्यक्ष रूप से होता है । इसे कार्यपालिका को हटाने को शक्ति भी प्राप्त है ।
❇️ लोकसभा का सदस्य बनने की योग्यताएं :-
🔹 भारत का नागरिक ।
🔹 आयु 25 वर्ष ।
🔹 पागल व दिवालिया न हो ।
🔹 किसी लाभप्रद सरकारी पद पर न हो ।
❇️ लोकसभा की विशेष शक्ति :-
🔹 संध सूची और समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बनाती है । धन विधेयकों और समान्य विधेयकों को प्रस्तुत और पारित करती है ।
🔹 कर – प्रस्तावों , बजट और वार्षिक वित्तीय वक्तव्यों को स्वीकृति देती है ।
🔹 प्रश्न पूछ , पूरक प्रश्न पूछ कर , प्रस्ताव लाकर और अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से कार्यपालिका को नियंत्रण करती है ।
🔹 लोकसभा संविधान में संशोधन का कार्य करती है ।
🔹 आपातकाल की घोषणा को स्वीकृति देती है ।
🔹 राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करती है और उन्हें और सर्वोच्य न्यायलय के न्यायधीशों को हटा सकती है ।
🔹 समिति और आयोगों का गठन करती है और उनके प्रतिवेदन पर विचार करती है ।
🔹 धन विधेयक केवल लोकसभा में में ही प्रस्तुत किये जा सकते है। लोकसभा के पास राज्यसभा से अधिक शक्तियाँ है । राज्यसभा को जनता नहीं बल्कि विधायक चुनते है ।
🔹 संविधान द्वारा अपनायी गई लोकतान्त्रिक व्यवस्था में जनता के पास अंतिम शक्ति होती है । यही कारण है कि संविधान ने निर्वाचित प्रतिनिधियों ( लोकसभा ) के पास ही सरकार को हटाने और वित् पर नियंत्रण रखने की शक्ति दी है ।
❇️ कानून बनाने की प्रक्रिया :-
🔹 विधेयक :- प्रस्तावित कानून के प्रारूप को विधेयक कहते है ।
🔹 विधेयक प्रस्तावित कानून का प्रारूप अनुच्छेद 107-112 कानून निर्माण ।
❇️ विधेयक के प्रकार :-
🔹 विधेयक के दो प्रकार होते है :-
🔶 सरकारी विधेयक ( जो मंत्रियों द्वारा पेश किए जाते है । )
1. धन विधेयक
2. साधारण विधेयक
3. संविधान संशोधन विधेयक
🔶 गैर सरकारी विधेयक ( संसद का अन्य कोई सदस्य पेश करता है )
1. साधारण विधेयक
2. संविधान संशोधन विधेयक
❇️ सरकारी विधेयक :-
🔹 वह विधेयक जिसे सरकार का कोई मंत्री संसद में पेश / प्रस्तुत करता है । सरकारी विधेयक कहलाता है । सरकारी विधेयक दो प्रकार के होते है ।
🔶 साधारण विधेयक :- धन या वित्तीय विधेयक को छोड़कर सभी सरकारी विधेयक साधारण विधेयक होते हैं । जैसे – जनता से जुडी मामलों के लिए कोई नया कानून बनाना हो या संविधान में कोई संसोधन करना हो ।
साधारण विधेयक दो प्रकार के होते है ।
1. समान्य विधेयक
2. संविधान संसोधन विधेयक
🔶 धन या वित्तीय विधेयक :- वह विधेयक जो किसी नए कर , छुट या अन्य वित्तीय लेनदेन से संबंधित हो या किसी कार्य के लिए धन मुहैया कराना हो ऐसे विधेयक को वितीय विधेयक कहते है ।
❇️ गैर – सरकारी विधेयक :-
🔹 वह विधेयक जिसे मंत्री के अलावा संसद का कोई अन्य सदस्य संसद में प्रस्तुत करे तो उसे निजी विधेयक कहते है ।
❇️ प्रक्रिया :-
🔹 प्रथम वाचन ।
🔹 द्वितीय वाचन ( समिति स्तर )
🔹 समिति की रिपार्ट पर चर्चा
🔹 तृतीय वाचन ।
🔹 दूसरे सदन में प्रक्रिया ।
🔹 राष्ट्रपति की स्वीकृति ।
❇️ संसदीय नियंत्रण के साधन :-
🔹 बहस और चर्चा – प्रश्न काल , शून्य काल , स्थगन प्रस्ताव ।
🔹 कानूनों की स्वीकृति या अस्वीकृति ।
🔹 वित्तीय नियंत्रण ।
🔹 अविश्वास प्रस्ताव , निन्दा प्रस्ताव ।
❇️ संसदीय समितियां :-
🔹 विभिन्न विधायी व दैनिक कार्यों के लिए समितियों का गठन संसदीय कामकाज का एक जरूरी पहलू है । ये विभिन्न मामलों पर विचार विमर्श करती है और प्रशासनिक कार्यों पर निगरानी रखती है ।
❇️ वित्तीय समितिया :-
🔹 लोक लेखा समिति :- भारत सरकार के विभिन्न विभागों का खर्च नियमानुसार हुआ है या नहीं ।
🔹 प्राकलन समिति :- खर्च में किफायत किस तरह की जा सकती है ।
🔹 लोक उपक्रम :- सरकारी उद्योगों की रिपोर्ट की जांच करती है कि उद्योग या व्यवसाय कुशलता पूर्वक चलाया जा रहे है या नहीं ।
❇️ विभागीय स्थायी समितियां :-
🔹 नियमन समिति ।
🔹 विशेषाधिकार समिति ।
🔹 कार्य – मंत्रणा समिति ।
🔹 आश्वासन समिति ।
❇️ तदर्थ समितियां :-
🔹 विशिष्ट विषयों की जांच – पड़ताल करने तथा रिपोर्ट देने के लिए समय – समय पर गठन किया जाता है । बौफोर्स समझौतों से संबंधित संयुक्त समिति । समितियों द्वारा दिये गए सुझावो को संसद शायद ही नामंजूर करती है ।
❇️ संसद स्वयं को किस प्रकार नियंत्रित करती है :-
🔹 संसद का सार्थक व अनुशासित होना ।
🔹 सदन का अध्यक्ष विधायिका की कार्यवाही के मामलों में सर्वोच्च अधिकारी होता है ।
🔹 दल बदल निरोधक कानून द्वारा 1985 में 52 वां संशोधन किया गया । 91 वें संविधान संशोधन द्वारा संशोधित किया गया । यदि कोई सदस्य अपने दल के नेतृत्व के आदेश के बावजूद – सदन में उपस्थित न हो या दल के निर्देश के विपरीत सदन में मतदान करें अथवा स्वेच्छा से दल की सदस्यता से त्यागपत्र दें उसे ‘ दलबदल ‘ कहा जाता है । अध्यक्ष उसे सदन की सदस्यता के अयोग्य ठहरा सकता है ।
🔹 भारतीय संघात्मक सरकार में 29 राज्य 7 केंद्र शासित इकाईयों को मिलाकर भारत में संघीय शासन की स्थापना करती है । दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दर्जा दिया गया हैं ।
🔹 भारत के प्रत्येक राज्य में विधानमंडल की व्यवस्था एक समान नहीं है । कुछ राज्यों में एक सदनीय तथा कुछ राज्यों में द्वि – सदनीय व्यवस्था है ।
🔹राज्यों में कानून निर्माण का कार्य विधानमंडलों को दिया गया है :-
1. निम्न सदन को विधानसभा ।
2. उच्च सदन को विधान परिषद कहा जाता है ।
❇️ द्विसदनीय राज्य :-
🔹 जम्मू और कश्मीर , उत्तर प्रदेश , तेलंगाना , बिहार , महाराष्ट्र , कर्नाटक व आन्ध्र प्रदेश , सात राज्य बाकी सभी राज्य एक सदनीय है ।
❇️ विधानसभा की शक्तियां :-
🔹 विधायी कार्यशक्ति ।
🔹 वित्तीय शक्तियां ।
🔹 कार्यपालिका शक्तियां ।
🔹 चुनाव संबंधी कार्य ।
🔹 संविधान संशोधन सबंधी शक्तियां ।
❇️ विधान परिषद की शक्तियां :-
🔹 विधायी शक्तियां ।
🔹 वित्तीय शक्तियां ।
🔹 कार्यपालिका शक्तियां ।
🔹 दोनों सदन राज्य विधानपालिका के आवश्यक अंग होते हुए भी संविधान ने विधानसभा को बहुत शक्तिशाली व प्रभावशाली स्थित प्रदान की है ।
❇️ दलबदल :-
🔹 यदि कोई सदस्य अपने दल के नेतृत्व के आदेश के बावजूद सदन में उपस्थित न हो या दल के निर्देश के विपरीत सदन में मतदान करे अथवा स्वेच्छा से दल की सदस्यता दे दे तो उसे दलबदल कहते है ।
❇️ दलबदल निरोधक कानून :-
🔹 संविधान के 52 वाँ संशोधन द्वारा सन 1985 में एक कानून बनाया गया जिसके द्वारा सदन का अध्यक्ष अपने सदस्यों के व्यवहार को नियंत्रित करता है । इसे दलबदल निरोधक कानून कहते है। यदि यह सिद्ध हो जाये कि कोई सदस्य ने दलबदल किया है तो उसकी सदन की सदस्यता समाप्त हो जाती है । उअर ऐसे दलबदलू को किसी भी राजनितिक पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाता है ।